रविवार, 31 मई 2015

छुआ छूत का खोखलापन

छुआछूत का खोखलापनएक दिन पंडित को प्यास लगी, संयोगवश घर में पानी नही था इसलिए पंडिताईन पडोस से पानी ले आई Iपानी पीकर पंडित जी ने पूछा....पंडित जी - कहाँ से लायी हो बहुत ठंडा पानी है Iपंडिताईन- पडोस के कुम्हार के घर से Iपंडित जी ने यह सुनकर लोट फैंक दिया और उनके तेवरचढ़ गए वह जोर जोर से चीखने लगा Iपंडित जी- अरी तूने तो मेरा धर्म भ्रष्ट कर दिया, कुम्हार के घर का पानी पिला दिया।पंडिताईन भय से थर-थर कांपने लगी, उसने पण्डित जीसे माफ़ी मांग ली Iपंडिताईन- अब ऐसी भूल नही होगी।शाम को पण्डित जी जब खाना खाने बैठे तो पंडिताईन ने उन्हें सुखी रोटिया परोस दी Iपण्डित जी- साग नही बनाया?पंडिताईन- बनाया तो था लेकिन फैंक दिया क्योंकि जिस हांड़ी में बनाया था वो कुम्हार के घर से आई थी।पण्डित जी- तू पगली है क्या कंही हांड़ी में भी छुत होती है? यह कह कर पण्डित ने दो-चार कौर खाए और बोले की पानी ले आओ Iपंडिताईन जी - पानी तो नही है जीIपण्डित जी- घड़े कहाँ गए हैIपंडिताईन- वो तो मेने फैंक दिए क्योंकि कुम्हार के हाथ से बने थेI पंडित जी ने दो-चार कौर और खाए और बोले दूध ही ले आओ उसमे रोटी मसल कर खा लूँगा Iपंडिताईन- दूध भी फैंक दिया जी क्योंकि गाय को जिस नौकर ने दुहा था वो तो नीची जाति से था न Iपंडित जी-हद कर दी तूने तो यह भी नही जानती कीदूध में छूत नही लगती है Iपंडिताईन-यह कैसी छूत है जी जो पानी में तो लगती है, परन्तु दूध में नही लगती।पंडित जी के मन में आया कि दीवार से सर फोड़ ले।गुर्रा कर बोले- तूने मुझे चौपट कर दिया है जा अब आंगन में खाट डाल दे मुझे अब नींद आ रही है Iपंडिताईन- खाट! उसे तो मैने तोड़ कर फैंक दिया है क्योंकि उसे नीच जात वाले ने बुना था Iपंडित जी चीखे - सब में आग लगा दो, घर में कुछ बचा भी है या नही Iपंडिताईन- हाँ यह घर बचा है, इसे अभी तोडना बाकी है क्योंकि इसे भी तो पिछड़ी जाति के मजदूरों ने बनाया है Iपंडित जी कुछ देर गुम-सुम खड़े रहे फिर पंडिताईन को समझा कर बोले कि तुझे पता नही पगली यह सभी कुछ करना पड़ता है. हम सब से श्रेष्ठ है, हमें धर्म ने ही सर्वश्रेष्ठ बनाया है तू वही कर जो में करता हूँ. यह ही शास्त्रों में लिखा है यह ही भगवान का ब्रह्मा के माध्यम से आदेश है जिसे मनु स्मृति में बताया गया है इसलिए इसे तुझे मानना ही पड़ेगा यह ही तेरा धर्म है।पंडिताईन- ठीक है पंडित जी, मैं भी आज से आपकीकी तरह ढोंग किया करूँगी और बच्चों को भी यही सिखाऊँगी।पंडित जी (कान में फुसफुसा कर) - अरे, मुझे मालूम है कि हमारा ये ढोंग ज्यादा चलने वाला नहीं है, फिर भी जब तक चलता है चला लो।

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