गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

कल्चर

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अपनी भारत की संस्कृति
को पहचाने.
ज्यादा से ज्यादा
लोगो तक पहुचाये.
यही है हमारी
संस्कृति की पहचान है ( अपने बच्चों को सिखाए  )

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( ०१ )    दो पक्ष-

कृष्ण पक्ष ,
शुक्ल पक्ष !

( ०२ )    तीन ऋण -

देव ऋण ,
पितृ ऋण ,
ऋषि ऋण !

( ०३ )    चार युग -

सतयुग ,
त्रेतायुग ,
द्वापरयुग ,
कलियुग !

( ०४ )    चार धाम -

द्वारिका ,
बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पुरी ,
रामेश्वरम धाम !

( ०५ )   चारपीठ -

शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,
शृंगेरीपीठ !

( ०६ )   चार वेद-

ऋग्वेद ,
अथर्वेद ,
यजुर्वेद ,
सामवेद !

( ०७ )   चार आश्रम -

ब्रह्मचर्य ,
गृहस्थ ,
वानप्रस्थ ,
संन्यास !

( ०८ )   चार अंतःकरण -

मन ,
बुद्धि ,
चित्त ,
अहंकार !

( ०९ )   पञ्च गव्य -

गाय का घी ,
दूध ,
दही ,
गोमूत्र ,
गोबर !

( १० )   पञ्च देव -

गणेश ,
विष्णु ,
शिव ,
देवी ,
सूर्य !

( ११ )   पंच तत्त्व -

पृथ्वी ,
जल ,
अग्नि ,
वायु ,
आकाश !

( १२ )   छह दर्शन -

वैशेषिक ,
न्याय ,
सांख्य ,
योग ,
पूर्व मिसांसा ,
दक्षिण मिसांसा !

( १३ )   सप्त ऋषि -

विश्वामित्र ,
जमदाग्नि ,
भरद्वाज ,
गौतम ,
अत्री ,
वशिष्ठ और कश्यप!

( १४ )   सप्त पुरी -

अयोध्या पुरी ,
मथुरा पुरी ,
माया पुरी ( हरिद्वार ) ,
काशी ,
कांची
( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,
अवंतिका और
द्वारिका पुरी !

( १५ )   आठ योग -

यम ,
नियम ,
आसन ,
प्राणायाम ,
प्रत्याहार ,
धारणा ,
ध्यान एवं
समािध !

( १६ )   आठ लक्ष्मी -

आग्घ ,
विद्या ,
सौभाग्य ,
अमृत ,
काम ,
सत्य ,
भोग ,एवं
योग लक्ष्मी !

( १७ )   नव दुर्गा --

शैल पुत्री ,
ब्रह्मचारिणी ,
चंद्रघंटा ,
कुष्मांडा ,
स्कंदमाता ,
कात्यायिनी ,
कालरात्रि ,
महागौरी एवं
सिद्धिदात्री !

( १८ )   दस दिशाएं -

पूर्व ,
पश्चिम ,
उत्तर ,
दक्षिण ,
ईशान ,
नैऋत्य ,
वायव्य ,
अग्नि
आकाश एवं
पाताल !

( १९ )   मुख्य ११ अवतार -

मत्स्य ,
कच्छप ,
वराह ,
नरसिंह ,
वामन ,
परशुराम ,
श्री राम ,
कृष्ण ,
बलराम ,
बुद्ध ,
एवं कल्कि !

( २० )   बारह मास -

चैत्र ,
वैशाख ,
ज्येष्ठ ,
अषाढ ,
श्रावण ,
भाद्रपद ,
अश्विन ,
कार्तिक ,
मार्गशीर्ष ,
पौष ,
माघ ,
फागुन !

( २१ )   बारह राशी -

मेष ,
वृषभ ,
मिथुन ,
कर्क ,
सिंह ,
कन्या ,
तुला ,
वृश्चिक ,
धनु ,
मकर ,
कुंभ ,
कन्या !

( २२ )   बारह ज्योतिर्लिंग -

सोमनाथ ,
मल्लिकार्जुन ,
महाकाल ,
ओमकारेश्वर ,
बैजनाथ ,
रामेश्वरम ,
विश्वनाथ ,
त्र्यंबकेश्वर ,
केदारनाथ ,
घुष्नेश्वर ,
भीमाशंकर ,
नागेश्वर !

( २३ )   पंद्रह तिथियाँ -

प्रतिपदा ,
द्वितीय ,
तृतीय ,
चतुर्थी ,
पंचमी ,
षष्ठी ,
सप्तमी ,
अष्टमी ,
नवमी ,
दशमी ,
एकादशी ,
द्वादशी ,
त्रयोदशी ,
चतुर्दशी ,
पूर्णिमा ,
अमावास्या !

( २४ )   स्मृतियां -

मनु ,
विष्णु ,
अत्री ,
हारीत ,
याज्ञवल्क्य ,
उशना ,
अंगीरा ,
यम ,
आपस्तम्ब ,
सर्वत ,
कात्यायन ,
ब्रहस्पति ,
पराशर ,
व्यास ,
शांख्य ,
लिखित ,
दक्ष ,
शातातप ,
वशिष्ठ !

        ।। ॐ शाति ऊँ ।।
"............."माँ"............."

माँ- दुःख में सुख का एहसास है,
माँ - हरपल मेरे आस पास है ।
माँ- घर की आत्मा है,
माँ- साक्षात् परमात्मा है ।
माँ- आरती है,
माँ- गीता है ।
माँ- ठण्ड में गुनगुनी धूप है,
माँ- उस रब का ही एक रूप है ।
माँ- तपती धूप में साया है,
माँ- आदि शक्ति महामाया है ।
माँ- जीवन में प्रकाश है,
माँ- निराशा में आस है ।
माँ- महीनों में सावन है,
माँ- गंगा सी पावन है ।
माँ- वृक्षों में पीपल है,
माँ- फलों में श्रीफल है ।
माँ- देवियों में गायत्री है,
माँ- मनुज देह में सावित्री है ।
माँ- ईश् वंदना का गायन है,
माँ- चलती फिरती रामायन है ।
माँ- रत्नों की माला है,
माँ- अँधेरे में उजाला है,
माँ- बंदन और रोली है,
माँ- रक्षासूत्र की मौली है ।
माँ- ममता का प्याला है,
माँ- शीत में दुशाला है ।
माँ- गुड सी मीठी बोली है,
माँ- दिवाली, होली है ।
माँ- इस जहाँ में हमें लाई है,
माँ- की याद हमें अति की आई है ।
माँ- मेरी देवी और दुर्गा माई है,
माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।
माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।h

"अंत में मैं बस ये इक पुण्य का काम करता हूँ,
दुनिया की सभी माँओं को दंडवत प्रणाम करता हूँ ।

: Qus→ जीवन का उद्देश्य क्या है?
Ans→ जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है जो जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है। उसे जानना ही मोक्ष है।

Qus→ जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त कौन है?
Ans→ जिसने स्वयं को, उस आत्मा को जान लिया वह जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है।

Qus→संसार में दुःख क्यों है?
Ans→लालच, स्वार्थ, भय संसार के दुःख का कारण हैं।

Qus→ ईश्वर ने दुःख
की रचना क्यों की?
Ans→ ईश्वर ने संसार
की रचना की और मनुष्य ने
अपने विचार और कर्मों से दुःख और सुख की रचना की।

Qus→ क्या ईश्वर है? कौन है वह? क्या रुप है उसका? क्या वह स्त्री है या पुरुष?
Ans→ कारण के बिना कार्य नहीं। यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है। तुम हो इसलिए वह भी है उस महान कारण को ही आध्यात्म में ईश्वर कहा गया है। वह न स्त्री है न पुरुष।

Qus→ भाग्य क्या है?
Ans→हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम है। परिणाम अच्छा भी हो सकता है, बुरा भी हो सकता है। यह परिणाम ही भाग्य है। आज का प्रयत्न कल का भाग्य है।

Qus→ इस जगत में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?
Ans→ रोज़ हजारों-लाखों लोग मरते हैं फिर भी सभी को अनंतकाल तक जीते रहने की इच्छा होती है. इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है?

Qus→किस को गंवाकर चीज मनुष्य
धनी बनता है?
Ans→ लोभ

्Qus→ कौन सा एकमात्र उपाय है जिससे जीवन सुखी हो जाता है?
Ans → अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का उपाय है.
H
Qus → किस चीज़ के खो जाने पर दुःख
नहीं होता
Ans → क्रोध
Send it to all plzzz

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