रविवार, 30 अप्रैल 2017

राजवंश

गुलाम वंश*
1=1193 मुहम्मद  गौरी
2=1206 कुतुबुद्दीन ऐबक
3=1210 आराम शाह
4=1211 इल्तुतमिश
5=1236 रुकनुद्दीन फिरोज शाह
6=1236 रज़िया सुल्तान
7=1240 मुईज़ुद्दीन बहराम शाह
8=1242 अल्लाउदीन मसूद शाह
9=1246 नासिरुद्दीन महमूद 
10=1266 गियासुदीन बल्बन
11=1286 कै खुशरो
12=1287 मुइज़ुदिन कैकुबाद
13=1290 शमुद्दीन कैमुर्स
1290 गुलाम वंश समाप्त्
(शासन काल-97 वर्ष लगभग )

*👉खिलजी वंश*
1=1290 जलालुदद्दीन फ़िरोज़ खिलजी
2=1296
अल्लाउदीन खिलजी
4=1316 सहाबुद्दीन उमर शाह
5=1316 कुतुबुद्दीन मुबारक शाह
6=1320 नासिरुदीन खुसरो  शाह
7=1320 खिलजी वंश स्माप्त
(शासन काल-30 वर्ष लगभग )

*👉तुगलक  वंश*
1=1320 गयासुद्दीन तुगलक  प्रथम
2=1325 मुहम्मद बिन तुगलक दूसरा  
3=1351 फ़िरोज़ शाह तुगलक
4=1388 गयासुद्दीन तुगलक  दूसरा
5=1389 अबु बकर शाह
6=1389 मुहम्मद  तुगलक  तीसरा
7=1394 सिकंदर शाह पहला
8=1394 नासिरुदीन शाह दुसरा
9=1395 नसरत शाह
10=1399 नासिरुदीन महमद शाह दूसरा दुबारा सता पर
11=1413 दोलतशाह
1414 तुगलक  वंश समाप्त
(शासन काल-94वर्ष लगभग )

*👉सैय्यद  वंश*
1=1414 खिज्र खान
2=1421 मुइज़ुदिन मुबारक शाह दूसरा
3=1434 मुहमद शाह चौथा
4=1445 अल्लाउदीन आलम शाह
1451 सईद वंश समाप्त
(शासन काल-37वर्ष लगभग )

*👉लोदी वंश*
1=1451 बहलोल लोदी
2=1489 सिकंदर लोदी दूसरा
3=1517 इब्राहिम लोदी
1526 लोदी वंश समाप्त
(शासन काल-75 वर्ष लगभग )

*👉मुगल वंश*
1=1526 ज़ाहिरुदीन बाबर
2=1530 हुमायूं
1539 मुगल वंश मध्यांतर

*👉सूरी वंश*
1=1539 शेर शाह सूरी
2=1545 इस्लाम शाह सूरी
3=1552 महमूद  शाह सूरी
4=1553 इब्राहिम सूरी
5=1554 फिरहुज़् शाह सूरी
6=1554 मुबारक खान सूरी
7=1555 सिकंदर सूरी
सूरी वंश समाप्त,(शासन काल-16 वर्ष लगभग )

*मुगल वंश पुनःप्रारंभ*
1=1555 हुमायू दुबारा गाद्दी पर
2=1556 जलालुदीन अकबर
3=1605 जहांगीर सलीम
4=1628 शाहजहाँ
5=1659 औरंगज़ेब
6=1707 शाह आलम पहला
7=1712 जहादर शाह
8=1713 फारूखशियर
9=1719 रईफुदु राजत
10=1719 रईफुद दौला
11=1719 नेकुशीयार
12=1719 महमूद शाह
13=1748 अहमद शाह
14=1754 आलमगीर
15=1759 शाह आलम
16=1806 अकबर शाह
17=1837 बहादुर शाह जफर
1857 मुगल वंश समाप्त
(शासन काल-315 वर्ष लगभग )

*👉ब्रिटिश राज (वाइसरॉय)*
1=1858 लॉर्ड केनिंग
2=1862 लॉर्ड जेम्स ब्रूस एल्गिन
3=1864 लॉर्ड जहॉन लोरेन्श
4=1869 लॉर्ड रिचार्ड मेयो
5=1872 लॉर्ड नोर्थबुक
6=1876 लॉर्ड एडवर्ड लुटेनलॉर्ड
7=1880 लॉर्ड ज्योर्ज रिपन
8=1884 लॉर्ड डफरिन
9=1888 लॉर्ड हन्नी लैंसडोन
10=1894 लॉर्ड विक्टर ब्रूस एल्गिन
11=1899 लॉर्ड ज्योर्ज कर्झन
12=1905 लॉर्ड गिल्बर्ट मिन्टो
13=1910 लॉर्ड चार्ल्स हार्डिंज
14=1916 लॉर्ड फ्रेडरिक सेल्मसफोर्ड
15=1921 लॉर्ड रुक्स आईजेक रिडींग
16=1926 लॉर्ड एडवर्ड इरविन
17=1931 लॉर्ड फ्रिमेन वेलिंग्दन
18=1936 लॉर्ड एलेक्जंद लिन्लिथगो
19=1943 लॉर्ड आर्किबाल्ड वेवेल
20=1947 लॉर्ड माउन्टबेटन
ब्रिटिस राज समाप्त

