शुक्रवार, 8 जून 2012

ख़ामोशी


  1. कुछ  तो  समझो  मेरी  खामोशियो  को
    कुछ 
     सुनकर  नही  एहसास कर के देखो
    मेरे  दिल मे कितनी चाहत है तुम्हारे लिए
    मेरे ख्वाबो मे जब तेरी तस्वीर आई होगी
    उस 
     वक्त मेरे दिल  मे क्या गुजरी होगी
    कभी 
     देखने  की  कभी  पास  आने की 
    कभी  छू  लेने  की  तमन्ना  हुई  होगी  

    जब 
     तुम  पल  दो  पल  मेरे  साथ थी 
    जिंदगी
     का हर  पल  सुहाना  लगता  था 
    चाँद  
     भी  बादलों  मे  उतर  आया  था
    तेरी शबनमी आखो मे अपना प्यार ढू
    ढता रहा 
    जिंदगी के  सफर मे एक हमसफर ढूढता रहा  
    अब तो  शायद  तक़दीर  भी  अपना  साथ  नही देती 
    अब तुम बोलो इस बेगानी दुनिया मे "नरेन्द्र " कहाँ जाए   !!!!!!!!!!!!!!!!!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें