शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012

मदिरा से भली मृत्यु


जो करता नित्य सेवन इसका   ,वही तुच्छ और है बेकार
केवल करे चुगलियाँ जन कि ,    और   खाए पत्नी से मार

इतना लज्जित होने पर भी ,यदि नही मानता  अपनी हार
तो लाठी से   कर दो पूजा     ,पहनाओ   जूतों  के हार

मार खाकर   मदिरालय बैठा    ,करता  गुणीजनो सी बात

कुछ घंटो में  विदित हुआ  कि , कटी रात  नाली  के  साथ
फिर भी नही  मानते कहना  ,तो सो  जाओ कुत्तों के साथ |||||

बच्चन से सुन ली मधुशाला और सुनो मुझसे मदिरा का हाल
मुझे ज्ञात है  करोगे मन कि ,करोगे  फिर भी   मदिरापान

सिलवाओगे  जेब  कफ़न  में  , और भरोगे  उसमे मदिरा
काम  आएगी  नर्क लोक  में , वहाँ  नही मिलती  मदिरा

कुछ बातों को भूल गया था ,   ज्ञात हुआ मुझको तत्काल
कलयुग में मदिरा सेवन से ,   निश्चित होती मृत्यु अकाल

फिर ध्यान धरलो ईश्वर चरणों में ,शेष बची दुनिया को टाल
हुए न  होंगे और  इस जग में ,  मधुशाला से लोग निहाल

मेरी प्रार्थना है उन जन से ,   जो करते नित्य मदिरा पान
है फिर ये जीवन ही कितना , केवल कुछ दिन का मेहमान

मद समक्ष न भूलो मौत को ,   मानो मुझको मित्र समान
यदि प्यारा है जीवन तुझको तो ,छोड़ दो अभी मदिरापान \\\\

                            by--- सुखराम आशर्मा

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