ये हे भारत का असली इतिहास
क्या आप द्रविड़ सब्द का अर्थ जानते हो
कुछ लोग मेरे ख्याल से नहीं जानते होंगे
,उनके लिए मैं संक्षिप्त में जानकारी प्रस्तुत कर रहा
हूँ।
द्रविण शब्द सभी ने अपने विद्यार्थी जीवन में अवस्य
पढ़ा होगा ,साथ ही यह भी पढ़ा होगा की भारत
देश की सभ्यता आर्य और द्रविण लोगो की मिली
जुली सभ्यता है ।और यह भी पढ़ा होगा की आर्य
बाहर से आये हुवे लोग है। हमारे भारतीय इतिहासकार
लोगो ने बहुत सारी बातो को दबा दिया ,इतिहास
में ऐसा बताया गया की ये एक काल्पनिक कथा है
और जो काल्पनिक है उस झूठी बातो में जान डाल
दिया गया।
भारत में आर्यों का आगमन हुवा ।ये कौन लोग है।
कहाँ से आया ,भारत में ये लोग है या नहीं इस बारे में
इतिहासकार इतिहास में लिखता नहीं। क्यों?
क्युकी आज भारत देश में इतिहास लिखने वाला आर्य
लोग ही है।
लेकिन आप उसे पहचानते नहीं।
क्या आपको पता है आपको सिक्षा कब से मिली ?
और आप कौन से वर्ण में आते है? आप इस जाति में क्यों
है?आप का इतिहास क्या था?
जिस दिन इन बातो को खोजना शुरू करेंगे।
आपको उत्तर शनै शनै मिलना शुरू हो जायेगा ।और जब
समझ में आएगा तब आपको अहसास होगा की मैं
गुलाम हूँ।
आर्यों ने मुझे घेर रखा है अब मैं कुछ करू।क्युकी द्रविण
कोई और नहीं आप ही द्रविण हो।
इतिहास के पन्ने से-
आर्य कोई और नहीं
ब्राम्हण ,क्षत्रिय,वैश्य ही आर्य है। ये अर्थवा
,रथाईस्ट,वास्तारिया जाति के है इनका आगमन आज
से 4500 साल पहले 2500 ईसा पूर्व भारत में हुवा ,ये
घुड़सवारी होते थे और लोहे के तलवार रखते थे ।ये अपने
साथ गाय भी लेकर आये थे। उस समय भारत तीन
भागो में बटा था पश्चिमोत्तर में राजा बलि का
राज था। पूर्वोत्तर में राजा शंकर का राज था जिसे
आप शंकर भगवान कहते हो ।और दक्षिण में राजा
रावण का राज था जिसे आप हर साल जलाते हो और
खुसिया मनाते हो।
आर्य के आगमन के पहले भारत के मूलनिवासी द्रविण
लोग थे उस समय भारत के द्रविण लोग कृषि पशुपालन
,पक्के ईटो के घर ,नहाने के लिए स्नानागार, देश
विदेश में ब्यापार ,विज्ञानवादी सोच ,मूर्ती
निर्माण कला ,चित्रकारी में कुशल,शांति प्रिय ,एक
उन्नत सभ्यता था उन समय तुलना की जाय अन्य देशो
से तो हमारे सभ्यता उनसे काफी विकसित था।
आर्य सर्वप्रथम राजा बलि के राज में प्रवेश किये
,झुग्गी झोपडी बनाकर रहने लगे ।चोरी चकारी शुरू
किये। द्रविड़ो ने राजा से शिकायत किया ।
द्रविड़ो ने आर्यों को पकड़ कर राजा के सामने
हाजिर किये। आर्यों ने पेट का हवाला दिया
,राजा बलि दयालु मानवता प्रेमी थे। उसने माफ़ कर
दिया और आर्यों के रहने खाने का बंदोबस्त कर
दिया ,और चोरी न करने की सलाह दी।कुछ दिन में
राजा और प्रजा के ब्यवहार समझ जाने के बाद आर्यों
ने एक योजना बनायीं इसमें बामन नाम का एक
आदमी (जिसे आज विष्णु भगवान कहते है) आर्यों में
तेज बुध्हि था ,पुरे आर्य ग्रुप के साथ राजा बलि के
दरबार पहुचे और कहा राजा साहब हम आपके दरबार में
बहुत सुखी है पर कुछ चीज और हमें चाहिए दे देते तो
बड़ी मेहरबानी होती , राजा बलि ने कहा मांगो।
आर्यों ने कहा राजा साहब हमने सुना है आपके राज में
त्रिवाचा चलता है अर्थात तीन वचन। हमें भी
त्रिवाचा दीजिये कही मुकर जायेंगे तो।
इस प्रकार आर्यों ने छल कपट पूर्वक राजा बलि से
त्रिवाचा करवा लिया और तीन चीज मांग रखी।
पहला-राजा साहब हमें ऐसी सिक्षा का अधिकार
दो जिसे चाहे हम दे और न चाहे तो न दे।
दूसरा -राजा साहब हमें ऐसी धन का अधिकार दो
जिसे चाहे हम दे न चाहे तो न दे।
तीसरा - राजा साहब हमें ऐसी राज करने का
अधिकार दो जिसे चाहे उसे राज में बैठाये और न चाहे
तो न बैठाये।
इस प्रकार आर्यों ने छल पूर्वक राजा बलि से
सिक्षा, धन ,राज करने का अधिकार ले लिया और
राज में स्वं बैठ गए। सैनिक शक्ति में अपने लोगो को
कब्ज़ा करवा दिया। फिर राजा बलि को मारकर
जमीन में गाढ़ दिया। जिसे कहा जाता है विष्णु
भगवान ने राजा बलि से दान में तीन पग धरती में
जगह माँगा ,ये तीन पग सिक्षा धन राज करने का
अधिकार है और जमीन में गाडा उसको बतलाया
जाता है पाताल लोक का राजा बना दिया।
आप तो पढ़े लिखे हो जरा सोचो क्या किसी का
पैर इतना बड़ा हो सकता है जो पुरे पृथिवी को ढक
ले। और पुरे पृथिवी पर कब्ज़ा होता तो विष्णु
भगवान को अन्य देश के लोग क्यों नहीं जानते। क्यों
नहीं पूजते।
इस प्रकार आर्यों ने राजा बलि का राज हड़प लिया
उसी दिन से आर्य और द्रविण(भारत के मूलनिवासी)
के बीच युद्ध जारी है ।
इसके बाद राजा शंकर का राज हड़पने के लिए
योजना बनी। इसके लिए विष्णु ने अपनी बहन की
शादी राजा शंकर से करने के लिए सोचा और शादी
का प्रस्ताव भेजा ,राजा शंकर का सेना पति
महिसासुर था उसने आर्यों का चाल समझ गया था
उसने मना करवा दिया। महिषासुर रोड़ा बन गया।
तो आर्य पुत्री पार्वती ने ही महिषासुर को वध करने
के लिए उसे अपने प्रेम जाल में फसाया और वध करने के
लिए मौका खोजते रहे ,नौवा दिन जैसे मौका
मिला धोखे से त्रिशूल द्वारा हत्या कर दिया गया
। और शंकर के पास दास के रूप में सेवा करने लगी। धीरे
धीरे पार्वती अपनी खूबसूरती से शंकर को भी वश में
कर लिया। और योजनाबद्ध तरीके से नशा ,का आदत
लगाया ,इस प्रकार नशा से आदि होकर शंकर का
राज पाठ से मोह भंग हो गया ,फिर आर्यों ने उनका
भी राज चलाया और नशे से आपका शरीर गर्म
होगया कहकर हिमालय पर्वत में रहने का सलाह दिया
,जिसे आज कैलाश पर्वत कहते है।
इस प्रकार दो राज्यों में आर्यों का कब्ज़ा हो गया
।फिर रावण का राज हड़पने के लिए युद्ध छेढ दिया
गया। भभिसन के दोगलापन के कारण छल से रावण
को भी भारी मसक्कत के बाद आखिर में मार दिया
गया।
इस प्रकार तीनो राज्यों में आर्यों ने कब्ज़ा कर
लिया।
आर्यों ने अपने को देव और भारत के मूलनिवासी
(द्रविण) को असुर कहा ।इस प्रकार 1500 वर्षो की
लम्बी युद्ध के बाद द्रविण पूर्ण रूप से हार गए। यह
युद्ध इतिहास में देवासुर संग्राम के नाम से प्रसिद्ध है।
देवासुर संग्राम के बाद ही जाति व वर्ण ब्यवस्था
बनाया गया। आर्यों ने अर्थवा को ब्राम्हण,रथाईस्ट
को क्षत्रिय और वस्तारिया जाति को वैश्य
(बनिया) घोषित किया और भारत के मूलनिवासी
(द्रविण) को शुद्र घोषित किया।
और शुद्र में दो वर्ग बनाये जितने लोगो ने लड़ा भिड़ा
उसे अछूत शुद्र कहा और बाकि को सछुत शुद्र घोषित
किया। तथा सामाजिक एकता तोड़ने के लिए
उन्होंने सिर्फ शुद्र का ही जाति बनाया ,आज ये
जाति लगभग 6743 की संख्या में है इसकी लिस्ट नेट
में देख सकते है। और ब्राम्हण बनिया क्षत्रिय का
कोई जाति नहीं होता ,उसका सिर्फ वर्ण ही
होता है। शर्मा दुबे श्रीवास्तव ,द्विवेदी इनके गोत्र
है जाति नहीं ।यकिन न हो तो चतुराई से पुछ कर देख
लेना।
इस देवासुर संग्राम युद्ध में जो लोग लड़ भीड़ कर जंगल
में शरण लिया व युद्ध जारी रखा वो वन शरणागत
शुद्र (आदिवासी) st,कहलाये ,और जो लोग लड़ भीड़
कर हार कर वही समाज के बाहर रहने लगे वो दलित
(sc)कहलाये ।और बाकि शुद्र सछुत शुद्र कहलाये जिनमे
अन्य पिछड़ा वर्ग (obc)आता है।
जिसने जैसा संग्राम किया उसे उतना ही घृणित
कार्य दिया गया।
रामायण महाभारत ,चारो वेद ,उपनिषद,पुराण उसी
समय के लिखे गए ग्रन्थ है।
इस प्रकार जाति द्रविणो की सामाजिक एकता
तोड़ने के लिए बनाया गया और देवी देवता धार्मिक
गुलाम बनाने के लिए बनाया गया। हम देवी देवता के
रूप में सभी आर्यों की पूजा करते है ।ये सारे देवी
देवता false है। यह सत्य होता तो पुरे विश्व में होता
भारत में ही क्यों ।
इस प्रकार सिक्षा का अधिकार ब्राम्हण ने ले
लिया
क्षत्रिय ने राज करने
वैश्य ने धन का अधिकार ले लिया और शुद्र(द्रविण)
मूलनिवासी को तीनो वर्णों का सिर्फ सेवा करने
का काम दिया गया। जिसे आप कहीं न कहीं पढ़े
अवस्य होंगे।
इसके बाद महावीर स्वामी ने जाति व वर्ण ब्यवस्था
का विरोध किया था (583 ईसा पूर्व में) पर ज्यादा
सफल नहीं हुवे।
फिर गौतम बुद्ध ने 534ईसा पूर्व) के समय बौद्ध धर्म
जो मानव जाति का प्रकृति प्रदत धम्म को खोजा
जो सास्वत धम्म है। जिससे पुरे विश्व का मानव
जीवन का कल्याण है खोज निकाला और जाति व
वर्ण ब्यवस्था को लगभग समाप्त कर दिया था।
गौतम बुद्ध के बाद मौर्य वंश में चन्द्रगुप्त मौर्य अशोक
ने बौद्ध धर्म को नई उचाई दी ,अशोक के पुत्र पुत्री ने
