बुधवार, 1 अप्रैल 2015

राजा सुहेल पासी

Mआज फिर कह रहा हु भाइयो ना कभी किसी दरगाह या मजार पर जाये ना ही अपने परिचितों को जाने दे।।
कृपया जानने के लिए पूरा लेख पढ़े।।

दादू दुनिया बावरी कबरे पूजे ऊत
जिनको कीड़े खा चुके उनसे मांगे पूतकब्र मे मुर्दे को खाने वाले कीड़े भी कुछ सालो मे नष्ट हो जाते हैं। परन्तु हिन्दू उनपर सिर रगड़ते हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक शहर है,बहराइच ।
बहराइच में हिन्दू समाज का मुख्य पूजा स्थल है गाजी बाबा की मजार। मूर्ख हिंदू लाखों रूपये हर वर्ष इस पीर पर चढाते है। इतिहास का जानकार हर व्यक्ति जानता है,कि महमूद गजनवी के उत्तरी भारत को १७ बार लूटने व बर्बाद करने के कुछ समय बाद उसका भांजा सलार गाजी भारत को दारूल इस्लाम बनाने के उद्देश्य से भारत पर चढ़ आया । वह पंजाब ,सिंध, आज के उत्तर प्रदेश को रोंद्ता हुआ बहराइच तक जा पंहुचा। रास्ते में उसने लाखों हिन्दुओं का कत्लेआम कराया, लाखों हिंदू औरतों के बलात्कार हुए, हजारों मन्दिर तोड़ डाले।
राह में उसे एक भी ऐसा हिन्दू वीर नही मिला जो उसका मान मर्दन कर सके। इस्लाम की जेहाद की आंधी को रोक सके। परंतु बहराइच के राजा सुहेल देव पासी ने उसको थामने का बीडा उठाया । वे अपनी सेना के साथ सलार गाजी के हत्याकांड को रोकने के लिए जा पहुंचे। महाराजा व हिन्दू वीरों ने सलार गाजी व उसकी दानवी सेना को मूली गाजर की तरह काट डाला । सलार गाजी मारा गया। उसकी भागती सेना के एक एक हत्यारे को काट डाला गया। हिंदू ह्रदय राजा सुहेल देव पासी ने अपने धर्म का पालन करते हुए, सलार गाजी को इस्लाम के अनुसार कब्र में दफ़न करा दिया। कुछ समय पश्चात् तुगलक वंश के आने पर फीरोज तुगलक ने सलारगाजी को इस्लाम का सच्चा संत सिपाही घोषित करते हुए उसकी मजार बनवा दी। आज उसी हिन्दुओं के हत्यारे, हिंदू औरतों के बलातकारी ,मूर्ती भंजन दानव को हिंदू समाज एक देवता की तरह पूजता है। सलार गाजी हिन्दुओं का गाजी बाबा हो गया है और हिंदू वीर शिरोमणि सुहेल देव पासी सिर्फ़ पासी समाज का हीरो बनकर रह गएँ है और सलार गाजी हिन्दुओं का भगवान बनकर हिन्दू समाज का पूजनीय हो गया है। अब गाजी की मजार पूजने वाले ,ऐसे हिन्दुओं को मूर्ख न कहे तो क्या कहें ।ख्वाजा गरीब नवाज़, अमीर खुसरो, निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर
जाकर मन्नत मांगने वाले सनातन धर्मी (हिन्दू) लोगो के लिए विशेष :--पूरे देश में स्थान स्थान पर बनी कब्रों,मजारों या दरगाहों पर हर वीरवार को जाकर शीश झुकाने व मन्नत करने वालों से कुछ प्रश्न :-
1.क्या एक कब्र जिसमे मुर्दे की लाश मिट्टी में बदल चुकी है वो किसी की मनोकामना पूरी कर सकती हैं?
2. ज्यादातर कब्र या मजार उन मुसलमानों की हैं जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए
थे, उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने प्राण धर्म की रक्षा करते हुए बलि वेदी पर समर्पित कर दियें थे?
3. क्या हिन्दुओ के राम, कृष्ण अथवा ३३ प्रकार देवी देवता शक्तिहीन हो चुकें हैं जो मुसलमानों की कब्रों पर सर पटकने के लिए जाना आवश्यक हैं?
4. जब गीता में श्री कृष्ण जी महाराज ने कहाँ हैं की कर्म करने से ही सफलता प्राप्त होती हैं तो मजारों में दुआ मांगने से क्या हासिल होगा?"यान्ति देवव्रता देवान्
पितृन्यान्ति पितृव्रताः
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति
मद्याजिनोऽपिमाम्" श्री मद भगवत गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि भूत प्रेत, मुर्दा, पितृ (खुला या दफ़नाया हुआ अर्थात् कब्र,मजार अथवा समाधि) को सकामभाव से पूजने वाले स्वयं मरने के बाद भूत- प्रेत व पितृ की योनी में ही विचरण करते हैं व उसे ही प्राप्त करते हैं l
5. भला किसी मुस्लिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, हरी सिंह नलवा आदि वीरो की स्मृति में कोई स्मारक आदि बनाकर उन्हें पूजा जाता हैं तो भला हमारे ही देश पर आक्रमण करनेवालो की कब्र पर हम क्यों शीश झुकाते हैं?
6. क्या संसार में इससे बड़ी मूर्खता का प्रमाण आपको मिल सकता हैं?
7. हिन्दू कौनसी ऐसी अध्यात्मिक प्रगति मुसलमानों की कब्रों की पूजा कर प्राप्त
कर रहे हैं जो वेदों- उपनिषदों मेंकहीं नहीं गयीं हैं?
8. कब्र, मजार पूजा को हिन्दू मुस्लिम सेकुलरता की निशानी बताना हिन्दुओ
को अँधेरे में रखना नहीं तो क्या हैं ?आशा हैं इस लेख को पढ़ कर आपकी बुद्धि में कुछ प्रकाश हुआ होगा l अगर आप आर्य राजा श्री राम और श्री कृष्ण जी महाराज की संतान हैं तो तत्काल इस मुर्खता पूर्ण अंधविश्वास को छोड़ दे और अन्य हिन्दुओ को भी इस बारे में बता कर उनका अंधविश्वास दूर करे| अपने धर्म को जानिए l इस अज्ञानता के चक्र में से बाहर निकलिए lनोट : पृथ्वी राज चौहान की समाधि पर कंधार अफगानिस्तान में जुतिया झाडी जाती थी ।उचित लगे तो जनजागरण हेतू शेयर करें ।

