वैसे तो एक पागल व्यक्ति भी अपने आप को पागल नहीं मानता है परन्तु फिर भी हमें अपने अन्दर झांक कर पता लगाने का प्रयास करना चाहिये कि वास्तव में
मैं समझदार हूं या नहीं ।
मुझे मालूम है कि यदि किसी व्यक्ति की गर्दन धड़ से अलग हो जाये तो हाथी की गर्दन बिलकुल भी नहीं लग सकती है,लेकिन फिर भी मैं एक ऐसे देवता को सबसे पहले पूजता हूं जिसके हाथी की गर्दन लगी हुई है,अब अपने आप को समझदार समझूँ या बेवकूफ ।
मुझे मालूम है कि कोई भी व्यक्ति न तो हाथ में पहाड़ लेकर आकाश में उड़ सकता है व न सूर्य को गाल में दबा सकता है,लेकिन फिर भी मैं एक ऐसे देवता की पूजा करता हूँ जिसको इसी प्रकार से दिखाया गया है,अब मैं अपने आप को समझदार समझूँ या बेवकूफ।
मुझे मालूम है कि किसी भी महिला के दो से अधिक हाथ नहीं हो सकते हैं एवं न किसी महिला की पूजा करने से धन मिल सकता है या न विद्या मिल सकती है फिर भी मैं ऐसी कई देवीयों की पूजा करता हूँ,अब अपने आप को समझदार समझूँ या बेवकूफ।
मुझे मालूम है कि किसी भी जाति विशेष के व्यक्ति को दान देने से कोई धर्म नहीं होता है एवं न उसके द्वारा पूजा पाठ करवाने से कोई लाभ मिलने वाला है,फिर भी मैं ब्राह्मण को दान देता हूँ और उससे पूजा पाठ करवाता हूं,अब अपने आप को समझदार समझूँ या बेवकूफ ।
मुझे मालूम है कि हरिद्वार या अन्य किसी भी तीर्थ यात्रा करने से न कोई स्वर्ग मिलने वाला है एवं न कोई पाप धूलने वाले हैं,फिर भी मैं हरिद्वार ,पुष्कर या गंगा नदी में डुबकी लगाने जाता हूँ,अब अपने आप को समझदार समझूँ या बेवकूफ।
मुझे मालूम है कि मृत्यु होने के बाद किसी को कुछ भी मिलने वाला नहीं है फिर भी मैं श्राध, मृत्यु भोज अथवा मोसर करता हूँ,अब अपने आप को समझदार समझूँ या बेवकूफ।
मुझे मालूम है कि पिता के पिताजी को दादा कहते हैं या फिर कोई व्यक्ति दादागिरी करता है उसे भी दादा बोल देते हैं लेकिन मैं तो ब्राह्मण के बीस वर्ष के बेटे को भी दादा मानता हूँ उसका आशीर्वाद भी लेता हूँ,अब मैं अपने आप को समझदार समझूँ या बेवकूफ।
मुझे मालूम है कि असमानता,अशिक्षा,अन्धविश्वास,पाखण्डवाद,जातिवाद एवं पुरोहित वाद पापियों का काम है लेकिन मैं इस प्रकार के संगठन को धर्म कहता हूँ अब मैं अपने आप को समझदार समझूँ या बेवकूफ।
मुझे मालूम है कि गौतम बुद्ध,संत रैदास,कबीर,गुरू नानक,ज्योति राव फुले एवं बाबा साहेब अंबेडकर इन सभी ने देवी देवताओं की पूजा के लिए मना किया है लेकिन मैं उन सभी महापुरुषों की बात को दरकिनार करके इन देवी देवताओं की पूजा करता हूँ,अब मैं अपने आप को समझदार समझूँ या बेवकूफ।
मुझे मालूम है कि बाबा साहेब अंबेडकर के लिखे हुए संविधान में ही मेरा कल्याण लिखा हुआ है फिर भी मैं अखण्डपाठ रामायण का करवाता हूँ,अब मैं अपने आप को समझदार समझूँ या बेवकूफ।
मुझे मालूम है कि राजा राम ने अपनी गर्भवती पत्नी को घर से निकाल दिया था एवं एक दलित महापुरुष शम्भुक की हत्या केवल इस लिए कर दी थी कि वह लोगों को शिक्षा देता था फिर भी मैं जय श्रीराम बोलता हूँ लेकिन जो हमारा सच्चा भगवान है उसके लिए जय भीम बोलने से मैं गुरेज़ करता हूँ,अब अपने आप को मैं समझदार समझूँ या बेवकूफ।
मुझे यह भी मालूम है कि यदि मैंने अब अतिशीघ्र यह निर्णय नहीं लिया कि मैं समझदार हूँ या बेवकूफ,तो आने वाली पीढ़ियों मुझे माफ नहीं करेंगी एवं अब मैं स्वयं भी वास्तविकता को जान गया हूँ, इसलिए समय रहते मैंने कोई निर्णय नहीं लिया तो अपने आप को भी माफ नहीं कर पाऊँगा l
आज से ही अपने आपको बदलने का काम शुरू करें l
मंगलवार, 1 दिसंबर 2015
मैं पागल कहूँ
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