सोमवार, 5 अक्टूबर 2015

कठिन नही है शुद्ध हिंदी-भाग-32

सूखाना, डूबाना, लूटाना, लूटेरे, सीखाना, भूलाना जैसे शब्द ग़लत हैं। कौन सा रूप सही है; सूखाना या सुखाना; इसके पीछे स्पष्ट नियम हैं। शुद्ध रूपों को समझना ज़्यादा मुश्किल भी नहीं है। यदि हम किसी को पीटते हैं; खुद डूबते हैं, सीखते हैं, घूमते हैं, फूँकते हैं, भीगते हैं यानी स्वयं किसी कार्य को करते हैं, तो प्रायः दीर्घ इकार या उकार के साथ क्रिया शब्द शुरू होता है। उदाहरण के लिए 'राम मोहन को पीट रहा है', 'वह घूम रहा है', 'तुम छूट गए', 'वह मुझे भूल गया', 'पेड़ सूख रहे हैं', 'माली पौधों को सींचता है', 'वहाँ वे जायदाद लूट रहे थे' आदि वाक्यों में आने वाली क्रियाएँ ऊकार या ईकार युक्त व्यंजन से शुरू होती हैं। क्रिया दो प्रकार की हो सकती है, मूल और प्रेरणार्थक। मूल क्रिया में आना, लाना, वाना आदि जोड़कर प्रेरणार्थक बनाते हैं। पढ़ाना और पढ़वाना पढ़ना में आना (आ) और वाना को मिलाने पर बने हैं। तीन वर्णों वाली क्रियाओं; जैसे पढ़ना, चलना, चढ़ना, उड़ना आदि में ना के पहले आ और वा जोड़ने से प्रेरणार्थक क्रियाएँ बनती हैं। चलना से चलाना और चलवाना, चढ़ना से चढ़ाना और चढ़वाना इसके उदाहरण हैं। प्रेरणार्थक क्रिया में कर्ता स्वयं क्रिया नहीं करता, दूसरों से कराता है। तीन वर्णों वाली ऐसी क्रियाओं से, जिनमें पहला वर्ण ईकार या ऊकार से युक्त हो, प्रेरणार्थक क्रिया बनाते समय ईकार को इकार में और ऊकार को उकार में बदल दिया जाता है; जैसे घूमना से घुमाना और घुमवाना, सूखना से सुखाना, जीतना से जिताना और जितवाना, भीगना से भिगाना और भिगवाना आदि। लेटना, बोलना, छोड़ना, देखना आदि एकार और ओकार से युक्त प्रथम वर्ण वाली क्रियाओं से प्रेरणार्थक क्रियाएँ एकार को इकार और ओकार को उकार में बदलने से बनती हैं। लेटना से लिटानाऔर लिटवाना, बोलना से बुलाना और बुलवाना, देखना से दिखाना, छोड़ना से छुड़ाना आदि इस नियम के अनुसार बनती हैं। चार वर्णों वाली क्रियाएँ, जैसे लटकना, पकड़ना, उलझना, भटकना, समझना आदि में आना और वाना जोड़कर प्रेरणार्थक रूप बनाते हैं। लटकाना, उलझाना, पकड़ाना, पकड़वाना, लटकवाना आदि इसके उदाहरण हैं।दो वर्णों वाली क्रियाओं में पहला वर्ण ईकार हो, तो इकार में बदलकर और ऊकार हो, तो उकार में बदलकर और ना के पहले ला या लवा जोड़कर प्रेरणार्थक रूप बनाते हैं,जैसे जीना से जिलाना, पीना से पिलाना, सीना से सिलाना और सिलवाना, चूना से चुलाना, छूना से छुआना (छुलाना) आदि।खाना से खिलाना बनता है, लेकिन आना, जाना, पाना आदि के प्रेरणार्थक रूप प्रचलित नहीं हैं। खेना, देना, लेना, सेना आदि एकारयुक्त प्रथम वर्ण वाली क्रियाएँ हैं। खेना, लेना आदि से खिवाना, लिवाना आदि रूप बनते हैं यानी कि लाना की जगह वाना और एकार की जगह इकार करके प्रेरणार्थक रूप बने हैं। देना से दिलाना और दिलवानाबनते हैं; यहाँ खेना, लेना आदि का नियम लागू नहीं होता।खोना, होना, धोना, बोना, ढोना, रोना और सोना; ये सात ओकार युक्त प्रथम वर्ण वाली क्रियाएँ हैं। खोना और होना के प्रेरणार्थक रूप प्रचलित नहीं हैं। बोना से बुवाना (आना न जोड़कर, वाना जोड़ा गया है) बनता है। ओकार से शुरू होने वाली क्रियाएँ वाना जोड़कर प्रेरणार्थक बनती हैं। रोना, सोना, धोना आदि से रुलाना, सुलाना, धुलाना आदि रूप बनते हैं। इनमें भी ओकार को उकार में बदला गया है।