*🇮🇳आजाद भारत,प्राइम मिनिस्टर🇮🇳*
1=1947 जवाहरलाल नेहरू
2=1964 गुलजारीलाल नंदा
3=1964 लालबहादुर शास्त्री
4=1966 गुलजारीलाल नंदा
5=1966 इन्दिरा गांधी
6=1977 मोरारजी देसाई
7=1979 चरणसिंह
8=1980 इन्दिरा गांधी
9=1984 राजीव गांधी
10=1989 विश्वनाथ प्रतापसिंह
11=1990 चंद्रशेखर
12=1991 पी.वी.नरसिंह राव
13=अटल बिहारी वाजपेयी
14=1996 ऐच.डी.देवगौड़ा
15=1997 आई.के.गुजराल
16=1998 अटल बिहारी वाजपेयी
17=2004 डॉ.मनमोहनसिंह
*18=2014 से  नरेन्द्र मोदी*

बुधवार, 26 अप्रैल 2017

कंप्यूटर


*❒ कम्प्यूटर*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━
*☔कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रानिक मशीन है । इसका हिंदी नाम संगणक है ।*
*☔आधुनिक कम्प्यूटर का पिता चार्ल्स बैवेज को कहते हैं ।*
*☔कैलकुलेटर का आविष्कार पास्कल ने किया था ।*
*☔भारत मे निर्मित पहला कम्प्यूटर सिद्धार्थ था ।*
*☔सबसे बडा कम्प्यूटर नेटवर्क इंटरनेट है ।*
*☔भारत का प्रथम कम्प्यूटर बैंगलूर के प्रधान डाक घर मे लगाया गया ।*
*☔इंटरनेट का प्रथम प्रयोग अमेरिका के रक्षा अनुसंधान मे हुआ ।*
*☔कम्प्यूटर मे प्रयुक्त होने वाला IC चिप्स सिलिकान का बना होता है ।*
*☔भारत का सिलिकान वैली बैंगलोर को कहते हैं ।*
*☔कम्प्यूटर का मस्तिष्क सी.पी.यू. को कहते हैं ।*
*☔कम्प्यूटर अपने परिणाम को भविष्य हेतु मैमोरी मे सुरक्षित रखता है ।*
*☔IC का पूर्ण रूप इंटरग्रेटेड सर्किट होता है ।*
*☔IBM का पूर्ण रूप इंटरनेशनल बिजनेस मशीन है ।*
*☔WWW का पूर्ण रूप वर्ल्ड वाईड वेव है ।*
*☔LAN का पूर्ण रूप लोकल एरिया नेटवर्क है ।*
*☔WAN का पूर्ण रूप वाइड एरिया नेटवर्क है ।*
*☔RAM का पूर्ण रूप रैंडम एक्सिस मेमोरी है ।*
*☔ROM का पूर्ण रूप रिड ओनली मेमोरी है ।*
*☔CD का पूर्ण रूप काम्पैक्ट डिस्क होता है ।*
*☔VDU का पूर्ण रूप विजुअल डिस्प्ले यूनिट है ।*
*☔HTML का पूर्ण रूप हायपर टेक्ट मार्कप लांग्वेज है ।*
*☔HTTP का पूर्ण रूप हायपर टेक्ट ट्रांसफर प्रोटोकाल है ।*
*☔ALU का पूर्ण रूप अर्थमेटिक लाजिकल यूनिट है ।*
*☔CPU का पूर्ण रूप सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट है ।*
*☔CU का पूर्ण रूप कंट्रोल यूनिट होता है ।*
*☔COBOL का पूर्ण रूप कामन बिजनेस ओरिएंटेड लांग्वेज है ।*
*☔DOS का पूर्ण रूप डिस्क आपरेटिंग सिस्टम है ।*
*☔E MAIL का पूर्ण रूप इलेक्ट्रानिक मेल होता है ।*
*☔FAX का पूर्ण रूप फार अवे झेरोक्स होता है ।*
*☔कम्प्यूटर को बंद करने की प्रक्रिया को शट डाउन तथा चालू करने की प्रक्रिया को बुट अप कहते है ।*
*☔मानिटर का अन्य नाम VDU है ।*
*☔स्टैंडर्ड की बोर्ड मे 101 बटन तथा 12 फंक्शन कीज होती हैं ।*
*☔चुम्बकीय डिस्क पर आयरन आक्साइड की परत होती है ।*
*☔बाइनरी नम्बर प्रणाली मे 0 तथा 1 का प्रयोग होता है ।*
*☔फ्लापी डिस्क की साइज 3.25” तथा 5.25” होती है ।*
*☔कम्प्यूटर नेटवर्क से सम्पर्क जोडने की प्रक्रिया को ‘लाग इन’ तथा सम्पर्क तोडने को ‘लाग आउट’ कहते हैं ।*
*☔आपरेटिंग सिस्टम मे RAM का प्रयोग किया जाता है ।*
*☔कम्प्यूटर मे प्रोग्राम की सूची को मेंयू कहते हैं ।*
*☔मोडेम टेलीफोन लाइन पर काम करता है ।*
*☔कम्प्यूटर के डम्प होने का कारण वाइरस होता है ।*
*☔कम्प्यूटर वाइरस एक डिस्ट्रकटिव प्रोग्राम होता है ।*
*☔कम्प्यूटर का भौतिक बनावट हार्डवेयर कहलाता है ।*
*☔हार्ड डिस्क की गति RPM. मे मापी जाती है ।*
*➖8 बिट =* 1 बाइट
*➖1024 बाइट =* 1 किलो बाइट
*➖ 1024 किलो बाइट =* 1 MB
*➖ 1024 MB =* 1 GB
*☔IBM (इंटर नेशनल बिजनेस मशीन) एक कम्प्यूटर कम्पनी है ।*
*☔कम्प्यूटर का मुख्य पृष्ट डेस्क टाप कहलाता है ।*
*☔कम्प्यूटर के क्षेत्र मे महान क्रांति 1960 ई. मे आयी ।*
*☔DOS और WINDOWS एक प्रकार के आपरेटिंग सिस्टम हैं ।*
*☔माउस,की बोर्ड, जायस्टिक, स्कैनर, तथा लाइट पेन इनपुट डिवाइस के उदाहरण हैं ।*
*☔प्रिंटर, स्पीकर, तथा मानिटर आउटपुट डिवाइस हैं ।*
*☔इंटरनेट पर भेजा जाने वाला संदेश ई मेल कहलाता है ।*
*☔उच्चस्तरीय भाषा से मशीनी भाषा मे रूपांतरण सोर्स प्रोग्राम द्वारा होता है ।*
*☔अंग्रेजी के समान उच्चस्तरीय भाषा कोबोल है ।*
*☔प्रोग्राम हेतु विकसित प्रथम भाषा फोरट्रान है ।*
*☔उच्चस्तरीय भाषा का अनुवाद निम्न स्तरीय भाषा मे कम्पाइलर करता है ।*
*☔उच्चस्तरीय भाषा का विकास IBM ने किया ।*
*☔फोरट्रान,कोबोल, बेसिक, अल्गोल, पास्कल आदि उच्चस्तरीय भाषाएं हैं ।*
*☔मदर बोर्ड एक सर्किट बोर्ड है, इसमे सी.पी.यू. जोडे जाते हैं ।*
*☔हार्ड डिस्क मे कम्प्यूटर प्रोग्रामों को स्टोर किया जाता है ।*
*☔कम्प्यूटर तीन प्रकार के होते हैं- डिजिटल, एनालाँग, एवं हाइब्रिड ।*
*☔असेम्बलर ,असेम्बली भाषा को यंत्र भाषा मे बदलता है ।*

शिक्षा स्लोगन

शाला प्रवेशोत्सव स्लोगन 2017-18
१.
कोई न छूटे इस बार,
शिक्षा है सबकाअधिकार' ‘

२.
'हिन्दु-मुस्लिम, सिख-इसाई . मिलकर के सब करें पढ़ाई’ ‘

३.
आधी रोटी खायेंगे,
स्कूल जरूर जायेंगे’ ‘

४.
अब ना करो अज्ञानता की भूल,
हर बच्चे को भेजो स्कूल’ ‘

५.
एक भी बच्चा छूटा,
संकल्प हमारा टूटा' '

६.
घर-घर विद्या दीप जलाओ, अपने बच्चे सभी पढ़ाओ',

७.
पढ़ी लिखी नारी,
घर-घर की उजियारी' '

८.
पढेंगे पढ़ायेंगे,
उन्नत देश बनाएंगे' ‘

९.
अनपढ़ होना है अभिशाप,
अब न रहेंगे अंगूठा छाप' ‘

१०.
शिक्षा से देश सजाएंगे,
हर बच्चे को पढ़ाएंगे’ '

११.
21वीं सदी की यहीं पुकार, शिक्षा है सबका अधिकार’

१२.
‘हर घर में चिराग जलेगा,
हर बच्चा स्कूल चलेगा’

१३.
लड़का-लड़की एक समान, यही संकल्प, यही अभियान’

१४.
‘मम्मी पापा हमें पढ़ाओ,
स्कूल में चलकर नाम लिखाओ’

१५.
‘हर घर में एक दीप जलेगा, हर बच्चा स्कूल चलेगा’

१६.
'हम भी स्कूल जाएंगे,
पापा का मान बढ़ाएंगे’

१७.
'दीप से दीप जलाएंगे,
साक्षर देश बनाएंगे'

१८.
'मिड डे मील हम खाएंगे, स्कूल में पढ़ने जाएंगे'

१९.
'शिक्षा ऐसी सीढ़ी है,
जिससे चलती पीढ़ी हैँ'

२०.
सर्व शिक्षा का है कहना,
पढ़ने जायें भाई बहना'

२१.
'सर्व शिक्षा का अभियान,
सबको मिले प्राथमिक ज्ञान'

२२.
पापा सुनलो विनय हमारी,
पढ़ने की है उम्र हमारी|

२३.
बच्चे मांगे प्यार दो,
शिक्षा का अधिकार दो|

२४.
'हम बच्चों का नारा है,
शिक्षा - अधिकार हमारा है||. 

