शनिवार, 7 अप्रैल 2012

तांबे कि प्लेट और गुरुत्वाकर्षण


तांबे कि प्लेट और गुरुत्वाकर्षण क्या कभी ताम्बे की प्लेट बिना धारा के चुम्बक का काम कर सकती है ,,वो भी पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव और दक्षणी ध्रुव से संचालित हो ,,,क्या कभी ऐसा सम्भव हो सकता है ,, अगर देखा जाए तो समान भार ,समान तत्वों वाले चुम्बक में समान गुण भी होते है ,उनका आकर्षण भी एक समान ही होगा ,,अगर दो चुम्बको को आमने -सामने रखा जाए तो ,समान रूप से एक-दूसरे कि ओर आकर्षित होंगे ,,दोनों के बीच एक परत का निर्माण होगा ,,जहा पर कोई वस्तु स्थिर हो जाती है ,,जैसा कि पृथ्वी चन्द्रमा के बीच में ,,,यदि पथ्वी से कोई यान चन्द्रमा कि ओर जा रहा है तो उस परत को पर करने के लिए यान कि चाल को ११ किलोमीटर /सेकेण्ड होनी चाहिए ,नही तो यान बीच में ही लटक जाएगा ! मंदिर में मूर्ति के नीचे तांबे कि प्लेट लगाकर ,उत्तरी ध्रुव और दक्षणी धुव से सकारात्मक उर्जा प्राप्त कि जा सकती है क्या ?,,,अब पृथ्वी रूपी चुम्बक से विशाल शक्तिशाली दूसरा चम्बक तो हो नही सकता ,फिर ये कैसे कल्पना का ली जाती है कि यह तांबे कि प्लेट रूपी चुम्बक किसी उर्जा का अवशोषण करेगा ,,जबकि उत्तरी दक्षणी धुव ही उन सारी शक्तियों का अवशोषण कर लेते है ,,मतलब हम अगर मंदिर में है तो ये ध्रुव हमारी सकारात्मक उर्जा को ही अपने आकर्षण के दम पर हमारे शरीर से सकारात्मक उर्जा का शोषण कर लते है है ,,,, जब कि तांबे कि प्लेट उर्जा आकर्षित कने का काम तो कर्र ही नही सकता है ,,यह सरासर विज्ञान के नियमों के अनुकूल नही है पृथ्वी रूपी चुम्बक का काम तो आकर्षण करना है ,, कि प्रतिकर्षण करना है ,,न्यूटन ने इसे सिद्ध भी किया है कि किसी वस्तु को पृथ्वी अपनी ओर खीचती है ,,तो ये तांबे के प्लेट इन चुम्बको से उर्जा प्राप्त कर ही नही सकती है !
अगर तांबे कि प्लेट जो कि मूर्ति के नीचे लगी है और तीन ओर दीवारों से घिरा है और उसके चारो ओर चक्कर लगाने से कैसे आएगी ,,क्यों कि उसका चुम्बकत्व तो समाप्त या ध्रुवों द्वारा अवशोषित कर ली गाई है ,अब उससे सकारात्मक उर्जा तो मिलेगी ही नही !
महिलाओं को गहने पहनकर मंदिर जाने कि बाद कही जाती है ,जब कि आधिकतम महिलाए इन उत्सवों में ही सबसे ज्यादा गहने पहनती है ,,फिर इन गहनों का क्या ताल्लुक जो सकारात्मक उर्जा को अवशोषित कर लेती है ,पहली बात तो ये कि ऐसी कोई उर्जा होती ही नही है
मंदिर भी कहा होंना चाहिए ,उसके  लिए एक विशेष स्थान होना चाहिए ,,किसी ऊँची पहाड़ी में ,निवास स्थान के बीच ,शहर/गांव के बाहर ,,याने कि कोई जगह बाकी ही नही ,जहा मंदिर बनाया जा सके !
चुम्बकीय इलाज कहा होता है ,,अगर ऐसा है तो सरकार को चाहिए कि ऐसे ही चुम्बकीय अस्पताल खोल देने चाहिए

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