कुम्हलाना, गरजना, घिघियाना, टकराना, तुतलाना, पछताना,सकना, लँगड़ाना आदि से प्रेरणार्थक क्रियाएँ नहीं बनतीं यानी टकरवाना, गरजवाना जैसे शब्द नहीं होते। पड़ना से कई वैयाकरण पड़ाना या पड़वाना बनाना ठीक नहीं मानते, लेकिन पड़ाना शब्द शब्दकोशों में मिल सकता है। हम यह अनुशंसा करेंगे कि पड़ना केे प्रेरणार्थक रूप नहीं बनाए जाएँ।हाथ, बात, लात, गाली आदि से हथियाना, लतियाना, गरियाना, बतियाना; दाग, खरीद आदि से दागना, खरीदना; खटखट, थरथर, भनभन, गुनगुन, सनसन आदि से खटखटाना, थरथराना, भनभनाना, गुनगुनाना, सनसनाना, डबडबाना और स्वीकार, अपना आदि से स्वीकारना, अपनाना आदि क्रियाएँ भी बनती हैं।छाँटना, पूजा, मीठा, भूखा, पीटना, डूबना, लूटना आदि से बने ई या ईकार से खत्म होने वाले शब्दों में पहले वर्ण में ह्रस्व मात्रा होती है; जैसे पुजाई, पुजारी, मिठाई, भुखमरी, पिटाई, डुबकी, छँटाई, सिंचाई, कुटाई आदि। भुक्खड़, मिठास, फुलझड़ी, फुलवारी आदि भी मूल शब्द के पहले वर्ण के ईकार या ऊकार को इकार या उकार में बदलकर बने हैं।क्रियाओं के दो रूप और हैं। 'किसको' पूछने पर जिस क्रिया का कुछ जवाब मिले, वह सकर्मक क्रिया होती है। सोना, टलना, मरना, सिंचना, डूबना, भीगना, टहलना, टूटना, जुटना, कटना, उड़ना आदि किसको का जवाब नहीं देतीं। समझने के लिए एक वाक्य लेते हैं, 'रहीम हँसता है'; इसमें किसको हँसता है पूछने पर कोई जवाब नहीं मिलता। 'किसलिए' नहीं, 'किसको' पूछकर यह स्पष्ट होगा कि क्रियासकर्मक है या नहीं! जवाब नहीं मिलने पर क्रिया अकर्मकहोगी। कुछ क्रियाएँ, जैसे घबराना, भरना, ललचाना, खुजलाना, लजाना आदि दोनों रूपों में आती हैं। अकर्मक से सकर्मक बनाने के कुछ तरीके हैं, अब उन्हें देखते हैं।1) दो वर्णों वाली क्रियाओं जीना, पीना, सोना आदि से सकर्मक रूप बनाने के लिए दीर्घ मात्राओं को ह्रस्व में बदलकर अंत में 'ना' को 'लाना' बनाते हैं और यदि क्रिया का पहला वर्ण ओकार वाला हो, तो उसे उकार में तथा एकार हो, तो इकार में बदल देते हैं।जीना, पीना से जिलाना, पिलाना बने हैं। जी को जि बनाकर लाना जोड़ने पर जिलाना बना है। रोना से रुलाना भी ऐसेही बना है।2) तीन या चार वर्णों वाली अकर्मक क्रियाओं में दूसरेवर्ण का दीर्घ करके भी सकर्मक क्रियाएँ बनती हैं। बैठना से बैठाना, उड़ना से उड़ाना, उठना से उठाना, निकलना से निकालना, बिगड़ना से बिगाड़ना, उतरना से उतारना आदि इसके उदाहरण दाहरण हैं। यहाँ ठ को ठा, क कोका आदि में बदला गया है।3) तीन वर्ण वाली अकर्मक क्रियाओं में पहले वर्ण को दीर्घ करके भी सकर्मक बनाते हैं। टलना, कटना, मरना, छिलना, पिसना, लुटना, सिंचना आदि से टालना, काटना, मारना, छीलना, पीसना, सींचना, लूटना, पीटना आदि का बननाइसके उदाहरण हैं।4) जागना, भीगना, डूबना आदि के पहले वर्ण को ह्रस्व बनाकर और आना जोड़कर भी सकर्मक क्रियाएँ बनती हैं, जैसे जगाना, भिगाना, डुबाना, घुमाना, हिलाना आदि।5) भड़कना, चिढ़ना, टहलना आदि में ना के पहले आ जोड़कर सकर्मक क्रिया बनाते हैं, जैसे भड़काना, चिढ़ाना, टहलाना आदि।6) घिरना, छिड़ना, खुलना, तुलना, सिकुड़ना, घुलना आदि में पहले वर्ण के इकार को एकार में या उकार को ओकार में बदलकर सकर्मक बनाते हैं, जैसे घेरना, छेड़ना, खोलना, तोलना, सिकोड़ना, घोलना आदि।