सोमवार, 24 अप्रैल 2017

मध्यप्रदेश को जाने

मध्यप्रदेश राज्य एक नजर में------------------------------------------मध्यप्रदेश भारत के मध्य में स्थित है, इसे भारत का ह्रदय प्रदेश भी कहते हैं तथा इसके कई उपनाम हैं जैसे ह्रदय प्रदेश, नदियों का मायका , टाइगर प्रदेश, सोया प्रदेश इत्त्यादि I
इसका गठन 01 नवम्बर 1956 को हुआ था, किन्तु 01 नवम्बर 2000 इसमें से छत्तीसगढ़ अलग हो गया था Iइसका क्षेत्र फल 3,08,252 वर्ग किलोमीटर है , यह उत्तर से दक्षिण 605 कि.मी. व पूर्व से पश्चिम 870 कि.मी. में फैला हुआ है Iइसके सीमावर्ती राज्य गुजरात,राजस्थान, उ.प्र.,छत्तीसगढ़व महाराष्ट्र हैं
सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन - इटारसी
सबसे लम्बी नदी - नर्मदा (1077 म.प्र. में कुल लम्बाई )
सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति - भील
सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र - सोहागपुर
सबसे लम्बा नदी पुल - तवा नदी पुल , होशंगाबाद
सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग - NH 3 मुंबई से आगरा 717 कि.मी.
सबसे बड़ा जल प्रपात - चचाई जल प्रपात , बीहड़ नदी, रीवा
सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान - कान्हा किसली (मंडला 940 कि.मी.)
क्षेत्रफल की द्रष्टि से सबसे बड़ा संभाग - जबलपुर
क्षेत्रफल की द्रष्टि से सबसे बड़ा जिला - छिंदवाडा
क्षेत्रफल की द्रष्टि से सबसे छोटा संभाग - शहडोल
क्षेत्रफल की द्रष्टि से सबसे छोटा जिला - दतिया
सबसे ऊँचा स्थान - धूपगढ़ (1350 मी.)
सबसे नीचा स्थान - नर्मदा - सोन घाटी
सबसे छोटा राष्ट्रीय राजमार्ग - NH 76 (43 कि.मी.)
सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान - फॉसिल राष्ट्रीय उद्यान (डिडोरी 0.27 वर्ग कि.मी.)
म.प्र. के प्रथम राज्यपाल - डा. विनायक पट्टाभिसीतारमैया
म.प्र. के प्रथम मुख्यमंत्री - प. रविशंकर शुक्ल
म.प्र. कि प्रथम महिला राज्यपाल - सुश्री सरला ग्रेवाल
म.प्र. की प्रथम महिला मुख्यमंत्री - सुश्री उमा भारती
म.प्र. के प्रथम मुख्य न्यायाधीश - मो.हिदायतुल्ला
म.प्र. कि प्रथम महिला न्यायाधीश - श्रीमती सरोजनी सक्सेना
म.प्र. विधान सभा के प्रथम अध्यक्ष (speaker) - प. कुंजीलाल दुबे
म.प्र. के प्रथम मुख्यसचिव - H.M. कॉमथ
म.प्र. के प्रथम सूचना आयुक्त - T.N. श्रीवास्तव
म.प्र. के प्रथम पुलिस महानिदेशक (DGP) - V.P. दुबे
म.प्र. के प्रथम लोकायुक्त - P.V. दीक्षित
प्रथम लोकसेवा के अध्यक्ष - D.V. रेगे
प्रथम नेता प्रतिपक्ष - विष्णु नाथ तामस्कर
म.प्र. की प्रथम महिला IPS - आशा गोपालन
प्रथम राज्य योजना मंडल के अध्यक्ष - श्री प्रकाश चाँद सेठी
म.प्र. प्रथम आदिवासी मुख्यमंत्री - श्री राजानरेश चन्द्र
एशिया कि सबसे बड़ी मस्जिद -ताजुल मस्जिद भोपाल
एशिया का प्रथम शारीरिक प्रशिक्षण महाविद्यालय - लक्ष्मीबाई शारीरिकमहाविद्यालय ग्वालियर(डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त )
एशिया कि सबसे बड़ी जिला अदालत - भोपाल की जिला अदालत
एशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन सयंत्र - उज्जैन
एशिया की सबसे बड़ी भूमिगत मेगनीज खदान - भार्वेली (बालाघाट)
एशिया में प्रथम एवं विश्व का तीसरा लेजर अनुसन्धान केंद्र - इंदौर
विश्व में बरिष्ठ नागरिक पुनर्वास निति अपनाने वाला प्रथम राज्य - मध्यप्रदेश
विश्व का एक मात्र स्थान जहाँ 21 जून को सूर्य 90 डिग्री पर लम्बवत चमकता है - उज्जैन
म.प्र.विश्व का एक मात्र गौ अभ्यारण्य - सलारिया गाँव (आगर,मालवा )
राज्य में प्राथमिक विद्यालय -83412
राज्य में माध्यमिक विद्यालय -29282
राज्य में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय -13161
शासकीय विश्वविध्यालय -17
महाविद्यालय - 429
तकनिकी शिक्षण संस्थाएं - 358
कृषि विश्वविद्यालय -02
कृषि महाविद्यालय - 08
चिकित्सा महाविद्यालय - 05
जिला साक्षरता प्रथम तीन - जबलपुर , इंदौर,भोपाल
जिला साक्षरता निचले क्रम से तीन - अलीराजपुर , झाबुआ , बडवानी
पहला यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय - बुरहानपुर
मध्यप्रदेश का एकमात्र शासकीय दन्त चिकित्सा महाविद्यालय - इंदौर
सैनिक स्कूल - रीवा
खुला विश्वविद्यालय - भोज वि.वि. भोपाल
केंद्रीय विश्वविद्यालय - डा.हरिसिंह गौड़ विश्वविद्यालय सागर
खेल विद्यालय - सीहोर
संभाग- 10
जिले- 51
नवगठित जिला - आगर मालवा
तहसील - 362
विकासखंड - 313
आदिवासी विकासखंड - 89
नगर/शहर (जनगणना 2011) - 476
कुल गाँव - 54393
आबाद गाँव - 52143
वन गाँव - 925
पुलिस जिले - 51
जोन (I.G. पुलिस) - 11
रेंज (D.I.G.पुलिस ) - 15
पुलिस कण्ट्रोल रूम (PCR) - 18
पुलिस उप संभाग - 161
पुलिस थाने -1001
पुलिस चोकियाँ - 482
प्रथम महिला पुलिस थाना - भोपाल
प्रथम मेट्रो थाना - हबीबगंज, भोपाल
प्रथम ISO प्रमाणपत्र थाना - देवास
म.प्र. पुलिस की इन्टरनेट सुविधा - पोलनेट
जवाहरलाल नेहरु पुलिस अकादमी - सागर
फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी - सागर
अपराध अनुसन्धान प्रसिक्षण केंद्र - सागर
सशस्त्र पुलिस प्रसिक्षण केंद्र (APTC) - इंदौर
आर्थिक अपराध अन्वेषण केंद्र - भोपाल
जनसँख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा संभाग - इंदौर
जनसँख्या की दृष्टि से सबसे छोटा संभाग - नर्मदापुरम
जनसँख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला - इंदौर
जनसँख्या की दृष्टि से सबसे छोटा जिला - हरदा
जनसँख्या की दृष्टि से सबसे बड़ी तहसील - इंदौर
जनसँख्या की दृष्टि से सबसे छोटी तहसील - रौन, भिंड
सर्वाधिक लिंगानुपात वाला जिला - बालाघाट (1021:1000)
सबसे कम लिंगानुपात वाला जिला - भिंड (837:1000)
सर्वाधिक जन घनत्व वाला जिला - भोपाल (855)
सबसे कम जन घनत्व वाला जिला - डिंडोरी (94)
सर्वाधिक वृद्धि दर वाला जिला - इंदौर (32.9%)
सबसे कम जनसँख्या वृद्धि दर वाला जिला - अनुपपुर (12.3%)
सर्वाधिक अनुसूचित जाति वाला जिला - इंदौर
सर्वाधिक अनुसूचित जन जाति वाला जिला - धार
सर्वाधिक साक्षरता वाला जिला - जबलपुर (81.1%)
न्यूनतम साक्षरता वाला जिला - अलीराजपुर (36.1%)
सर्वाधिक पुरुष साक्षरता वाला जिला - जबलपुर (87.3%)
सबसे कम पुरुष साक्षरता वाला जिला - अलीराजपुर
सर्वाधिक महिला साक्षरता वाला जिला - भोपाल (74.9%)
सबसे कम महिला साक्षरता वाला जिला - अलीराजपुर (30.3%)
भारत का सर्वाधिक वनाच्छादित प्रदेश - मध्यप्रदेश
देश का सबसे बड़ा सोलर संयंत्र - नीमच
देश में सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति - म.प्र.
देश का पहला गौ अभ्यारण्य - आगर मालवा
देश का एक मात्र हीरा उत्पादक राज्य - म.प्र.
देश का पहला बौद्ध विश्वविध्यालय - सांची
देश का प्रथम ओप्टिकल फाइबर कारखाना - मंडीदीप (रायसेन)
देश का प्रथम आदिवासी शोध संचार केंद्र - झाबुआ
देश का प्रथम व एकमात्र इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय - भोपाल
देश का प्रथम राष्ट्रीय सेलिंग स्कूल - भोपाल (बड़ी झील)
देश का सबसे बड़ा नृत्य उत्सव - खजुराहो
देश का प्रथम जनजातीय विश्वविद्यालय- अमरकंटक (अनूपपुर)
देश का पहला हिंदी विश्वविद्यालय - भोपाल
देश का प्रथम विकलांग पुनर्वास केंद्र -जबलपुर
म.प्र. स्थापना दिवस - 01 नवम्बर
राजकीय भाषा - हिंदी
राजकीय पशु -बारहसिंगा
राजकीय पक्षी - दूधराज (शाह बुलबुल)
राजकीय पुष्प - सफ़ेद लिली
राजकीय मछली - महाशीर
राजकीय ब्रक्ष - बरगद
राजकीय - मलखंभ
राजकीय नृत्य - राई
राजकीय प्रतिनिधि लोकनाट्य - माच
राजकीय प्रतीक चिन्ह - चौबीस स्तूपनुमा आकृतियों के अन्दर एक वृत जिसमे गेहूं व दूसरी और धान की बालियाँ व बीच में बात ब्रक्ष प्रदर्शित है चिन्ह में मध्यप्रदेश शासन लिखा है
जनसँख्या - 7,26,26,809
पुरुष - 3,76,12,306
महिला - 3,50,14,503
दशकीय वृद्धि दर (2001-11) - 20.3%
जनसंख्या घनत्व - 236
ग्रामीण जनसँख्या का अनुपात - 72.4%
नगरीय जनसँख्या का अनुपात - 27.6%
लिंगानुपात - 931
बाल लिंगानुपात (0-6 वर्ष ) -918
कुल जनसँख्या में ST का प्रतिशत - 21.1%
कुल जनसँख्या में SC का प्रतिशत - 15.6%
साक्षरता दर - 69.3%
पुरुष साक्षरता - 78.7%
महिला साक्षरता - 59.2%
कार्यशील जनसँख्या -2,57,94,000
हिन्दू - 55005000
मुस्लिम - 3841000
ईसाई - 170000
सिख - 151000
बौद्ध - 209000
जैन - 545000
अन्य - 409000
जन्म दर प्रति हजार - 27.3
मृत्यु दर प्रति हजार - 8.3
प्रति हजार जीवित जन्म पर शिशु मृत्यु दर - 59
SC/ST की जनसँख्या - 11342320
संस्थागत प्रसव का प्रतिशत - 15316784
एक मात्र हिल स्टेशन - पचमढ़ी , होशंगाबाद
एक मात्र गंजा उत्पादन जिला - खंडवा
एक मात्र ऋतूवेध शाला - इंदौर
एक मात्र सैनिक हवाई अड्डा - महाराजपुरा, ग्वालियर
एक मात्र सामाजिक कार्य महाविद्यालय - महू, इंदौर
एक मात्र उद्यानिकीमहाविद्यालय - मंदसौर
एक मात्र अफीम उत्पादक जिला - मंदसौर नीमच
एक मात्र खेल विद्यालय - सीहोर
एक मात्र सफ़ेद शेर वाला जिला - रीवा
एक मात्र हीरा उत्पादक जिला - पन्ना
एक मात्र आम उत्पादक जिला - जबलपुर
एक मात्र आंवला उत्पादक जिला - पन्ना
कपास अनुसन्धान केंद्र - खरगोन
गेंहू अनुसन्धान केंद्र - जबलपुर
चावल अनुसन्धान केंद्र - बडवानी
अंगूर अनुसन्धान केंद्र - रतलाम
सोयाबीन अनुसन्धान केंद्र - इंदौर
कृषि इंजीनियरिंग अनुसन्धान केंद्र - भोपाल
कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय - जबलपुर
जवाहरलाल कृषि वि.वि. - जबलपुर
डेयरी राज्य केंद्र - जबलपुर
जैविक खेती इकाई - इंदौर
Cellrich जैविक खाद सयंत्र - भोपाल
राजमाता विजय राजे वि.वि. - ग्वालियर
चारा बनाने का संयंत्र - धार
सबसे बड़ा सोयाबीन प्लांट - उज्जैन
सबसे बड़ा सरसों आयल मिल प्लांट - मुरेना
उद्यान महाविद्यालय - मंदसौर
कुल अभ्यारण्य की संख्या - 31
राज्य का सबसे बड़ा अभ्यारण्य - नौरादेही (सागर ) 1194.670 वर्ग कि.मी.
राज्य का सबसे छोटा अभ्यारण्य - रालामण्डल (इंदौर) 2.340 वर्ग कि.मी.
प्रोजेक्ट टाइगर में सम्मिलित किया गया अभ्यारण्य - रातापानी (रायसेन)
खरमोर पक्षी संरक्षण अभ्यारण्य - सरदारपुर (धार), सैलाना (रतलाम)
सोन चिड़िया अभ्यारण्य - घाटीगाँव (ग्वालियर), करेरा (शिवपुरी)
घड़ियाल सरंक्षण अभ्यारण्य - केन घड़ियाल अभ्यारण्य (छतरपुर), राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभ्यारण्य (मुरेना), घड़ियाल अभ्यारण्य (सीधी)
एशियाई शेरों के लिए प्रस्तावित - पालपुर कुनो अभ्यारण्य श्योपुर
तानसेन समारोह - ग्वालियर
कालिदास समारोह - उज्जैन
अलाउद्दीन खां समारोह - मैहर
खजुराहो नृत्य समारोह - खजुराहो (छतरपुर)
अमीर खां समारोह - इंदौर
म.प्र. लोक समारोह - भोपाल
म.प्र. उत्सव - दिल्ली
तुलसी समारोह - चित्रकूट (सतना)
मालवा उत्सव - मांडू , उज्जैन,इंदौर
राष्ट्रीय रामलीला समारोह - भोपाल
लोकरंग - भोपाल
टेपा समारोह - उज्जैन
जनजातीय फिल्म उत्सव - इंदौर