पासी को मनवाया गया है की वह अछूत हैं, लोग उन्हें दलित और महादलित भी बना दिए हैं, पासी मुझ से अक्सर पूंछते थे और हैं की पासी अगर महाराजा थे इतने सारे तो वह अछूत कैसे हुवे/ बहुत लोगों से पूछने के बाद मुझे बताया गया की "पासी धर्म" अलग है/गाँजर के युद्ध में हिन्दू सेना बुरी तरह पराजित हो गयी थी, राजा जैचंद को महाराजा सातन पासी ने बंदी बना लिया था, राजा पृथ्वीराज चौहान को "साथ" देना था परन्तु वह राजा जैचंद की पुत्री संयोगिता का "हाथ" लेकर चले गए, जैचंद ने माफ़ी मांग कर जान बचाई और मोहम्मद गोरी से गठबंधन किया विस्वसघात का बदला लेनाके लिए/ उसके बाद पूरे देश से हिन्दू राज्य समाप्त हो गए/ केवल पासी महाराजा ही बचे थे और उनकी ही शरण में हिन्दू रहने लगे थे, आज भी मुस्लमान बस्ती और हिन्दू की बस्ती के बीच में पासी धर्म को मानने वालों की बस्ती मिल जाती है/ पासी महाराजा हिन्दू सेना के हाथियों के खिलाफ "गाय" और मुस्लिम सेना के खिलाफ"सूअर" को हथियार की तरह इस्तेमाल करते थे/ इसीलिए पसियों को न कभी हिन्दू पराजित कर पाये और न मुस्लमान/ सुरु-२ में सय्यद सालार गाज़ी ने भूल से पसियों पर आक्रमण कर दिया था मगर महाराजा सुहेलदेव पासी के नेतृत्व में पासी सेना ने सवा लाख सैनिको को सहीद कर दिया था बाकि की लाखों की सेना तो बिना लड़े ही भाग गयीथी/ पासियों को "हिन्दू रक्छक" कहा जाता है/

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