कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 43
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इस भाग में हम विभक्ति चिन्ह 'पर' की चर्चा करेंगे।
सामान्यतः 'में' अंतः स्थिति का बोध कराता है और 'पर' बाह्य स्पर्श का। 'पे' या 'पै' भी 'पर' के स्थान पर (ब्रजभाषा वग़ैरह में) कई बार लिखा और बोला जाता है।
आधार के लिए, जैसे 'घोड़े पर बैठना', 'खाट पर सोना', 'सड़क पर चलना', 'पेड़ पर चढ़ना' आदि; दूरी का बोध कराने के लिए, जैसे 'एक कोस पर', 'चार हाथ की दूरी पर', 'एक एक हाथ के अन्तर पर', 'कुछ आगे जाने पर' आदि; आधार के पास होने (सामीप्याधार) पर, जैसे 'मेरा घर सड़क पर है', 'लड़का द्वार पर खड़ा है', 'फाटक पर सिपाही रहता है', 'तेरे दर पर', 'दरवाजे पर ही' आदि ; कारण बताने में, जैसे 'अच्छा करने पर इनाम मिलेगा', 'तो इस बात पर झगड़ा हो गया!', 'मेरे बोलने पर वे अप्रसन्न हो गए'; निश्चित काल के लिए, जैसे 'समय पर वर्षा नहीं हुई', 'नौ बजकर पैंतालीस मिनट पर', 'एक एक घंटे पर दवा ले लेना' आदि और 'तारीख पर तारीख', 'तगादे पर तगादा', 'दिन पर दिन भाव चढ़ रहे हैं', 'सिपाहियों पर सिपाही' जैसे आधिक्य या दोहराव (द्विरुक्ति) की स्थिति में 'पर' का प्रयोग किया जाता है।
'नौकरों पर दया', 'कन्या पर मोहित', 'आप पर विश्वास', 'वह अपनी जाति पर गया है', 'अपनी बात पर रहना', 'जहाँ अभी तालाब है, वहाँ पर किसी समय मन्दिर था' आदि में भी 'पर' का प्रयोग किया जाता है।
निरन्तरता या सातत्य (किसी बात के लगातार होते रहने पर) में भी 'पर' का प्रयोग होता है, जैसे 'बात पर बात निकलती है।
'छोटा होने पर भी', 'वह समझाने पर भी नहीं रुका', 'यह दवा चमड़े की बीमारियों पर भी काम करेगी' जैसे प्रयोग भी 'पर' के लिए देखे जा सकते हैं।
'चढ़ना', 'मरना', 'इच्छा करना', 'छोड़ना', 'घटना', 'निछावर', 'निर्भर' आदि के साथ 'पर' का प्रयोग होता है, जैसे 'नाम पर मरना', 'आज का काम कल पर छोड़ना', 'उसका जाना तुम्हारे जाने पर निर्भर है', 'पहाड़ पर चढ़ना' आदि।
'वे तालाब के किनारे पर बैठ गए', 'वह घर पर नहीं है', 'अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार ली', 'वह यहाँ पर नहीं है', 'हम तो आपके भरोसे जीवित हैं' आदि में 'पर' लगाना आवश्यक रहता है, लेकिन इसे अक्सर छोड़ दिया जाता है, जिसे उचित नहीं माना जाएगा।
'सारा दोष अपने सिर पर लेना', 'आप कहाँ पर थे' और 'आड़े हाथों पर लेना', 'मैं उसके दरवाजे पर कभी नहीं गया', 'उस जगह पर बहुत भीड़ थी', 'हम आपके पाँव पड़ते हैं' आदि में 'पर' का प्रयोग करना ठीक नहीं है।
कई बार 'पर' का प्रयोग कर दिया जाता है, जबकि उसके स्थान पर दूसरे शब्द आने चाहिए। इसके उदाहरण के लिए 'वह मरने पर है' (यहाँ 'को' होना चाहिए), 'इस युग में विज्ञान पर बड़ा महत्त्व दिया जा रहा है ' (यहाँ 'को' होना चाहिए), 'कश्मीर की नीति पर मंत्री ने एक वक्तव्य दिया' (यहाँ 'पर' के स्थान पर 'के सम्बन्ध में' का प्रयोग करना चाहिए), 'मुझ पर कोई लाचारी नहीं है' (यहाँ 'मुझपर 'की जगह 'मेरी' होना चाहिए), 'पत्र लम्बा होने पर माफी चाहता हूँ' ('की' या 'के कारण' होना चाहिए), 'किशोर पर मुझे सहानुभूति है' ('किशोर के साथ' या 'किशोर से' होना चाहिए), 'राहुल सांकृत्यायन ने हिन्दी पर बड़ा उपकार किया' ('का' होना चाहिए), 'उस पर क्या दोष है' ('उसका' होना चाहिए), 'तुम पर क्या दोष दियी जाय' ('तुमको' होना चाहिए), 'वह खेत पर चौकीदारी करता है' (यहाँ 'की' होना चाहिए), 'सामान दुकान पर है' ('में' होना चाहिए), 'हरदेव ने इस विषय पर अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया है' ('का' होना चाहिए), 'ऐसा करने पर कोई नुक़सान नहीं होगा' ('में' होना चाहिए), 'वह राजमहल पर चला गया' (यहाँ 'के ऊपर' होना चाहिए), 'इस कुएँ पर एक टीन डाल दें, तो अच्छा होगा' (यहाँ भी 'के ऊपर ' होना चाहिए) आदि देखे जा सकते हैं।
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जारी...
सोमवार, 14 दिसंबर 2015
कठिन नही है शुद्ध हिंदी-भाग-43
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