7) कुछ क्रियाएँ जैसे, टूटना, जुतना, छुटना आदि से तोड़ना, जोड़ना आदि सकर्मक क्रियाएँ बनती हैं, जो अलग से वर्ण लेकर आती हैं।अब हम पीटना और पिटना, लूटना और लुटना, पीसना और पिसना,सींचना और सिंचना आदि में अंतर समझते हैं। इनमें पहला रूप अंग्रेज़ी की क्रिया के पहले रूप की तरह है, जबकि दूसरा अंग्रेज़ी की क्रिया के तीसरे रूप की तरह। Beat और beaten (पीटा गया, जिसकी पिटाई हुई हो), irrigate और irrigated (सिंचित या सिंचा हुआ, जिसे सींचा जा चुका है ) को देखा जा सकता है। 'मैं पिटता हूँ' में पीटे जाने की घटना है यानी मुझे पीटा गया है, जबकि 'मैंपीट रहा था' में कर्ता स्वयं पीटने का काम कर रहा था। 'वे लुट गए' में लूटने का काम कर्ता ने नहीं किया, जबकि 'हम लूट रहे हैं' में कर्ता 'हम' द्वारा लूटने की क्रिया हो रही है। लुटेरा शब्द सही है, लूटेरा नहीं। लूटपाट, खींचतान, लीपापोती आदि को लुटपाट, खिंचतान, लिपापोती नहीं लिखा या बोला जाना चाहिए। कर्ता स्वयंकार्य करे, तो अधिकांश क्रिया शब्दों को दीर्घ मात्रा से शुरू करते हैं, जैसे काटना, मारना, सींचना, पीसना, भूलना, डूबना, सूखना, घूमना आदि का प्रयोग करते हैं। 'मैं भूल गया' और 'मैं भुला दिया गया' में अंतर स्पष्ट है। पीटे जाने के लिए पिटना, सींचे जाने के लिए सिंचना, खींचा गया के लिए खिंचा आदि को ध्यान में रखकर सही लिखा जा सकता है। 'डूबा' का मतलब 'डूब गया' है, जबकि 'डुबा' का मतलब 'डुबाया गया' है।जिस क्रिया में 'आना' अंत में आए, उसके पहले वर्ण में ह्रस्व मात्रा (इकार, उकार या अकार) होगी; जैसे सुलाना, भुलाना, डुबाना (डुबोना), घुमाना, झुलाना, सुखाना, सिखाना, कटाना आदि।जागना, काटना, मारना, सीखना, भूलना, सींचना, जीतना, भागना, घूमना, भीगना, चीखना, खींचना, चीरना, छीलना, छींकना, छीनना, पीटना, पीसना, बीनना, लीपना, लीलना, कूकना, कूटना, कूदना, गूँथना, चाटना, चूमना, छूटना, छूना, जीना, पीना, जूझना, झूमना, झूलना, टूँगना, टूटना, डूबना, ढूँढ़ना, थूकना, दूहना, पूछना, पूजना, फूँकना, फूटना, फूलना, बूझना, भूँकना, भूनना, भूलना, मूँदना, रूठना, लूटना आदि क्रियाएँ सीधे कर्ता द्वारा की जाती हैं और इन सबमें पहला वर्ण दीर्घ मात्रा से युक्त है। 'पेड़ सूख गए' में पेड़ कर्ता है और इसमें किसी दूसरे के द्वारा सुखाने की क्रिया नहीं हो रही है, पेड़ स्वयं ही सूख रहे हैं; 'समय बीत गया', 'मैं भूल गया', 'राम सीता को ढूँढ़ रहे थे', 'किशोर जाग रहा था', 'वहसवाल पूछेगा', 'हम कुछ सीखेंगे', 'रमा ने गणेश को गोलियों से भून दिया', 'मैं जेल से छूटकर आ चुका था', 'तुम खुद तो डूबोगे ही', 'वह युद्ध जीतेगा', 'मैं भीग गया'आदि में कर्ता खुद के लिए क्रियाएँ कर रहे हैं या खुद कर रहे हैं। 'वह कपड़े सुखाता है' में वह सुखा रहा है, जबकि 'मेरे कपड़े सूख गए' में कपड़े सूख रहे हैं, न कि 'मैं'। 'चोर ने रुपए छीन लिए' में चोर छीन रहा है, जबकि 'उस औरत के गहने छिन गए' में गहने छीन लिए गए हैं, औरत ने छीने नहीं हैं।

1 टिप्पणी:

  1. लेना का प्रथम और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप बताइए प्लीज। अगर इनका प्रथक और द्वितीय प्रेरणार्थक नही निकलता होगा तो कृपया कारण बताइए। मुझे किसीको सिखाना है।

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