शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

आरक्षण

������आरक्षण और भारत के मूलनिवासी बहुजन����������
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भारत के मूलनिवासियो को अभी तक समझ में नहीं आया है कि आरक्षण क्या है।
   आरक्षण तीन प्रकार का है:
   1=शिक्षा का आरक्षण
    2=नौकरी (सर्विस) का     आरक्षण
     3= राजनीतिक आरक्षण
        गोलमेज सम्मेलन लन्दन में हुए जिसमे बाबा साहब आंबेडकर ने अछूतों की लड़ाई लड़ते हुये जिस अधिकार को हासिल किया था उसे  कम्युनल अवार्ड के नाम से जाना जाता है ।
इसमें 4 अधिकार प्रमुख थे
   (A) पृथक निर्वाचन क्षेत्र
   (B) दो वार वोट देने का अधिकार
   ( C)वयस्क मताधिकार
   (D)संख्यानुपत में
         प्रतिनिधित्व
          24 सितम्बर 1932 को बाबा साहब अम्बेडकर को गांधीजी और उनके चेले चपाटों ने दबाव बनाकर  षड्यंत्र करके पूना
की यरवदा जेल में एक
समझौता किया जिसे पूना पैक्ट  कहा जाता है।
   इस पैक्ट की बजह से राजनीतिक आरक्षण दिया गया जो की 10 साल बाद समीक्षा में बाद उसको समाप्त किया जा सकता है या आगे बढ़ाया जा सकता है।
   इस पैक्ट का विरोध 25 सितम्बर 1932 से बाबा साहब अम्बेडकर जीवन भर विरोध करते रहे लेकिन ब्राह्मणों ने बगैर किसी चर्चा के प्रत्येक 10 साल बाद उसको बढ़ाते जाते है। क्योकि राजनीतिक आरक्षित सीटो से चुने हुए लोगो को ब्राह्मणों ने Agent बना दिया है agent का हिंदी में मतलब है मध्यस्त और देशी बोली भाषा में मतलब है दलाल और भड़वा ।
वर्तमान में 131 सांसद अनुसूचित जाति/जनजाति
के है 1 भी सांसद  आरक्षण के लिये मुँह नहीं खोलता है क्योकि ब्राह्मणों ने हमारे प्रतिनिध के रूप में चुने हुए सांसदों को गुलाम बनाकर दलाली करने पर मजबूर कर दिया है।
पूना पैक्ट एक बड़ा विषय है इसके बारे अभी इतना ही। सारांश यह है की राजीनितक आरक्षण10साल बाद समाप्त होना या बढ़ना है तो दोनों पार्टिओ के बीच चर्चा होने के बाद निर्णय लिया जाना चाहिए।
2 =नौकरियो में आरक्षण 1942 में बाबा साहब  अम्बेडकर ने दिया जो 8.5% था , उस समय बाबा साहब लेबर मिनिस्टर थे।
3= जब संविधान लिखने का  अवसर मिला तो बाबा साहब अम्बेडकर ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की संख्यानुपात में 21.5%आरक्षण की व्यवस्था नौकरियो और शिक्षा में की जो आज 22.5%है।
     नौकरियो और शिक्षा का आरक्षण का आधार सामाजिक शैक्षणिक पिछड़ापन और अशप्रशयता (untouchability) है।
अछूत लोगो के साथ भेदभाव करते हुए प्रशासन में इनके प्रतिनिधित्व को सुरक्षित करने (safegaurd) के रूप मैं अनुच्छेद 16 को बाबा साहब ने लिखा जो कि मौलिक अधिकार है इसे कोई समाप्त नहीं कर सकता है।
अर्थात आरक्षण प्रतिनिधित्व है रोजगार गारन्टी योजना या गरीबी उन्मूलन जा कार्यक्रम नहीं है।
भारत की अनुसूचित जातियो और अनुसूचित जातियो का प्रतिनिधित्व सुनिशिचत करके  इनका विकास किया जा सकता है।
अनुसूचित जाति के लिए 341 अनुसूचित जनजाति के लिए 342 और अन्य पिछड़े वर्ग के लिए 340 अनुच्छेद लिखे है।
  जब अनुच्छेद 340 के अंतर्गत अन्य पिछड़े वर्ग केलिए बने आयोग (काका कालेलकर आयोग) ने रिपोर्ट सरकार को सौपी तो डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने कहा  आरक्षण  ब्राह्मणों के लिए डेथ वारंट(death warnt) है और रिपोर्ट को कचरे के डिब्बे में डाल दिया।
वाद में जनता पार्टी के सरकार  ने दवाब में आकर मण्डल कमीशन गठित किया जो की लागु ना हो इसके लिये इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की कुर्वानी ब्राह्मणों ने दी ।
   यही नहीं मंडल को रोकने के लिये बाबरी मस्जिद कांड किया।
   भारत के मूल निवासियो के शासन प्रशासन में प्रतिधिनित्व को रोकने के लिए निरन्तर षड्यंत्र किये जा रहे है। पोस्ट ज्यादा लम्बा हो गया है  अभी और कई जानकारी देना बाकी है।
सारांश=
आरक्षण वह अधिकार है जिसके माध्यम से ब्राह्मणों द्वारा निर्मित क्रमिक असमानता की व्यवस्था जो मनु समृति पर आधारित है समाप्त हो सकती है । ब्राह्मण अपने वर्चस्व को बचाने के लिए कुछ भी कर सकते है।क्योकि आरक्षण गुलाम मूलनिवासियो के लिए शासक बनने का अधिकार है।
हमारे पास विकल्प क्या है।।   समाज को सही जानकारी देकर जाग्रत करना और फिर संगठित करके शक्ति जा निर्माण करना।
निर्मित शक्ति जा उचित समय ओअर समुचित उपयोग करके व्यवस्था व्यवस्था परिवर्तन करना।
और फिर समस्याएं हमारी और समाधान भी हमारा।
जय मूलनिवासी।
(ड़ॉ राजेश राष्ट्रीय महासचिव इंडियन मेडिकल प्रोफेशनल एसोसियशन)

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