कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 28
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इस बार थोड़ी देर हुई है... खैर... हिन्दी के रास्ते पर चलते हैं
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इस भाग में उकार और ऊकार पर बात करते हैं। इकार की ही तरह शब्दों के अन्त में उकार भी बहुत कम आता है, जैसे अणु, साधु, मधु, तनु, परमाणु, शांतनु, हेतु, केतु, कटु, तरु, मरु, प्रभु, गुरु, जंतु, बिन्दु, सिन्धु, पशु, शत्रु, वस्तु आदि। अधिकांश शब्दों में अंत में ऊकार आता है; जैसे भालू, बालू, शुरू, दारू आदि। 'उ' भी शायद ही किसी शब्द के अन्त में आता है।शब्दों की शुरूआत भी उकार से ही ज़्यादा होती है, ऊकार से नहीं। उजरत, उजागर, उथला, उतावला, उतार, उचाट, उछाल, उद्योग, उदार, उदास, उस्तरा, उफ़, उलफ़त, उमर, उम्मीद, उजबक, उन्नीस, उनतीस, उमंग, उल्टा, उल्लू, उलझन, उकताना, उठाना, उलाहना, उत्तर, उत्पादन, उत्पत्ति, उन्नति, उपकार, उष्म, उष्ण, उद्विग्न आदि शब्द उ से शुरू होते हैं।संख्या वाचक शब्द उ से हैं, न कि ऊ से; जैसे उनचास, उनहत्तर आदि।अनु, कु, पुरो, पुरा, पुनः, सु, फुल, उत्, उप, कुल, दुर्, दुस् आदि उपसर्गों में उकार है। अनुमान, अनुसंधान, कुपोषण, कुमार्ग, पुरातात्विक, पुरापाषाण, पुरोहित, सुशील, सुसंगत, उत्कर्ष, उत्क्रमित, उपचार, उपकार, उपलब्धि, दुर्गम, दुर्घटना, दुष्प्रभाव, दुष्कर आदि इसके उदाहरण हैं।सुनना, चुनना, बुलाना, खुलना, घुलना, गुलाब, गुब्बारा, चुप्पी, बुखार, बुद्धि, बुधवार, कुमार, दुल्हन आदि उकार वाले कुछ शब्द हैं।बहुवचन में ओं से पहले के ऊकार का उकार हो जाता है, भालू का भालुओं, आँसू का आँसुओं। ध्यान रहे किबिन्दु का बहुवचन बिन्दुएँ नहीं होता।आलु, पुर, आकुल आदि प्रत्ययों से समाप्त होने वाले शब्दों में उकार है, ऊकार नहीं। दयालु, कृपालु, श्रद्धालु, नागपुर, सिंगापुर, कानपुर, व्याकुल, शोकाकुल आदि इसके उदाहरण हैं।इसका, इसकी, इनका, इनकी, इन्हें, इन्होंने, इन्हीं, इस, इसी, इससे, इनमें, इसलिए, इधर, इनसे आदि में शुरु में ह्रस्व इ है और इसी तरह उस, उनका, उनमें, उन्हें, उन्हीं, उनके, उनकी, उससे, उधर आदि में भी शुरू में ह्रस्व उ है।मृदुल, राहुल, वर्तुल, नकुल आदि संस्कृत शब्दों में उल है, ऊल नहीं।बुलडोजर, बुलेटिन, कुनैन, जुलाई, टेबुल, पेंडुलम, फुट, फुटबॉल, बुक, ग्रेजुएट, अनाउंसर, अल्युमिनियम, आउट, आउटपुट, इनफ़्लुएंज़ा, एम्बुलैंस, एजुकेशन, लुक, कम्पाउंड, कम्पाउंडर, बाउंड्री, ग्राउंड, राउंड, साउंड, इंस्ट्रुमेंट, बुशर्ट, रेगुलर, रेगुलेटर, सुपर, सुप्रीम, हुक आदिमें उकार है।ऊ से शुरू होने वाले कुछ शब्द ऊपर, ऊँचा, ऊँट, ऊन, ऊब, ऊँघना, ऊष्मा, ऊलजलूल, ऊसर, ऊहापोह, ऊबड़ खाबड़,ऊमस, ऊर्जा, ऊटपटांग, ऊर्ध्व, ऊर्ध्वारोहण, ऊर्मिला, ऊर्मि आदि।उबाऊ, पंडिताऊ, भड़काऊ, उपजाऊ, बिकाऊ, टिकाऊ आदि में अंत में ऊ है। बाजारू, लड़ाकू, झगड़ालू आदि में भी अन्त में ऊ है।माकूल, वसूल, उसूल, रसूल आदि में अन्त में ऊल है।