बुधवार, 29 जुलाई 2015

कठिन नही है शुद्ध हिंदी-भाग-21

कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 21० ० ०पूर्ण व्यंजन के स्थान पर अर्ध व्यंजन को नहीं लिखा जाना चाहिए, लेकिन कई बार उनतीस को उन्तीस, ग़लत को गल्त, कृपया को कृप्या, उनतालीस को उन्तालीस, चरमोत्कर्ष को चर्मोत्कर्ष लिखा मिल जाता है। इसमें सबसे ज़्यादा प्रचलित कृपया को कृप्या लिखा या बोला जाना है। शुद्ध रूप कृपया है। पूर्णता से पूर्णतया, सामान्यता से सामान्यतया आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार कृपा से कृपया बना है। इसके रूप को समझने के लिए संस्कृत व्याकरण में जाना पड़ेगा। यहाँ इतना कहना काफ़ी होगा कि स्त्रीलिंग आकारान्त शब्द के इस रूप में अंत का आकार या में बदल जाता है। जैसे श्रद्धा शब्द के अंत में आ है और यह स्त्रीलिंग है, इसलिए श्रद्धा का आ या से विस्थापित होगा और श्रद्धया बन जाएगा। महोदय से महोदया इस आधार पर नहीं बनता, यह ध्यान रखें।परकार (फ़ारसी का शब्द, ज्यामितिक उपकरण) और प्रकार दो भिन्न शब्द हैं; इसलिए प्रकार के स्थान पर परकार नहीं लिखा जा सकता। स्वास्थ्य को स्वास्थय या स्वस्थ्य, ज्योत्स्ना को ज्योत्सना, उज्ज्वल को उज्जवल, परमाणु को प्रमाणु लिखना और बोलना ग़लत है। इनके शुद्ध रूप का ध्यान रखना ज़रूरी है क्योंकि इन शब्दों में ग़लती सामान्य रूप से देखी जाती है।शर्मा को शरमा नहीं लिखा जा सकता, क्योंकि शब्दों के अर्थ में ही थोड़ी असावधानी अंतर ला देती है।अब हम शब्दों में य को लिखे जाने और न लिखे जाने पर विचार करेंगे। गृहस्थ, केन्द्रीकरण, सदृश, मूलतः, कृतकृत्य, अंतर्धान को क्रमशः गृहस्थ्य, केन्द्रीयकरण, सदृश्य, मूलतयः, अंतर्ध्यान, कृत्यकृत्य लिखना ग़लत है। अंतर्धान का अर्थ लुप्त हो जाना है और अंतर्ध्यानी का अर्थ आत्मा का ध्यान करने वाला है।मानवीय, उद्देश्य, कवयित्री, अंत्याक्षरी, सामर्थ्य आदि को मानवी, उद्देश, कवित्री, अंताक्षरी, सामर्थ नहीं लिखा जा सकता। जहाँ य का प्रयोग होता है, वहाँ उसे छोड़ना और जहाँ नहीं होता, वहाँ शामिल करना दोनोंअनुचित है। मान और लक्ष में य लगाने से मान्य और लक्ष्य बन जाते हैं, जो भिन्न अर्थ देते हैं। उपलक्ष्य या परिप्रेक्ष्य को उपलक्ष या परिप्रेक्ष लिखना या बोलना उचित नहीं है। वयस्क को प्रायः व्यस्क लिख दिया जाता है। वयस्क शुद्ध रूप है, यह ध्यान रखा जाना चाहिए।य के स्थान पर इ को लेकर भी भ्रम की स्थिति बनी रहती है। साइंस, फाइनल, राइटर, साइकिल, लाइसेंस, आइंदा आदि को सायंस, फायनल, रायटर, सायकिल, लायसेंस, आयंदा नहीं लिखा जाना चाहिए। पटना के प्रसिद्ध साइंस कॉलेज के द्वार पर सायंस कॉलेज लिखा है। इन शब्दों में इ के स्थान पर य को अंग्रेज़ी या हिन्दी के किसी नियम के आधार पर सही नहीं कहा जा सकता।हिन्दी में कई बार अक्षर एक दूसरे को विस्थापित कर देते हैं। चिह्न, ब्रह्म, आह्लाद, मध्याह्न, ब्राह्मण,जिह्वा आदि शब्दों में संयुक्ताक्षर के दोनों अक्षरों ने अपने स्थान की अदला बदली कर नया रूप ग्रहणकर लिया है, लेकिन इनका पुराना रूप भी प्रचलित है। इससे उच्चारण सरल बना है। चिह्न को चिन्ह लिखना या बोलना दोनों अपेक्षाकृत आसान है। इसी प्रकार ब्रह्म ब्रम्ह, आह्लाद आल्हाद, मध्याह्न मध्यान्ह, ब्राह्मण ब्राम्हण, जिह्वा जिव्हा में बदल गए हैं। आह्वान, पूर्वाह्न, अपराह्न आदि शब्द उच्चारण की दृष्टि से थोड़े जटिल वाले माने जा सकते हैं। आह्वान के लिए आवाहन शब्द भी मौजूद है।० ० ०जारी...

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