कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 18० ० ०र के तीन रूप कर्म, ट्रक और क्रम में देखे जा सकते हैं। यहाँ हम विशेष रूप से हम रेफ की चर्चा करेंगे। रेफ आधा र के बदले आता है और शब्द में शिरोरेखा के ऊपरकुछ कुछ c जैसा लिखा जाता है। रेफ किसी भी वर्ण के पाई(।) चिन्ह के ऊपर ही लिखते हैं और यदि ट, ड, द, ह आदि वर्ण हों, तो उनके ऊपरी उदग्र (खड़े) छोटे भाग पर, जैसेर्ट, र्ङ, र्ड, र्द, र्ह। पंजाबी भाषा में रेफ नहीं होने से कर्म, धर्म आदि को करम, धरम आदि लिखते पढ़ते हैं। एंद्र प्रत्यय वाले शब्द भी वहाँ द्र को दर बनाकर बोले जाते हैं, जैसे अमरेंद्र को अमरेंदर। रेफ की कमी हम भारत की कई लोकभाषाओं में भी देख सकते हैं, जैसे ब्रजभाषा, भोजपुरी, अवधी आदि में। रेफ का प्रयोग आसान है, लेकिन ध्यान न देने पर प्रायः ग़लती होने की संभावना बनी रहती है। रेफ को लिखते समय एक बात उल्टी होती है, र् का उच्चारण पहले होता है और इसे लिखते व्यंजन के बाद में (ऊपर) हैं। शर्म में श के बाद र् है, फिर म; लिखते समय हम श के बाद म लिखकर तब रेफ लगाते हैं। आशीर्वाद, अंतर्राष्ट्रीय,अंतर्गत आदि शब्दों को रेफ पर ध्यान नहीं देने के कारण आर्शीवाद, अंर्तराष्ट्रीय,अंर्तगत आदि लिख जाना एक आम ग़लती है। अगर उच्चारण पर विचार करें, तो इसमें कोई विवाद या समस्या नहीं है। जहाँ पहले र् बोलते हैं, वहाँ अगले वर्ण पर रेफ लगाते हैं, जैसे वर्षा, वर्गों, आयुर्वेद आदि में वर्, वर्, आयुर् के बाद षा, गों, वेद आते हैं; इसलिए षा पर रेफ लगाकर र्षा, गो पर लगाकर र्गों और वे पर रेफ लगाकर र्वे लिखे गए हैं।क्रम, श्रम, प्रतियोगिता, ट्रक, द्रुत आदि के र र् नहींहैं, इसलिए रेफ इन शब्दों में नहीं है। इनमें पूरा र है। स्पष्टीकरण के लिए वर्ण विच्छेद देखते हैं -क् + र = क्र,
श् + र = श्र,
ट् + र = ट्र,
द् + र = द्र
ह् + र = ह्र,
स् + र = स्र,
र् + र = र्र,
त् + र = त्र।
अब रि और ऋ पर आते हैं। ऋ संस्कृत के ही शब्दों में आने वाला पुराना स्वर है। तत्सम (संस्कृत मूल के) शब्दों के अतिरिक्त ऋ कहीं नहीं होता। ऋग्वेद, ऋण, ऋषि, ऋतु, ऋचा, ऋणावेशित, ऋच्छ, ऋजु, ऋक्ष, ऋतंभरा, ऋषभ, ऋषभदेव, ऋषिकेश आदि बहुत कम शब्दों में ही ऋ है। इनमें रि का प्रयोग सही नहीं है।हिन्दी फ़िल्मों में जूठे को झूठे और झूठे को जूठे कहने की ग़लती देखी जा सकती है। ज और झ के आपस में बदल देने की आदत सुधार लेनी चाहिए। ऐसी ही ग़लती ट और ठ कोलेकर प्रायः की जाती है। यहाँ कुछ ऐसे शब्द उदाहरण केलिए दिए जा रहे हैं, जिनमें ट की जगह ठ लिखना ग़लत है - अंत्येष्टि, इष्ट, परिशिष्ट, मिष्टान्न, स्पष्ट, पुष्टि, अभीष्ट, चेष्टा, प्रविष्ट, यथेष्ट, विशिष्ट, छींटे, चोट आदि। इनमें ट के स्थान पर ठ नहीं लिखा जानाचाहिए। मिष्ठान्न शब्द भी अब प्रचलन में आ गया है। षष्ठी का अर्थ छठी, छठी तिथि आदि है, जबकि षष्टि का अर्थ साठ (60) है। यह पहले ही बताया जा चुका है कि ठ काद्वित्व नहीं होता, इसलिए इकठ्ठा, मुठ्ठी, चिठ्ठी आदि शब्द ग़लत हैं।० ० ०जारी...
मंगलवार, 14 जुलाई 2015
कठिन नही है शुद्ध हिंदी-भाग-18
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