बुधवार, 25 नवंबर 2015

कठिन नही है शुद्ध हिन्दी-भाग-38

कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 38
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'को' एक विभक्ति चिन्ह है, जिसका प्रयोग मुख्य रूप से कर्म (ऑब्जेक्ट) के साथ किया जाता है। अन्य कई जगहों पर 'को' का प्रयोग होता है। कई बार कर्म के होने के बावजूद 'को' चिन्ह नहीं भी रहता है। कर्म की पहचान के लिए 'किसे', 'क्या' और 'किसको' जैसे प्रश्न किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए 'युद्ध ने हमें तबाह कर दिया' में 'किसे' का जवाब 'हमें' है, इसलिए यह कर्म है।
'राजू ने श्यामल को पीटा', 'माँ बच्चे को पढ़ाती है' जैसे वाक्यों में कर्म के बाद 'को' का प्रयोग होता है, लेकिन छोटी चीज़ों और निर्जीवों के बाद 'को' चिन्ह का लोप हो जाता है, जैसे 'वह नाटक देखता है', 'सीता भात खाती है' आदि।
समय की सूचना देने में 'को' का प्रयोग होता है, जैसे 'रविवार को आना', 'शाम को', '23 तारीख को', '15 अगस्त को' आदि। ध्यान रहे कि 'सुबह को', '4 बजे को आना' जैसे प्रयोग अच्छे नहीं हैं। इनकी जगह '4 बजे आना', 'कल सुबह आना', 'यह कार्यक्रम कल होगा' आदि लिखना और बोलना चाहिए।
आदेश, अधिकार, आदर, कामना आदि के वाक्यों में भी 'को' का प्रयोग होता है, जैसे 'नौकर को बुलाओ', 'बच्चे को खेलने दो', 'हरिप्रसाद सिंह को फाँसी दी जाय', 'खुदा आपको सलामत रखे', 'बड़ों को आदर दो', 'छोटों को प्यार करो'आदि।
'धोबी को कपड़े दो', 'छात्रों को किताबें दे दीजिए' जैसे देने के (दान) अर्थ वाले वाक्यों में भी 'को' का प्रयोग होता है।
किसको, जिसको, उसको, इसको, सबको, उनको, तुमको, आपको, मुझको, किनको उनको, जिनको, तुझको आदि में 'को' लगा रहता है। बिना 'को' वाले ऐसे ही शब्द मुझे, हमें, तुझे, तुम्हें, उसे, उन्हें, इसे, इन्हें, जिसे, जिन्हें, किसे, किन्हें आदि हैं।
चाहिए, छलना, पचना, पढ़ना, लगना, भाना, मिलना, रुकना, सूझना, शोभना, होना, बुलाना, सुलाना, कोसना, पुकारना, जगाना, भगाना आदि क्रियाओं के साथ 'को' का प्रयोग होता है; जैसे 'उसको पढ़ना चाहिए', 'तुमको जो रुचे, खा लेना', 'आपको कुछ सूझ ही नहीं रहा', 'पिता ने पुत्र को पुकारा', 'चोरों को भगाया गया', 'सुषमा ने ममता को जी भर कोसा', 'मैंने हरि को बुलाया', 'चाचा ने तपन को जगाया', 'यह व्यवहार आपको शोभा नहीं देता', 'रोहन को वह घड़ी भा गई है', 'उसको घी नहीं पचता है', 'आपको क्या लगता है' आदि।
'रमा को लड़का हुआ है', 'उसको चार लड़कियाँ हैं', 'तुमको मूँछें हैं' जैसे वाक्यों में 'को' का प्रयोग अनुचित है। इनमें 'रमा को लड़का हुआ है' जैसे वाक्य प्रायः बोले जाते हैं। सही रूप 'रमा के लड़का हुआ है', 'उसके चार लड़कियाँ हैं', 'उसके मूँछें हैं' आदि हैं। 'उसकी चार लड़कियाँ हैं' के स्थान पर 'उसके चार लड़कियाँ हैं' का प्रयोग होना चाहिए।
'मारना' क्रिया का अर्थ जब 'पीटना' हो, तब कर्म के साथ 'को' लगता है और जब इसका अर्थ 'शिकार करना' या 'हत्या करना' हो, तब 'को' नहीं लगता; जैसे 'उसने बैल को मारा' और 'लोगों ने चोरों को मारा' में बैल या चोर की पिटाई हुई है, हत्या नहीं। 'उसने बाघ मारा' और 'तुमने बीस मछलियाँ मार दीं' में बाघ और मछलियों को जान से मारा गया है।
कर्म के बाद 'को' लगा हो, तो क्रिया हमेशा पुलिंग होती है; जैसे 'राम ने रोटी को खाया'। हम पहले चर्चा कर चुके हैं कि कुछ वाक्यों में कर्म के अनुसार ही क्रिया का लिंग तय होता है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि कर्म के साथ 'को' चिन्ह लगा हो, तो क्रिया कर्म के लिंग पर निर्भर नहीं रहती।
'को' के अनावश्यक प्रयोग के कुछ उदाहरण 'सब्जी को खूब पकी हुई होनी चाहिए', 'उनकी बात को मान लो', 'वह अपनी हार को स्वीकार करता है', 'मैं पुस्तक को पढ़ता हूँ' आदि हैं। इनमें 'को' का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
'उसने राम को कहा', 'श्याम को परीक्षा देने की इच्छा थी', 'मैं वहाँ कुछ गणितज्ञों को मिला था', 'मनीष आपको कुछ कहना चाहता था' आदि वाक्यों में 'को' का प्रयोग अनुचित है। इनके सही रूप 'उसने राम से कहा', 'श्याम की परीक्षा देने की इच्छा थी', 'मैं वहाँ कुछ गणितज्ञों से मिला था', 'मनीष आपसे कुछ कहना चाहता था', 'मनीष आपको कुछ बताना चाहता था' आदि हैं।
'को' का प्रयोग नमस्कार, प्रणाम, सलाम, अभिवादन आदि के साथ भी होता है, जैसे 'आपको प्रणाम', 'शिव को नमस्कार है', 'सैनिकों को सलाम' आदि। जिन्हें आदर से प्रणाम या नमस्कार किया जाता है, उनके साथ 'को' लगाया गया है।
'वह तो मरने ही वाला है' के लिए 'वह तो मरने को है' का प्रयोग भी कई बार हम देखते हैं। हिन्दी में कई प्रकार के वाक्य अंग्रेज़ी के आधार पर बना लिए गए हैं। 'मैं जाने को हूँ' इसी का उदाहरण जान पड़ता है। 'वह रोने रोने को है', 'बच्चे को रोना आ गया', 'बुराई को अच्छाई से खत्म किया जा सकता है' जैसे वाक्य 'को' के प्रयोग के कुछ और उदाहरण हैं। कई बार 'के लिए' के लिए भी 'को' का प्रयोग होता है, जैसे 'बहुजन समाज पार्टी को अपना मत दें', 'विद्यालय को दान दें' आदि। भोजपुरी में 'के' से ही 'को' का काम चलाया जाता है।
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जारी...

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