कई देशो में खूब प्रचार किया जो आज के समय में 100
से अधिक देश बौद्ध धर्म को अपना चूका है कही
आंशिक तो कही पूर्ण रूप से।मौर्य वंश 50 साल चला
फिर अंतिम बौद्ध राजा ने गलती की ,कि उसने
सेनापति के रूप में ब्राम्हण पुष्यमित्र शुंग को घोषित
किया। शुंग ने सभी ब्राम्हण को सेना में भर्ती कर
दिया और सेनाओ के सामने अंतिम बौद्ध राजा
बृहद्रथ का हत्या कर दिया गया और 84000 स्तूप
तोड़ दिए गए।पुष्यमित्र शुंग का शासनकाल 32 वर्ष
(184 ईसा पूर्व -148 ईसा पूर्व)है। लाखो बौधो को
काट दिया गया ।एक बौद्ध सिर काटने का इनाम
100 नग सोने का सिक्का रखा गया। भारत की
धरती खून से रक्त रंजित हो गए। बहुतो ने दुसरे देश
जाकर अपनी जान बचाया। सारे बौद्ध ग्रन्थ घर से
खोज खोज कर जला दिए गए। इस प्रकार जिस देश में
बौद्ध धर्म जन्म लिया उस देश से गायब हो गए। मआज
भारत में जो भी बौद्ध ग्रन्थ त्रिपिटक लाये गए वो
सब अन्य देशो से लाये गए है।
इस प्रकार पुष्यमित्र शुङ्ग ने मनुस्मृति लिखा जिसमे
शुद्रो के सारे मानवीय अधिकार छीन लिए गए।
अपनी टूटी हुई रामायण महाभारत को फिर से नए ढंग
से नमक मिर्ची लगाकर लिखा गया। तब से 2000
साल तक शुद्र (sc/st/obc) को सिक्षा और धन का
अधि कार नहीं मिला था ।इस बीच अनेको संत
महापुरुष ,कबीर,गुरु नानक,रविदास,गुरु घासी दास ,
और अनेक महापुरुष हुवे जिन्होंने भक्ति मार्ग से
लोगो को सत्य का अहसास कराया ,लेकिन नैतिक
शक्ति -सिक्षा ,राजनितिक शक्ति - वोट देने के
अधिकार ,सैनिक व शारीरिक शक्ति कुपोषण के
कारन क्षीण हो गया था ।पेशवा ब्राम्हण साही में
दलित की स्थिति अति दयनीय हो गयी थी इस
समय दलित गले में हांड़ी और कमर में झाड़ू बांधकर चलते
थे यह 12 वर्षो तक चला ।1 जनवरी 1818 को महार
सैनिको ने पेशवा शाही लगभग युद्ध करके ख़त्म कर
दिए थे जिसमे 22 महार सैनिक शहीद हुवे थे। मुग़ल
राजाओ ने भी ब्राम्हणों से साठ गाठ कर भारत को
गुलाम बनाया और ब्राम्हणों के मर्जी से शुद्र को
सिक्षा नहीं दिया ,लेकिन जहागीर के शासन काल
में थामस मुनरो आये थे ।यहाँ का अजीब स्थिति
देखकर दंग रह गए ,उसी के बाद ब्रिटिश लोग डच
,पुर्तगाली,फ़्रांसिसी,अंग्रेज आये और कंपनी
स्थापित कर भारत को गुलाम बनाया ,उन्होंने
सिक्षा सबको देना शुरू किया जिसमे पहला ब्यक्ति
महात्मा ज्योतिबा फुले ने सिक्षा पाया जो की
माली जाति के अन्य पिछड़ा वर्ग से आता है
सिक्षा पाया ,उसने अपनी पत्नी सावित्री बाई
फुले को भी पढाया ,इस प्रकार सावित्री बाई फुले
सवर्ण महिला ,शुद्र महिला ,अति शुद्र महिला में
सिक्षा पाने वाली पहली महिला बनी ,ये आर्य
सवर्ण लोग अपनी पत्नी को भी सिक्षा नहीं दिए
क्युकी उनकी पत्नी भी द्रविण महिला ही है। इसी
लिए कहा गया है
ढोल ग्वार शुद्र पशु नारी
ये सब है ताडन के अधिकारी शुद्रो को सिक्षा 19
वी सदी 1840 के आसपास ही मिलना शुरू हुवा।
सारे क्रांति द्रविण शुद्रो ने ब्रिटिश शासन काल में
ही किये।रामास्वामी पेरियार ,
आंबेडकर साहब के जीवन काल में कितना छुवाछुत था
किसी से छुपा नहीं है।
आंबेडकर दलित में पहला ब्यक्ति है जिसने पहली बार
मेट्रिक पास किया ग्रेजुएशन किया ,m a किया।
आंबेडकर साहब जैसे संघर्ष आज तक किसी ने नहीं
किया है। अछूत कहे जाने वाले दलित समाज को
तालाब का पानी पीने का ,मंदिर में प्रवेश का
अधिकार नहीं था ।चवदार तालाब का पानी पीने
का सामूहिक प्रयास पहली बार किया गया ,जिसमे
दलितों को संग बहुत मारपीट किया गया ,करीब 20
दलित इस हमला में जख्मी हो गए थे ,फिर कालाराम
मंदिर में प्रवेश किये।बाबा साहब ने कई सभाए ली
,कई समिति का निर्माण किया ।25 dec 1927 को
मनुस्मृति का दहन किया गया ,यही वह ग्रन्थ है
जिसमे शुद्रो को नरक सा जीवन जीने के लिए
तानाशाही आदेश जारी किये गए। उस समय बाबा
साहब से बड़ा कोई बिद्वान ही नहीं था ,इस कारण
सविधान लिखने का अवसर बाबा साहेब को मिला
,आज दलित को ,शुद्रो को ,महिलाओ को जो भी
अधिकार मिला है चाहे कोई भी फील्ड हो सब
बाबा साहब के अथक प्रयास से सम्भव हुवा है।इसे sc/
st/obc/मिनिरिटी माने या न माने ये उनके ऊपर है।
अनुसूचित जाति कल्याण आयोग
अनुसूचित जनजाति कल्याण आयोग
अन्य पिछड़ा कल्याण आयोग
धार्मिक अल्प संख्यक कल्याण आयोग
(sc/st/obc/minirity) के लिए बनाया। आपको
सविधान में सवर्ण कल्याण आयोग कही नहीं
मिलेगा। क्यों ?जरा सोचे यह सविधान भारत के
मूलनिवासी द्रविण के हित व उनका सम्पूर्ण विकास
के लिए बनाया गया है। हर जरुरी अधिकार सविधान
में डाले गए है। लेकिन अफ़सोस की द्रविड़ो ने आज
तक सविधान को खोलकर देखा ही नहीं और सवर्ण के
साथ ही सविधान को बिना पढ़े जाने घटिया और
बदलने की बात करता है वही अन्य देश के राष्ट्रपति
,pm,कानून के जानकार इसे दुनिया की सबसे महान
सविधान कह्ता है।
सविधान लिखकर शुद्र (द्रविण) को आधी आजादी
दे दी गयी है और आधी आजादी जिस दिन हमारे
द्रविण भाई एक हो जायेंगे उस दिन सम्पूर्ण आजादी
मिलेगी।
आज ब्यापार में 95% सिक्षा में 75%,नौकरी
में75% ,जमीन में90% इन आर्यों का ही कब्ज़ा है। गौर
करो न भाई sc/st/obc/minirity में कितने % लोग
ब्यापर में हाथ पाव जमाये हो , 85% द्रविण सिर्फ
ग्राहक बने हो दुकानदार तो मुख्य रूप से सवर्ण है। बड़े
बड़े उद्योग ,कंपनी,बड़ी बड़ी दुकान हर प्रकार का
दुकान कौन चला रहा है गौर करोगे तो सब समझ आ
जायेगा लेकिन दुःख की बात हमारे भाई दूर की
सोच रखते ही नहीं ,आज सिख बौद्ध भी द्रविण है
इसाई भी द्रविण है मुस्लिम भी द्रविण है ।मुग़ल
काल में हमारे ही द्रविण भाइयो ने 90% मुसलमान
धर्म को ,हिन्दू धर्म की हीनता देख कर अपनाया ।
और अंग्रेज के शासन काल में हमारे द्रविण ही इसाई
धर्म को अपनाया। और सिख अपना अलग सा धर्म
बनाये। सिख बौद्ध मुसलमान इसाई सब द्रविण है
इसी कारण सवर्ण लोग कभी सिख दंगा कभी इसाई
दंगा कभी मुस्लिम दंगा कभी बौद्ध पर हमला क राते
रहता है ।ये सब इनकी सोची समझी साजिश होती
है।
67 साल के बाद आज जैसे ही बीजेपी govt सत्ता में
बहुमत से आई है। गौर कीजिये क्या हो रहा है धर्म
धर्म रट रहा है भारत को हिंदुस्तान करना चाहता है।
सिख हिन्दू थे घर वापसी करो। मुस्लिम 5 लाख में
,इसाई2 लाख में हिन्दू बनो,राम जादा हरम जादा
किसे कहते है इनके मंत्री सिख रहे है साध्वी जी।
नाथू राम गोडसे देश भक्त है जो आपके रस्त्रपिता
को तीन गोली ठोकता है।4 बच्चे पैदा करो एक इन
को दो एक बोर्डर को दो, दो अपने पास रखो
कितना सम्मान करते है महिला का सोचो। 2021
तक पूरा सबको हिन्दू बनाने की धमकी दिया जाता
है तो अल्पसंख्यक कहा जायेंगे। इसी कारण ही बाबा
साहब ने अल्पसंख्यक को कुछ विशेस अधिकार दिए थे
ताकि बहुसंख्यक इस पर हावी न हो सके। गीता
रास्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करो। क्यों ताकि पुन युद्ध
करा सके। इतने सारे अनर्गल बयान दे रहे है और मोदी
चुप है क्यों।
द्रविण भाइयो अब एक हो जाओ यह समय खतरे से
भरा है अगर टूट कर रहोगे तो फिर याद रखना
इतना दिन तक ब्रम्हान्वाद ने मारा
अब पूजीवाद मारेगा और वर्ग संघर्ष की स्थिति
निर्मित होगी।
सिक्षा का भगवाकरण करके आपके दिमाग को मार
रहे है। सरकारी सेक्टर में निजीकरण ,fdi ,ppp,ठेकेदारी
करके आपके आरक्षण को मार दिया जायेगा आपके
अगला पीढ़ी दाने दाने के लिए मोहताज हो जायेंगे।पोस्ट लंबी है। जब समय हो तभी पढ़ें।
भाषा शैली व्याकरण पर ध्यान न दें
दूसरे ग्रुप से साभार
16-01-2016 09:06:49 PM: +91 91255 43556: इस पोस्ट को जरूर पड़े ये हे भारत का असली इतिहास क्या आप द्रविड़ सब्द का अर्थ जानते हो कुछ लोग मेरे ख्याल से नहीं जानते होंगे
,उनके लिए मैं संक्षिप्त में जानकारी प्रस्तुत कर रहा
हूँ।
द्रविण शब्द सभी ने अपने विद्यार्थी जीवन में अवस्य
पढ़ा होगा ,साथ ही यह भी पढ़ा होगा की भारत
देश की सभ्यता आर्य और द्रविण लोगो की मिली
जुली सभ्यता है ।और यह भी पढ़ा होगा की आर्य
बाहर से आये हुवे लोग है। हमारे भारतीय इतिहासकार
लोगो ने बहुत सारी बातो को दबा दिया ,इतिहास
में ऐसा बताया गया की ये एक काल्पनिक कथा है
और जो काल्पनिक है उस झूठी बातो में जान डाल
दिया गया।
भारत में आर्यों का आगमन हुवा ।ये कौन लोग है।
कहाँ से आया ,भारत में ये लोग है या नहीं इस बारे में
इतिहासकार इतिहास में लिखता नहीं। क्यों?
क्युकी आज भारत देश में इतिहास लिखने वाला आर्य
लोग ही है।
लेकिन आप उसे पहचानते नहीं।
क्या आपको पता है आपको सिक्षा कब से मिली ?
और आप कौन से वर्ण में आते है? आप इस जाति में क्यों
है?आप का इतिहास क्या था?
जिस दिन इन बातो को खोजना शुरू करेंगे।
आपको उत्तर शनै शनै मिलना शुरू हो जायेगा ।और जब
समझ में आएगा तब आपको अहसास होगा की मैं
गुलाम हूँ।
आर्यों ने मुझे घेर रखा है अब मैं कुछ करू।क्युकी द्रविण
कोई और नहीं आप ही द्रविण हो।
इतिहास के पन्ने से-
आर्य कोई और नहीं
ब्राम्हण ,क्षत्रिय,वैश्य ही आर्य है। ये अर्थवा
,रथाईस्ट,वास्तारिया जाति के है इनका आगमन आज
से 4500 साल पहले 2500 ईसा पूर्व भारत में हुवा ,ये
घुड़सवारी होते थे और लोहे के तलवार रखते थे ।ये अपने
साथ गाय भी लेकर आये थे। उस समय भारत तीन
भागो में बटा था पश्चिमोत्तर में राजा बलि का
राज था। पूर्वोत्तर में राजा शंकर का राज था जिसे
आप शंकर भगवान कहते हो ।और दक्षिण में राजा
रावण का राज था जिसे आप हर साल जलाते हो और
खुसिया मनाते हो।
आर्य के आगमन के पहले भारत के मूलनिवासी द्रविण
लोग थे उस समय भारत के द्रविण लोग कृषि पशुपालन
,पक्के ईटो के घर ,नहाने के लिए स्नानागार, देश
विदेश में ब्यापार ,विज्ञानवादी सोच ,मूर्ती
निर्माण कला ,चित्रकारी में कुशल,शांति प्रिय ,एक
उन्नत सभ्यता था उन समय तुलना की जाय अन्य देशो
से तो हमारे सभ्यता उनसे काफी विकसित था।
आर्य सर्वप्रथम राजा बलि के राज में प्रवेश किये
,झुग्गी झोपडी बनाकर रहने लगे ।चोरी चकारी शुरू
किये। द्रविड़ो ने राजा से शिकायत किया ।
द्रविड़ो ने आर्यों को पकड़ कर राजा के सामने
हाजिर किये। आर्यों ने पेट का हवाला दिया
,राजा बलि दयालु मानवता प्रेमी थे। उसने माफ़ कर
दिया और आर्यों के रहने खाने का बंदोबस्त कर
दिया ,और चोरी न करने की सलाह दी।कुछ दिन में
राजा और प्रजा के ब्यवहार समझ जाने के बाद आर्यों
ने एक योजना बनायीं इसमें बामन नाम का एक
आदमी (जिसे आज विष्णु भगवान कहते है) आर्यों में
तेज बुध्हि था ,पुरे आर्य ग्रुप के साथ राजा बलि के
दरबार पहुचे और कहा राजा साहब हम आपके दरबार में
बहुत सुखी है पर कुछ चीज और हमें चाहिए दे देते तो
बड़ी मेहरबानी होती , राजा बलि ने कहा मांगो।
आर्यों ने कहा राजा साहब हमने सुना है आपके राज में
त्रिवाचा चलता है अर्थात तीन वचन। हमें भी
त्रिवाचा दीजिये कही मुकर जायेंगे तो।
इस प्रकार आर्यों ने छल कपट पूर्वक राजा बलि से
त्रिवाचा करवा लिया और तीन चीज मांग रखी।
पहला-राजा साहब हमें ऐसी सिक्षा का अधिकार
दो जिसे चाहे हम दे और न चाहे तो न दे।
दूसरा -राजा साहब हमें ऐसी धन का अधिकार दो
जिसे चाहे हम दे न चाहे तो न दे।
तीसरा - राजा साहब हमें ऐसी राज करने का
अधिकार दो जिसे चाहे उसे राज में बैठाये और न चाहे
तो न बैठाये।
इस प्रकार आर्यों ने छल पूर्वक राजा बलि से
सिक्षा, धन ,राज करने का अधिकार ले लिया और
राज में स्वं बैठ गए। सैनिक शक्ति में अपने लोगो को
कब्ज़ा करवा दिया। फिर राजा बलि को मारकर
जमीन में गाढ़ दिया। जिसे कहा जाता है विष्णु
भगवान ने राजा बलि से दान में तीन पग धरती में
जगह माँगा ,ये तीन पग सिक्षा धन राज करने का
अधिकार है और जमीन में गाडा उसको बतलाया
जाता है पाताल लोक का राजा बना दिया।
आप तो पढ़े लिखे हो जरा सोचो क्या किसी का
पैर इतना बड़ा हो सकता है जो पुरे पृथिवी को ढक
ले। और पुरे पृथिवी पर कब्ज़ा होता तो विष्णु
भगवान को अन्य देश के लोग क्यों नहीं जानते। क्यों
नहीं पूजते।
इस प्रकार आर्यों ने राजा बलि का राज हड़प लिया
उसी दिन से आर्य और द्रविण(भारत के मूलनिवासी)
के बीच युद्ध जारी है ।
