सोमवार, 14 दिसंबर 2015

कठिन नही है शुद्ध हिंदी-भाग-42

कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 42
० ० ०
इस भाग में हम विभक्ति चिन्ह 'में' के प्रयोग पर चर्चा करेंगे।
'में' का प्रयोग भावों या गुणों की मौजूदगी में, जैसे 'दूध में मिठास', 'मन में दया' आदि; आवास या वास में, जैसे 'वन में रहना', 'समुद्र में रहना', 'नदी में नहाना' आदि; मोल या खरीद-बिक्री में, जैसे 'किताब सौ रुपए में मिली', 'अपनी गाय कितने में बेचोगे', 'तुषार ने बीस हज़ार में यह ज़मीन सुरेश से ली' आदि; मेल और अन्तर बताने में, जैसे 'किशन और हरदेव में कोई अन्तर नहीं है', 'भाई भाई में प्रेम है', 'दोनों में अनबन हो गई', 'नरेश और महेश में कहा सुनी हो गई' आदि; निर्धारण या चयन में, जैसे 'अंधों में काने राजा', 'भारत की नदियों में गङ्गा सर्वाधिक दूषित है', देवताओं में कौन अधिक पूज्य है', 'घर में सबसे छोटा' आदि; रुचि, विषय, क्षेत्र आदि बताने तथा काम में जुटे रहने पर या मन की स्थिति बताने में, जैसे 'धर्म में रुचि', 'गणित में दिलचस्पी', 'वह तो अपनी धुन में था', 'पढ़ाई में मन नहीं लगता', 'होश में रहो', 'फ़िल्मों में दिलचस्पी', 'चिन्ता में' और निश्चित काल (समय) की स्थिति में, जैसे 'वह एक दिन में आ जाएगा', 'कई दिनों में', '1934 में अकाल पड़ा', 'प्राचीन समय में', 'दिन में चार बार', 'वह आठ दिनों में लौटेगा' आदि किया जाता है।
भरना, समाना, घुसना, मिलना, मिलाना आदि क्रियाओं के साथ भी 'शामिल होने' यानी 'मौजूदगी' के अर्थ में 'में' का प्रयोग होता है, जैसे 'घड़े में पानी भरना', 'धरती में समाना', 'बिल में घुसना', 'मिट्टी में मिलाना', 'रास्ते में मिलना' आदि।
'में' के प्रयोग के कुछ उदाहरण 'लड़का कमरे में है', 'वह घर में नहीं आता', 'मैं रात के समय गाँव में पहुँचा', 'चोर जंगल में जाएगा' आदि हैं। 'वह घर में गया' और 'वह घर को गया' के अर्थ में अन्तर है। यहाँ 'घर में' का अर्थ 'घर के भीतर से' है, जबकि 'घर को' का अर्थ से 'घर की सीमा तक जाने से है'; इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।
'में' का प्रयोग हमेशा उचित नहीं रहता। 'आप भीतर में जाकर देख लें', 'दरअसल में वह सनकी है', 'पिछले दिनों में तपस्या बहुत पढ़ती रही', 'तुम्हारे हाथ में क्या आया', 'तृप्ति मन ही मन रोने लगी', 'बच्चे विद्यालय में जाते हैं', 'जिस समय में वह आया था, उस समय में मैं नहीं था', 'परस्पर में सहयोग होना चाहिए', 'कल रात में वर्षा नहीं हुई' आदि वाक्यों में 'में' का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
'वह आसन में बैठा है', 'वे लोग रात में जागते रहे', 'वह सबमें शक्तिशाली है', 'रात में 10 बजे बैठक होगी', 'वह नदी में पानी भरने गया', 'आज की बैठक आपके निवास में होगी', 'वह पढ़ने में जी चुराता है', 'अनेक स्थलों में यह स्पष्ट किया गया है', 'उनकी दृष्टि चित्र में गड़ी थी', 'वह किताब में आँख गड़ाए पढ़ रही थी', 'समुद्र में सैर करने चलें', 'भीष्म शरशय्या में थे', 'पुलिस ने हरेन्द्र में आरोप लगाया है', 'मनोहर जी गणित में मर्मज्ञ हैं', 'प्रथम विश्वयुद्ध 1914 और 1918 में हुआ', 'वह क्रोध में भर कर बोला', 'उसे आने में रोका गया', 'उसकी योग्यता काम में प्रकट होती है' आदि वाक्यों में 'में' के स्थान पर दूसरे शब्दों का प्रयोग करना ठीक रहेगा। 'वह आसन पर बैठा है', 'वे लोग रात भर जागते रहे', 'वह सबसे शक्तिशाली है', 'रात को 10 बजे बैठक होगी', 'वह नदी से पानी भरने गया', 'आज की बैठक आपके निवास पर होगी', 'वह पढ़ने से जी चुराता है', 'अनेक स्थलों पर यह स्पष्ट किया गया है', 'उनकी दृष्टि चित्र पर गड़ी थी', वह किताब पर आँख आँख गड़ाए पढ़ रही थी', 'समुद्र की सैर करने चलें', 'भीष्म शर शय्या पर थे', 'पुलिस ने हरेन्द्र पर आरोप लगाया है', 'मनोहर जी गणित के मर्मज्ञ हैं', 'प्रथम विश्वयुद्ध 1914 और 1918 के बीच में हुआ था' ('1914 से 1918 तक' भी हो सकता है), 'वह क्रोध से भर कर बोला', 'उसे आने से रोका गया है', 'उसकी योग्यता काम से प्रकट होती है' आदि वाक्य सही प्रयोग दिखाते हैं।
'दिल्ली और श्रीनगर के बीच दंगे हुए', 'बाबू लोग हिन्दी वाक्यों के बीच अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग कर देते हैं' जैसे वाक्यों में 'के बीच' की जगह 'में' का प्रयोग करना ठीक रहेगा।
'हमारे धर्मशास्त्रों के अन्दर बहुत कुछ पड़ा है', 'हमारी पाठ्यपुस्तक के अन्दर लिखा हुआ है' आदि वाक्यों में 'के अन्दर' की जगह 'में' का प्रयोग करना चाहिए। इसी तरह 'उस गाँव के भीतर दो कुएँ हैं', 'कल संसद के भीतर इस पर बहस होगी', 'वह संकटों के भीतर घबराने वाला नहीं है' आदि वाक्यों में 'के भीतर' की जगह 'में' का प्रयोग करना चाहिए।
'यहाँ', 'वहाँ', 'किनारे', 'आसरे', 'दरवाजे' आदि के बाद 'में' का प्रयोग नहीं होता।
हम ग़लती से 'में' की बिन्दी को अनुस्वार मान लेते हैं, जो चन्द्रबिन्दु है।
० ० ०
जारी...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें