कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 39
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इस भाग में हम 'से' के प्रयोग पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
किसी काम में सहायक साधन के साथ 'से' का प्रयोग होता है, जैसे 'उसने पेंसिल से चित्र बनाया', 'राहुल ने खुरपी से गड्ढा खोदा' आदि।
प्रेरणा देकर काम करवाने पर कर्ता के साथ भी 'से' का प्रयोग होता है। 'वह मुझसे यह काम करवाता है', 'मैं ड्राइवर से गाड़ी चलवाता हूँ', 'शिक्षक छात्रों से पुस्तक पढ़वाते हैं' जैसे वाक्य उदाहरण के लिए देखे जा सकते हैं।
अलगाव, पृथक् होने, वियोग, टूटन, डर और दूरी का बोध होने पर भी 'से' का प्रयोग होता है, जैसे 'पेड़ से पत्ता गिरा', 'मोहन घर से आता है', 'रामू साँप से डरता है', 'छत से उतरी हुई लता', 'मोहन ने घड़े से पानी निकाला', 'वह घर से बाहर आया', 'गंगा हिमालय से निकलती है', 'चूहा बिल से बाहर निकला'आदि।
'वह आपसे कुछ पूछना चाहता है', 'तुम उससे क्या कहोगे', 'वह तुमसे कुछ पूछता है' जैसे वाक्यों में भी 'से' का प्रयोग होता है।
'वह धीरे से बोलता है', 'धीरज से काम लो', 'तुम ध्यान से सुनते हो', 'मन से ईश्वर की प्रार्थना करो' जैसे वाक्यों में क्रिया करने के तरीके या खासियत में 'से' का प्रयोग होता है।
'छूने से बर्फ ठंडी मालूम पड़ती है', 'पढ़ने से किताब नीरस मालूम पड़ी' जैसे वस्तु स्थिति का ज्ञान कराने वाले वाक्यों में; 'वह कपडों से पादरी लग रहा था', 'पारस जाति से वैश्य है', 'कबीरदास स्वभाव से अक्खड़ थे' आदि जाति, लक्षण, प्रकृति आदि के निर्धारण वाले वाक्यों में; उत्पत्ति, निषेध, विकार, कारण आदि वाले वाक्य जैसे 'सूत से कपड़ा बनता है', 'वह एक पाँव से लाचार था', 'तरुण सुस्ती से वहाँ नहीं गया' में; 'लेन देन, भाव, व्यापार आदि की सूचना में, जैसे 'अरहर की दाल 200 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रही है', 'उसने अपनी घड़ी से उसका रेडियो बदल लिया'; प्रेम, प्रयोजन (उद्देश्य ) आदि का भाव बताने में, जैसे 'उसे अपने देश से प्रेम है', 'मुझे भला हवाई जहाज से क्या काम होगा' आदि में और आधिक्यावस्था (कम्परेटिव डिग्री) में तथा अतिशयावस्था (सुपरलेटिव डिग्री) में, जैसे 'नेहरू दूसरे नेताओं से ज़्यादा वैज्ञानिक सोच के व्यक्ति थे', 'रोहिणी तुमसे कमजोर है', '99 दो अंकों की सबसे बड़ी संख्या है', 'वह सबसे सुंदर है' आदि में भी 'से' लगता है।
दिशा बताने में, जैसे 'वह पूरब से आया है'; समय और स्थान की दूरी बताने में, जैसे 'आज से पाँच दिन पहले की घटना है', 'दिल्ली से पटना लगभग 900 किलोमीटर है' आदि में भी 'से' का प्रयोग किया जाता है।
