गुरुवार, 14 मई 2015

आरक्षण बनाम सरिता

[5/14, 8:35 PM] S. Barod: कितने गजब हैं हमारे बड़े हिन्दुभाई?
OBC/SC/ST के संवैधानिक आरक्षण से परेशानी है पर
शंकराचार्य बनने के लिए "ब्राह्मण" होना जरूरी,
संविधान में यह विधान (आरक्षण)कहाँ है?
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
आरक्षण से बड़ी परेशानी है।आरक्षण के कारण
सिपाही न बन पाने से लखनऊ की सरिता द्विवेदी ने
आत्म हत्या कर लिया है।हमे इस बहन के मौत पर दुःख
है पर कई सवाल भी हैं।हमे पिछड़ा या अनुसूचित जाति/जनजाति होने के कारण संविधान में अनुच्छेद
340,341,342 आिद के तहत प्रदत्त अधिकारो के कारण
आरक्षण मिलता है।हम हजारो वर्ष से गाय,भैंस,भेंड़,सूअर चराने तक सीमित थे। हमे मान-सम्मान से महरूम रखा गया था,
हमे अच्छा खाने,पहनने की मनाही थी, हमारे घर ,हमारे पोशाक,हमारे गहने आदि ऐसे थे जो इंसानो
के लिए हो ही नही सकते पर हमे हजारो वर्ष तक कोई
परेशानी नही थी।हमने कोई आत्महत्या नही की,
बल्कि हमारी हत्या हमारे बड़े हिन्दु भाइयो ने हीे
असुर,राक्षस,दैत्य,दानव,यज्ञ विरोधी आदि कहके
की गई! हमारे बड़े भाइयो ने हमारा नाम कुकुर,बिलार,घूरा,घसीटा रखा पर हमे कोई ऐतराज
नही था लेकिन देश के लोकतान्त्रिक इंतजाम में हमे संविधान ने विशेष अवसर क्या दिया कुछ लोगो के
ऊपर बिजली गिर गयी,आसमान टूट पड़ा।
वाह भाई! वाह!!क्या बात है?देश का संविधान ने हमे
(आरक्षण)सामािजक एवं शैक्षणिक पिछड़ेपन के कारण
विशेष अवसर का कानूनन अधिकार दिया है तो बड़ी
परेशानी है,आप मरने-मारने पर उतारू हैं पर मेरा सवाल है
कि ऐ बेईमानो !आपको शँकराचार्य बनने का आरक्षण किस भारतीय संविधान में है ,जो तुम लिए बैठे हो?
दीवानी न्यायालय इलाहाबाद ने स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी और स्वामी बासुदेवानन्द सरस्वती जी के मामले में 26 साल बाद फैसला सुनाया है।
सिविल जज श्री गोपाल उपाध्याय जी ने अपने
फैसले में कहा है कि शंकराचार्य बनने के लिए जो
अर्हताएं हैं उसने एक अर्हता ब्राह्मण" होना भी है।
मेरा सवाल है कि शिक्षा और सम्मान से महरूम 85%
आबादी को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए
देश के संविधान ने विशेष अवसर का फार्मूला ईजात
कर OBC/SC/ST को आरक्षण दिया पर शँकराचार्य
बनने के लिए ब्राह्मण वर्ग को संविधान के किस
क्लॉज के तहत आरक्षण प्राप्त है?
मेरे बड़े भाइयो! अब हम जागरूक हो रहे है,पढ़ने लगे है, हममे
सम्मान की भूख जग रही है, इसलिए अब अन्याय सम्भव नही है।
हमे संवैधानिक आरक्षण मिला तो अन्याय है और आप आत्महत्या करने लगे वहीं आपको गैर संवैधानिक रूप में परम्परा या जातीय श्रेष्ठता के
कारण आरक्षण मिला तो वह न्याय है,सनातन परम्परा है, ईश्वर का आदेश है? हम पढ़-लिखकर यदि आरक्षण पाएं तो वह हकमारी है और आप ब्राह्मण कुल में जन्म लेने
मात्र से शँकराचार्य,पुजारी,महन्त,कुलगुरू,
कथावाचक,दण्डी स्वामी,जगतगुरु बनकर हराम में बिना श्रम किये गुलछर्रे उड़ाएं तो वह न्याय है?
आखिर आपको जो शँकराचार्य बनने और देश के समस्त मंदिरों में पुजारी बनने का आरक्षण मिला है और कोर्ट भाष्य कर दे रहा है उस पर तो हम
आत्महत्या नही कर रहे और ना ही सवाल उठा रहे हैं कि हमे शंकराचार्य या देश के मंदिरो में पुजारी बनने की छूट क्यों नही? यह आरक्षण
आपको क्यों?जबकि इसका देश के संविधान में कहीं ऐसा इंतजाम नही है?
वाह ! मेरे बड़े भाइयों! आप करें तो रासलीला,जबकि वही काम हम करें तो हमारा कैरेक्टर ढीला..
वाह! क्या इंतजाम है आप बड़े भाइयों का?
आरक्षण हमारा हक है,हमारे साथ हुए अन्याय की भरपाई है,तुम जातिवाद, छुआछूत और हमारी बारातों पर हमला करना पूरी तरह से छोड़ दो हमारा वादा है आपसे हम उसी दिन आरक्षण छोड़ देंगे..
हमारे कुछ पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी लोग ये तर्क देते है कि आरक्षण केवल गरीबी के आधार पर दिया जाना चाहिये तो मेरे बुद्धिजीवी भाईयों यदि सवर्ण गरीब होगा तो वह कचौड़ी-समोसे, चाय-दूध,ढाबा,पानीपूरी आदि की दुकान खोलकर अपना पेट भर लेगा किन्तु किसी दलित के द्वारा खोली गई इस प्रकार की दुकानों पर गाँवो की मक्खियाँ ही भिनभिनाएगी ग्राहक भी केवल निम्न जाति के कुछेक लोग ही आयेंगे, इसीलिये आरक्षण जाति के आधार पर होना उचित भी है , अगर किसी शिक्षित भाई को यह बात गले नही उतरती तो गाँव के ही किसी चमार-बलाई या मेहतर से गाँव में पानीपूरी,ढाबा या चाय-समोसा की दुकान खुलवाकर रिसर्च कर सकता है उत्तर मिल जायेगा.. या फिर शादी के मुहुर्त-माहौल में अखबारों में ( दलित की बारात पर पथराव, बारात व दूल्हे पर दबंगो का हमला, दुल्हे द्वारा घोड़ी पर बैठने पर सवर्णों का हमला,दलित के जुलूस पर पथाराव इत्यादि )पढ़कर उसमें से इस प्रकार की सारी खबरों की कटिंग करके घटनाओं की रिसर्च कर लेवे..
आरक्षण जातिभेद का समानुपाति है..!!
जातिभेद तुम खतम करो
आरक्षण हम खतम करेंगे...
जय भारत!जय संविधान!
[5/14, 8:36 PM] S. Barod: कितने गजब हैं हमारे बड़े हिन्दुभाई?
OBC/SC/ST के संवैधानिक आरक्षण से परेशानी है पर
शंकराचार्य बनने के लिए "ब्राह्मण" होना जरूरी,
संविधान में यह विधान (आरक्षण)कहाँ है?
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आरक्षण से बड़ी परेशानी है।आरक्षण के कारण
सिपाही न बन पाने से लखनऊ की सरिता द्विवेदी ने
आत्म हत्या कर लिया है।हमे इस बहन के मौत पर दुःख
है पर कई सवाल भी हैं।हमे पिछड़ा या अनुसूचित जाति/जनजाति होने के कारण संविधान में अनुच्छेद
340,341,342 आिद के तहत प्रदत्त अधिकारो के कारण
आरक्षण मिलता है।हम हजारो वर्ष से गाय,भैंस,भेंड़,सूअर चराने तक सीमित थे। हमे मान-सम्मान से महरूम रखा गया था,
हमे अच्छा खाने,पहनने की मनाही थी, हमारे घर ,हमारे पोशाक,हमारे गहने आदि ऐसे थे जो इंसानो
के लिए हो ही नही सकते पर हमे हजारो वर्ष तक कोई
परेशानी नही थी।हमने कोई आत्महत्या नही की,
बल्कि हमारी हत्या हमारे बड़े हिन्दु भाइयो ने हीे
असुर,राक्षस,दैत्य,दानव,यज्ञ विरोधी आदि कहके
की गई! हमारे बड़े भाइयो ने हमारा नाम कुकुर,बिलार,घूरा,घसीटा रखा पर हमे कोई ऐतराज
नही था लेकिन देश के लोकतान्त्रिक इंतजाम में हमे संविधान ने विशेष अवसर क्या दिया कुछ लोगो के
ऊपर बिजली गिर गयी,आसमान टूट पड़ा।
वाह भाई! वाह!!क्या बात है?देश का संविधान ने हमे
(आरक्षण)सामािजक एवं शैक्षणिक पिछड़ेपन के कारण
विशेष अवसर का कानूनन अधिकार दिया है तो बड़ी
परेशानी है,आप मरने-मारने पर उतारू हैं पर मेरा सवाल है
कि ऐ बेईमानो !आपको शँकराचार्य बनने का आरक्षण किस भारतीय संविधान में है ,जो तुम लिए बैठे हो?
दीवानी न्यायालय इलाहाबाद ने स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी और स्वामी बासुदेवानन्द सरस्वती जी के मामले में 26 साल बाद फैसला सुनाया है।
सिविल जज श्री गोपाल उपाध्याय जी ने अपने
फैसले में कहा है कि शंकराचार्य बनने के लिए जो
अर्हताएं हैं उसने एक अर्हता ब्राह्मण" होना भी है।
मेरा सवाल है कि शिक्षा और सम्मान से महरूम 85%
आबादी को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए
देश के संविधान ने विशेष अवसर का फार्मूला ईजात
कर OBC/SC/ST को आरक्षण दिया पर शँकराचार्य
बनने के लिए ब्राह्मण वर्ग को संविधान के किस
क्लॉज के तहत आरक्षण प्राप्त है?
मेरे बड़े भाइयो! अब हम जागरूक हो रहे है,पढ़ने लगे है, हममे
सम्मान की भूख जग रही है, इसलिए अब अन्याय सम्भव नही है।
हमे संवैधानिक आरक्षण मिला तो अन्याय है और आप आत्महत्या करने लगे वहीं आपको गैर संवैधानिक रूप में परम्परा या जातीय श्रेष्ठता के
कारण आरक्षण मिला तो वह न्याय है,सनातन परम्परा है, ईश्वर का आदेश है? हम पढ़-लिखकर यदि आरक्षण पाएं तो वह हकमारी है और आप ब्राह्मण कुल में जन्म लेने
मात्र से शँकराचार्य,पुजारी,महन्त,कुलगुरू,
कथावाचक,दण्डी स्वामी,जगतगुरु बनकर हराम में बिना श्रम किये गुलछर्रे उड़ाएं तो वह न्याय है?
आखिर आपको जो शँकराचार्य बनने और देश के समस्त मंदिरों में पुजारी बनने का आरक्षण मिला है और कोर्ट भाष्य कर दे रहा है उस पर तो हम
आत्महत्या नही कर रहे और ना ही सवाल उठा रहे हैं कि हमे शंकराचार्य या देश के मंदिरो में पुजारी बनने की छूट क्यों नही? यह आरक्षण
आपको क्यों?जबकि इसका देश के संविधान में कहीं ऐसा इंतजाम नही है?
वाह ! मेरे बड़े भाइयों! आप करें तो रासलीला,जबकि वही काम हम करें तो हमारा कैरेक्टर ढीला..
वाह! क्या इंतजाम है आप बड़े भाइयों का?
आरक्षण हमारा हक है,हमारे साथ हुए अन्याय की भरपाई है,तुम जातिवाद, छुआछूत और हमारी बारातों पर हमला करना पूरी तरह से छोड़ दो हमारा वादा है आपसे हम उसी दिन आरक्षण छोड़ देंगे..
हमारे कुछ पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी लोग ये तर्क देते है कि आरक्षण केवल गरीबी के आधार पर दिया जाना चाहिये तो मेरे बुद्धिजीवी भाईयों यदि सवर्ण गरीब होगा तो वह कचौड़ी-समोसे, चाय-दूध,ढाबा,पानीपूरी आदि की दुकान खोलकर अपना पेट भर लेगा किन्तु किसी दलित के द्वारा खोली गई इस प्रकार की दुकानों पर गाँवो की मक्खियाँ ही भिनभिनाएगी ग्राहक भी केवल निम्न जाति के कुछेक लोग ही आयेंगे, इसीलिये आरक्षण जाति के आधार पर होना उचित भी है , अगर किसी शिक्षित भाई को यह बात गले नही उतरती तो गाँव के ही किसी चमार-बलाई या मेहतर से गाँव में पानीपूरी,ढाबा या चाय-समोसा की दुकान खुलवाकर रिसर्च कर सकता है उत्तर मिल जायेगा.. या फिर शादी के मुहुर्त-माहौल में अखबारों में ( दलित की बारात पर पथराव, बारात व दूल्हे पर दबंगो का हमला, दुल्हे द्वारा घोड़ी पर बैठने पर सवर्णों का हमला,दलित के जुलूस पर पथाराव इत्यादि )पढ़कर उसमें से इस प्रकार की सारी खबरों की कटिंग करके घटनाओं की रिसर्च कर लेवे, पता चल जायेगा कि देश से कितना जातिवाद और छुआछूत खत्म हुई है, फिर बात करना आरक्षण हटाने की...
आरक्षण जातिभेद का समानुपाति है..!!
जातिभेद तुम खतम करो
आरक्षण हम खतम करेंगे...
जय भारत!जय संविधान!

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