बुधवार, 6 जून 2012

मास्टरी का जख्म


सुन्दरपुर  इस आदिवासी गांव में कोई स्कूल न था ,यहाँ के लोग पढ़ना लिखना नही जानते थे ,प्रकृति के साथ मिलकर रहना इनकी दिनचर्या थी ,रोजमर्रा की वस्तुएँ प्रयोग में लेने के लिए यदा-कदा ४० किलोमीटर दूर शहर जाते थे ,अधिकतम ये अपनी आवश्यकताए स्थानीय रूप से पूरी कर लेते थे !बाजार जाने की बहुत ही कम आवश्यकता पड़ती थी !
इस
पंचवर्षीय योजना में एक प्रायमरी स्कूल खुल जाना बेहद रोचक था ! ,,यहाँ किसी मास्टर का आना बहुत ही दुष्कर
 था ,क्यों की शहर की दुरी ज्यादा होने के कारण कोई भी तैयार न था ,,पर मालती को इस सुन्दरपुर गांव में बच्चो को शिक्षा देने के लिए तैनात किया गया ,,मालती कुछ रास्ता साधन के द्वारा ,,तथा शेष रास्ता , लगभग किलोमीटर का रास्ता पैदल ही चल कर आई ,,,लकड़ी केलू (खपरैल ) के मकान दूर-दूर बने है ,या ये कहले ली सभी का मकान अपने  खेतों में बने है ,चारो तरफ जंगल ही जंगल है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सुन्दरपुर में जैसे ही मालती ने कदम रख तो उसे देखकर नौजवानों की भीड़ जमा हो गई ,,,बच्चे तो जैसे किसी अप्सरा को घेर कर खड़े हो गए ,,लोगो में कानाफूसी होने लगी की ये कौन हमारे गांव में गया है ,सुन्दरपुर के सरपंच रामदीन को बुलाया गया ,और बातचीत शुरू हुई ,,उसकी बातचीत भी कौतुक का विषय बना हुआ था ,,रामदीन ने पूछा की आप कौन है ,यहाँ क्या करने आई है ,,तो मालती ने कहा की हमारी नियुक्ति स्कूल में पढ़ाने के लिए हुई है ,,,,हम इस गांव में आज से पढाएंगे ,,,,,,,लोगो ने कहा की आज तक तो यहाँ कोई पढ़ाई तो हुई नही,,, आज क्या होगी ,,लेकिन सरपंच के समझाने से सभी मान गए ,,, वही पर सरपंच का लडका हरी भी था ,वह तो लगातार मालती को घूर-घूर देखे ही जा रहा था ,जैसे उसने पहली बार इतनी खूबसूरत लड़की को देखा हो,,,वो तो बस उसके यौवन को निहारे जा रहा था ,,,मालती ने उसे देख कर थोडा दूर खिसक गई ,,लोग समझ गए और कहने लगे की ये सरपंच साहब का लड़का है जो दिमाग से कमजोर है या ये कह लो की पागल है ,और इसे रात में नींद में चलने की भी बीमारी है ,,इसी बीमारी के कारण ही कई बार गांव में मारा भी जा चुका है !अब मालती का मन शांत हुआ ,,,,,,,,
 अब मालती के लिए रहने  के लिए मकान की आवश्यकता थी,,, जो वहाँ  था नही !!सरपंच जी के कहने से सभी नौजवानों ने सभी आवश्यक सामान जुटा कर शाम तक एक खूबसूरत मकान बना दिया ! अब रोज सुबह दस बजे घंटी की आवाज बजती और बच्चे स्कूल की ओर दौड पड़ते ,,अब स्कूल में,,,,,,,,,,ख,,,,,,,,,,,ग,,,,,,,,,,,,और ,,,१,,,,,,,,,,,,,२,,,,,,,,,,,,,,,,३,,,,,,,,,,,तथा ,,,,,,,,A,,,,,,,,,,,,,,,,B,,,,,,,,,,,,,,,,,C,,,,,,,,,,,,,,,,,,,के स्वर व्यंजन गूंजने लगे ,,बच्चे भी अब अपनी टीचर दीदी का पूरा ध्यान रखते ,,बच्चो का पूरा समय स्कूल में ही बीतने लगा जैसे घर वालो को भी अपने बच्चो से फुरसत मिल चुकी हो ,,,,,हरी भी स्कूल आता और स्कूल में बैठता ,टीचर दीदी के असर से जैसे हरी का तो पागलपन भी दूर होंने  लगा था ,,,
आज शाम से ही घनघोर घटाए आकाश में छाने लगी थी ,,हल्का तूफान भी आया था ,फिर भी बयार तो चल ही रही थी ,,,,ऊपर से पानी भी बरसने लगा था ,मालती अपने नए मकान में एक दीपक जला कर अकेली ही सोने की तैयारी में थी,,,,,,,नींद न आने के कारण वह एक किताब के पन्ने पलट ही रही थी की खिडकी पर कोई परछाई जैसी दिखी ,,मालती ने कहा कौन है तो आवाज न आई ,,,बारिस की वजह से शोर होने के कारण कोई आवाज सुनाई भी नही दे रही थी ,,,लेकिन अचानक हरी का चेहरा मालती ने देखा ,,और बोली हरी तुम यहाँ इतनी रात को ,,,इतना कहते ही हरी ने दरवाजे को जोर का धक्का मार कर अंदर आ गया ,,और आते ही मालती पर टूट पडा ,,मालती बहुत प्रयास करती रही और कहती रही की हरी तुम तो पागल हो ,,,,हरी ने कहा मुझे नई -नई कलियों का रस चूसने के लिए ही मैंने पागल का भेष बनाया है ,,,,अब वहाँ हरी और मालती थे पर मालती को बचाने वाले भगवान भी नही थे ,,आज उसके नौ दुर्गा के नौ दिन का ब्रत ,,भगवान शंकर का सोलह सोमवार का ब्रत भी व्यर्थ चला गया ,,देवराज इन्द्र जैसे आकाश रूपी कैमरे से फोटो उतरे जा रहे हो ,,,,,,हरी कई घंटो तक मालती के साथ यौनाचार किये जा रहां  था ,,,,अब हरी तो भाग गया ,और रह गई थी तो उस कमरे में मालती ,,जो अपनी लुटी हुई इज्जत को समेटने में रात भर लगी रही  और घोर सोच में डूबी रही ! ,,,मालती ने पूरे गांव के सामने अपनी लुटी हुई इज्जत की दुहाई  ,,दे रही थी ,,,लोगो ने हरी को पकड़ लाए ,,और मारने लगे ,,,अंदर से मालती आई और लोगो को हरी को मारने से रोकने लगी ,, ,और बोली आप लोग उसे क्यों मार रहे हो ,,लोगो ने  कहा की इसने आप के साथ बहुत गलत काम किया है ,इसलिए हम इसे मार डालेंगे ,,,,,मालती ने कहा आप लोग इसे मत मारिये ,यह तो पागल है ..पागल के साथ आप पागल क्यों हो रहे हो ,,फिर आप में और एक पागल में क्या अंतर है ,,,,,मैं ही इस गांव को छोड़ कर चली जाती हू ,,,वह तो पागल है ,उसका क्या ,,,,मालती ने अपना सामान उठाया और चल दी ,जहाँ से वह आई थी ,,उन अतीत की गलियों में फिर खो गई ,और रह गई मालती की यादें ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
 

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