हीन, शून्य, रहित, भरा, पूरा, उदार, दुष्ट, कृपालु, दयालु, बिगड़ैल, क्रोधी आदि के साथ भी 'से' का प्रयोग किया जाता है, जैसे 'बल से हीन', 'ज्ञान से शून्य', 'जल से भरा', हृदय से दयालु', 'स्वभाव से उदार', 'धन से रहित', 'प्रकृति से दुष्ट' आदि।
'उसे बोला नहीं गया', 'लोग मुझे कहा करते थे', 'अपने हाथों काम करना अच्छा होता है', 'उसको रस्सी बाँध कर लाया गया' जैसे वाक्यों में 'से' का प्रयोग करना अधिक स्पष्टता लाता है। इन वाक्यों को इस प्रकार लिखा या बोला जाना चाहिए - 'उससे नहीं बोला गया', 'लोग मुझसे कहा करते थे', 'अपने हाथों से काम करना अच्छा होता है', 'उसको रस्सी से बाँध कर लाया गया'।
'तुम जल्दी से आ जाना', 'रहीम के हाथों से पत्र भिजवा देना' आदि में 'से' को हटा देना ही ठीक रहता है। 'तुम जल्दी आ जाना', 'रहीम के हाथों पत्र भिजवा देना' ठीक रहेंगे।
कई बार 'से' का प्रयोग करना ठीक नहीं रहता, फिर भी 'से' जोड़ दिया जाता है। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-'यह किसी और काम से लगेगा' (यहाँ 'से' की जगह 'में' ठीक रहेगा), 'यह इस मूल्य से उपलब्ध नहीं हो सकता' (यहाँ 'से' के स्थान पर 'पर' या 'में' ठीक रहेगा), 'चिट्टी मेरे पते से भेजना' (यहाँ 'पर' का प्रयोग ठीक रहेगा), 'इससे मैं आपके पास नहीं आ पाया ' (यहाँ 'इससे' के स्थान पर 'इस कारण' का प्रयोग ठीक रहेगा), 'सबसे हमारा प्रणाम कहना' (यहाँ 'सबसे' की जगह 'सबको' ठीक रहेगा)
'प्रत्येक कार्य में उसकी योग्यता झलकती है' में 'में' की जगह 'से' का प्रयोग ठीक रहेगा।
'श्याम ने यह बात अपने एक मित्र के द्वारा सुनी है' में 'के द्वारा' के स्थान पर 'से' होना चाहिए। सही वाक्य 'श्याम ने यह बात अपने एक मित्र से सुनी है' होगा। इसी प्रकार 'मुझपर यह विपत्ति आँखों से आई है' का सही रूप 'मुझपर यह विपत्ति आँखों के कारण आई है' होगा। यहाँ 'आँखों के द्वारा' भी लिखना ठीक नहीं रहेगा।
भूख, प्यास, आँख, कान, पाँव, हाथ, जाड़ा आदि शब्दों के साथ 'से' लगता है, जबकि इनके बहुवचन रूप के साथ 'से' का प्रयोग नहीं किया जाता। इस बात को समझने के लिए हम कुछ उदाहरण लेते हैं। 'वह भूख से बेचैन है', लड़का प्यास से मर रहा है', 'मैंने अपनी आँख से यह घटना देखी', 'कान से सुनी बात का क्या भरोसा!', 'लड़की अब अपने पाँव से चलने लगी है' आदि में भूख, प्यास, पाँव आदि एकवचन हैं; इसलिए इन वाक्यों में 'से' का प्रयोग हुआ है। अब इन शब्दों के बहुवचन प्रयोग वाले कुछ उदाहरण लेते हैं। 'लोग भूखों बेचैन हैं', 'यात्री प्यासों मर रहे हैं', 'मैंने अपनी आँखों यह घटना देखी', 'कानों सुनी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए', लड़की अब अपने पाँवों चलती है', 'तुम मेरे हाथों ही मरोगे' आदि में 'से' का प्रयोग नहीं हुआ है।
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इस भाग में हम 'से' के प्रयोग पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
