मंगलवार, 29 जनवरी 2013

मास्टरों के साथ राजनीति


१३  जनवरी को जिस प्रकार से संविदा अध्यापक,अध्यापक मोर्चा का जो रूप हमने देखा ,वह वाकई सबको दंग कर देने वाला था ,|जिस प्रकार से लगभग एक लाख के आस-पास संविदा,अध्यापक,गुरूजी  भोपाल के शाहजहानी पार्क में एकत्रित हो जाएंगे ,यह विश्वाश स्वयं शिवराज सरकार को भी नही था | क्यों कि जो चाल शिवराज सरकार ने अध्यापक मोर्चा को तोड़ने का काम किया वह वास्तव में काबिले-तारीफ था ,क्यों कि मनोहर दुबे को सरकार ने अपने गुट में या कह सकते है कि अपने दबाव में ले लिया था ,जो कि उसी कि भाषा बोल रहे थे ,,,एक तरफ मुरलीधर पाटीदार शिक्षको कि आँखों कि किरकिरी बन गए थे |जब कि सरकार ने हमें ६ से लेकर ७ हजार का फायदा देने के संकेत पहले भी दे चुके थे ,,एक तरफ अध्यापको  का आन्दोलन जिसमे मनोहर दुबे शामिल नही थे  ,वो १३ तारीख को होना था ,जिसमे मनोहर दुबे से मुख्यमंत्री कि बात पहले ही हो चुकी थी कि हम घोषणा करेंगे ,जिसकी तारीख  ७ जनवरी दी गई ,पर मुख्यमंत्री महोदय ने किसी कारण वश नही कि ,,ये बात इसलिए भी सच है कि ये लोग पुरे दावे के साथ कह रहे थे कि घोषणा ७ तारीख को ही होगी ,,इतना दावा वाही कर सकता है ,जो पहले से ही दबाव में हो .,फिर १० जनवरी भी आई ,,तब भी घोषणा नहो हुई ,,,जब कि सभी अध्यापक इस समय पर भोपाल में एकत्रित होने कि बात कर रहे थे ,,और मुरलीधर पाटीदार का भी यही कहना था कि १३ जनवरी को भोपाल में एकत्रित होना है और अनिश्चित कालीन हड़ताल करना है ,,इससे भोपाल याने कि राजधानी में हंगामा भी हो सकता था ,,जैसा कि पहले किसान अन्धोलन में हो चूका है ,,इस बात को मुख्यमंत्री ध्यान में रखते हुए इस बात को टालते रहे ,,और अख़बार में समाचार थे कि मुख्यमंत्री अध्यापको के पक्ष में  १२ जनवरी युवा दिवस पर रतलाम में इसकी घोषणा करेंगे ,,,तब तक मनोहर दुबे एंड साथी १३ जनवरी को भोपाल जाने को तैयार नही थे ,जबकि इन सभी का दावा था कि मुख्यमंत्री रतलाम में घोषणा करेंगे ,,ये बात वाही व्यक्ति इतने दावे के साथ कह सकता ही जो मुख्यमंत्री के तलवे चाटता हो ,,लेकिन मुरलीधर पाटीदार इस दावे से दूर था ,कि हमें तो १३ जनवरी को भोपाल राजधानी में आन्दोलन करना है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जिसकी   तीन सूत्रीय मांगे थी
१--समान कार्य समान वेतन
२ --शिक्षा विभाग में संविलियन
३--छटवे वेतन मान का लाभ
                                               वह अंत तक अडिग रहा ||और जब घोषणा नही हुई तो मनोहर दुबे के साथी निराश हो गये ,,फिर भोपाल में जाने को भी तैयार हो गए ||
पर अंत समय में जब सब शिक्षक भोपाल जाने कि तैयारी बनाने लगे तो १३ जनवरी कि पिछली रात में मुख्यमंत्री ने घोषणा कर  दी कि आन्दोलन को कमजोर किया जा सके ,,लेकिन यहाँ तो किसी नेता कि नही यहाँ तो स्वयं सारे अध्यापक ही भोपाल पहुँच गए ,शाहजहानी पार्क भोपाल में ,,,,,
१३ जनवरी को भी मनोहर दुबे ने कार्यालय के सामने पटाखे फोड़ कर खुशु जाहिर कि ,,,,,,,की मुख्यमंत्री ने अपने कहे अनुशार घोषणा कर दी ,,,,,जबकि इस पर मुरलीधर पाटीदार ने अपनी सहमति नही दी ,,इसके लिए आप लोगो के पास मुख्यमंत्री से मिलते समय का विडिओ होगा उसे आप देख सकते है ,,क्यों कि हमारी लड़ाई तो समान कार्य,समान वेतन कि थी ,,तो हम २३०० और ३५०० में कैसे मान गए ,,,,,
                                   जब कि यह मनोहर दुबे और मुख्यमंत्री कि चाल थी ,,अध्यापक संयुक्त मोर्चा को तोड़कर जो सफलता शासन ने पाई उसका तो कोई जवाब भी नही है ,,,वही पर मनोहर दुबे फेसबुक में कहते है कि,,,,,,,,,,,,,,, आई एम आलवेज हैप्पी ,,,,,,,,,,,,,,,,,जब कि समान कार्य समान वेतन के लिए मुरलीधर पाटीदार झुका नही ||||||||||||||
                                        अब प्रश्न यह उठता है कि उस समय मुरलीधर पाटीदार ने हामी कैसे भर दी ,,,जब कि सभी शिक्षक एक उग्र आन्दोलन को तैयार  होकर आये थे ,,,,,,अब विचार इस पर भी किया जाए कि एक बार दिग्विजय सिंह के शासन काल में मुरली ने २०० रुपये घोषणा के लेने से मना कर दिया था और अंत में कुछ नही मिला और २०० रूपये भी नही मिले ,,,तब भी आप सभी थे तब आप ने मुरली कि कितनी आलोचना कि थी ,,कितने आरोप लगाए थे ,,ठीक तरह से आप को याद होगा ,,,
                                                               ठीक वैसे ही अगर १३ जनवरी को मुरलीधर पाटीदार २३०० से ३५०० रुपये का जो लाभ हो रहा था अगर उसे ठुकरा देता ,तब आप कि प्रतिक्रिया क्या होती ,,और छत्तीसगढ़ कि तरह हमें भी खली हाथ लौटना पड़ता तब क्या करते ,,,,,,,तब तो लगता है जिन्दा ही दफ़न कर देते ,,,, साथ में सरकार कि दबी आवाज में जो धमकी रहती है ,,उसमे गाडियों के परमिट रद्द करवा देती तब क्या करते ,आप सभी को मात्र दो (२) घंटे में भोपाल छोड़ना पड़ता ,,फिर कोई भी अश्रु गैस ,लाठी ,,पानी के फुहारे के सामने कोई नही टिकता
                 दूसरी ओर ,,,,,,,,,,,,,,,,अध्यापक कोर  कमेटी ,,,,,,,,,,,,,ACC,,,,,,,,,,,,,,,,,का गठन कर रहे है ,,,,,,,ये लोग भी वही है जो  मनोहर दुबे के इर्द -गिर्द घूमते  है ,,जो रैलियों या भोपाल में नही जाते ,,लेकिन फेसबुक के माध्यम से चिल्लाते रहते है ,,

सोमवार, 21 जनवरी 2013

balak sarvan school


    """  वक्त को जिसने न समझा उसे मिटाना पड़ा  है
                      बच गया तलवार से तो फुल से कटना पड़ा  है
                      चाहे जितनी हो बड़ी ,चाहे जितनी हो कठिन
                      हर नदी कि राह से ,चट्टान को हटाना पड़ा है
                      है जगा इन्सान तो मौसम बदल कर ही रहेगा
                      जल गया है दीप तो अँधियारा ढल कर ही रहेगा """""
   
                           आज 1/21/2013  शासकीय बालक /कन्या विद्यालय में  वार्षिक

समारोह मनाया गया |इस समारोह में विद्यालय में वर्ष भर चलने वाली

गतिविधियाँ ,जिसमे साहित्यिक ,संस्कृतिक ,खेलकूद में हिस्सा लेने वाले

छात्र-छात्राएं को इस वार्षिक समारोह में पुरुस्कृत किया जाता है ,जिसमे

रंगोली,चित्रकला ,लोकगीत ,लोकगान ,भजन ,खेलकूद ,तात्कालिक भाषण

मेंढक दौड़ ,जलेबी रेस ,चम्मच रेस,चेयर रेस ,दौड़,फ़ुटबाल,क्रिकेट,खो-खो

,कबड्डी  आदि गतिविधियों को शामिल किया जाता है
            """  चिराग हो कि न हो ,दिल जला के रखते है
                     हम आंधियो में भी तेवर बाला के रखते है
                     बस खुद से ही अपनी नही बनती ,,वरना ,,
                     ज़माने भर से हमेशा ,रिश्ता , बनाके रखते है ,,,,,,
                             कार्यक्रम कि शुरुआत करने से पहले सभी अतिथियों ने माँ