भूत, पूर्व, पूर्वक, आकू, मूल, दूत, पूर्ण से समाप्तहोने वाले शब्दों में ऊकार है, जैसे भभूत, प्रभूत,अभिभूत, लड़ाकू, वर्गमूल, घनमूल, राजदूत, यमदूत, अपूर्ण, महत्त्वपूर्ण आदि।बोलूँ, करूँ, जाऊँ, कहूँ, रहूँ, पुकारूँ, बताऊँ, सजाऊँ, हूँ, खूँ, जूँ, दूँ, लूँ आदि में भी ऊकार होता है। बोलूँगा, कहूँगा, जाऊँगा, मरूँगा, कहूँगा, छोड़ूँगा, चाहूँगा, नाचूँगी, भूलूँगी सभीक्रिया सूचक शब्दों में भी ऊकार होता है। चुका, चुकी, चुके आदि में ऊकार न होकर, उकार है।सूप, सोल्यूशन, स्कूल, स्कूटर, स्क्रू, स्टूल हूट, बूट, स्टूडेंट, म्यूजिक, यूनियन, यूनिट, शूट, शेड्यूल, शैम्पू, सूट, सूटकेस, लूडो, लूप, बैलून, यूज़, रंगरूट, रूट, रूटीन, रिव्यू, रिफ़्यूज, व्यू, यूनिफार्म, शू, थ्रू, पैराशूट, प्रूफ़, फ़्यूज़, फ़्लू, नून, न्यूज़, न्यूट्रल, न्यूट्रॉन, इंटरव्यू, इशू, रूल, कंप्यूटर, ट्यूब, ट्यूमर, पतलून, कार्टून, कूलर, कैप्सूल, क्यू, ग्लूकोस, जून, जूनियर, जूस, टूर, टूल, एग्जिक्यूटिव, वैल्यू आदि में ऊकार है।ट्युशन, कम्यूनिटि, टुर्नामेंट, कर्फ़्यु, कम्यूनिज़्म, हनिमून, वैल्युएशन, स्क्रूटिनि, शुगर, म्युजियम, वेनु, मूवि, युरेनियम, ग्रूप, कम्यूनिकेशन आदि कुछ ऐसे शब्द हैं, जिनके रूप हिन्दी में थोड़े अलग प्रचलित हैं; जैसे मूवी, शूगर आदि। हम पहले वाले (ऊपर बताए गए) की ही अनुशंसा करेंगे। कम्युनिस्ट शब्द ही ज़्यादा प्रचलित है, कम्यूनिस्ट नहीं।शुरूआत को शुरुआत लिखना या बोलना उचित नहीं है। दूकान-दुकान, गुरु-गुरू, उषा-ऊषा आदि में दोनों ही रूप सही माने जाते हैं। रू और रु में अंतर होना चाहिए। दूरी, हिन्दू, शुरू, रुपया, ऊपर, पूरा, ज़रूरी, स्कूल, रूप, छुआछूत, दूध आदि को क्रमशः दुरी, हिन्दु, शुरु, रूपया, उपर, पुरा, ज़रुरी, स्कुल, रुप, छूआछूत, दुध आदि नहीं लिखा जाना चाहिए।लूटना, लुटना, जूझना, जुझारू, सूखा, सुखा, बुड्ढा, बूढ़ा, भून, भूल, भुलाना आदि में ध्यान देना चाहिए। 'लूट रहा है' और 'लुट रहा है' में स्पष्ट अंतर है, इसलिए यहाँ सावधानी की विशेष आवश्यकता है।मैं, तुम, वह, वे आदि के रूपों मुझसे, मुझको, तुमने, तुमसे, उससे, उसका, उन्होंने, उनका आदि में उकार होता है। तू और तूने में ऊकार, लेकिन तुझमें, तुझेआदि में उकार होता है।चीनी, जापानी आदि के शब्दों में अंत में ऊकार होता है। संस्कृत के अस्तु, एवमस्तु, तथास्तु, भवन्तु आदि (क्रिया वाले भाग) में उकार होता है। अनुकूल, अनुकूलन, अनुभूति, अनुसूचित आदि में अनु उपसर्ग के बाद ऊकारयुक्त व्यंजन है। तमिल या अन्य दक्षिणी भाषाओं में अंत में उकार होता है, जैसे तमिलनाडु, श्रीरामुलु आदि। ऐसे ही रमन, रामेश्वरन, ईश्वरन आदि में ण के स्थान पर न है, क्योंकि यह संस्कृत या हिन्दी के व्याकरण के अनुसार नहीं होकर दक्षिण की परंपरा के अनुसार है।
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जारी...
बुधवार, 9 सितंबर 2015
कठिन नही है शुद्ध हिंदी-भाग-28
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