किसी काम में सहायक साधन के साथ 'से' का प्रयोग होता है, जैसे 'उसने पेंसिल से चित्र बनाया', 'राहुल ने खुरपी से गड्ढा खोदा' आदि।
प्रेरणा देकर काम करवाने पर कर्ता के साथ भी 'से' का प्रयोग होता है। 'वह मुझसे यह काम करवाता है', 'मैं ड्राइवर से गाड़ी चलवाता हूँ', 'शिक्षक छात्रों से पुस्तक पढ़वाते हैं' जैसे वाक्य उदाहरण के लिए देखे जा सकते हैं।
अलगाव, पृथक् होने, वियोग, टूटन, डर और दूरी का बोध होने पर भी 'से' का प्रयोग होता है, जैसे 'पेड़ से पत्ता गिरा', 'मोहन घर से आता है', 'रामू साँप से डरता है', 'छत से उतरी हुई लता', 'मोहन ने घड़े से पानी निकाला', 'वह घर से बाहर आया', 'गंगा हिमालय से निकलती है', 'चूहा बिल से बाहर निकला'आदि।
'वह आपसे कुछ पूछना चाहता है', 'तुम उससे क्या कहोगे', 'वह तुमसे कुछ पूछता है' जैसे वाक्यों में भी 'से' का प्रयोग होता है।
'वह धीरे से बोलता है', 'धीरज से काम लो', 'तुम ध्यान से सुनते हो', 'मन से ईश्वर की प्रार्थना करो' जैसे वाक्यों में क्रिया करने के तरीके या खासियत में 'से' का प्रयोग होता है।
'छूने से बर्फ ठंडी मालूम पड़ती है', 'पढ़ने से किताब नीरस मालूम पड़ी' जैसे वस्तु स्थिति का ज्ञान कराने वाले वाक्यों में; 'वह कपडों से पादरी लग रहा था', 'पारस जाति से वैश्य है', 'कबीरदास स्वभाव से अक्खड़ थे' आदि जाति, लक्षण, प्रकृति आदि के निर्धारण वाले वाक्यों में; उत्पत्ति, निषेध, विकार, कारण आदि वाले वाक्य जैसे 'सूत से कपड़ा बनता है', 'वह एक पाँव से लाचार था', 'तरुण सुस्ती से वहाँ नहीं गया' में; 'लेन देन, भाव, व्यापार आदि की सूचना में, जैसे 'अरहर की दाल 200 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रही है', 'उसने अपनी घड़ी से उसका रेडियो बदल लिया'; प्रेम, प्रयोजन (उद्देश्य ) आदि का भाव बताने में, जैसे 'उसे अपने देश से प्रेम है', 'मुझे भला हवाई जहाज से क्या काम होगा' आदि में और आधिक्यावस्था (कम्परेटिव डिग्री) में तथा अतिशयावस्था (सुपरलेटिव डिग्री) में, जैसे 'नेहरू दूसरे नेताओं से ज़्यादा वैज्ञानिक सोच के व्यक्ति थे', 'रोहिणी तुमसे कमजोर है', '99 दो अंकों की सबसे बड़ी संख्या है', 'वह सबसे सुंदर है' आदि में भी 'से' लगता है।
दिशा बताने में, जैसे 'वह पूरब से आया है'; समय और स्थान की दूरी बताने में, जैसे 'आज से पाँच दिन पहले की घटना है', 'दिल्ली से पटना लगभग 900 किलोमीटर है' आदि में भी 'से' का प्रयोग किया जाता है।
हीन, शून्य, रहित, भरा, पूरा, उदार, दुष्ट, कृपालु, दयालु, बिगड़ैल, क्रोधी आदि के साथ भी 'से' का प्रयोग किया जाता है, जैसे 'बल से हीन', 'ज्ञान से शून्य', 'जल से भरा', हृदय से दयालु', 'स्वभाव से उदार', 'धन से रहित', 'प्रकृति से दुष्ट' आदि।
