हम भूतकाल के वाक्यों में आने वाले क्रिया खंड (इसमेंएक, दो या अधिक शब्द हो सकते हैं) पर नज़र डालते हैं।स्त्रीलिंग कर्ता के आदरसूचक या बहुवचन होने पर क्रिया के अंतिम भाग के अंत में बिंदी होगी। 'लड़कियाँ जा रही थीं', 'आपसब नहीं गा सकीं', 'कविताएँ पढ़ी गईं', 'माएँ खुश थीं', 'बेगम अख़्तर बेहद अच्छी ग़ज़ल गायिका थीं', 'वे गईं', 'हम दोनों गईं', 'लड़कियाँ पढ़ती थीं', 'वे बढ़ती गईं' आदि इसके उदाहरण हैं।अगर शर्त, सुझाव, प्रश्न, आशा आदि के वाक्य या वाक्यखण्ड हों तब भी बिन्दी क्रिया भाग के अन्त में आती है। यह बात स्त्रीलिंग कर्ता (बहुवचन या एकवचन आदरसूचक) की स्थिति में ही लागू होती है। 'अगर वे आ पातीं', 'हम सब जातीं तब तो', 'काश नदियाँ बोल सकतीं', 'शिक्षिकाएँ चैन से रहतीं, अगर समाज मदद करता', 'आप क्या करतीं, अगर रमा की जगह आपको बुलाया जाता!' आदि इसको स्पष्ट करते हैं।अब कुछ अलग प्रकार के वाक्य देखते हैं, जिनमें क्रियाके अन्तिम भाग में बिन्दी होती है। 'वे जा रही हैं', 'लड़कियाँ जा चुकी हैं', 'किताबें तो बस दो चार ही रह गईहैं' आदि में अन्त में बिन्दी है। अगर पुलिंग कर्ता की बात करें, तो 'वे जाते हैं', 'हम पढ़ रहे हैं', 'सब मर चुके हैं', 'लड़के अवसाद से भर गए हैं' आदि उदाहरणों से बिन्दी के प्रयोग को समझा जा सकता है।'कही गई कहानियाँ', 'सुनी हुई बातें', 'मरती औरतें', 'खत्महोती नदियाँ', 'मर रही नदियाँ' आदि में 'गई', 'हुई', 'मरती', 'होती', 'रही' में बिन्दी नहीं है। सन्त समीर जी का धन्यवाद, उन्होंने इस तरह के शब्दों में बिन्दी पर हमें स्पष्ट होने में मदद की।तुम, तुम दोनों, तुम सब या तुमलोग के साथ वर्तमान काल में क्रिया में हमेशा अन्त में ओकार आता है और भविष्यकाल या भूतकाल में क्रिया के अन्त में एकार आता है। इन दोनों स्थितियों में क्रिया भाग के अन्त में बिन्दी नहीं होती। 'तुम जाते हो', 'तुम दोनों जा रहे हो', 'तुमलोग कहाँ जाती हो', 'तुम सब जीवित हो', 'तुम वहाँ जा चुके हो', 'तुम सब तो खा चुकी हो न' आदि में क्रिया खण्ड के अन्त में ओकार है। 'तुम गए', 'तुम सब खा चुके थे', 'तुम बहादुर होगे' आदि में क्रियाखण्ड के अन्त मेंएकार है। स्त्रीलिंग कर्ता होने पर इस तरह के वाक्यों में क्रियाखण्ड के अन्त में ईकार मिलता है; जैसे 'तुम सब जाओगी', 'तुम क्या करोगी' आदि।हिन्दी में क्रियाएँ कर्ता के अनुसार ही नहीं, कर्म (ऑब्जेक्ट) के अनुसार भी होती हैं। अगर कर्म एकवचन हो,तो क्रिया एकवचन होती है और जब बहुवचन हो, तब बहुवचन। इस स्थिति में क्रिया का लिंग वही होता है, जो कर्म काहोता है। की, कीं, दी, दीं, ली, लीं आदि इसी तरह के वाक्यमें दिखते हैं। 'मैंने रोटी खाई', 'मैंने बातें कीं', 'सबने किताबें पढ़ीं', 'हमने कई उपन्यास पढ़े', 'मैंने कई पत्र लिखे', 'मैंने यह उपन्यास नहीं लिखा', 'तुमने कुछ नहीं किया', 'आपने भात खाया', 'उन्होंने कई नाटक लिखे', 'मैंने शिकायत की', 'उसने कलम दी', उसने किताबें दीं', 'उसने पानी पी लिया', 'यह तुमने क्या किया', 'मैंने दवाइयाँ बेचीं', 'हमने नहर बनवाई', 'यशपाल ने कई कार्यक्रम किए', 'धूमिल ने कविताएँ लिखीं', 'हमने किताबपढ़ी है', 'तुमने किताबें पढ़ी हैं', 'आपने पढा होगा उनका वह उपन्यास', 'कई उपन्यास पढ़े होंगे आपने', 'मैंने नाटक लिखे हैं', 'उसने कविता लिखी है' आदि उदाहरणों से हम समझ सकते हैं कि कर्म के वचन और लिंग के अनुसार ही क्रिया का रूप तय हुआ है।थोड़ा सा विषयांतर करते हैं यहाँ। हिन्दी में क्रियाओं से कई बार पता लगाया जा सकता है कि कर्ता स्त्रीलिंग है या पुलिंग! मान लें कि आप किसी के घर केबाहर आवाज़ लगाते हैं। अन्दर से अंग्रेज़ी में आवाज़आती है 'वेट, आइ एम कमिंग'। आप यह नहीं समझ सकते कि बोलने वाला मर्द है या औरत, यहाँ यह न कहें कि हम आवाज़ सुनकर पहचान लेंगे! हम वाक्य और भाषा पर बात कर रहे हैं। अगर संस्कृत में 'आगच्छामि' या भोजपुरी में 'आ गइनी' सुनने को मिले, तब भी यह पता नहीं चलता कि बोलने वाला मर्द है या औरत! हिन्दी में 'आता हूँ' या 'आती हूँ' से यह स्पष्ट हो जाता है। हमारे यहाँ सरोज, सुमन, रिंकू जैसे नाम लड़के और लड़कियों दोनों के रखेजाते हैं। अंग्रेज़ी या संस्कृत में क्रियाओं से यह स्पष्ट नहीं होगा कि सरोज लड़का है या लड़की! हिन्दी या भोजपुरी में अधिकाश स्थितियों में यह स्पष्ट होताहै कि कर्ता पुलिंग है या स्त्रीलिंग!अगले भाग में कुछ और क्रियारूपों, ने, को आदि के प्रयोग पर चर्चा करेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें