गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

अल्लाह

रसूली उन्माद या पागलपन




जब किसी पुस्तक को धर्मग्रन्थ कहा जाता है,तो लोगों को ऐसा लगता है कि जरुर इस पुस्तक में ,जनकल्याण . आत्मोन्नति ,सदाचार और समाजसुधार की शिक्षा दी गयी होगी .कुरान भी एक ऐसी किताब है ,मुसलमान जिसे अल्लाह की किताब होने का दावा करते हैं .लेकिन जिस दिन से ही कुरान संकलित की गयी थी ,उसी समय से ही आजतक उसकी बेतुकी ,अटपटी ,अर्थहीन और परस्पर विरोधी बातों पढ़कर लोग कहते हैं कि कुरान अल्लाह की किताब नहीं बल्कि किसी ऐसे व्यक्ति की रचना है ,जिसका मानसिक संतुलन ठीकनहीं होगा ,या वह व्यक्ति अति कल्पनाशील व्यक्ति होगा .या उसे मतिभ्रम हो गया होगा .उससमय जो लोग मुहम्मद साहब के बारे में ठीक से जानते थे वह मुहम्मद साहब के बारे में जो कहते थे वह कुरान में इस प्रकार कहा गया है ,
1-दिवास्वप्न का रोगी
ऐसे लोग जागते हुए भी सपना देखते हैं , और उनको सपने की बात सच लगती है ,इस रोग को Day dreamigया disambiguation-कहा जाता है
.लोग कहते हैं कि इसकी बातें दिवास्वप्न की तरह हैं ,जिसे इसने अपनी कल्पना से गढ़ लिया है “सूरा -अल अम्बिया 21:5
इसी रोग के कारण मुहम्मद साहब को दिन में भी सपने में अद्भुत नज़ारे दिखते थे . कुरान में कहा है .
शहर के परले पार बेर के पेड़ के पास ,जन्नत केबिलकुल पास , जब बेर पर कुछ छाया सी पड़ी तो मैनें अल्लाह की निशानियाँ देखीं “
सूरा -नज्म 53:14 से 18
हदीस में इस आयत का खुलासा इस प्रकार दिया गया है , देखिये यह हदीस ,
अब्दुल्लाह ने कहा कि एक बार रसूल एक पेड़ सेटिक कर आराम कर रहे थे ,तो उन्होंने कहा मैंने देखा कि पूरे आसमान में क्षतिज तक हरे रंग का गलीचा बिछा हुआ है . फिर उन्होने कुरान की सूरा-नज्म की 14 से 18 तक की आयत सुना दी,,“सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 456
2- पागल कवि
लोग कहते हैं यह एक पागल कवि है “सूरा -अत तूर 52:30
लोग बोले कि इसके अन्दर पागलपन भरा है “सूरा -अल मोमिनून 23:70
( there is madness in him )
लोग खाते हैं कि यह एक उन्मादी कवि है “सूरा -साफ्फात 37:36
3-मुहम्मद चालाकी
जब लोग मुहम्मद को पागल कहने लगे तो उन्होंने लोगों भरोसा दिलाने के लिए यह आयतें सुना दी .
मुहम्मद को न कोई उन्माद हुआ और न यह भूतग्रस्त है “सूरा -आराफ 7:184
(Muhamad not mad and possessed )
हे नबी तुम साथियों से कहो कि तुम्हारा यह साथी (मुहम्मद ) पागल नहीं हुआ “सुरा -तकबीर 81:22
हे नबी तुम खड़े ......हो जाओ और दो एक अपने लोगों को साथ ले लो जो लोगों से कहें कि हमारा साथी पागल नहीं हुआ “सूरा -सबा 34:46
” हे नबी तुम पर तुम्हारे रब की कृपा है कि तुम अभीतक पागल नहीं हुए “सूरा -कलम -68:2
4-पागल कहने से नाराज
यद्यपि मुहम्मद साहब ने पूरा प्रयास किया किलोग उनको पागल नहीं कहें , फिर भी यदि कोई पागल कह देता था ,तो वह उसे जहन्नम का भय दिखाते थे ,
और जिन लोगों ने हमारा आदर पूर्वक अभिवादन नहीं किया ,उनके लिए तो जहन्नम ही ठिकाना है “सूरा -मुजादिला 58:8
5-काल्पनिक फ़रिश्ता
मुहम्मद साहब ने लोगों में यह बात फैला रखी थी ,कि मैं तो अनपढ़ हूँ ,मैं कुरान की आयतें कैसे लिख सकता हूँ . मुझे तो अल्लाह अपने खास फ़रिश्ते जिब्रील (Gabriel ) द्वारा कुरान की आयतें भेजता रहता है .और यह वही फ़रिश्ता है,जिसका उल्लेख तौरेत और इंजील में किया गया है .मुहम्मद साहब यही बातें अपनी सबसे छोटी पत्नी आयशा से भी कहते थे .जो एक बच्ची और नादान थी .मुहम्मद साहब को लगा कि उनकी गप्पों पर आयशा विश्वास कर लेगी . इस लिए एक दिन उन्हों आयशा से जो कहा था वह इस हदीस में दिया है ,
“अबू सलमा ने कहा कि अचानक रसूल ने आयशा को पुकार कर कहा ,आयशा वहां देखो जिब्रील खड़ा है ,जो तुम्हें सलाम कर रहा है ,तुम उसके सलामका जवाब दो .आयशा बोली लेकिन मुझे वहां कोई दिखाई दे रहा है .बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 440
इसीतरह जब लोगों ने जब मुहम्मद साहब से उस फ़रिश्ते के आकार प्रकार ,रंगरूप के बारे मेंसवाल किया तो मुहम्मद साहब ने बड़ी चालाकी से यह जवाब दे दिया , जो इस हदीस में दिया है ,
“ याह्या बिन सुलेमान ने कहा कि रसूल ने बताया कि एकबार जिब्रील ने मेरे घर आने का वादा किया था ,मगर दीवार पर एक कुत्ते की तस्वीर देख कर वह डर गया .और वापिस चला गया . बुखारी,,,6-कुरान में बेतुकी आयतें
इतना होने पर भी मुहम्मद साहब फ़रिश्ते के बहाने कुरान में बेतुकी ,निरर्थक , और बेसिर पर की आयतें बनाते रहे , जिसके कुछ नमूने देखिये
-”कसम है उनकी ,जो पंक्तिबद्ध हो जाते हैं .औरफिर डाँटते हैं .और झिड़कते हैं .फिर इसका जिक्र करते हैं ” सूरा-अस साफ्फात 37 :1 से 3
-”कसम है तूर की .और लिखी हुई किताब की .और खुले हुए पर्ण)(parchament) की .और अपने घर की ऊंची छत की “सूरा -अत तूर 52 :1 से 4
-”कसम है उनकी जो आखिरी सीमा तक जा ......लेते हैं.और इधर उधर निकल लेते हैं .और उतराते(float) हैं “सूरा -अन नाजिआत 79 :1 से 3
-”कसम है उनकी जो हिनकारते है ,फिर आग झाड़ते हैं “सूरा -आदियात 100:1-2
वह खड़खडाने वाली चीज , क्या है वह खड़खडाने वाली चीज “सूरा -अल कारिया 101:1-2
और जब लोग कुरान की ऐसी ही पागलपन की बातें सुन सुन कर ऊब गए तो मुहम्मद साहब ने लोगों को यह आयत सुना दी ,
“और तुम्हारे रब ने अबतक तुम्हें नहीं छोड़ा और न तुम से ऊब गया है “सूरा -अज जुहा 93:3
7-अल्लाह ने मुहम्मद की बुद्धि छीन ली
यह एक अटल सत्य है कि जैसे हरेक ढोंगी ,पाखंडीऔर झूठे लोगों का एक न एक दिन भंडा जरुर फूट जाता है . उसी तरह आखिर मुहम्मद साहब को स्वीकार करना पड़ा की उनकी बुद्धि अल्लाह नेछीन ली थी .जैसा इस प्रमाणित हदीस में दिया है,
उबदा बिन अस्सामित ने कहा कि जब लोग रमजान महीने की रात लैलतुल कद्र की सही तारीख के बारे में बहस कर रहे तो ,रसूल बोले मैं तुम्हें सही तारीख इस लिए नहीं बता सकता , क्योंकि अल्लाह ने मेरी बुद्धि छीन ली है knowledge was taken away....
सही बुखारी -जिल्द 1 किताब 2 हदीस 47
निष्कर्ष - इस्लाम के प्रचारक कितने भी कुतर्क करें ,और कुरान को अल्लाह की किताब साबित करने का कितना प्रयास करें ,लेकिन हदीससे यह सिद्ध हो चूका है कि अल्लाह ने ही मुहम्मद साहब की बुद्धि छीन ली थी .और ऊपर से मुस्लिम विद्वान् यह भी दावा करते हैं कि मुहम्मद साहब अनपढ़ थे . और यही कारण कि कुरानमें जगह ,जगह बेतुकी ,ऊंटपटांग ,निरर्थक और मानवता विरोधी बातों की भरमार है .और ऐसी बातें सिर्फ एक विक्षिप्त , व्यक्ति ही कह सकता है , जिसकी बुद्धि नष्ट हो गयी हो .
और कुरान को वही लोग मान सकते हैं जिनकी बुद्धि छिन गयी हो . हमारी बुद्धि अभी तक सुरक्षित है

मूर्ति पूजा

~~मूर्तिपूजा की हानिया~

* पहली – दुष्ट पूजारियों को धन देते है वे उस धन को वेश्या , परस्त्रीगमन , शराब-मांसाहार , लड़ाई बखेड़ों में व्यय करते है जिस से दाता का सुख का मूल नष्ट होकर दु:ख होता है ।

* दूसरी – स्त्री-पुरुषों का मंदिरों में मेला होने से व्याभिचार , लड़ाई आदि व रोगादि उत्पन्न होते है ।

* तीसरी – उसी को धर्म , अर्थ , काम और मुक्ति का साधन मानके पुरुषार्थरहित होकर मनुष्यजन्म व्यर्थ गवाता है ।

* चौथी – नाना प्रकार की विरुद्धस्वरूप नाम चरित्रयुक्त मूर्तियों के पूजारियों का ऐक्यमत नष्ट होके विरुद्धमत में चल कर आपस में फूट बढ़ा के देश का नाश करते है।

* पांचवी – उसी के भरोसे में शत्रु का पराजय और अपना विजय मान बैठते है । उन का पराजय होकर राज्य , स्वातंत्र्य और धन का सुख उनके शत्रुओं के स्वाधीन होता है और आप पराधीन भठियारे के टट्टू और कुम्हार के गदहे के समान शत्रुओं के वश में होकर अनेकविधि दु:ख पाते है ।

* छठी – भ्रान्त होकर मन्दिर-मन्दिर देशदेशान्तर में घूमते-घूमते दु:ख पाते , धर्म , संसार और परमार्थ का काम नष्ट करते , चोर आदि से पीड़ित होते , ठगों से ठगाते रहते है ।

* सातवी – जब कोई किसी को कहे कि हम तेरे बैठने के स्थान व नाम पर पत्थर धरें तो जैसे वह उस पर क्रोधित होकर मारता वा गाली देता है वैसे ही जो परमेश्वर की उपासना के स्थान हृदय और नाम पर पाषाणादि मूर्तियां धरते है उन दुष्टबुद्धिवालों का सत्यानाश परमेश्वर क्यों न करे ?    

* आठवी – माता-पिता आदि माननीयों का अपमान कर पाषाणादि मूर्तियों का मान करके कृतघ्न हो जाते है।

* नवमी – भ्रांत होकर मंदिर-मंदिर देशदेशांतर में घूमते-घूमते दु:ख पाते, धर्म, संसार और परमार्थ का काम नष्ट करते, चोर आदि से पीड़ित होते, ठगों से ठगाते रहते है।

* दशवी – दुष्ट पुजारियों को धन देते है वे उस धन को वेश्या, परस्त्रीगमन, मांस-मदिरा, लड़ाई-बखेड़ों में व्यय करते है जिस से दाता का सुख का मूल (अच्छे कर्म) नष्ट होकर दु:ख होता है।

* ग्यारहवाँ – उन मूर्तियों को कोई तोड़ डालता व चोर ले जाता है हा-हा करके रोते है।

* बारहवाँ – पुजारी परस्त्रीगमन के संग और पुजारिन परपुरुषों के संग से प्राय: दूषित होकर स्त्री-पुरुष के प्रेम के आनन्द को हाथ से खो बैठते है।

* तेरहवाँ – स्वामी सेवक की आज्ञा का पालन यथावत न होने से परस्पर विरुद्धभाव होकर नष्ट-भ्रष्ट हो जाते हैं।

* चौदहवां – जड़ का ध्यान करने वाले का आत्मा भी जड़-बुद्धि हो जाता है क्योंकि ध्येय का जड़त्व धर्म अन्त:करण द्वारा आत्मा में अवश्य आता है।

* पन्द्रहवां – परमेश्वर ने सुगन्धियुक्त पुष्पादि पदार्थ वायु जल के दुर्गन्ध निवारण और आरोग्यता के लिए बनाये हैं। उन को पुजारी जी तोड़ताड़ कर न जाने उन पुष्पों कितने दिन तक सुगन्धि आकाश में चढ़ कर वायु जल की शुद्धि करता और पूर्ण सुगन्धि के समय तक उस का सुगंध होता है; उस का नाश करके मध्य में ही कर देते हैं। पुष्पादि कीच के साथ मिल-सड़ कर उल्टा दुर्गन्ध उत्पन्न करते है। क्या परमात्मा ने पत्थर पर चढ़ाने के लिए पुष्पादि सुगन्धियुक्त पदार्थ रचे है।

* सोलहवां – पत्थर पर चढ़े हुए पुष्प, चन्दन और अक्षत आदि सब का जल और मृतिका (मिट्टी) के संयोग होने से मोरी या कुंड में आकर सड़ के इतना उस से दुर्गन्ध आकाश में चढ़ता है कि जितना मनुष्य के मल का। और सैकड़ों जीव उसमें पड़ते उसी में मरते और सड़ते है।