कबीर वाणी

 बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

अर्थ : जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला. जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है.

 पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।

अर्थ : बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके. कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा.

 साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।

अर्थ : इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है. जो सार्थक को बचा लेंगे और निरर्थक को उड़ा देंगे.

तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।

अर्थ : कबीर कहते हैं कि एक छोटे से तिनके की भी कभी निंदा न करो जो तुम्हारे पांवों के नीचे दब जाता है. यदि कभी वह तिनका उड़कर आँख में आ गिरे तो कितनी गहरी पीड़ा होती है !

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।

अर्थ : मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है. अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु  आने पर ही लगेगा !

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।

अर्थ : कोई व्यक्ति लम्बे समय तक हाथ में लेकर मोती की माला तो घुमाता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन की हलचल शांत नहीं होती. कबीर की ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो या  फेरो.

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।

अर्थ : सज्जन की जाति न पूछ कर उसके ज्ञान को समझना चाहिए. तलवार का मूल्य होता है न कि उसकी मयान का – उसे ढकने वाले खोल का.

दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त,
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत।

अर्थ : यह मनुष्य का स्वभाव है कि जब वह  दूसरों के दोष देख कर हंसता है, तब उसे अपने दोष याद नहीं आते जिनका न आदि है न अंत.

जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ,
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।

अर्थ : जो प्रयत्न करते हैं, वे कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते  हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है. लेकिन कुछ बेचारे लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते.

बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।

अर्थ : यदि कोई सही तरीके से बोलना जानता है तो उसे पता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न है। इसलिए वह ह्रदय के तराजू में तोलकर ही उसे मुंह से बाहर आने देता है.

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।

अर्थ : न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है. जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है.

निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।

अर्थ : जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने अधिकाधिक पास ही रखना चाहिए। वह तो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर हमारे स्वभाव को साफ़ करता है.

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार,
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।

अर्थ : इस संसार में मनुष्य का जन्म मुश्किल से मिलता है. यह मानव शरीर उसी तरह बार-बार नहीं मिलता जैसे वृक्ष से पत्ता  झड़ जाए तो दोबारा डाल पर नहीं
लगता.

कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर,
ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर.

अर्थ : इस संसार में आकर कबीर अपने जीवन में बस यही चाहते हैं कि सबका भला हो और संसार में यदि किसी से दोस्ती नहीं तो दुश्मनी भी न हो !

हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना,
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी  मुए, मरम न कोउ जाना।

अर्थ : कबीर कहते हैं कि हिन्दू राम के भक्त हैं और तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्यारा है. इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से कोई सच को न जान

कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन.

कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन.

अर्थ : कहते सुनते सब दिन निकल गए, पर यह मन उलझ कर न सुलझ पाया. कबीर कहते हैं कि अब भी यह मन होश में नहीं आता. आज भी इसकी अवस्था पहले दिन के समान ही है. 

              कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई.

बगुला भेद न जानई, हंसा चुनी-चुनी खाई.

अर्थ :कबीर कहते हैं कि समुद्र की लहर में मोती आकर बिखर गए. बगुला उनका भेद नहीं जानता, परन्तु हंस उन्हें चुन-चुन कर खा रहा है. इसका अर्थ यह है कि किसी भी वस्तु का महत्व जानकार ही जानता है।

           जब गुण को गाहक मिले, तब गुण लाख बिकाई.

जब गुण को गाहक नहीं, तब कौड़ी बदले जाई.

अर्थ : कबीर कहते हैं कि जब गुण को परखने वाला गाहक मिल जाता है तो  गुण की कीमत होती है. पर जब ऐसा गाहक नहीं मिलता, तब गुण कौड़ी के भाव चला जाता है.

                                                      कबीर कहा गरबियो, काल गहे कर केस.                                                    

 ना जाने कहाँ मारिसी, कै घर कै परदेस. 

 

अर्थ : कबीर कहते हैं कि हे मानव ! तू क्या गर्व करता है? काल अपने हाथों में तेरे केश पकड़े हुए है. मालूम नहीं, वह घर या परदेश में, कहाँ पर तुझे मार डाले.

                       पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस की जात.

एक दिना छिप जाएगा,ज्यों तारा परभात.

अर्थ : कबीर का कथन है कि जैसे पानी के बुलबुले, इसी प्रकार मनुष्य का शरीर क्षणभंगुर है।जैसे प्रभात होते ही तारे छिप जाते हैं, वैसे ही ये देह भी एक दिन नष्ट हो जाएगी.

                                   हाड़ जलै ज्यूं लाकड़ी, केस जलै ज्यूं घास.

            सब तन जलता देखि करि, भया कबीर उदास.

अर्थ : यह नश्वर मानव देह अंत समय में लकड़ी की तरह जलती है और केश घास की तरह जल उठते हैं. सम्पूर्ण शरीर को इस तरह जलता देख, इस अंत पर कबीर का मन उदासी से भर जाता है. —

जो उग्या सो अन्तबै, फूल्या सो कुमलाहीं।

जो चिनिया सो ढही पड़े, जो आया सो जाहीं।

अर्थ : इस संसार का नियम यही है कि जो उदय हुआ है,वह अस्त होगा। जो विकसित हुआ है वह मुरझा जाएगा. जो चिना गया है वह गिर पड़ेगा और जो आया है वह जाएगा.

झूठे सुख को सुख कहे, मानत है मन मोद.

 खलक चबैना काल का, कुछ मुंह में कुछ गोद.

अर्थ : कबीर कहते हैं कि अरे जीव ! तू झूठे सुख को सुख कहता है और मन में प्रसन्न होता है? देख यह सारा संसार मृत्यु के लिए उस भोजन के समान है, जो कुछ तो उसके मुंह में है और कुछ गोद में खाने के लिए रखा है.

ऐसा कोई ना मिले, हमको दे उपदेस.

भौ सागर में डूबता, कर गहि काढै केस.

अर्थ : कबीर संसारी जनों के लिए दुखित होते हुए कहते हैं कि इन्हें कोई ऐसा पथप्रदर्शक न  मिला जो उपदेश देता और संसार सागर में डूबते हुए इन प्राणियों को अपने हाथों से केश पकड़ कर निकाल लेता.  —

संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत

 चन्दन भुवंगा बैठिया,  तऊ सीतलता न तजंत।

अर्थ : सज्जन को चाहे करोड़ों दुष्ट पुरुष मिलें फिर भी वह अपने भले स्वभाव को नहीं छोड़ता. चन्दन के पेड़ से सांप लिपटे रहते हैं, पर वह अपनी शीतलता नहीं छोड़ता.

 कबीर तन पंछी भया, जहां मन तहां उडी जाइ.

 जो जैसी संगती कर, सो तैसा ही फल पाइ.

अर्थ :कबीर कहते हैं कि संसारी व्यक्ति का शरीर पक्षी बन गया है और जहां उसका मन होता है, शरीर उड़कर वहीं पहुँच जाता है। सच है कि जो जैसा साथ करता है, वह वैसा ही फल पाता है.

तन को जोगी सब करें, मन को बिरला कोई.

सब सिद्धि सहजे पाइए, जे मन जोगी होइ.

अर्थ : शरीर में भगवे वस्त्र धारण करना सरल है, पर मन को योगी बनाना बिरले ही व्यक्तियों का काम है य़दि मन योगी हो जाए तो सारी सिद्धियाँ सहज ही प्राप्त हो जाती हैं.

कबीर सो धन संचे, जो आगे को होय.

सीस चढ़ाए पोटली, ले जात न देख्यो कोय.

अर्थ : कबीर कहते हैं कि उस धन को इकट्ठा करो जो भविष्य में काम आए. सर पर धन की गठरी बाँध कर ले जाते तो किसी को नहीं देखा.

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माया मुई न मन मुआ, मरी मरी गया सरीर.

आसा त्रिसना न मुई, यों कही गए कबीर .

अर्थ : कबीर कहते हैं कि संसार में रहते हुए न माया मरती है न मन. शरीर न जाने कितनी बार मर चुका पर मनुष्य की आशा और तृष्णा कभी नहीं मरती, कबीर ऐसा कई बार कह चुके हैं.

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मन हीं मनोरथ छांड़ी दे, तेरा किया न होई.

 पानी में घिव निकसे, तो रूखा खाए न कोई.

अर्थ : मनुष्य मात्र को समझाते हुए कबीर कहते हैं कि मन की इच्छाएं छोड़ दो , उन्हें तुम अपने बूते पर पूर्ण नहीं कर सकते। यदि पानी से घी निकल आए, तो रूखी रोटी कोई न खाएगा.

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जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही |
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही ||

अर्थ : जब मैं अपने अहंकार में डूबा था – तब प्रभु को न देख पाता था – लेकिन जब गुरु ने ज्ञान का दीपक मेरे भीतर प्रकाशित किया तब अज्ञान का सब अन्धकार मिट गया  – ज्ञान की ज्योति से अहंकार जाता रहा और ज्ञान के आलोक में प्रभु को पाया.

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कबीर सुता क्या करे, जागी न जपे मुरारी |
एक दिन तू भी सोवेगा, लम्बे पाँव पसारी ||

अर्थ : कबीर कहते हैं – अज्ञान की नींद में सोए क्यों रहते हो? ज्ञान की जागृति को हासिल कर प्रभु का नाम लो.सजग होकर प्रभु का ध्यान करो.वह दिन दूर नहीं जब तुम्हें गहन निद्रा में सो ही जाना है – जब तक जाग सकते हो जागते क्यों नहीं? प्रभु का नाम स्मरण क्यों नहीं करते ?

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आछे / पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत |
अब पछताए होत क्या, चिडिया चुग गई खेत ||

अर्थ : देखते ही देखते सब भले दिन – अच्छा समय बीतता चला गया – तुमने प्रभु से लौ नहीं लगाई – प्यार नहीं किया समय बीत जाने पर पछताने से क्या मिलेगा? पहले जागरूक न थे – ठीक उसी तरह जैसे कोई किसान अपने खेत की रखवाली ही न करे और देखते ही देखते पंछी उसकी फसल बर्बाद कर जाएं.

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रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।
हीरा जन्म अमोल सा, कोड़ी बदले जाय ॥

अर्थ : रात नींद में नष्ट कर दी – सोते रहे – दिन में भोजन से फुर्सत नहीं मिली यह मनुष्य जन्म हीरे के सामान बहुमूल्य था जिसे तुमने व्यर्थ कर दिया – कुछ सार्थक किया नहीं तो जीवन का क्या मूल्य बचा ? एक कौड़ी –

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।

पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ॥