सरस्वती के चरणों में दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया और सरस्वती वंदना

गई गई |
                            इस कार्यक्रम में शिरकत किया  ,,आदिवासी विकास विभाग

रतलाम कि सहायक आयुक्त श्रीमति मधु गुप्ता ,,  पूर्व जनपद अध्यक्ष सैलाना

कि श्रीमति संगीता चारेल ,वार्ड नम्बर 9 कि वार्ड पार्षद सपना खराड़ी , ग्राम

पंचायत कि सरपंच श्रीमति  सोहन बाई निनामा  आदि उपस्थित हुए |
             """अपनी मंजिल में पहुँचाना भी ,खड़े रहना भी
                    कितना मुस्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी ,,,,,
                            इस कार्यक्रम कि अध्यक्षता ग्राम पंचायत सरवन  कि सरपंच

सोहन बाई निनामा ने किया | सभी शिक्षको -- श्रीमति अलका गुप्ता ,श्री

शिवरामन बोरीवाल ,डाक्टर मुनीन्द्र दुबे ,के.एल.वास्कले,चतुरसिंह मंडलोई

,नरेन्द्र पासी ,रीता श्रीवास्तव ,मनोज यादव (पिंकी यादव ),महावीर राठौर ,उपेन्द्र

राठौर,हेमंत सिंह राठौर ,सुनीता अम्ब ,ममता शर्मा ,शबनम खान ,आदि

उपस्थित थे |उन्होंने आये हुए अतिथियों का स्वागत पुष्प मालाओं से किया |
                            शा.बालक उमावि सरवन कि प्राचार्य महोदय  श्रीमति वंदना

डगावकर  ने विद्यालय प्रतिवेदन को पढ़ा ,एवं शा.कन्या उमावि. सरवन कि

प्राचार्य महोदय श्रीमति कल्पना सिंह चौहान ने प्रतिवेदन पढ़ा ,जिसमे विद्यालय

कि वार्षिक गतिविधियों का समावेश किया जाता है |
                            आदिवासी विकास विभाग रतलाम कि सहायक आयुक्त

श्रीमति मधु गुप्ता ने अपने भाषण के दौरान कहा कि - सभी बच्चे अब ये भूल

जाए कि पढ़ाई में कोई कठिनाई आती है क्यों कि विभाग के द्वारा छात्र-छात्राओं

को अनेक प्रकार कि निशुल्क पाठ्य-पुस्तके ,निशुल्क कोचिंग,व अन्य प्रकार

कि आर्थिक सहायता प्रदान कि जाती है ,,जुलाई से लेकर जनवरी तक समझो

समय निकल गया है ,पर अब जो समय बाकी है उसमे पुरे समय मन लगाकर

पढो और अच्छे नंबर ला कर अपने गुरुजनों,अपने माता-पिता ,गाँव,व जिले  का

नाम रोशन करो ,
                            सैलाना कि पूर्व जनपद अध्यक्ष श्रीमति संगीता चारेल ने कहा

कि शिक्षा के साथ-साथ अन्य गतिविधियाँ भी आवश्यक है पढ़ाई के साथ

खेलना-कूदना ,संस्कृतिक,साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेना आवश्यक है

,इससे विद्यार्थी का समग्र विकास होता है ,शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों

से मजबूत होता है ,,,और वर्तमान समय में जो नारी उत्पीडन हो रहा है उसमे

सभी छात्र ,सभी छात्राओं को अपनी बहिन सद्रश्य देखे ,जिससे भविष्य में होने

वाले नारी उत्पीडन से छुटकारा मिल सके |
                           कुछ मुख्य शिक्षको ने अपने वक्तव्यों को संक्षिप्त में मंच पर

पेश किया |
                          छात्र-छात्राओं को आये हुए अतिथियों के माध्यम से  पारितोषिक

