शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

राष्ट्रीय जनमानस कि भाषा -हिंदी

                                  विचारों के आदान-प्रदान का सबसे बड़ा माध्यम भाषा ही होती है |जिस भाषा मे जितने अधिक लोग अपने विचार और संवेदनाएँ प्रगट करते है ,वहीं भाषा उतनी ही श्रेष्ठ और व्यापक होती है |इस दृष्टि से हिन्दी भाषा सम्पूर्ण विश्व में सर्वश्रेष्ठ है |यदि हम राष्ट्रीय परिवेश की बात करे ,तो यह तथ्य सहजता से स्वीकार किया जा सकता है ,की हिन्दी भाषा ही समूचे भारत राष्ट्र की अभिव्यक्ति का प्राचीनकाल से ही विशिष्ट माध्यम रही है |राष्ट्र की सामाजिक ,सांस्कृतिक धरोहर को हिन्दी भाषा ने ही आज तक सुरक्षित रखा है |क्यों की हिन्दी भाषा विचारों संवाहिक प्राचीन काल से ही रही है |सच तो यह है ,की हिन्दी भाषा ही भारतीय जनमानस की भाषा है |
           हिन्दी भाषा के वास्तविक स्वरूप का निर्माण विभिन्न बोलियों और भाषाओ के मिश्रण से हुआ है | इससे स्पष्ट होता है ,की इसमें आत्मसात की अद्भुत  क्षमता है |इसके इतिहास की व्यापक परम्परा रही है |इस दृष्टि से भी हिन्दी को पूरे भारतीय जनमानस ने स्वीकार किया है |देश की स्वतंत्रता और हिन्दी भाषा के योगदान के बारे में विचार करे तो एक तथ्य सहज में ही हमारे सामने आता है की देश को स्वतन्त्र करने में हिन्दी का सबसे बड़ा योगदान रहा है |अंग्रेजो के विरोध में समूचे देश में एक राष्ट्रीय वातावरण बनाने में हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा योगदान रहा है |पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक देश की जनता को हिन्दी भाषा ने जोड़ रखा था |क्योंकि सच्चे अर्थो में हिन्दी भाषा ही प्राचीन समय से ही राष्ट्र की सामाजिक संवाहिका रही है |
           हिन्दी भाषा के सामाजिक और राष्ट्रीय महत्त्व को ध्यान में रख कर ही सन १९१७ में पूज्य राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने ही हिन्दी भाषा को ही कलकत्ता के एक अधिवेशन में राष्ट्र भाषा का दर्जा दिया था ,तथा सभी देशवासियों से हिन्दी भाषा को ही राष्ट्रभाषा बनाने की अपील की थी |हिन्दी भाषा की सर्व ग्राहता को देखकर ही हमारे राष्ट्र के पुरोधा हमेशा से ही हिन्दी के पक्ष में थे |गुजरात में स्वयं महात्मा गाँधी ,महाराष्ट्र में बालगंगाधर तिलक ,पंजाब से पंजाब केशरी लाला लाजपत राय ,कश्मीर से जवाहरलाल नेहरु तथा सम्पूर्ण दक्षिण भारत से सी.राजगोपालाचार्य आदि देश भक्तो ने हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा के रूप में स्वीकार किया था |क्योंकि गुलामी के समय देश में अंग्रेजो के डर के कारण जो विपरीत वातावरण था ,उसमे भी हिन्दी भाषा ने समूचे देश को एकसूत्र में बाँधकर रखा तथा देश की जनता को निर्भयता प्रदान की |
          वर्तमान समय में हम देखे तो चाहे अन्ना हजारे का आन्दोलन हो या फिर बाबा राम देव का |दोनों को जो सफलता मिली है वह हिन्दी के बल पर ही सम्भव हुई है |अन्ना हजारे तो मूल रूप से मराठी भाषी है ,लेकिन उन्हें विदित है की वे भारतीय जनमानस को हिन्दी भाषा के बल पर ही जोड़ कर रखा जा सकता है |श्रीमती सोनिया गाँधी ने देश की जनता तक अपनी बात पहुचने के लिए हिन्दी सीखी |कितने ही अहिन्दी भाषी राजनेताओं और अधिकारियो ने जनता में अपनी पैठ बनाने के लिए हिन्दी भाषा को सीखा है |क्योंकि इन सबको विदित है ,की हिन्दी भाषा के बिना न तो भारतीय समाज को पूर्ण रूप से समझ पाएंगे और न ही अपने विचारों को समाज तक पहुंचा पाएँगे |क्योंकि सामाजिक ,सांस्कृतिक और राष्ट्रीय धरातल पर एक मात्र हिन्दी भाषा ही भारतीय समाज का प्रतिनिधित्व करती है |वर्तमान में हिन्दी भाषा का जो थोडा बहुत यहाँ वहाँ विरोध हो रहा है वह मात्र राजनैतिक स्वार्थ के लिए है  |विरोध करने वालो को मालूम है की हिन्दी भाषा के बिना देश का प्रतिनिधित्व नही किया जा सकता है क्योंकि हिन्दी जन-जन के मन की भाषा |

                                                                                               डा.मुनीन्द्र दुबे
                                                                                               परियोजना परिसर
                                                                                               सैलाना  जिला -रतलाम
                                                                                                          (म.प्र.)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें