'सोच' शब्द पुलिंग शब्द है, लेकिन इसे दशकों से किताबों, फ़िल्मों, अखबारों आदि में स्त्रीलिंग बनाकर रखा गया है। राहुल सांकृत्यायन की किताब में हमें इसका प्रयोग पुलिंग के रूप में ही दिखा। इस भाग से हम लिंग पर चर्चा शुरू कर रहे हैं। संस्कृत, मराठी, गुजराती आदि में तीन लिंग हैं। अंग्रेज़ी में चार लिंग हैं। हिन्दी में पुलिंग और स्त्रीलिंग, दो ही लिंग हैं। लिंग हिन्दी के सबसे कठिन माने जाने वाले विषयों में एक है। यह भी कह सकते हैं कि इक्के दुक्के उदाहरणों को छोड़ हिन्दी का कोई वाक्य इसके ज्ञान के बिना शुद्ध नहीं बन सकता! अंग्रेज़ी में सबसे बड़ा बोझ अगर हर शब्द के हिज्जे (स्पेलिंग) रटना है, तो हिन्दी में शब्द के लिंग को याद रखना। जिन सजीवों मेंनर और मादा दोनों जातियाँ हैं, उनके लिए लिंग निर्णय आसान है। मुश्किल तब होती है, जब शब्द से नर या मादा का भाव स्पष्ट नहीं होता, जैसे मक्खी, मछली आदि। अप्राणिवाचक शब्दों का लिंग ज्ञान जानकारों के लिए भी चुनौती है। वास्तव में ऐसा कोई नियम नहीं बताया जासकता, जिसके आधार पर हम शब्दों का लिंग पता लगा लें। जितने नियम या सूत्र विद्वानों, वैयाकरणों या भाषाविदों ने बताए हैं, प्रायः सबके अपवाद हमारे सामने हैं। लिंग की बात करें, तो संस्कृत से सरल हिन्दी है। वास्तव में संस्कृत हिन्दी से जटिल भाषा है। सामान्यतः हिन्दी में क्रियाएँ कर्ता के लिंग सेतय होती हैं। 'ने' चिन्ह पर चर्चा करते समय हमने उन स्थितियों की चर्चा की थी, जिनमें क्रियाओं का लिंग कर्म के आधार पर तय होता है।हिन्दी में संस्कृत, अंग्रेज़ी, अरबी, फ़ारसी आदि के शब्द भी बड़ी संख्या में हैं। यहाँ हम संस्कृत के शब्दों (इन्हें तत्सम कहते हैं) के लिंग के लिए कुछ सामान्य नियम प्रस्तुत कर रहे हैं।हिन्दी में संस्कृत के पुलिंग शब्द प्रायः पुलिंग हीरह गए हैं।अकार से समाप्त होने वाले शब्द प्रायः पुलिंग हैं, जैसे क्रोध, मोह, पाक, त्याग, दोष, स्पर्श, अध्याय, अन्याय, आकार, उपहार, उपाय, उल्लास, खंड, ध्यान, नियम, विकार, विकास, विस्तार, संसार, समय, समुदाय, सागर, हास, स्वप्न, विनय आदि। जय, पराजय, आय, विजय, पुस्तक, शरण, संस्कृत, सन्तान, देह आदि इसके अपवाद हैं और स्त्रीलिंग हैं।त्र से समाप्त होने वाले शब्द पुलिंग हैं। अस्त्र, शस्त्र, शास्त्र, मित्र, गोत्र, चरित्र, चित्र, नेत्र, पात्र, क्षेत्र आदि इसके उदाहरण हैं। संस्कृत में ये सब नपुंसकलिंग हैं।न से समाप्त होने वाले शब्द पुलिंग हैं, जैसे आमंत्रण,उत्पादन, क्रन्दन, गमन, दमन, नन्दन, नयन, पालम, पोषण, परिवर्तन, परिमार्जन, परिवहन, भ्रमण, वंदन, वचन, विधान, व्याख्यान, शयन, शोषण, श्रवण, हरण, संस्करण आदि। पवन (हवा) का प्रयोग स्त्रीलिंग में भी होता रहा है हिन्दी में।ज से समाप्त होने वाले शब्द प्रायः पुलिंग हैं, जैसे अंडज, पिंडज, उरोज, जलज, सरोज, स्वेदज, आत्मज, अंबुज आदि।गुण, धर्म, अवस्था आदि शब्दों के अन्त में यदि त्व, त्य, व या र्य हों, तो वे पुलिंग होते हैं। महत्त्व, सतीत्व, कृत्य, पांडित्य, लाघव, साहित्य, नृत्य, दासत्व, कार्य, धैर्य, माधुर्य, गौरव आदि इसके उदाहरण हैं।