इसके बाद राजा शंकर का राज हड़पने के लिए
योजना बनी। इसके लिए विष्णु ने अपनी बहन की
शादी राजा शंकर से करने के लिए सोचा और शादी
का प्रस्ताव भेजा ,राजा शंकर का सेना पति
महिसासुर था उसने आर्यों का चाल समझ गया था
उसने मना करवा दिया। महिषासुर रोड़ा बन गया।
तो आर्य पुत्री पार्वती ने ही महिषासुर को वध करने
के लिए उसे अपने प्रेम जाल में फसाया और वध करने के
लिए मौका खोजते रहे ,नौवा दिन जैसे मौका
मिला धोखे से त्रिशूल द्वारा हत्या कर दिया गया
। और शंकर के पास दास के रूप में सेवा करने लगी। धीरे
धीरे पार्वती अपनी खूबसूरती से शंकर को भी वश में
कर लिया। और योजनाबद्ध तरीके से नशा ,का आदत
लगाया ,इस प्रकार नशा से आदि होकर शंकर का
राज पाठ से मोह भंग हो गया ,फिर आर्यों ने उनका
भी राज चलाया और नशे से आपका शरीर गर्म
होगया कहकर हिमालय पर्वत में रहने का सलाह दिया
,जिसे आज कैलाश पर्वत कहते है।
इस प्रकार दो राज्यों में आर्यों का कब्ज़ा हो गया
।फिर रावण का राज हड़पने के लिए युद्ध छेढ दिया
गया। भभिसन के दोगलापन के कारण छल से रावण
को भी भारी मसक्कत के बाद आखिर में मार दिया
गया।
इस प्रकार तीनो राज्यों में आर्यों ने कब्ज़ा कर
लिया।
आर्यों ने अपने को देव और भारत के मूलनिवासी
(द्रविण) को असुर कहा ।इस प्रकार 1500 वर्षो की
लम्बी युद्ध के बाद द्रविण पूर्ण रूप से हार गए। यह
युद्ध इतिहास में देवासुर संग्राम के नाम से प्रसिद्ध है।
देवासुर संग्राम के बाद ही जाति व वर्ण ब्यवस्था
बनाया गया। आर्यों ने अर्थवा को ब्राम्हण,रथाईस्ट
को क्षत्रिय और वस्तारिया जाति को वैश्य
(बनिया) घोषित किया और भारत के मूलनिवासी
(द्रविण) को शुद्र घोषित किया।
और शुद्र में दो वर्ग बनाये जितने लोगो ने लड़ा भिड़ा
उसे अछूत शुद्र कहा और बाकि को सछुत शुद्र घोषित
किया। तथा सामाजिक एकता तोड़ने के लिए
उन्होंने सिर्फ शुद्र का ही जाति बनाया ,आज ये
जाति लगभग 6743 की संख्या में है इसकी लिस्ट नेट
में देख सकते है। और ब्राम्हण बनिया क्षत्रिय का
कोई जाति नहीं होता ,उसका सिर्फ वर्ण ही
होता है। शर्मा दुबे श्रीवास्तव ,द्विवेदी इनके गोत्र
है जाति नहीं ।यकिन न हो तो चतुराई से पुछ कर देख
लेना।
इस देवासुर संग्राम युद्ध में जो लोग लड़ भीड़ कर जंगल
में शरण लिया व युद्ध जारी रखा वो वन शरणागत
शुद्र (आदिवासी) st,कहलाये ,और जो लोग लड़ भीड़
कर हार कर वही समाज के बाहर रहने लगे वो दलित
(sc)कहलाये ।और बाकि शुद्र सछुत शुद्र कहलाये जिनमे
अन्य पिछड़ा वर्ग (obc)आता है।
जिसने जैसा संग्राम किया उसे उतना ही घृणित
कार्य दिया गया।
रामायण महाभारत ,चारो वेद ,उपनिषद,पुराण उसी
समय के लिखे गए ग्रन्थ है।
इस प्रकार जाति द्रविणो की सामाजिक एकता
तोड़ने के लिए बनाया गया और देवी देवता धार्मिक
गुलाम बनाने के लिए बनाया गया। हम देवी देवता के
रूप में सभी आर्यों की पूजा करते है ।ये सारे देवी
देवता false है। यह सत्य होता तो पुरे विश्व में होता
भारत में ही क्यों ।
इस प्रकार सिक्षा का अधिकार ब्राम्हण ने ले
लिया
क्षत्रिय ने राज करने
वैश्य ने धन का अधिकार ले लिया और शुद्र(द्रविण)
मूलनिवासी को तीनो वर्णों का सिर्फ सेवा करने
का काम दिया गया। जिसे आप कहीं न कहीं पढ़े
अवस्य होंगे।
इसके बाद महावीर स्वामी ने जाति व वर्ण ब्यवस्था
का विरोध किया था (583 ईसा पूर्व में) पर ज्यादा
सफल नहीं हुवे।
फिर गौतम बुद्ध ने 534ईसा पूर्व) के समय बौद्ध धर्म
जो मानव जाति का प्रकृति प्रदत धम्म को खोजा
जो सास्वत धम्म है। जिससे पुरे विश्व का मानव
जीवन का कल्याण है खोज निकाला और जाति व
वर्ण ब्यवस्था को लगभग समाप्त कर दिया था।
गौतम बुद्ध के बाद मौर्य वंश में चन्द्रगुप्त मौर्य अशोक
ने बौद्ध धर्म को नई उचाई दी ,अशोक के पुत्र पुत्री ने
कई देशो में खूब प्रचार किया जो आज के समय में 100
से अधिक देश बौद्ध धर्म को अपना चूका है कही
आंशिक तो कही पूर्ण रूप से।मौर्य वंश 50 साल चला
फिर अंतिम बौद्ध राजा ने गलती की ,कि उसने
सेनापति के रूप में ब्राम्हण पुष्यमित्र शुंग को घोषित
किया। शुंग ने सभी ब्राम्हण को सेना में भर्ती कर
दिया और सेनाओ के सामने अंतिम बौद्ध राजा
बृहद्रथ का हत्या कर दिया गया और 84000 स्तूप
तोड़ दिए गए।पुष्यमित्र शुंग का शासनकाल 32 वर्ष
(184 ईसा पूर्व -148 ईसा पूर्व)है। लाखो बौधो को
काट दिया गया ।एक बौद्ध सिर काटने का इनाम
100 नग सोने का सिक्का रखा गया। भारत की
धरती खून से रक्त रंजित हो गए। बहुतो ने दुसरे देश
जाकर अपनी जान बचाया। सारे बौद्ध ग्रन्थ घर से
खोज खोज कर जला दिए गए। इस प्रकार जिस देश में
बौद्ध धर्म जन्म लिया उस देश से गायब हो गए। मआज
भारत में जो भी बौद्ध ग्रन्थ त्रिपिटक लाये गए वो
सब अन्य देशो से लाये गए है।
इस प्रकार पुष्यमित्र शुङ्ग ने मनुस्मृति लिखा जिसमे
शुद्रो के सारे मानवीय अधिकार छीन लिए गए।
अपनी टूटी हुई रामायण महाभारत को फिर से नए ढंग
से नमक मिर्ची लगाकर लिखा गया। तब से 2000
साल तक शुद्र (sc/st/obc) को सिक्षा और धन का
अधि कार नहीं मिला था ।इस बीच अनेको संत
महापुरुष ,कबीर,गुरु नानक,रविदास,गुरु घासी दास ,
और अनेक महापुरुष हुवे जिन्होंने भक्ति मार्ग से
लोगो को सत्य का अहसास कराया ,लेकिन नैतिक
शक्ति -सिक्षा ,राजनितिक शक्ति - वोट देने के
अधिकार ,सैनिक व शारीरिक शक्ति कुपोषण के
कारन क्षीण हो गया था ।पेशवा ब्राम्हण साही में
दलित की स्थिति अति दयनीय हो गयी थी इस
समय दलित गले में हांड़ी और कमर में झाड़ू बांधकर चलते
थे यह 12 वर्षो तक चला ।1 जनवरी 1818 को महार
सैनिको ने पेशवा शाही लगभग युद्ध करके ख़त्म कर
दिए थे जिसमे 22 महार सैनिक शहीद हुवे थे। मुग़ल
राजाओ ने भी ब्राम्हणों से साठ गाठ कर भारत को
गुलाम बनाया और ब्राम्हणों के मर्जी से शुद्र को
सिक्षा नहीं दिया ,लेकिन जहागीर के शासन काल
में थामस मुनरो आये थे ।यहाँ का अजीब स्थिति
देखकर दंग रह गए ,उसी के बाद ब्रिटिश लोग डच
,पुर्तगाली,फ़्रांसिसी,अंग्रेज आये और कंपनी
स्थापित कर भारत को गुलाम बनाया ,उन्होंने
सिक्षा सबको देना शुरू किया जिसमे पहला ब्यक्ति
महात्मा ज्योतिबा फुले ने सिक्षा पाया जो की
माली जाति के अन्य पिछड़ा वर्ग से आता है
सिक्षा पाया ,उसने अपनी पत्नी सावित्री बाई
फुले को भी पढाया ,इस प्रकार सावित्री बाई फुले
सवर्ण महिला ,शुद्र महिला ,अति शुद्र महिला में
सिक्षा पाने वाली पहली महिला बनी ,ये आर्य
सवर्ण लोग अपनी पत्नी को भी सिक्षा नहीं दिए
क्युकी उनकी पत्नी भी द्रविण महिला ही है। इसी
लिए कहा गया है
ढोल ग्वार शुद्र पशु नारी
ये सब है ताडन के अधिकारी शुद्रो को सिक्षा 19
वी सदी 1840 के आसपास ही मिलना शुरू हुवा।
सारे क्रांति द्रविण शुद्रो ने ब्रिटिश शासन काल में
ही किये।रामास्वामी पेरियार ,
आंबेडकर साहब के जीवन काल में कितना छुवाछुत था
किसी से छुपा नहीं है।
आंबेडकर दलित में पहला ब्यक्ति है जिसने पहली बार
मेट्रिक पास किया ग्रेजुएशन किया ,m a किया।
आंबेडकर साहब जैसे संघर्ष आज तक किसी ने नहीं
किया है। अछूत कहे जाने वाले दलित समाज को
तालाब का पानी पीने का ,मंदिर में प्रवेश का
अधिकार नहीं था ।चवदार तालाब का पानी पीने
का सामूहिक प्रयास पहली बार किया गया ,जिसमे
दलितों को संग बहुत मारपीट किया गया ,करीब 20
दलित इस हमला में जख्मी हो गए थे ,फिर कालाराम
मंदिर में प्रवेश किये।बाबा साहब ने कई सभाए ली
,कई समिति का निर्माण किया ।25 dec 1927 को
मनुस्मृति का दहन किया गया ,यही वह ग्रन्थ है
जिसमे शुद्रो को नरक सा जीवन जीने के लिए
तानाशाही आदेश जारी किये गए। उस समय बाबा
साहब से बड़ा कोई बिद्वान ही नहीं था ,इस कारण
सविधान लिखने का अवसर बाबा साहेब को मिला
,आज दलित को ,शुद्रो को ,महिलाओ को जो भी
अधिकार मिला है चाहे कोई भी फील्ड हो सब
बाबा साहब के अथक प्रयास से सम्भव हुवा है।इसे sc/
st/obc/मिनिरिटी माने या न माने ये उनके ऊपर है।
अनुसूचित जाति कल्याण आयोग
अनुसूचित जनजाति कल्याण आयोग
अन्य पिछड़ा कल्याण आयोग
धार्मिक अल्प संख्यक कल्याण आयोग
(sc/st/obc/minirity) के लिए बनाया। आपको
सविधान में सवर्ण कल्याण आयोग कही नहीं
मिलेगा। क्यों ?जरा सोचे यह सविधान भारत के
मूलनिवासी द्रविण के हित व उनका सम्पूर्ण विकास
के लिए बनाया गया है। हर जरुरी अधिकार सविधान
में डाले गए है। लेकिन अफ़सोस की द्रविड़ो ने आज
तक सविधान को खोलकर देखा ही नहीं और सवर्ण के
साथ ही सविधान को बिना पढ़े जाने घटिया और
बदलने की बात करता है वही अन्य देश के राष्ट्रपति
,pm,कानून के जानकार इसे दुनिया की सबसे महान
सविधान कह्ता है।
सविधान लिखकर शुद्र (द्रविण) को आधी आजादी
दे दी गयी है और आधी आजादी जिस दिन हमारे
द्रविण भाई एक हो जायेंगे उस दिन सम्पूर्ण आजादी
मिलेगी।
आज ब्यापार में 95% सिक्षा में 75%,नौकरी
में75% ,जमीन में90% इन आर्यों का ही कब्ज़ा है। गौर
करो न भाई sc/st/obc/minirity में कितने % लोग
ब्यापर में हाथ पाव जमाये हो , 85% द्रविण सिर्फ
ग्राहक बने हो दुकानदार तो मुख्य रूप से सवर्ण है। बड़े
बड़े उद्योग ,कंपनी,बड़ी बड़ी दुकान हर प्रकार का
दुकान कौन चला रहा है गौर करोगे तो सब समझ आ
जायेगा लेकिन दुःख की बात हमारे भाई दूर की
सोच रखते ही नहीं ,आज सिख बौद्ध भी द्रविण है
इसाई भी द्रविण है मुस्लिम भी द्रविण है ।मुग़ल
काल में हमारे ही द्रविण भाइयो ने 90% मुसलमान
धर्म को ,हिन्दू धर्म की हीनता देख कर अपनाया ।
और अंग्रेज के शासन काल में हमारे द्रविण ही इसाई
धर्म को अपनाया। और सिख अपना अलग सा धर्म
बनाये। सिख बौद्ध मुसलमान इसाई सब द्रविण है
इसी कारण सवर्ण लोग कभी सिख दंगा कभी इसाई
दंगा कभी मुस्लिम दंगा कभी बौद्ध पर हमला क राते
रहता है ।ये सब इनकी सोची समझी साजिश होती
है।
67 साल के बाद आज जैसे ही बीजेपी govt सत्ता में
बहुमत से आई है। गौर कीजिये क्या हो रहा है धर्म
धर्म रट रहा है भारत को हिंदुस्तान करना चाहता है।
सिख हिन्दू थे घर वापसी करो। मुस्लिम 5 लाख में
,इसाई2 लाख में हिन्दू बनो,राम जादा हरम जादा
किसे कहते है इनके मंत्री सिख रहे है साध्वी जी।
नाथू राम गोडसे देश भक्त है जो आपके रस्त्रपिता
को तीन गोली ठोकता है।4 बच्चे पैदा करो एक इन
को दो एक बोर्डर को दो, दो अपने पास रखो
कितना सम्मान करते है महिला का सोचो। 2021
तक पूरा सबको हिन्दू बनाने की धमकी दिया जाता
है तो अल्पसंख्यक कहा जायेंगे। इसी कारण ही बाबा
साहब ने अल्पसंख्यक को कुछ विशेस अधिकार दिए थे
ताकि बहुसंख्यक इस पर हावी न हो सके। गीता
रास्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करो। क्यों ताकि पुन युद्ध
करा सके। इतने सारे अनर्गल बयान दे रहे है और मोदी
चुप है क्यों।
द्रविण भाइयो अब एक हो जाओ यह समय खतरे से
भरा है अगर टूट कर रहोगे तो फिर याद रखना
इतना दिन तक ब्रम्हान्वाद ने मारा
अब पूजीवाद मारेगा और वर्ग संघर्ष की स्थिति
निर्मित होगी।
सिक्षा का भगवाकरण करके आपके दिमाग को मार
रहे है। सरकारी सेक्टर में निजीकरण ,fdi ,ppp,ठेकेदारी
करके आपके आरक्षण को मार दिया जायेगा आपके
अगला पीढ़ी दाने दाने के लिए मोहताज हो जायेंगे।