गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

गौतम बुध्द

संन्यास लेने के बाद गौतम बुद्ध ने अनेकक्षेत्रों की यात्रा की। एक बार वह एक गांव में गए। वहां एकस्त्री उनके पास आई और बोली- आप तो कोई राजकुमारलगते हैं। क्या मैं जान सकती हूं कि इस युवावस्था मेंगेरुआवस्त्र पहनने का क्या कारण है? बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तरदिया कि तीन प्रश्नों के हल ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यासलिया। यह शरीर जो युवा व आकर्षक है, पर जल्दी ही यहवृद्ध होगा, फिर बीमार व अंत में मृत्यु के मुंह में चला जाएगा।मुझे वृद्धावस्था, बीमारी व मृत्यु के कारण का ज्ञानप्राप्त करना है। उनसे प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हेंभोजन के लिए आमंत्रित किया। शीघ्र ही यह बात पूरे गांवमें फैल गई। गांववासी बुद्ध के पास आए व आग्रह किया कि वेइस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं क्योंकि वह चरित्रहीन है।बुद्ध ने गांव के मुखिया से पूछा- क्या आप भी मानते हैं कि वहस्त्री चरित्रहीन है?मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकरकहता हूं कि वह बुरे चरित्र वाली है। आप उसके घर न जाएं। बुद्धने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजानेको कहा। मुखिया ने कहा- मैं एक हाथ सेताली नहीं बजा सकता क्योंकि मेरा दूसरा हाथ आपनेपकड़ा हुआ है।बुद्ध बोले- इसी प्रकार यह स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती हैजब तक इस गांव के पुरुष चरित्रहीन न हों। अगर गांव केसभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती इसलिए इसकेचरित्र के लिए यहां के पुरुष जिम्मेदार हैं। यह सुनकरसभी लज्जित हो गए।बुद्धम् सरणं गच्छामि। धम्मम् सरणंगच्छामि। संघम् सरणं गच्छामि।

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