वितरण किया गया ,जिसमे सहयोग प्रदान करने में ,श्रीमति फुलकुंवर सोलंकी

,ममता शर्मा ,शबनम खान ,पूजा मुंद्रा ,जोशी मैडम,सावित्री परिहार ,नीलम

शाक्य ,दीपक बारोठ,इन्दुबाला शर्मा ,
अनीता सिसोदिया,किरणराजपुरोहित,,रीता श्रीवास्तव,प्रेणना नायक आदि

शिक्षको ने सहयोग प्रदान किया |
                          अंत में श्री शिवरामन बोरिवाल  ने सभी अतिथियों का आभार

व्यक्त किया ,,,सभा विसर्जन से पहले सभी लोगो ने राष्ट्रगान को बड़ी ही

तन्मयता के साथ गया |
                      नजर-नजर में उतरना, कमाल होता है
                      नफ़स-नफ़स में बिखरना कमाल होता है
                      बुलंदी पर पहुंचना कोई कमाल नही ,




                      बुलंदी पर ठहरना कमाल होता है ,,,,,

बुधवार, 16 जनवरी 2013

अध्यापको के साथ ये कैसा धोखा


१३  जनवरी को जिस प्रकार से संविदा अध्यापक,अध्यापक मोर्चा का जो रूप हमने देखा ,वह वाकई सबको दंग कर देने वाला था ,|जिस प्रकार से लगभग एक लाख के आस-पास संविदा,अध्यापक,गुरूजी  भोपाल के शाहजहानी पार्क में एकत्रित हो जाएंगे ,यह विश्वाश स्वयं शिवराज सरकार को भी नही था | क्यों कि जो चाल शिवराज सरकार ने अध्यापक मोर्चा को तोड़ने का काम किया वह वास्तव में काबिले-तारीफ था ,क्यों कि मनोहर दुबे को सरकार ने अपने गुट में या कह सकते है कि अपने दबाव में ले लिया था ,जो कि उसी कि भाषा बोल रहे थे ,,,एक तरफ मुरलीधर पाटीदार शिक्षको कि आँखों कि किरकिरी बन गए थे |जब कि सरकार ने हमें ६ से लेकर ७ हजार का फायदा देने के संकेत पहले भी दे चुके थे ,,एक तरफ अध्यापको  का आन्दोलन जिसमे मनोहर दुबे शामिल नही थे  ,वो १३ तारीख को होना था ,जिसमे मनोहर दुबे से मुख्यमंत्री कि बात पहले ही हो चुकी थी कि हम घोषणा करेंगे ,जिसकी तारीख  ७ जनवरी दी गई ,पर मुख्यमंत्री महोदय ने किसी कारण वश नही कि ,,ये बात इसलिए भी सच है कि ये लोग पुरे दावे के साथ कह रहे थे कि घोषणा ७ तारीख को ही होगी ,,इतना दावा वाही कर सकता है ,जो पहले से ही दबाव में हो .,फिर १० जनवरी भी आई ,,तब भी घोषणा नहो हुई ,,,जब कि सभी अध्यापक इस समय पर भोपाल में एकत्रित होने कि बात कर रहे थे ,,और मुरलीधर पाटीदार का भी यही कहना था कि १३ जनवरी को भोपाल में एकत्रित होना है और अनिश्चित कालीन हड़ताल करना है ,,इससे भोपाल याने कि राजधानी में हंगामा भी हो सकता था ,,जैसा कि पहले किसान अन्धोलन में हो चूका है ,,इस बात को मुख्यमंत्री ध्यान में रखते हुए इस बात को टालते रहे ,,और अख़बार में समाचार थे कि मुख्यमंत्री अध्यापको के पक्ष में  १२ जनवरी युवा दिवस पर रतलाम में इसकी घोषणा करेंगे ,,,तब तक मनोहर दुबे एंड साथी १३ जनवरी को भोपाल जाने को तैयार नही थे ,जबकि इन सभी का दावा था कि मुख्यमंत्री रतलाम में घोषणा करेंगे ,,ये बात वाही व्यक्ति इतने दावे के साथ कह सकता ही जो मुख्यमंत्री के तलवे चाटता हो ,,लेकिन मुरलीधर पाटीदार इस दावे से दूर था ,कि हमें तो १३ जनवरी को भोपाल राजधानी में आन्दोलन करना है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जिसकी   तीन सूत्रीय मांगे थी 
१--समान कार्य समान वेतन
२ --शिक्षा विभाग में संविलियन
३--छटवे वेतन मान का लाभ
                                               वह अंत तक अडिग रहा ||और जब घोषणा नही हुई तो मनोहर दुबे के साथी निराश हो गये ,,फिर भोपाल में जाने को भी तैयार हो गए ||
पर अंत समय में जब सब शिक्षक भोपाल जाने कि तैयारी बनाने लगे तो १३ जनवरी कि पिछली रात में मुख्यमंत्री ने घोषणा कर  दी कि आन्दोलन को कमजोर किया जा सके ,,लेकिन यहाँ तो किसी नेता कि नही यहाँ तो स्वयं सारे अध्यापक ही भोपाल पहुँच गए ,शाहजहानी पार्क भोपाल में ,,,,,
१३ जनवरी को भी मनोहर दुबे ने कार्यालय के सामने पटाखे फोड़ कर खुशु जाहिर कि ,,,,,,,की मुख्यमंत्री ने अपने कहे अनुशार घोषणा कर दी ,,,,,जबकि इस पर मुरलीधर पाटीदार ने अपनी सहमति नही दी ,,इसके लिए आप लोगो के पास मुख्यमंत्री से मिलते समय का विडिओ होगा उसे आप देख सकते है ,,क्यों कि हमारी लड़ाई तो समान कार्य,समान वेतन कि थी ,,तो हम २३०० और ३५०० में कैसे मान गए ,,,,,
                                   जब कि यह मनोहर दुबे और मुख्यमंत्री कि चाल थी ,,अध्यापक संयुक्त मोर्चा को तोड़कर जो सफलता शासन ने पाई उसका तो कोई जवाब भी नही है ,,,वही पर मनोहर दुबे फेसबुक में कहते है कि,,,,,,,,,,,,,,, आई एम आलवेज हैप्पी ,,,,,,,,,,,,,,,,,जब कि समान कार्य समान वेतन के लिए मुरलीधर पाटीदार झुका नही ||||||||||||||
                                        अब प्रश्न यह उठता है कि उस समय मुरलीधर पाटीदार ने हामी कैसे भर दी ,,,जब कि सभी शिक्षक एक उग्र आन्दोलन को तैयार  होकर आये थे ,,,,,,अब विचार इस पर भी किया जाए कि एक बार दिग्विजय सिंह के शासन काल में मुरली ने २०० रुपये घोषणा के लेने से मना कर दिया था और अंत में कुछ नही मिला और २०० रूपये भी नही मिले ,,,तब भी आप सभी थे तब आप ने मुरली कि कितनी आलोचना कि थी ,,कितने आरोप लगाए थे ,,ठीक तरह से आप को याद होगा ,,,
                                                               ठीक वैसे ही अगर १३ जनवरी को मुरलीधर पाटीदार २३०० से ३५०० रुपये का जो लाभ हो रहा था अगर उसे ठुकरा देता ,तब आप कि प्रतिक्रिया क्या होती ,,और छत्तीसगढ़ कि तरह हमें भी खली हाथ लौटना पड़ता तब क्या करते ,,,,,,,तब तो लगता है जिन्दा ही दफ़न कर देते ,,,, साथ में सरकार कि दबी आवाज में जो धमकी रहती है ,,उसमे गाडियों के परमिट रद्द करवा देती तब क्या करते ,आप सभी को मात्र दो (२) घंटे में भोपाल छोड़ना पड़ता ,,फिर कोई भी अश्रु गैस ,लाठी ,,पानी के फुहारे के सामने कोई नही टिकता
                 दूसरी ओर ,,,,,,,,,,,,,,,,अध्यापक कोर  कमेटी ,,,,,,,,,,,,,ACC,,,,,,,,,,,,,,,,,का गठन कर रहे है ,,,,,,,ये लोग भी वही है जो  मनोहर दुबे के इर्द -गिर्द घूमते  है ,,जो रैलियों या भोपाल में नही जाते ,,लेकिन फेसबुक के माध्यम से चिल्लाते रहते है ,,

बुधवार, 9 जनवरी 2013

मध्यप्रदेश के अध्यापक (शिक्षाकर्मी,संविदा ,गुरूजी )सरकार से नाराज है |छत्तीसगढ़ के आन्दोलनकारी शिक्षाकर्मियो कि तरह प्रदेश में भी आन्दोलन खड़ा करने कि तयारी हो चुकी थी |जिसमे दुसरे राज्यों से भी ज्यादा आक्रामक आन्दोलन होने के संकेत मिल चुके थे ,इसलिए सरकार ने छत्तीसगढ़ कि तरह प्रदेश में भी फूट डालने का काम किया |

 सरकार क्या होती है ,,ये प्रदेश के अल्पवेतन भोगी शिक्षक जान चुके है |पहले बिहार में पिटे ,फिर छत्तीसगढ़ में लाठियां खाई |इसके बाद जम्मूकश्मीर में ताकत के बल पर रोका गया |मध्यप्रदेश में आन्दोलन खड़ा होने से पहले ही एक कुटनीतिक चाल से उसे दबा दिया गया ,और शिक्षा महापंचायत के नाम पर फूट डाल दी गई |
                                                     तमाम दौर कि बाते भी अध्यापक नेताओं को संतुष्ट नही कर सकी थी |इसके बाद ही प्रदेश कि राजधानी भोपाल में 25 से 27 दिसंबर 2012 को , घेरा डालो ,डेरा डालो कि घोषणा हुई थी |जिसके अनिश्चितकालीन धरने में परवर्तित हो जाने कि पूरी संभावना थी |इसे भांप कर ही प्रदेश सरकार ने इसे स्थगित करने पर काम किया ,जिसमे वह सफल भी रहा ,और फूट पड़ गई अध्यापक संघो के बीच |
                                                      सरकार नही चाहती थी कि भोपाल एक बार फिर किसान आन्दोलन कि तरह किसी कब्जे कि गवाह बने ,चूकी सरकार को पता था कि उस समय अध्यापक संयुक्त मोर्च ने ये घोषणा कि थी ,इसमें अध्यापको के तीन संघो ने संयुक्त मोर्चा बनाया था ,सरकार भी अध्यापको का शिक्षा विभाग में संविलियन नही करती और  अध्यापक मोर्चा इतने कम में मानता नही ,जिसके परिणाम स्वरूप भोपाल में छत्तीसगढ़ से भी ज्यादा भयावह आक्रामक आन्दोलन होने का अंदेशा था ,और राजधानी कि गलियों में अराजकता फ़ैल जाती ,जिससे सरकार का कल्याणकारी चेहरा जनता के सामने आ जाता |फिर न होते भैया ,न होते मामा  |
                                                      अध्यापको के इस आन्दोलन से प्रेणना लेकर प्रदेश के अन्य संघठन भी ऐसे ही आक्रामक आन्दोलनों के गवाह बनते नजर आते |जिससे सरकार के चुनावी समय में गणित का उलटफेर हो सकता था ,,शिक्षक एक ऐसा तबका है जिसे गणित ,अर्थशाश्त्र  भी आता है ,वह हर प्रकार के नफे -नुकसान से वाकिफ है ,इसलिए उसने सरकार के पास तक शिक्षा विभाग में संविलियन ,समान कार्य का समान वेतन का पूरा व्यौरा सरकार के पास लिखित भेज दिया था ,,जिसका खर्च सालाना 2100 करोड़ रूपये था |
                                                       किसी भी सरकार के लिए यह रकम ज्यादा नही है ,,प्रदेश में 2 से 10 हजार करोड़ कि दर्जनों परियोजनाए चलती है | इसका मतलब यह हुआ कि शिक्षको के संविलियन के लिए  के  परियोजना या वेतन पर खर्च होने वाली मात्र कि ही परियोजना से काम चल जाएगा ,इसके लिए किसी भी एक परियोजना को एक या दो वर्ष आगे खिसकाया जा सकता है पर सरकार ऐसा करने के लिए तैयार नही थी ,,जिससे अध्यापको का शिक्षा विभाग में संविलियन हो जाता |
                                                        इस कारण आज तक अध्यापको कि कोई भी बातचीत का कोई ठोस निराकरण नही हुआ |शिक्षा विभाग में संविलियन कर समान कार्य ,समान वेतन  कि मांग को लेकर प्रदेश के आंदोलित 3 लाख से अधिक अध्यापक ,संविदा ,गुरूजी  इस 15 साल कि नौकरी में बड़े-बड़े 15 आन्दोलन कर चुके है पर आज भी नतीजा सिफर ही रहा ,,आज सरकार कम से कम उतना दे कि जिससे अध्यापक अपने बीबी बच्चो को भरपेट खाना खिला सके पर इस वर्तमान  बढती महंगाई में ऐसा संभव नही दिखता |
1995 में पांच रुपये मानदेय पर सरकार ने इन शिक्षाकर्मियो कि भारती कि थी लेकिन फिर 1998 में दिग्विजय सिंह ने निति बनाकर  इन्हें नियमित तो कर दिया पर कोई आर्थिक लाभ नही पंहुचाया | इस कारण शिक्षाकर्मियो का दिग्विजय सरकार से टकराव चला ,इसका सीधा फायदा भाजपा को मिला और वह सरकार बनाने में कामयाब रही ,लेकिन 2003 तक दिग्विजय सरकार ने शिक्षाकर्मियो को नियमित कर चुकी थी  |और वर्ग 1-5175 ,,,वर्ग 2-4025 ,वर्ग 3-2875 रुपये मिलाने लगे थे | इसके बाद भाजपा सरकार को कोई काम बाकि नही था मात्र उनका शिक्षा विभाग में संविलियन एवं समान कार्य समान वेतन देना था ,| जो वह अपने 9 वर्षो के शासनकाल में कर सकी  ,,उसने केवल एक ही काम किया है वह केवल शिक्षाकर्मी नाम को बदल कर अध्यापक कर दिया ,पर वह शिक्षको को संतुष्ट करने में असक्षम रही |
                                                         मौजूदा शासन काल में उन्हें उतना भी नही मिला जितना कि बाबूलाल गौर सरकार ने अपने शासनकाल  में 83 प्रतिशत डी.ए. मिला और शिवराज सरकार ने अपने सात साल के शासन के दौरान मात्र  142 प्रतिशत डी. ए. दिया ,जिसका सीधा सा मतलब ये निकलता है कि जितनी उपेक्षा शिक्षको कि शिवराज सरकार में हुई उतनी कभी अन्य सरकार में नही हुई | जिस कारण शिक्षको में लगातार आक्रोश बढता ही जा रहा है |
                                                           शिवराज सरकार भी लगातार शिक्षको को बरगला रही है कभी 7 जनवरी को घोषणा करती है कभी वह 10 जनवरी को घोषणा  करती नजर आती है ,,, अब शिक्षक संघो में लगभग फूट पड़ ही चुकी है ,सभी शिक्षक संघ एक दुसरे कि टांग खीचते नजर आते है | लेकिन वाही अध्यापक संवर्ग संघ ने  13 जनवरी को विशाल आन्दोलन को तैयार कड़ी है |
                                                             पर क्या शिवराज सरकार अभी भी संतुष्ट कर पाएगी , सरकार अगर 13 जनवरी को कोई घोषणा करती है तो वह अध्यापको को अप्रेल 2013 से ही मिल पाएगा ,ये बात लगभग सभी शिक्षक घरो में पंहुच चुकी है ,,सबसे बड़ी सरकार कि सफलता ये रही कि सरकार ने इन संघठनो के बीच फूट डाल दी और इस बात को शिक्षक अभी तक नही समझ पाई है |
                                                             प्रदेश के अध्यापक शिक्षाकर्मी देश के प्रधानमंत्री  मनमोहन सिंह को भी अपनी पीड़ा सुना चुके है | उनके हस्तक्षेप के बाद ही राज्य सरकार ने  राज्य कर्मचारियों के साथ-साथ ही शिक्षको का डी.ए. बढाने को तैयार हुई थी |
                                                                2005 से ज्यादा आक्रामक आन्दोलन 2012 में होने वाला था |इसका आभास सरकार को हो गया था |सरकार पहली बार बनी अध्यापक संयुक्त मोर्चा संघठन को तोड़ने में सफल हुई थी पर जमीनी स्तर पर वह अध्यापक ,संविदा ,गुरूजी कि एकता को वह नही तोड़ पाई | यदि शिवराज सरकार 13 जनवरी या उससे पहले यदि कोई  संतोषप्रद घोषणा नही करती है तो ,,भोपाल में  क्या होगा यह सभी जानते है ,और  14 जनवरी से आमरण अनशन ,अनिश्चितकालीन हड़ताल याने कि स्कुलो में तालाबंदी सहजता से देखा जा सकेगा ,,यह लड़ाई अब आर या पार कि होगी |