सतरहवां-मूर्ति पूजा ईश्वर की आज्ञा का उलंघन होने से पाप है  वेदों में केवल अष्टांग योग द्वारा ही उसकी उपासना का उपदेश किया गया है l

ऐसे-ऐसे अनेक मूर्तिपूजा के करने में दोष आते हैं। इसलिए सर्वथा पाषाणादि मूर्तिपूजा सज्जन लोगों को त्याग देनी योग्य है। और जिन्होंने पाषाणमय मूर्ति की पूजा की है , करते है , और करेंगे। वे पूर्वोक्त दोषों से न बचें; न बचते है, और न बचेंगे।भारत के पतन और पराधीनता का मुख्य कारण भी मूर्ति पूजा ही है l
दुनिया होई बावरी पात्थर पूजन जाए,घर की चाकी कोई न पूजे जिसका पीसा खाए-संत कबीर

शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

रेत

               MOTIVATION
एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये
और उन्होंने छात्रों से कहा कि वेआज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं
...उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी बरनी ( जार ) टेबल पर रखा
और उसमेंटेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे
जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची .
..उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ?
हाँ ...आवाज आई ...
फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये ,फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ ... कहाअब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई , अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे ...फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ.. अब तो पूरी भर गई है .. सभी ने एक स्वर में कहा ..सर ने टेबल के नीचे सेचाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली , चाय भी रेत के बीच स्थितथोडी सी जगह में सोख ली गई ...प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु कियाइस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो ....टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान , परिवार , बच्चे , मित्र , स्वास्थ्य और शौक हैं ,छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी , कार , बडा़ मकान आदि हैं , औररेत का मतलब और भी छोटी - छोटी बेकार सी बातें , मनमुटाव , झगडे़ है ..अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती , याकंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते , रेत जरूर आ सकती थी ...ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है ...यदि तुम छोटी - छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगेऔर अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समयनहीं रहेगा ...मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है । अपनेबच्चों के साथ खेलो , बगीचे में पानी डालो , सुबह पत्नीके साथ घूमने निकल जाओ ,घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको , मेडिकल चेक - अप करवाओ ...टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो , वही महत्वपूर्ण है ... पहले तय करो कि क्या जरूरी है... बाकी सब तो रेत है ..छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे ..अचानक एक ने पूछा , सर लेकिन आपने यह नहीं बतायाकि " चाय के दो कप " क्या हैं ?प्रोफ़ेसर मुस्कुराये , बोले .. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया ...इसका उत्तर यह है कि , जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण औरसंतुष्ट लगे , लेकिन .अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये ।

रेत

               MOTIVATION
एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये
और उन्होंने छात्रों से कहा कि वेआज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं
...उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी बरनी ( जार ) टेबल पर रखा
और उसमेंटेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे
जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची .
..उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ?
हाँ ...आवाज आई ...
फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये ,फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ ... कहाअब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई , अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे ...फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ.. अब तो पूरी भर गई है .. सभी ने एक स्वर में कहा ..सर ने टेबल के नीचे सेचाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली , चाय भी रेत के बीच स्थितथोडी सी जगह में सोख ली गई ...प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु कियाइस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो ....टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान , परिवार , बच्चे , मित्र , स्वास्थ्य और शौक हैं ,छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी , कार , बडा़ मकान आदि हैं , औररेत का मतलब और भी छोटी - छोटी बेकार सी बातें , मनमुटाव , झगडे़ है ..अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती , याकंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते , रेत जरूर आ सकती थी ...ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है ...यदि तुम छोटी - छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगेऔर अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समयनहीं रहेगा ...मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है । अपनेबच्चों के साथ खेलो , बगीचे में पानी डालो , सुबह पत्नीके साथ घूमने निकल जाओ ,घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको , मेडिकल चेक - अप करवाओ ...टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो , वही महत्वपूर्ण है ... पहले तय करो कि क्या जरूरी है... बाकी सब तो रेत है ..छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे ..अचानक एक ने पूछा , सर लेकिन आपने यह नहीं बतायाकि " चाय के दो कप " क्या हैं ?प्रोफ़ेसर मुस्कुराये , बोले .. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया ...इसका उत्तर यह है कि , जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण औरसंतुष्ट लगे , लेकिन .अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये ।

बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

गांधीजी

http://khabarkikhabar.com/archives/1237

भारत को एक लंबे संघर्ष और असीमित बलिदान के बाद 15 अगस्त-1947 को आज़ादी मिली. अभी आजादी का जशन पूरी तरह मनाया भी नही गया था के हमाराराष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मार कर कर दि.इस तरह स्वतंत्र भारत का ए पहला आतंकवादी घटना था और नाथूराम गोडसे स्वतंत्र भारत का प्रथम आतंकवादी था.बहुत आश्चर्य होता है जब आज नाथु राम गोडसेको कुछ संप्रदायिक पार्टीयो द्वारा गोडसे को एक राष्ट्रीए हीरो बनाने की कोशिश चल रही है. इस आतंकवादीको पैदा करने वाला संगठन आर.एस . एस था. इस संगठन की बुनियाद 1925 मे विजयदशमी के दिन केशव हेडगोवार ने रखी जिस का मक़सद हिन्दुत्व के कॉन्सेप्ट को आयेज बडाना था. इस संगठन ने आजादी की लड़ाई मे कभी भी हिस्सा नही लिया बल्के बहुत से दस्तावेज़ से साबित होता है के संघ अंग्रेज़ो की चतुराई मे लगा रता था. संघ ने हमेशा भगवा झंडे को तरजीह दी कभी भी ए लोग राष्टिये झंडे को सल्यूटनही किया.सत्य- अहिंसा के सबसे बड़े प्रवर्तक महात्मा गाँधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को कर दी गई थी, लेकिन उनकी हत्या की साजिश रचने वालों ने इससे कुछ दिन पहले भी 20 जनवरी को एक प्रार्थना सभा में बापू को मारने का प्रयास किया था हालाँकि वे इसमें असफल रहे।बहरहाल, अगर 20 जनवरी के हादसे को गंभीरता से लिया गया होता तो शयेद बापू बच गयेहोते.गाँधी जी के हत्या का कारण पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिये सरकार को बाध्य करना और उन का मुस्लिमो के प्रति प्रेम बताया जाता है.लेकिन गन्ही जी के पौत्र तुषार गाँधी बापू की हत्या का यी करण नही मानते, उन्हो ने अपनी पुस्तक ‘ लेट्स किल गाँधी” मे लिखा हैके गाँधी जी की हत्या पूर्वनियोजित थी और ब्राह्मण का एक समुदाय जो हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहता था, उसी ने हत्या करवाया क्योके वे गाँधी जी को अपने राह मे रोड़ा समझती थी.Why Godse killed Gandhi पुस्तक मे व. टी. राजशेखर लिखते है के गाँधी जी की हत्या के बारे मे संघ को पहलेसे ही मालूम था, जैसे ही हत्या की खबर मिली मिन्टो मे ही पूरे भारत मे मिठाये संघ के द्वारा बांटी गयी. जिस से लोग नाराज़ हो कर महाराष्ट्रऔर कर्नाटक मे लोगो ने बहुत से ब्राह्मणो के घर मे आग लगादी.गाँधी जी हत्या का समय गोवालकर मद्रास मे ब्राह्मणो के एक सभा मे उपस्थित थे, उस के बाद वे नागपुर वापस आ गये, मगर 1 फरवरी 1948 को रात्रि मे उन्हे गाँधी जी की हत्या मे शामिल होने पे गिरफ्तार कर लिया गया. 4 फरवरी को संघ पर पूरे देश मे प्रतिबंध लगा दिया गया. गृह मंत्री सरदार पटेल 18 जुलाइ-1948 के एक पत्र मे श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखा के हमारे रिपोर्ट के अनुसार संघ और हिन्दू महासभा खासतौर से संघने देश मे घ्रणा का ऐसा माहौलबनाया जिस के करण गाँधी जी कीहत्या हो गयी. 11 सितंबेर 1948 को एक और पत्र मे पटेल ने लिखा के जिस तरह गाँधी जी के हत्या के बाद संघ वालो ने खुशी जाहिर की और मिठायी बांटी जिस के करण लोगो मे नाराजगी बड गयी, इसी कारण संघपर प्रतिबंध लगाना पड़ा.अब हम आप को गाँधी जी की हत्या के पीछे का एक और सच बताने जा रहा हु जो के संघ की साम्प्रदायिकता जेहनीयात मेपैदा हुआ था, क्यो के गाँधी जी की हत्या पूर्वनियोजित थीइस लिये नाथूराम गोडसे का बंगलोर के एक हॉस्पिटल मे खतना -(Circumcision कराया गया ताके मारने वाला मुसलमानप्रतीत हो सके, जिस के कारण जब ए खबर फैले गी तो मुसलमानोका क़त्लेआम शुरु हो जाये गा, मगर किस्मत का खेल देखिये के जैसे ही गाँधी जी को नाथूराम गोडसे ने गोली मारी वहा पे एक मौजूद आदमी ने कहा के ए नाथु तुम ने ए क्या कर दिया?. हत्या के कुछ देर बाद प्रधानमंत्री जवाहर लल नेहरू ऑल इंडिया रेडियो पे आये और उन्हो ने एलान किया के‘ बहुत अफसोस के साथ कहना पड रहा है के आज एक पागल हिन्दू ने गाँधी जी की हत्या कर दी.अब आप स्वंय देखे के आजादी केपहले और बाद मे संघ ने सिर्फ देश के खिलाफ ही काम किया है, और उन के बहुत से सदस्यो ने भी राष्ट्र के लिये काम नही किया है. इसे दुर्भाग्यपूर्णही काहे गे के संघ के सदस्य अटल बिहारी बाजपायी जो के अंग्रेज़ो से लिखित माफी भी मांग चुके है और वो पत्र आउटलुक मे भी प्रकाशित हो चुका है भारत के प्रधानमंत्री बी बन चुके है. इस लिये हम कह सकते है के नाथु रम गोडसे स्वतंत्र भारतका पहला आतंकवादी था और संघ आतंकवाद पैदा करने वाला प्रथम संगठन था.

मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

डॉ.भीमराव अम्बेडकर

सिंधराज परमारजय भिम जय मूलनिवासी साथियोअगर तुम एक सच्चे अंम्बेडकरवादी हो तो ईसे पुरा पढे एवं ज्यादा से ज्यादा सेयर करे !डॉ.भीमराव अम्बेडकर के बारे में ऐसे तथ्यजो छिपे हुएहै________________________________________(प्रो.एवं इतिहासकार श्रीमान TararamGautam सेमिली जानकारी का हिन्दी अनुवाद)कृपया अपना कीमती समय निकालकर डॉ. भीमरावअम्बेडकर बारे मेंछिपी बेशकीमती वास्तविकता को जानने का श्रमकरें....अम्बेडकर के महान कार्य :-एक भारतीय युवा के रूप में डॉ.भीमराव अम्बेडकरकी अधिकांश जानकारियों को साझा करते हुएख़ुशी और गर्व महसूस होता है |हमारे "आधुनिक भारत के संस्थापक और पिता" केबारेमें अज्ञात तथ्य -क्रांतिकारी डॉ .बाबासाहेब अम्बेडकर :-आप सभी से मेरा विनम्र अनुरोध है की इसे पढ़ने केबाद आगे से आगे साझा (share) करे-1 . कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय इंग्लैंड2011(विश्वका शीर्ष विश्वविद्यालय) के अनुसारदुनिया का पहला प्रतिभाशाली केवल एक भारतीयव्यक्ति डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर है, जो इसविश्वविद्यालय में सबसे शीर्ष स्थान पर रहा.2 . प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार पाने वाले 6वेभारतीयअर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन का दावा हैकि डॉ.बी. आर. अम्बेडकर अर्थशास्त्र में मेरे पिता है".3. भारत के प्रथम विधि/कानूनमंत्री बाबा साहेबडॉ. अम्बेडकर द्वारा भारतीय महिलाओं केउत्थानके लिए बनाया गया "हिंदू कोड बिल'' जबप्रधानमंत्री नेहरू द्वारा पारित न हो सका तबबाबा साहब अम्बेडकर ने पद से इस्तीफा देदिया |लेकिन यह दुर्भाग्य की बात रही महिलाओं का एकभी संगठन इसके लिए आगे आकर बात नहीं करसका |भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिएबाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर ने इसके लिए बहुतप्रयासकिया | तीन साल तक उन्होंने इस बिल को पारितकरवाने के लिए लड़ाई लड़ी, उन्होंने कहा की यहबिलभारतीय महिलाओं को गरिमा वापस दे रहा है ; औरलड़कों और लड़कियों को समान अधिकार देनेकी बात करता है |मगर श्यामा प्रसाद मुखर्जी केनेतृत्व में सत्तारूढ़ पार्टी में कट्टरपंथियों ने इसबिलपारित होने की अनुमति नहीं दी |4- 1935 में गठित भारतीय रिजर्व बैंक(आर.बी.आई)का आधार बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अम्बेडकरद्वारा हिल्टन यंग कमीशन के समक्ष प्रस्तुतकिये गएविचारों के आधार पर किया गया था |5 . डॉ. अम्बेडकर दामोदर घाटी परियोजना ,हीराकुंड परियोजना , सूरजकुंड नदी-घाटी परियोजना के निर्माता थे | डा. अम्बेडकरकी अध्यक्षता में 1945 में इसे बहुउद्देशीयउपयोग केलिए महानदी के रूप में नियंत्रित कर के संभावितलाभ में निवेश करने का फैसला किया गया था,लेकिन अधिकांश नेतागण छिपे हुए थे और गलततरीकेसे बहुउद्देश्यीय नदी-घाटी परियोजनाओं केमाध्यमसे औद्योगीकरण के लिए नेहरू की गलतनीतियों का समर्थन करने के लिए उन्हें पूरी तरह सेजिम्मेदार ठहराया |6 . डा. अम्बेडकर ने अति-महत्वपूर्णआवश्यकताओं केरूप में "ग्रिड सिस्टम" पर बल दिया जो आजभी सफलतापूर्वक काम कर रहा है | आजबिजली इंजीनियर जो प्रशिक्षण के लिए विदेशजा रहे हैं, इनका श्रेय भी डॉ. अंबेडकरको ही जाता है, जिन्होंने श्रम विभाग के एकनेता के रूप में विदेशों में प्रशिक्षित सबसे अच्छेइंजीनियरों के लिए नीति तैयार की है |7 . मजदूरों के मुक्तिदाता- डॉ. अम्बेडकर नेभारत मेंमजदूरों के लिए 8 घंटों का कार्य निर्धारण करश्रमिकों के लिए एक प्रकाशपुंज बन गये, 1942से पूर्वसे 12 घंटे के रूप में चला आ रहा समय बदल कर 8घंटे करदिया गया |8. डॉ. अम्बेडकर ने बिजली उत्पादन और थर्मलपावरस्टेशन की जांच पड़ताल की समस्या का विश्लेषणकरने, बिजली प्रणाली के विकास, जलविद्युतस्टेशन,साइटों, हाइड्रो इलेक्ट्रिक सर्वे के लिए केन्द्रीयतकनीकी विद्युत बोर्ड (CTPB)की स्थापना की.9. डॉ. अम्बेडकर ने मार्च 1944 केन्द्रीय जलसिंचाईऔर नेविगेशन आयोग (CWINC)की स्थापना की.हमारे घर आज रौशनी से प्रदीप्त और हमारेखेतों मेंहरियाली के रूप में फसले लहलहाती नजर आ रही हैतो इसकी वजह डॉ. अम्बेडकर की सुनियोजित वतारकीय परियोजनाओं के रूप में भूमिका रही है |आज भारत की अर्थव्यवस्था का एकबड़ा हिस्सा इसी पर टिका हुआ है |10-इस तरह भारत में जल प्रबंधन और विकासके रूप मेंएक ऐसी अवधारणा है , तो इसका श्रेय डा.अंबेडकरकी चतुरता को जाता है, जिसने अपनी चतुरता सेप्राकृतिक संसाधनों के लिए भारत की सेवा रही हैं |11- यह बाबा साहब डॉ. अम्बेडकरही दूरदृष्टि थी वरन आज भारत मेंबिजली की आपूर्ति से सिंचाई और अन्य विकासकार्यो से देश की इसस्थिति की कल्पना भी नहीं कर सकते |12- जब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्तहो गया तबकृषि, उद्योगों के विकास, पुनर्वास औररक्षा सेवाओं की तैनाती में सुधार सहितअर्थव्यवस्था में फिर से सुधार करने के रूप मेंभारतको कई चुनौतियों का सामना करना था |को कई चुनौतियों का सामना करना था |ऐसी विकट स्थिति में पुनर्निर्माणसमिति (आरसीसी) का गठन किया और और डॉ.अम्बेडकर को ही इस समिति के अध्यक्षकी भूमिका सौंपी गई |13 डॉ. अम्बेडकर उत्तरी और दक्षिणी राज्यों मेंमध्यप्रदेश के विभाजन का सुझाव दिया था.उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के विभाजन से इनदोनों राज्यों के लिए बेहतर विकास होगा | 1955सेराजधानियों के रूप में पटना और रांची दो भागों मेंविभाजित का सुझाव दिया था |मगर लगभग 45 साल के बाद वर्ष 2000 मेंदोनों राज्यों विभाजित किया गया और छत्तीसगढ़और झारखंड का गठन किया गया.14. डॉ. अम्बेडकर ही "भारत में महिलाओं केअधिकारों के चैंपियन" है |उन्होंने भारतीय महिलाओं की मुक्ति औरसशक्तिकरण के लिए लम्बे समय तक कठिनसंघर्षकिया और मजदूरों के लिए और भी कई कानून बनायेगये. जैसे:-*श्रम कल्याण निधि* महंगाई भत्ते* ई.एस.आई.* भविष्य निधि अधिनियम* महिला और बाल श्रम संरक्षण अधिनियम(महिलाओं के श्रम बिल के लिए)* मातृत्व लाभ* तलाक अधिनियम* संपत्ति के अधिकार* दिहाड़ी-श्रमिकोंको अवकाश लाभ .*कर्मचारियों के लिए वेतनमान में संशोधन.*खानों में भूमिगत कामकाजी महिलाओं पर प्रतिबंधव पुनरुद्धार.15. डॉ. अम्बेडकर ने भारत में रोजगारकार्यालय'की स्थापना सहित कई श्रम सुधारों के बारे में लानेमेंमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी..16 . डॉ. अम्बेडकर के अलावा अन्य कोईव्यक्ति नहीं था, जिसने संविधान में हर पांच सालमेंएक वित्त आयोग के लिए प्रावधान शुरू किया हो |17 . भारत के सभी तेरह वित्त आयोग की रिपोर्टकेलिए संदर्भ का मूल स्रोत सदा ही डॉ. अम्बेडकरकी पी.एच.