त या ख से समाप्त होने वाले शब्द भी पुलिंग होते हैं, जैसे चरित, फलित, गणित, मत, गीत, स्वागत, नख, मुख, दुःख, लेख, शंख, सुख आदि।कमल, खग, गिरि, देवता, मनुष्य, मेघ, वृक्ष, वायु, सागर आदि के पर्यायवाची शब्द (बदले में आने वाले शब्द) पुलिंग होते हैं।आकार, नाकार, ईकार या इकार से समाप्त होने वाले शब्द स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे आज्ञा, उपासना, कन्या, कला, काया, क्रिया, कृपा, गणना, गवेषणा, घटना, क्षमा, दया, माया, सभा, शोभा, लज्जा, प्रार्थना, वेदना, प्रस्तावना, रचना, निद्रा, प्रजा, भाषा, भूमिका, मंत्रणा, मान्यता, रक्षा, लता, विद्या, विधा, व्याख्या, याचना, शाखा, सहायता, संवेदना, सीमा, सेना, सेवा, आरती, गोष्ठी, नदी, लक्ष्मी, देवी, भारती, अंजलि, अग्नि, उपाधि, केलि, गति, ग्लानि, जाति, ज्योति, छवि, निधि, परिधि, बुद्धि, मणि, मति, रति, रश्मि, राशि, रीति, सिद्धि, वृद्धि, हानि, रुचिआदि। चन्द्रमा, दाता, पिता, दंडी, ब्रह्मचारी, संन्यासी, विद्यार्थी, पति, कवि, गिरि, मुनि, यति, रवि, वारि, वारिधि, उदधि, पाणि आदि अपवाद हैं और पुलिंग हैं। आत्मा स्त्रीलिंग है, लेकिन इससे बने परमात्मा, जीवात्मा, विश्वात्मा पुलिंग हैं, तो प्रेतात्मा स्त्रीलिंग है।उकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे वायु, रेणु, रज्जु, आयु, मृत्यु, वस्तु, धातु, ऋतु आदि। अश्रु, तालु, मधु, साधु, मेरु, साधु, सेतु, हेतु, गुरु, पशु, शिशु, बंधु, रिपु, शंभु, बिंदु आदि अपवाद हैं और पुलिंग हैं। अग्नि, वायु, मृत्यु और ऋतु संस्कृत में पुलिंग हैं।ता से समाप्त होने वाले भाव, गुण, धर्म या अवस्था वाचक शब्द स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे गुरुता, जड़ता, मूर्खता, ममता, महत्ता, लघुता, विनम्पता, साधुता, सुन्दरता, एकता, पशुता, समता, प्रभुता आदि।तिथियों, नदियों और नक्षत्रों के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं। प्रतिपदा, द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, कावेरी, कृष्णा, गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, ताप्ती, भरणी, रोहिणी, अश्विनी आदि इसके उदाहरण हैं। सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, दामोदर, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त आदि इसके अपवाद हैं।ति, द्धि, नि या इमा से समाप्त होने वाले शब्द स्त्रीलिंग हैं, जैसे गति, मति, रीति, विज्ञप्ति, युक्ति, शक्ति, हानि, ग्लानि, योनि, बुद्धि, शुद्धि, कालिमा, गरिमा, महिमा, लालिमा, प्रतिमा आदि।नदी, पृथ्वी, बुद्धि, वाणी, रात्रि, लता, सरिता, स्त्री आदि के पर्यायवाची शब्द स्त्रीलिंग होते हैं।पुलिंग को पुंलिंग, पुल्लिंग और पुंल्लिंग भी लिखा जाता रहा है।
"पुंलिंग" या "पुंल्लिंग" ही सही है। कुछ लोग "पुर्लिंग" भी लिखने-बोलने लगते हैं जोकि ग़लत है। "लिंग" को संस्कृत मैं "लिङ्ग" लिखा जाता है।
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