बुधवार, 16 जनवरी 2013

अध्यापको के साथ ये कैसा धोखा


१३  जनवरी को जिस प्रकार से संविदा अध्यापक,अध्यापक मोर्चा का जो रूप हमने देखा ,वह वाकई सबको दंग कर देने वाला था ,|जिस प्रकार से लगभग एक लाख के आस-पास संविदा,अध्यापक,गुरूजी  भोपाल के शाहजहानी पार्क में एकत्रित हो जाएंगे ,यह विश्वाश स्वयं शिवराज सरकार को भी नही था | क्यों कि जो चाल शिवराज सरकार ने अध्यापक मोर्चा को तोड़ने का काम किया वह वास्तव में काबिले-तारीफ था ,क्यों कि मनोहर दुबे को सरकार ने अपने गुट में या कह सकते है कि अपने दबाव में ले लिया था ,जो कि उसी कि भाषा बोल रहे थे ,,,एक तरफ मुरलीधर पाटीदार शिक्षको कि आँखों कि किरकिरी बन गए थे |जब कि सरकार ने हमें ६ से लेकर ७ हजार का फायदा देने के संकेत पहले भी दे चुके थे ,,एक तरफ अध्यापको  का आन्दोलन जिसमे मनोहर दुबे शामिल नही थे  ,वो १३ तारीख को होना था ,जिसमे मनोहर दुबे से मुख्यमंत्री कि बात पहले ही हो चुकी थी कि हम घोषणा करेंगे ,जिसकी तारीख  ७ जनवरी दी गई ,पर मुख्यमंत्री महोदय ने किसी कारण वश नही कि ,,ये बात इसलिए भी सच है कि ये लोग पुरे दावे के साथ कह रहे थे कि घोषणा ७ तारीख को ही होगी ,,इतना दावा वाही कर सकता है ,जो पहले से ही दबाव में हो .,फिर १० जनवरी भी आई ,,तब भी घोषणा नहो हुई ,,,जब कि सभी अध्यापक इस समय पर भोपाल में एकत्रित होने कि बात कर रहे थे ,,और मुरलीधर पाटीदार का भी यही कहना था कि १३ जनवरी को भोपाल में एकत्रित होना है और अनिश्चित कालीन हड़ताल करना है ,,इससे भोपाल याने कि राजधानी में हंगामा भी हो सकता था ,,जैसा कि पहले किसान अन्धोलन में हो चूका है ,,इस बात को मुख्यमंत्री ध्यान में रखते हुए इस बात को टालते रहे ,,और अख़बार में समाचार थे कि मुख्यमंत्री अध्यापको के पक्ष में  १२ जनवरी युवा दिवस पर रतलाम में इसकी घोषणा करेंगे ,,,तब तक मनोहर दुबे एंड साथी १३ जनवरी को भोपाल जाने को तैयार नही थे ,जबकि इन सभी का दावा था कि मुख्यमंत्री रतलाम में घोषणा करेंगे ,,ये बात वाही व्यक्ति इतने दावे के साथ कह सकता ही जो मुख्यमंत्री के तलवे चाटता हो ,,लेकिन मुरलीधर पाटीदार इस दावे से दूर था ,कि हमें तो १३ जनवरी को भोपाल राजधानी में आन्दोलन करना है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जिसकी   तीन सूत्रीय मांगे थी 
१--समान कार्य समान वेतन
२ --शिक्षा विभाग में संविलियन
३--छटवे वेतन मान का लाभ
                                               वह अंत तक अडिग रहा ||और जब घोषणा नही हुई तो मनोहर दुबे के साथी निराश हो गये ,,फिर भोपाल में जाने को भी तैयार हो गए ||
पर अंत समय में जब सब शिक्षक भोपाल जाने कि तैयारी बनाने लगे तो १३ जनवरी कि पिछली रात में मुख्यमंत्री ने घोषणा कर  दी कि आन्दोलन को कमजोर किया जा सके ,,लेकिन यहाँ तो किसी नेता कि नही यहाँ तो स्वयं सारे अध्यापक ही भोपाल पहुँच गए ,शाहजहानी पार्क भोपाल में ,,,,,
१३ जनवरी को भी मनोहर दुबे ने कार्यालय के सामने पटाखे फोड़ कर खुशु जाहिर कि ,,,,,,,की मुख्यमंत्री ने अपने कहे अनुशार घोषणा कर दी ,,,,,जबकि इस पर मुरलीधर पाटीदार ने अपनी सहमति नही दी ,,इसके लिए आप लोगो के पास मुख्यमंत्री से मिलते समय का विडिओ होगा उसे आप देख सकते है ,,क्यों कि हमारी लड़ाई तो समान कार्य,समान वेतन कि थी ,,तो हम २३०० और ३५०० में कैसे मान गए ,,,,,
                                   जब कि यह मनोहर दुबे और मुख्यमंत्री कि चाल थी ,,अध्यापक संयुक्त मोर्चा को तोड़कर जो सफलता शासन ने पाई उसका तो कोई जवाब भी नही है ,,,वही पर मनोहर दुबे फेसबुक में कहते है कि,,,,,,,,,,,,,,, आई एम आलवेज हैप्पी ,,,,,,,,,,,,,,,,,जब कि समान कार्य समान वेतन के लिए मुरलीधर पाटीदार झुका नही ||||||||||||||
                                        अब प्रश्न यह उठता है कि उस समय मुरलीधर पाटीदार ने हामी कैसे भर दी ,,,जब कि सभी शिक्षक एक उग्र आन्दोलन को तैयार  होकर आये थे ,,,,,,अब विचार इस पर भी किया जाए कि एक बार दिग्विजय सिंह के शासन काल में मुरली ने २०० रुपये घोषणा के लेने से मना कर दिया था और अंत में कुछ नही मिला और २०० रूपये भी नही मिले ,,,तब भी आप सभी थे तब आप ने मुरली कि कितनी आलोचना कि थी ,,कितने आरोप लगाए थे ,,ठीक तरह से आप को याद होगा ,,,
                                                               ठीक वैसे ही अगर १३ जनवरी को मुरलीधर पाटीदार २३०० से ३५०० रुपये का जो लाभ हो रहा था अगर उसे ठुकरा देता ,तब आप कि प्रतिक्रिया क्या होती ,,और छत्तीसगढ़ कि तरह हमें भी खली हाथ लौटना पड़ता तब क्या करते ,,,,,,,तब तो लगता है जिन्दा ही दफ़न कर देते ,,,, साथ में सरकार कि दबी आवाज में जो धमकी रहती है ,,उसमे गाडियों के परमिट रद्द करवा देती तब क्या करते ,आप सभी को मात्र दो (२) घंटे में भोपाल छोड़ना पड़ता ,,फिर कोई भी अश्रु गैस ,लाठी ,,पानी के फुहारे के सामने कोई नही टिकता
                 दूसरी ओर ,,,,,,,,,,,,,,,,अध्यापक कोर  कमेटी ,,,,,,,,,,,,,ACC,,,,,,,,,,,,,,,,,का गठन कर रहे है ,,,,,,,ये लोग भी वही है जो  मनोहर दुबे के इर्द -गिर्द घूमते  है ,,जो रैलियों या भोपाल में नही जाते ,,लेकिन फेसबुक के माध्यम से चिल्लाते रहते है ,,

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