डी. के थीसिस- " भारत में अंग्रेजों केप्रांतीय वित्त विकास" आधार रहा है |18 . डॉ. अम्बेडकर ही सम्पूर्ण दक्षिणएशिया मेंअर्थशास्त्र में पहले पी.एच.डी. औरअर्थशास्त्र में डबलडॉक्टरेट करने वाले पहले महापुरुष है |19 . डा. अम्बेडकर* भारत के पहले कानून मंत्री .* मात्र एक भारतीय जिसकी तस्वीर लंदन केसंग्रहालय में "कार्ल मार्क्स" के साथ है .* भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार .* भारत के सबसे बड़े एवं प्रतिभाशाली वकील .* पहले आदमी जिन्होंने इंदिरा गांधी की "चालाकऔर मौसमी राजनेतागिरी" के बारे में खुले तौर परविरोध किया हो |* भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दुश्मन और मुख्यप्रतिद्वंदी |* सार्वजनिक रूप में हिन्दू धर्म का "अमानवीय वबेवकूफ-पुराण "मनुस्मृति" नामक पुस्तक को जलानेवाले पहले महापुरुष |* भारतीय मूल बौद्ध धम्म क्रांति के नायक औरभारतमें धार्मिक पुनर्जागरणवादी नेता |* लाखों पीड़ितों के पिता.* राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया अशोकस्तम्भ जो शेर के रूप मेंजाना जाता है,तथा भारतीयराष्ट्रीय ध्वज में धम्म का पहिया (चक्र),जो दोनों सारनाथ में एक अशोक स्तंभ के रूप है,इनका श्रेय भी अम्बेडकर को ही दिया जाता है |* पहले भारतीय जो अर्थशास्त्र में एस.सी.स्नातककी उपाधि प्राप्त है.* डॉ. अम्बेडकर को सी.एन.एन., आई.बी.एन.,हिस्टरी टीवी., एवं चैनल18 द्वारा "सबसे महानभारतीय" के रूप में घोषित किया गया है |* 1908 में भारत में दलित वर्ग से 10वीं मैट्रिकपरीक्षा उत्तीर्ण करने वाले प्रथम व्यक्ति है,गौरतलबहै की भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में उसज़माने के सबसे प्रतिभाशाली विद्यार्थी को 750मेंसे सिर्फ 282 अंक मिले |क्या यहजातिवादी घटिया मानसिकता नहीं कही जा सकती है ?* 1912 में बी.ए. राजनीति और अर्थशास्त्रबंबईविश्वविद्यालय |* 1915 में अमेरिका से एम. ए. अर्थशास्त्र मेंअपने शोध"प्राचीन भारतीय वाणिज्य" में |* पीएचडी (ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्तविकासअर्थशास्त्र ) 1917 मेंकोलंबिया विश्वविद्यालय ,अमेरिका में -* DSC - ( थीसिस - रुपया की समस्या )1920 मेंलंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स |* लंदन में 1924 में ग्रेज से कानून में बार .* LLD - ( ऑनर्स )कोलंबिया विश्वविद्यालय ,न्यूयॉर्क ,अपनी उपलब्धियों , नेतृत्व और संलेखन ( भारतका संविधान का )के लिए |* डी. लिट - उस्मानिया विश्वविद्यालयद्वारा सम्मानित भी.* एम.एस.सी. लंदन* राजनीतिक-अर्थशास्त्र जर्मनी .* अर्थशास्त्र में पहला पी.एच.डी. महामानवऔरअर्थशास्त्र में प्रथम डबल डॉक्टरेट भी |महानतम डॉ. भीमराव अम्बेडकर* संवैधानिज्ञ* क्रांतिकारी* बोधिसत्व* एक सांसद* अर्थशास्त्री* समाजशास्त्री* महान राजनीतिज्ञ* भारतीय विधिवेत्ता* बौद्ध कार्यकर्ता* दार्शनिक* विचारक* मानवविज्ञानी* इतिहासकार* वक्ता* विपुल लेखक*आधुनिक भारत के महानतम समाज सुधारक औरसच्चेमहानायक,लेकिन "भारतीय जातिवादी-मानसिकता" सेसदा ही इस महापुरुष की उपेक्षा ही की गई |बड़े ही दुर्भाग्य की बात रही है की भारत मेंहमेशा सेही एक विशेष व उच्च वर्ग के नेता और उनकेकार्यों को स्कूल-कालेजों की बहुत सी किताबें मेंऔर अन्य माध्यम से पढाया जाता है,एक युवा सामाजिक कायँकर सिंधराज परमार ,,whatsapp 9913439848