कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 37
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इस भाग में हम विभक्ति चिन्ह 'ने' पर बात करेंगे। हिन्दी में कर्ता के साथ ने चिन्ह का प्रयोग होता है और नहीं भी होता है। 'मैंने किताब पढ़ी', 'तुमने उसे देखा है!', 'राम ने रोटी खाई होगी', 'तुमने पुस्तक पढ़ी होती, तो ऐसी बातें न करते' और 'सोहन ने कलम खरीदी थी', इन पाँच प्रकार के वाक्यों में कर्ता के साथ ने चिन्ह का प्रयोग होता है; अन्य में नहीं, चाहे वाक्य किसी भी काल का हो! इन्हीं पाँच तरह के वाक्यों में क्रिया कर्म के अनुसार लिंग और वचन धारण करती है, जैसे 'राम ने किताब पढ़ी', 'राम ने किताब पढ़ी है', 'राम ने किताब पढ़ी थी', 'राम ने किताब पढ़ी होगी', 'राम ने उपन्यास पढ़ा होता, तो वह समझ जाता'। पीछे ऐसे बहुत सारे उदाहरण दिए जा चुके हैं। व्याकरण में इन पाँच प्रकार के वाक्यों के लिए काल के अलग अलग नाम (प्रकार) मिलते हैं। यहाँ हम उनसे बचना चाहते हैं। 'राम ने जाता है', 'उसने जाएगा', 'गौतम ने पढ़ रहा है', 'रौशनी ने खा रही थी', 'किशोर ने जाएगा', 'उसने गया हो', 'राम ने खाता होगा', 'सतीश ने जा चुका है', 'कामिनी ने किताब लिख चुकी है', 'तुमने जा चुके थे', 'उसने आए, तो मैं जाऊँ!' आदि में 'ने' का प्रयोग नहीं होता। जब सकर्मक क्रिया हो, तभी ऊपर वाले वाक्यों में 'ने' लगेगा। 'मैंने रोया', 'हम किताब पढ़ी', 'मैंंने गया था', 'वह पुस्तक पढ़ा होगा', 'वह पुस्तक पढ़ा था', 'सीता रोटी बनाई', 'तुम किताब पढ़ी', 'मैं कलम खरीदा' जैसे वाक्य अशुद्ध हैं। ऐसे वाक्यों का 'ने' का उचित प्रयोग नहीं हुआ है।
नहाना, छींकना, थूकना, खाँसना जैसी अकर्मक क्रियाओं के साथ भी 'ने' का प्रयोग होता है; जैसे 'आपने नहाया', 'मैंने छींका', 'तुमने खाँसा', 'किशोर ने थूका' आदि में ने का प्रयोग हुआ है।
कई बार अकर्मक क्रिया सकर्मक बन जाती है, तब ऊपर बताई पाँच स्थितियों में ने का प्रयोग होता है, जैसे 'उसने लड़ाई लड़ी', 'तुमने टेढ़ी चाल चली' आदि।
खा जाना, दे देना, खा लेना आदि संयुक्त क्रिया के उदाहरण हैं। इनमें दो क्रियाएँ मिलकर क्रिया बनाती हैं। जब वाक्य ऊपर के पाँच प्रकार के वाक्यों में से हो और उसमें संयुक्त क्रिया हो, तो ने का प्रयोग होता है। 'मैंने खा लिया', 'उसने खा लिया है', 'सुधीर ने नहा लिया होगा', 'कुमार ने बाघ को मार दिया था' आदि इसके उदाहरण हैं। चुकना वाले वाक्यों पर यह बात लागू नहीं होती। 'मैंने खा चुका हूँ', 'उसने जा चुका था', 'तुमने खा चुके होगे' जैसे वाक्य अशुद्ध हैं।
प्रेरणार्थक क्रियाओं के साथ भी ऊपर वाले पाँच तरह के वाक्यों में ने का प्रयोग होता है, जैसे 'मैंने पढ़ाया', 'तुमने सड़क बनवाई है?', 'राम ने पतंग उड़ाई थी' आदि।
बोलना, भूँकना, बकना, भूलना, लाना आदि क्रियाओं के साथ ने चिन्ह का प्रयोग नहीं होता। 'उसने बोला', 'मैंने भूला', 'राम ने बहुत बका' आदि में ने का प्रयोग किया गया है, जो ठीक नहीं है। 'मैं भूला', 'राम बहुत बका', 'मैं बोला' जैसे प्रयोग सही हैं। 'बोलना' क्रिया के साथ यदि 'बोली' कर्म के रूप में आए, तो 'ने का प्रयोग होता है, जैसे 'उसने बोलियाँ बोलीं' में ने का प्रयोग हुआ है।
संयुक्त क्रिया का अन्तिम खण्ड अकर्मक होने पर ने का प्रयोग नहीं होता। 'मैं खा चुकूँगा', 'वह पुस्तक ले आया', 'उसे रेडियो ले जाना है' जैसे वाक्य इसके लिए देखे जा सकते हैं।
लगना, जाना, सकना, चुकना आदि सहायक क्रियाओं के साथ ने का प्रयोग नहीं होता है। 'वह खा चुका', 'मैं पानी पीने लगा', 'वह नहीं खा सका' आदि इसके उदाहरण हैं। 'तुमने उधार चुका दिया' में 'चुकना' मुख्य क्रिया है, सहायक नहीं, इसलिए ने का प्रयोग हुआ है। सहायक क्रिया मुख्य क्रिया की सहायता करती है, जैसे 'उसे बाघ ने मार डाला' में 'मारना' मुख्य क्रिया है और 'डालना' सहायक क्रिया, लेकिन 'जेब में पैसे डालो' में 'डालना' मुख्य क्रिया है।
गुजराती और पंजाबी के प्रभाव में 'मैंने खाना है', 'राम ने बम्बई जाना है', 'किसने पढ़ना है' जैसे वाक्य बोलना हिन्दी में सही नहीं माना जा सकता। 'मुझे खाना है', 'राम को बम्बई जाना है' जैसे वाक्य सही हैं।
भविष्यकाल के वाक्यों में कहीं भी ने का प्रयोग नहीं किया जाता।
'उसे गाने का रियाज किया', 'क्या आप भोजन कर लिया?', 'मैं समझा कि वह अच्छा आदमी है', 'हमने चले जाना चाहिए', 'मैं उसे पहचाना नहीं' आदि के स्थान पर 'उसने गाने का रियाज किया', 'क्या आपने भोजन कर लिया?', 'मैंने समझा कि वह अच्छा आदमी है', हमें चले जाना चाहिए', 'मैंने उसे पहचाना नहीं' जैसे वाक्य लिखने और बोलने चाहिए, क्योंकि पहले वाले रूप अशुद्ध हैं।
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जारी...
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इस भाग में हम विभक्ति चिन्ह 'ने' पर बात करेंगे। हिन्दी में कर्ता के साथ ने चिन्ह का प्रयोग होता है और नहीं भी होता है। 'मैंने किताब पढ़ी', 'तुमने उसे देखा है!', 'राम ने रोटी खाई होगी', 'तुमने पुस्तक पढ़ी होती, तो ऐसी बातें न करते' और 'सोहन ने कलम खरीदी थी', इन पाँच प्रकार के वाक्यों में कर्ता के साथ ने चिन्ह का प्रयोग होता है; अन्य में नहीं, चाहे वाक्य किसी भी काल का हो! इन्हीं पाँच तरह के वाक्यों में क्रिया कर्म के अनुसार लिंग और वचन धारण करती है, जैसे 'राम ने किताब पढ़ी', 'राम ने किताब पढ़ी है', 'राम ने किताब पढ़ी थी', 'राम ने किताब पढ़ी होगी', 'राम ने उपन्यास पढ़ा होता, तो वह समझ जाता'। पीछे ऐसे बहुत सारे उदाहरण दिए जा चुके हैं। व्याकरण में इन पाँच प्रकार के वाक्यों के लिए काल के अलग अलग नाम (प्रकार) मिलते हैं। यहाँ हम उनसे बचना चाहते हैं। 'राम ने जाता है', 'उसने जाएगा', 'गौतम ने पढ़ रहा है', 'रौशनी ने खा रही थी', 'किशोर ने जाएगा', 'उसने गया हो', 'राम ने खाता होगा', 'सतीश ने जा चुका है', 'कामिनी ने किताब लिख चुकी है', 'तुमने जा चुके थे', 'उसने आए, तो मैं जाऊँ!' आदि में 'ने' का प्रयोग नहीं होता। जब सकर्मक क्रिया हो, तभी ऊपर वाले वाक्यों में 'ने' लगेगा। 'मैंने रोया', 'हम किताब पढ़ी', 'मैंंने गया था', 'वह पुस्तक पढ़ा होगा', 'वह पुस्तक पढ़ा था', 'सीता रोटी बनाई', 'तुम किताब पढ़ी', 'मैं कलम खरीदा' जैसे वाक्य अशुद्ध हैं। ऐसे वाक्यों का 'ने' का उचित प्रयोग नहीं हुआ है।
नहाना, छींकना, थूकना, खाँसना जैसी अकर्मक क्रियाओं के साथ भी 'ने' का प्रयोग होता है; जैसे 'आपने नहाया', 'मैंने छींका', 'तुमने खाँसा', 'किशोर ने थूका' आदि में ने का प्रयोग हुआ है।
कई बार अकर्मक क्रिया सकर्मक बन जाती है, तब ऊपर बताई पाँच स्थितियों में ने का प्रयोग होता है, जैसे 'उसने लड़ाई लड़ी', 'तुमने टेढ़ी चाल चली' आदि।
खा जाना, दे देना, खा लेना आदि संयुक्त क्रिया के उदाहरण हैं। इनमें दो क्रियाएँ मिलकर क्रिया बनाती हैं। जब वाक्य ऊपर के पाँच प्रकार के वाक्यों में से हो और उसमें संयुक्त क्रिया हो, तो ने का प्रयोग होता है। 'मैंने खा लिया', 'उसने खा लिया है', 'सुधीर ने नहा लिया होगा', 'कुमार ने बाघ को मार दिया था' आदि इसके उदाहरण हैं। चुकना वाले वाक्यों पर यह बात लागू नहीं होती। 'मैंने खा चुका हूँ', 'उसने जा चुका था', 'तुमने खा चुके होगे' जैसे वाक्य अशुद्ध हैं।
प्रेरणार्थक क्रियाओं के साथ भी ऊपर वाले पाँच तरह के वाक्यों में ने का प्रयोग होता है, जैसे 'मैंने पढ़ाया', 'तुमने सड़क बनवाई है?', 'राम ने पतंग उड़ाई थी' आदि।
बोलना, भूँकना, बकना, भूलना, लाना आदि क्रियाओं के साथ ने चिन्ह का प्रयोग नहीं होता। 'उसने बोला', 'मैंने भूला', 'राम ने बहुत बका' आदि में ने का प्रयोग किया गया है, जो ठीक नहीं है। 'मैं भूला', 'राम बहुत बका', 'मैं बोला' जैसे प्रयोग सही हैं। 'बोलना' क्रिया के साथ यदि 'बोली' कर्म के रूप में आए, तो 'ने का प्रयोग होता है, जैसे 'उसने बोलियाँ बोलीं' में ने का प्रयोग हुआ है।
संयुक्त क्रिया का अन्तिम खण्ड अकर्मक होने पर ने का प्रयोग नहीं होता। 'मैं खा चुकूँगा', 'वह पुस्तक ले आया', 'उसे रेडियो ले जाना है' जैसे वाक्य इसके लिए देखे जा सकते हैं।
लगना, जाना, सकना, चुकना आदि सहायक क्रियाओं के साथ ने का प्रयोग नहीं होता है। 'वह खा चुका', 'मैं पानी पीने लगा', 'वह नहीं खा सका' आदि इसके उदाहरण हैं। 'तुमने उधार चुका दिया' में 'चुकना' मुख्य क्रिया है, सहायक नहीं, इसलिए ने का प्रयोग हुआ है। सहायक क्रिया मुख्य क्रिया की सहायता करती है, जैसे 'उसे बाघ ने मार डाला' में 'मारना' मुख्य क्रिया है और 'डालना' सहायक क्रिया, लेकिन 'जेब में पैसे डालो' में 'डालना' मुख्य क्रिया है।
गुजराती और पंजाबी के प्रभाव में 'मैंने खाना है', 'राम ने बम्बई जाना है', 'किसने पढ़ना है' जैसे वाक्य बोलना हिन्दी में सही नहीं माना जा सकता। 'मुझे खाना है', 'राम को बम्बई जाना है' जैसे वाक्य सही हैं।
भविष्यकाल के वाक्यों में कहीं भी ने का प्रयोग नहीं किया जाता।
'उसे गाने का रियाज किया', 'क्या आप भोजन कर लिया?', 'मैं समझा कि वह अच्छा आदमी है', 'हमने चले जाना चाहिए', 'मैं उसे पहचाना नहीं' आदि के स्थान पर 'उसने गाने का रियाज किया', 'क्या आपने भोजन कर लिया?', 'मैंने समझा कि वह अच्छा आदमी है', हमें चले जाना चाहिए', 'मैंने उसे पहचाना नहीं' जैसे वाक्य लिखने और बोलने चाहिए, क्योंकि पहले वाले रूप अशुद्ध हैं।
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