शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

भौतिकवादी -अरुण भार्गव

                                          हर व्यक्ति का भौतिकवादी बनना काफी सरल काम है और है भी दुनिया के सभी लोग भौतिकवादी ही है ,ये अलग बात है कि कुछ लोग अध्यात्म का नाम लेकर ,आत्मा अमर है ,शरीर नश्वर है ,यही कहते -कहते मर जाते है ,पर हासिल क्या हुआ ,,वो सोचते है पुनः हमारा जन्म होगा और अपने कर्मो को सुधार लेंगे ,पर ऐसा कब होगा ,,उसे ही पता नही ,,एक ऐसी शक्ति(अद्रश्य ) के ऊपर भी विश्वास करता है जिसे सारी उम्र भी लग जाने के बाद भी मिलना नही हो पाता ,और जीवन कि सारी घटनाओं को उस शक्ति से जोड़ कर अपने अनुभव को लोगो के सामने बड़ी शेखी के साथ बखान करता रहता है ,,पर भौतिकतावाद में कम से कम जो हम कहते है वह लोगो को बता तो सकते है उसे स्पर्श करके भी बता सकते है ,,लोगो का प्रकृति के ऊपर विजय पाने का एक विज्ञान है !!!
मौज -इस भौतिकतावादी दुनिया में मानव को रोटी,कपडा,मकान के अलावा और भी अवश्कताए है ,,जिसे वह हमेशा अपने बहुबल,बुद्धिबल के प्रयोग से निरंतर पाने का प्रयत्न करता है ,,,बुद्दिवादी लोग विकाशशीलता कि बात करते है ,,और यह काम अध्यात्म के द्वारा सम्भव नही है ,,इसके द्वारा कुछ तथाकथित लोग ही अध्यात्म कि दुकान चलाकर मौज कर सकते है ,,जब कि ऐसे लोगो का देश समाज के विकास में इनका योगदान नगण्य रहता है
इसके लिए भगत सिंह जैसे लोगो कि आवश्कता है ,जो ऐसी व्यवस्थाओं का समूल नष्ट कर एक समाजवादी स्वरूप को अपनाया जाए ,जिससे सभी को बराबरी का न्याय प्राप्त हो सके ,,सभी को एक समान रहने के लिए इस विचारधारा को भी अपनाया जा सकता है ,वरन हम इसके लिए प्रयास करे ,,
    आज के इस दौर में हम अध्यात्मवादी ज्यादा बनते जा रहे है ,,निर्मल बाबा जैसे लोग समाज को लूटते जा रहे है ,जनता है कि मानती ही नही है ,,हम जिस विकासशील देश कि कल्पना करते है ,वो ऐसे ही अध्यात्मवादियो के कारण खोखला होता जा रहा है ,,देश समाज को जिन्दा रहने के लिए भोजन कि आवश्यकता होती है ,जिसका उत्पादन मेहनतकश मजदूरो के द्वारा होता है ,पर हमारा समाज भी दो वर्गों में बटा है शोषक और शोषित ,,,शोषक तो कुछ गिने चुने लोग ही है पर शोषितों कि जनसंख्या तो ८० प्रतिशत ही है ,,भारतीय समाज में जाति व्यवस्था भी इसके दुखदाई कारणों में से मुख्य है ,,आज देश को आजाद हुए ६५ वर्ष बीत गए ,पर इन जातिवादियो कि मानसिक गुलामी आज भी कठोर पत्थर कि भांति मौजूद है ,,,     

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