'उसे बोला नहीं गया', 'लोग मुझे कहा करते थे', 'अपने हाथों काम करना अच्छा होता है', 'उसको रस्सी बाँध कर लाया गया' जैसे वाक्यों में 'से' का प्रयोग करना अधिक स्पष्टता लाता है। इन वाक्यों को इस प्रकार लिखा या बोला जाना चाहिए - 'उससे नहीं बोला गया', 'लोग मुझसे कहा करते थे', 'अपने हाथों से काम करना अच्छा होता है', 'उसको रस्सी से बाँध कर लाया गया'।
'तुम जल्दी से आ जाना', 'रहीम के हाथों से पत्र भिजवा देना' आदि में 'से' को हटा देना ही ठीक रहता है। 'तुम जल्दी आ जाना', 'रहीम के हाथों पत्र भिजवा देना' ठीक रहेंगे।
कई बार 'से' का प्रयोग करना ठीक नहीं रहता, फिर भी 'से' जोड़ दिया जाता है। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-'यह किसी और काम से लगेगा' (यहाँ 'से' की जगह 'में' ठीक रहेगा), 'यह इस मूल्य से उपलब्ध नहीं हो सकता' (यहाँ 'से' के स्थान पर 'पर' या 'में' ठीक रहेगा), 'चिट्टी मेरे पते से भेजना' (यहाँ 'पर' का प्रयोग ठीक रहेगा), 'इससे मैं आपके पास नहीं आ पाया ' (यहाँ 'इससे' के स्थान पर 'इस कारण' का प्रयोग ठीक रहेगा), 'सबसे हमारा प्रणाम कहना' (यहाँ 'सबसे' की जगह 'सबको' ठीक रहेगा)
'प्रत्येक कार्य में उसकी योग्यता झलकती है' में 'में' की जगह 'से' का प्रयोग ठीक रहेगा।
'श्याम ने यह बात अपने एक मित्र के द्वारा सुनी है' में 'के द्वारा' के स्थान पर 'से' होना चाहिए। सही वाक्य 'श्याम ने यह बात अपने एक मित्र से सुनी है' होगा। इसी प्रकार 'मुझपर यह विपत्ति आँखों से आई है' का सही रूप 'मुझपर यह विपत्ति आँखों के कारण आई है' होगा। यहाँ 'आँखों के द्वारा' भी लिखना ठीक नहीं रहेगा।
भूख, प्यास, आँख, कान, पाँव, हाथ, जाड़ा आदि शब्दों के साथ 'से' लगता है, जबकि इनके बहुवचन रूप के साथ 'से' का प्रयोग नहीं किया जाता। इस बात को समझने के लिए हम कुछ उदाहरण लेते हैं। 'वह भूख से बेचैन है', लड़का प्यास से मर रहा है', 'मैंने अपनी आँख से यह घटना देखी', 'कान से सुनी बात का क्या भरोसा!', 'लड़की अब अपने पाँव से चलने लगी है' आदि में भूख, प्यास, पाँव आदि एकवचन हैं; इसलिए इन वाक्यों में 'से' का प्रयोग हुआ है। अब इन शब्दों के बहुवचन प्रयोग वाले कुछ उदाहरण लेते हैं। 'लोग भूखों बेचैन हैं', 'यात्री प्यासों मर रहे हैं', 'मैंने अपनी आँखों यह घटना देखी', 'कानों सुनी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए', लड़की अब अपने पाँवों चलती है', 'तुम मेरे हाथों ही मरोगे' आदि में 'से' का प्रयोग नहीं हुआ है।
'से' के अर्थ वाले हिन्दी में 'के ज़रिये', 'द्वारा', 'के कारण', 'के द्वारा', 'वाया', 'मार्फत', 'के माध्यम से', 'बरास्ता' आदि कई और विकल्प मिलते हैं। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि इनका प्रयोग भी वाक्य और भाव के आधार पर होता है।
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जारी...
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