बुधवार, 26 अगस्त 2015

इंदौर हॉस्पिटल

इंदौर के सभी अस्पताल,नाम,पता,नम्बर

आकांक्षा नर्सिंग होम
सुदामा नगर
0731-2483754

आदित्य नर्सिंग होम
315,उषानगर एक्सटेंशन,रणजीत हनमान मंदिर के पास
0731-2483311, 4045239

आनंद हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर
7,सिंधु नगर,भंवरकुआ रोड
0731-2472121-23-24

अपूर्वा नर्सिंग होम
75,ओल्ड अग्रवाल नगर, नवलखा
0731-4096539

अरिहंत हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर
283-ए गुमास्ता नगर
0731-2785172, 73, 74

आरोग्य नर्सिंग होम
156 नयापुरा मेन रोड,
घड़ीवाली मस्जिद के सामने
0731-2538184, 2547590

अर्पण नर्सिंग होम
151/2 इमली बाजार,राजवाडा
0731-2433911, 93032-71447

अर्पित मेटरनिटी एवं नर्सिंग होम
18-बी,बख्तावरराम नगर,
तिलकनगर टेम्पो स्टैंड के पास
0731-2494690

आशीष नर्सिंग होम
163 एएफ, स्कीम नं 54,
विजय नगर 0731-2552909

बाफना हॉस्पिटल एवं आर्थो सिर्च सेंटर
18/1 नॉर्थ राजमोहल्ला,
वैष्णव स्कूल के सामने
0731-418081,82, 4010400

बांठिया हॉस्पिटल
10 तिरुपतिनगर,एरोड्रम रोड़
0731-2623000, 2621874

बापट हॉस्पिटल एवं लेपरोस्कोपी सेंटर एएचडी-30 सुखलिया
0731-2552228

भगवती मेटरनिटी एवं नर्सिंग होम
1/3,संविद नगर, कनाडिया रोड
0731-2492448

भाईजी हॉस्पिटल
47 कालानी नगर, एरोड्रम रोड
0731-2621028

भंडारी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल
21/22 स्कीम नं 54,
मेघदूत गार्डन के सामने
0731-4002327, 2552833

भार्गव नर्सिंग होम
64 सुभाष नगर
0731-2433301

भोरास्कर हॉस्पिटल एवं मेटरनिटी होम
29/7 साउथ तुकोगंज
0731-2515462

बॉम्बे हॉस्पिटल
रिंग रोड अनुराग नगर के पास
0731-4077400

स्कीन केयर सेंटर
5-ए नवलखा मेनरोड़,
सेंट्रल बैंक के पास
0731-2401259

शासकीय कैंसर हॉस्पिटल एमवाय हॉस्पिटल कैंपस के पास
0731-2524466

शासकीय चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय
एमवाय हॉस्पिटल कैंपस के पास
0731-2520126

चरक हॉस्पिटल प्रायवेट लिमिटेड
फिल्म भवन, रानी सती गेट, वायएन रोड 0731-2548101,02,03

छाबड़ा नर्सिंग होम
काली मंदिर के पास, खजराना
0731-2590808

चिरायु हॉस्पिटल
79-80 सीताराम पार्क कॉलोनी,
बड़ा गणपति
0731-2412353, 2411130

चोइथराम हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर
माणिक बाग रोड 0731-2362491/99

सिटी नेत्रालय
9-बी सीताराम पार्क कॉलोनी,
बड़ा गणपति
0731-2411406, 2413689

सिटी नर्सिंग होम प्रायवेट लिमिटेड
209 जवाहर मार्ग, राजमोहल्ला
0731-2340666

सीएचएल ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स
अनूप नगर,एबी रोड,एलआईजी स्क्वेयर 0731-2549090, 4072550

नीमा हॉस्पिटल्स प्रायवेट लिमिटेड 715-716,विजय सिंडीकेट,अन्नपूर्णा मेन रोड 0731-4099224, 25, 2799881-4

सिनर्जी हॉस्पिटल
स्कीम नं 74-सी,सेक्टर बी, विजय नगर 0731-2550400

एसएनजी हॉस्पिटल
16/1,साउथ तुकोगंज,कंचनबाग मेन रोड 0731-2525555, 4219191

क्रिस्टल लिथोट्रिप्सी एंड यूरोलॉजी सेंटर
307 मौर्या आर्केड, 1/2 ओल्ड पलासिया 0731-4067904/98933-33598

क्यूरवेल हॉस्पिटल प्रायवेट लिमिटेड
19/1 सी न्यू पलासिया 0731-2434445/4001116

देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर
1 आनंद नगर, चितावद-नेमावर रोड़ 0731-4050693

डॉ. हार्डिया एडवांस्ड आई सर्जरी एंड रिसर्च सेंटर
69 हार्डिया कंपाउंड
0731-2705351

ईएनटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर
16/1 साउथ तुकोगंज, राजशाही पैलेस के पास 0731-4025511

शासकीय ईएसआई जनरल हॉस्पिटल
नंदा नगर मेन रोड
0731-2553444

ईएसआई टीबी हॉस्पिटल
127 कंचनबाग
0731-2527938

गोकुलदास हॉस्पिटल लिमिटेड
11,डॉ.सरजू प्रसाद मार्ग,
ढक्कन वाले कुएं के पास
0731-2519212, 18

ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल
11/12 ओल्ड पलासिया
0731-4051160/65

गुर्जर हॉस्पिटल एंड एंडोस्कोपी सेंटर
2-3 स्कीम नं 44,भंवरकुआ 0731-2363716-17-18

इंदौर आई हॉस्पिटल एमओजी लाईंस,
धार रोड
0731-2380821, 2380554

कैलाश सिंह नर्सिंग होम
1/3 साउथ तुकोगंज
0731-2524409, 2521994

कालांतरी नर्सिंग होम
219 जवाहर मार्ग, नॉर्थ राजमोहल्ला 0731-2610439

के.डी. केयर हॉस्पिटल
347 साकेत नगर मेन रोड
0731-2565793, 2465794

खंडेलवाल हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम
14-बी सुदामा नगर
94240-10041

खुर्पे नर्सिंग होम
218 खातीवाला टैंक
0731-2364989

कृष्णा नर्सिंग होम
ई-23 एचआईजी कॉलोनी
0731-2550050

लाहोटी मेडीकेयर प्रायवेट लिमिटेड
4/5 ओल्ड पलासिया, रविंद्र नगर 0731-2490577, 2492621

लक्ष्मी मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर
1/2 न्यू पलासिया, नेहरू नगर पुलिया के पास 0731-2545104/98260-56380

लक्ष्मीदेवी आई हॉस्पिटल
गोराकुंड स्क्वेयर, क्लॉथ मार्केट के पास,
केनरा बैंक के सामने
0731-2451803

लाईफ केयर हॉस्पिटल
2 पीएसपी, स्कीम नं 78,
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड कार्यालय के पास 0731-2570600, 2421999

लाईफ लाईन हॉस्पिटल
14,अनूप नगर,एमआईजी एबी रोड़ 0731-2575611, 2575615

शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवाय) एमवायएच रोड
0731-2528301

महाशब्दे नेत्रालय एंड चाइल्ड केयर सेंटर
6 इंदिरा गांधी नगर
0731-2471688

महाशब्दे नेत्रालय
106 जवाहर मार्ग
0731-2471688, 98260-47658

माहेश्वरी नर्सिंग होम
289,जवाहर मार्ग,मालगंज स्क्वेयर 0731-2456453, 2451648

मखानी नर्सिंग होम
37,पलसीकर कॉलोनी
0731-2476060

मल्हारगंज टीबी हॉस्पिटल
मालगंज स्क्वेयर
0731-2454560

मलिक नर्सिंग होम
स्कीम नं 102, माणिकबाग रोड़,
सत्यम टॉकिज के पास
0731-2473773, 2477172

मनोरमा नर्सिंग होम
139 आरएनटी मार्ग
0731-2527938, 2706099

माता गुजरी हॉस्पिटल
पिपल्यापाला के पास एबी रोड
0731-2368636

मारूति नंदन हॉस्पिटल
31 गांधी नगर
0731-2882355

मयूर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर
स्कीम नं 94-ईई, पी-304 रिंग रोड़ 0731-2595111, 2595222, 2595000, 2595444

मेडी स्क्वेयर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल
9 विष्णुपुरी कॉलोनी,
भंवरकुआ स्क्वेयर के पास
0731-4004111, 13

मेहुल नर्सिंग होम
पिपलियाहाना
0731-2764871

शासकीय मानसिक चिकित्सालय
बाणगंगा
0731-2424414,2421545

मिनेश हॉस्पिटल
6 साजन नगर, नवलखा, नेमावर रोड़ 0731-2400647, 2400047

मिशन हॉस्पिटल
2 मुराई मोहल्ला, संयोगितागंज
0731-2700196

मदर केयर नर्सिंग होम
200 डीएच, स्कीम नं 54-सी,
पावर हाउस के पास
0731-2550220, 2550110

एमएसजे हॉस्पिटल
7,प्रीति नगर
0731-2591903

नाहर हॉस्पिटल
एएम-35, दीनदयाल उपाध्याय नगर,
सुखलिया सर्कल
0731-2570251, 2570271

नाहर नर्सिंग होम
70/4 सम्विद नगर, कनाडिया रोड़ 0731-2594233

न्यू पर्ल नर्सिंग होम
18 आरएनटी मार्ग
0731-2703222,4203285

निर्मल हॉस्पिटल
157/2 शिक्षक नगर, एरोड्रम रोड 0731-2522882

नोबल हॉस्पिटल एंड इंटेंसिव केयर युनिट
28/1 साउथ तुकोगंज, जाल ऑडिटोरियम के सामने
0731-2524649, 50,51

द रिकवरी हॉस्पिटल
2/3 नारायण कोठी चौराहा, न्यू पलासिया 0731-2541166, 2544466

आरएलबी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर
20-ए स्कीम नं 71 सी सेक्टर रिंग रोड़ 0731-2786960

रोहित आई हॉस्पिटल एंड चाइल्ड केयर सेंटर 202 सेफायर हाउस,
9 स्नेह नगर मेन रोड़, लोटस के पास 0731-2460911, 4093919

साई बाबा हॉस्पिटल एंड रिसर्च स मंदिर छत्रीबाग
0731-2342955, 2341790

शकुंतलादेवी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर
442/3 गोयल नगर, रिंग रोड़
0731-4035196, 4035401

सलूजा आई केयर सेंटर
एलजी-8 एंड 3, बीसीएस हाइट्स, बॉम्बे हॉस्पिटल के पास
0731-4064040

सर्वोदय नर्सिंग होम
28 न्यू पलासिया, ओम शांति भवन के पास 0731-2434987, 4037000, 2537000

श्रीपद हॉस्पिटल एंड सर्जिकल सेंटर
1-ए स्वस्तिक नगर, एमओजी लाइंस 0731-2788988, 2380866

सूरज विजन केयर
3/1 एच-ए, साउथ तुकोगंज
0731-2522988

सुयश हॉायवेट लिमिटेड एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सामने, एबी रोड 0731-4064911, 2493911

सुयोग हॉस्पिटल
195 भंवरकुआ
0731-4088580, 4086307, 2472880

सुंदरम हॉस्पिटल
657, उषानगर एक्सटेंशन
0731-4057080

द आई हॉस्पिटल
127, कंचनबाग, क्राउन पैलेस के सामने 0731-2527385

राजश्री हॉस्पिटल
स्कीम नं 74 सेक्टर डी विजयनगर 0731-2445566

यूनिक हॉस्पिटल
335, जवाहर मार्ग, माधव मंदिर कैंपस 0731-2534124, 2533525

वर्माcस्पिटल
120 धार रोड, लाबरिया भेरू
0731-2787694, 2380609

विशेष हॉस्पिटल
2/1 रेसीडेंसी एरिया, एबी रोड
0731-4067111

विजन केयर
102 सिल्वर संचोरा कैसल, आरएनटी मार्ग 0731-2529921

व्यास चिल्ड्रन हॉस्पिटल
361, जवाहर मार्ग, बॉम्बे बाजार स्क्वेयर 0731-2432939

रॉबर्ट नर्सिंग होम
रेसीडेंसी
, रेड चर्च के पास
0731-2492051
.
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सुप्रभात ��

गुरुवार, 20 अगस्त 2015

बराह अवतार

मित्रो पढो सोचो और समझो
ऐन्टीना धारीयो के स्वयाभू भूदेवताओ द्वारा रचितग्रंथो के अनुसार जब हिरण्याक्ष नामक राक्षस पृथ्वी को बलपूर्वक घसीट कर समुद्र के नीचेले गया, तब विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा हेतु वराह अवतार धारण किया।वराह और हिरण्याक्ष के बीच 1000 वर्ष तक यूध्द चला,फिर वराह ने राक्षस को मार डाला और पृथ्वी को अपने बाहर निकले दाँतो पर उठाकर जल से बाहर ले आए ।मित्रो चित्र के माध्यम से आप इस कथा को समझ सकते है, कि किस तरह भगवान विष्णू सुअर के अवतार मे प्रथ्वी को समुद्र मे डुबने से बचारहे है ।।वो क्या है कि मै कभी प्रथ्वी के बाहर गया नही ना इसलिये मेरी जानकारी मे सिर्फ यही बात है कि समुद्र सिर्फ प्रथ्वी पर हि है,तो फिर ये भगवान विष्णू प्रथ्वी को कौन से समुद्रमे डुबने सेबचा रहे है ???और समुद्र भी इतना बडा जिसके आगे इतनी विशाल प्रथ्वी इक छोटी सी गेंद के समान दिखरही है????और वो समुद्र कहा है जो ईतनी विशाल काय पुथ्वी ऊस समुद्र मे डुब रहीथी..???इतनी पोल तो रजनीकांत की फिल्मो मेभी नही होती जितने इनग्रण्थो मे है ।।शायद यही वजह है कि ब्राह्मणो ने विष्णूके वारह अवतार की पुजा शुरुनही करवाई शायद वो लेग समझ गये थे कि येबाततो किसी अनपड़ से भी हजम नही होगी ।।मुझे बहूत हसी आती है की लोगआज पढे लिखे होकर भी इन काल्पनीक कहानीयोंपर विश्वास कर लेते है..पहले की बात अलग थी लोग पढेलिखे नही थे जल्दहि ब्राम्हणवाद की षढ्ययंत्र मेआकर ईन काल्पनीक कहानीयों पर विश्वास कर लिया पर आज आप पढे लिखे हो आज साइंस कहा सेकहा पोहच गया है फिरभी जो बात इस जमाने नही हो सकती वो बात उस जमाने मे भला कैसे हो पाती हाहाहाहाहा अब आपही सोच लो

सात जन्मों की शादी

शादी सात जन्मों का बंधन हैऐसा लोग मानते हैं । अगर ऐसा हैतो येनिश्चित कौन करेगा कि येआपका कौन सा जन्म है ? अगरइससे पहलेही आपका जन्म हो चुका है औरआपकी शादी भी हो चुकी थीतो फिरआपको शादी के लिए चिंताकरने की आवश्यकता क्या है ?आपकी शादी तो आपके पूर्वजन्म के साथी से होनीअनिवार्य है ।अगर इससे पहले आपका जन्म होचुका है तो फिर बार बार सातजन्मों तक साथ निभाने कीसौगंध क्यों खाई जाती हैंपिछलेजन्मों का हिसाब किताबकौन लगाएगा ? क्या पिछलेजन्मकी सभी शादियाँ बेकार होगयी जो दोबारा से सातजन्मों का साथ माँगरहे हो ? अगर शादी सात जन्मोंका बंधन है तो उसके लिए कुंडलीवगैरहमिलाने की क्या जरुरत है जोपिछले जन्म का साथी है शादीउससे अपनेआप हो जाएगी ? आप कहते होमानव जन्म 84 लाख योनियों केबादमिलता है और अगले जन्म उनकेकर्मों के हिसाब से मिलते हैंतो क्या ये सात जन्मों का बंधनमानव योनि में ही लागू होताहै या फिरसभी योनियों पर ? अगर हाँ तोपत्नी बहुत ही सुशील, नेक औरकर्तव्यपरायण है और पति बहुतही नीच और दुष्ट प्रवृत्ति कातो उनदोनों को जो अगला जन्ममिलेगा वो पत्नी के अच्छे कर्मोंके कारणमिलेगा या पति के बुरे कर्मों केकारण क्योंकि सात जन्म तकउनको हररूप में साथ निभाना है । अगरपत्नी के अच्छे कर्मो के कारणदोनों को उत्तम योनि मेंडाला जाता है तो क्या पत्नीके अच्छे कर्मों केकारण पति के बुरे कर्मों कोमाफ़ किया जा सकता है ?

कठिन नही है शुद्ध हिंदी-भाग-27

कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 27
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ईकार की बात इस भाग तक सीमित रहेगी। आगे हम उकार और ऊकार पर चर्चा करेंगे।करण वाले शब्दों में सबसे ज़्यादा प्रचलित लेकिन अशुद्ध शब्द है 'सशक्तिकरण'। शुद्ध रूप सशक्तीकरण है, न कि सशक्तिकरण। जिस शब्द में करण (या कहें ईकरण) जुड़ता है, उसमें इकरण कहीं नहीं होता। तीन प्रकार के शब्दों में ईकरण लगता है; उदार, भूमंडल, विश्व, जगत्, समाज, घन, सम, कम्प्यूटर, समूह आदि अकार से समाप्त होने वाले शब्दों में ; निजी, पंजी जैसे ईकार से समाप्त होने वाले शब्दों में और शक्ति, विकृति, संस्कृति, राजनीति आदि इकार से समाप्त होने वालेशब्दों में। तीनों ही स्थितियों में करण के पहलेईकार आता है, न कि इकार और इस तरह उदारीकरण भूमंडलीकरण, वैश्वीकरण, जगतीकरण (जगदीकरण), समीकरण, कम्प्यूटरीकरण, घनीकरण, समाजीकरण, समूहीकरण, निजीकरण, पंजीकरण, सशक्तीकरण, संस्कृतीकरण, विकृतीकरण, राजनीतीकरण जैसे शब्द बनते हैं। शक्तीकृत, एकीकृत, कम्प्यूटरीकृत आदि शब्दों पर भी यही बात लागू होगी।अंग्रेज़ी शब्दों में ईकार के लफड़े से हम परिचित हो चुके हैं। डीज़ल, डील, फ़ीस, मैगज़ीन, कीबोर्ड, पीस, वीज़ा, स्पीड, स्पीच, स्पीकर, टीम, टीचर टीवी, हीटर, सीजन, सुप्रीम, स्टीमर, स्लीपर, मशीन, कैंटीन, लीग, लीज़, गीज़र, गेटकीपर, शीट, जीप, क्लीनर, फ़ील, फ़ीवर, क्रीम, क्रीज़ (सिलवट), थीम, ट्रीटमेंट, रेफ़री, मीटर, लीप, रीडर, रूटीन, ब्रीफ़केस, पीपुल, ब्लीडिंग, टीवी, रीयल, स्टील, ट्रस्टी जैसे शब्दों में हिन्दी में भी ईकार की परंपरा है और अंग्रेज़ी के सही उच्चारण में भी ईकार ही मिलता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि अंग्रेज़ी में उच्चारण की प्रणाली में थोड़ी भिन्नता है। ऑक्सीजन, कॉलोनी, वैराइटी, हनीमून, रैली, हीरो, सप्लाई, कॉपी, कॉफी, हाई, हॉकी, हॉबी, ब्रांडी, थ्योरी, कैंडीडेट, जूरी, ज़ीरो, ड्यूटी, टॉफी, फैन्सी, सीडी, मनी, डैडी, ममी, डायरी, डाउरी, बोगी, टैक्सी, मूवी, मनीबैग, पार्टी, रेडी, डेमोक्रेसी, बैट्री आदि ऐसे कुछ शब्द हैं, जिन्हें हिन्दी में इसी रूप में लिखने की परंपराहै, लेकिन अंग्रेज़ी में इन शब्दों के शुद्ध उच्चारण में ईकार की जगह इकार है।जब एक शब्द में एक बार से अधिक इकार या ईकार आता है, तब उपसर्गों का ध्यान रखते हुए लिखना चाहिए। प्रतिनिधि, गतिशील आदि में गति और प्रति में इकार के साथ शब्द का अगला भाग आता है। वीथिका, गीतिका, प्रीति, नीति आदि कुछ ऐसे शब्द हैं, जिनमें पहले ईकार और बाद में इकार रहता है। विनीत, निशीथ आदि में पहले इकार वाला उपसर्ग है, बाद में अगला खंड।हिन्दी में 'कि' और 'की' की ग़लती आम है। एक बार जानलेने पर यह ग़लती हमेशा के लिए ठीक हो सकती है।'की' का प्रयोग मात्र दो ही स्थानों पर होता है; पहला सम्बन्ध बताने के लिए और दूसरा क्रिया के रूप में। पहले प्रकार के प्रयोग को समझने के लिए 'सीता की कलम' , 'मनोहर की किताब' , 'आपकी घड़ी' , 'उनलोगों की परीक्षा' , 'सबकी ज़मीन' जैसे उदाहरण देखे जा सकते हैं, जिनमें किसी वस्तु या बात का सम्बन्ध किसी व्यक्ति, वस्तु, बात आदि से दिखाया गया है। सम्बन्ध वाले शब्दों के अन्त में हमेशा ईकार होता है, जैसे तेरी, मेरी, अपनी, हमारी आदि में। दूसरे प्रकार के प्रयोग को समझने के लिए 'राम ने श्याम की पिटाई की' , 'उद्धव ने हमारी बुराई की' , 'जाँच की गई' जैसे वाक्य देखे जा सकते हैं। इनमें 'की' क्रिया के भाग के रूप में है।'कि' का प्रयोग तभी होता है, जब वाक्य या बात अपूर्ण हो और आगे कुछ कहने को बचा हो तब 'कि' कई रूपों में (गोयाकि, चूँकि, क्योंकि, जोकि, जैसा कि,जबकि, ताकि, हालाँकि आदि) आता है। 'उसने बताया कि आप कई दिनों से बीमार थे', 'माना कि राम के पास x किताबें हैं', 'जैसा कि आप जानते हैं', 'मैं समझ रहाथा कि वह रोहित का भाई है', 'वे लोग बता रहे थे कि यह घर उनका है' आदि को देखकर 'कि' का प्रयोग समझा जा सकता है। वाक्य में कुछ बचा रहे तब शेष भाग को जोड़ने वाले शब्द भी इकार से समाप्त होते हैं, जैसे तथापि, यद्यपि आदि।'की' के लिए अंग्रेज़ी में ऑफ (of) का प्रयोग होता है, जबकि 'कि' के लिए दैट (that) का।बीमार, बेईमान, तारीख, दीवार, श्रीमती, मंदिर, रात्रि, विधि, इच्छा, कठिनाइयों, अतिथि आदि शुद्ध हैं और श्रीमति, मन्दीर (नरेंद्र मोदी यही बोलते हैं), प्रीती, रात्री, विधी, कठिनाईयों, ईच्छा आदि अशुद्ध हैं। आदि और आदी, जाती और जाति भिन्न भिन्न अर्थों वाले शब्द हैं।'महीने' को प्रायः 'महिने' लिखा जाता है, सही रूप 'महीने' है। 'शिक्षा' शब्द मूल रूप में 'शीक्षा' था,लेकिन लंबे समय से वह 'शिक्षा' के रूप में ही स्वीकृत है।
० ० ०
जारी...

मंगलवार, 18 अगस्त 2015

कठिन नही है शुद्ध हिंदी-भाग-26

कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 26
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पेशों, जाति आदि के नाम में भी अन्त में ईकार ही होता है। धोबी, मिस्त्री, कुर्मी, तेली, नाई, किरानी आदि इसके उदाहरण हैं।ची, गीन, नशीन, नवीस, ईना, आरी, औनी के साथ समाप्त होने वाले शब्दों में ईकार है, जैसे कानूनची, खजांची, ग़मगीन, परदानशीन, नकलनवीस, अखबारनवीस, कमीना, जुआरी, पुजारी, भिखारी आदि।अतीत, अधीन, अधीनता, अर्थी, आकांक्षी, अपेक्षी, आकीर्ण, कालीन, युगीन, जीव, जीवी, दायी, वीर, शाली, शील, हीन, दर्शी, गीर, बीन, शाही आदि में भी ईकार होगा, इकार नहीं, जैसे कालातीत, त्रिगुणातीत; विचाराधीन, पराधीन; स्वाधीनता, पराधीनता; विद्यार्थी, अभ्यर्थी, प्रार्थी; महत्वाकांक्षी, कृपाकांक्षी; उत्तरापेक्षी, फलापेक्षी; कंटकाकीर्ण; बौद्धकालीन, समकालीन, दीर्घकालीन, अल्पकालीन; बुद्धिजीवी, मसिजीवी, परजीवी; सुखदायी, फलदायी; कर्मवीर, दानवीर, महावीर, प्रवीर; भाग्यशाली, बलशाली; सुशील, क्षमाशील; गुणहीन, स्वादहीन; समदर्शी, दूरदर्शी; उठाईगीर, राहगीर, राजगीर; खुर्दबीन, दूरबीन; तानाशाही, नौकरशाही, लालफीताशाही आदि।लखनवी, बरेलवी, हिन्दवी, गजनवी जैसे स्थान पर आधारित शब्द भी ईकार से समाप्त होते हैं।मंत्री और प्राणी जैसे शब्द अकेले होने पर ईकार से समाप्त होते हैं, लेकिन जब इनके साथ बाद में आने वाला कोई शब्द मिलता है, तो ईकार के स्थान पर इकार होता है, जैसे प्राणिविज्ञ, प्राणिवज्ञान, प्राणिशास्त्र, मंत्रिमंडल, मंत्रिपरिषद् आदि।ईश वाले शब्दों में नीतीश शब्द का अशुद्ध रूप प्रायः देखने को मिलता है। कोई नितिश लिखता है, तो कोई नीतिश। यही हाल रवीश का है। रविश लिखना भीपूरी तरह ग़लत है। सतीश, वागीश, नीतीश, महीश, रवीश, कवीश, अमरीश, हरीश, अवनीश, रजनीश आदि शुद्ध रूप हैं। ईश, ईश्वर, ईश्वरी से समाप्त होने वाले शब्दों पर और इकार के बाद इन्द्र मिले शब्दों पर ध्यान रखना चाहिए। इनमें ईकार होता है, इकार नहीं। रविन्द्र भी प्रायः ग़लत रूप में लिखा जाने वाला शब्द है। रवीन्द्र, कवीन्द्र, यतीन्द्र, मुनीन्द्र, मुनीश्वर, कवीश्वर, परमेश्वरी, राजेश्वरी आदि शुद्ध रूप में लिखे गएहैं, इन्हें देखकर ईकार का एक प्रयोग समझा जा सकता है।निः के बाद र मिलकर नीर बनता है। संस्कृत में विसर्ग संधि का एक नियम इस बारे में बात स्पष्ट करता है। नीरज, नीरस, नीरोग, नीरव आदि के स्थान पर निरज, निरस, निरोग, निरव का प्रयोग उचित नहीं होगा। निरंजन, निरंकार, निराकार, निराशा, निरपेक्ष, निरसन, निरस्त्रीकरण आदि शब्दों में ऐसा नहीं होता, क्योंकि इनमें निः नहीं, नि उपसर्ग होता है।फी और डिप्टी से शुरू होने वाले शब्दों में भी फिऔर डिप्टि नहीं लिखा जाता। ध्यान रहे कि अंग्रेज़ी के शुद्ध उच्चारण की दृष्टि से डिप्टि ही सही है। फ़ीरोज़ शब्द सही है, लेकिन फ़िरोज़ ही अधिक प्रचलित रूप है।हम आगे देखेंगे कि पीटना और पिटना, सीखना और सिखाना आदि में इकार और ईकार का चक्कर कैसा है। पूजा, भीख, मीठा से बने पुजारी, भिखारी, मिठास पर भी आगे बात करेंगे।
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जारी...

मनुसमृति

"मनुस्मुर्ति" में क्या कहा हैं
यह देखिये-

१- पुत्री,पत्नी,माता या कन्या,युवा,व्रुद्धा किसी भी स्वरुप में नारी स्वतंत्र नही होनी चाहिए. -मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-२ से ६ तक.

२- पति पत्नी को छोड सकता हैं, सुद(गिरवी) पर रख सकता हैं, बेच सकता हैं, लेकिन स्त्री को इस प्रकार के अधिकार नही हैं. किसी भी स्थिती में, विवाह के बाद, पत्नी सदैव पत्नी ही रहती हैं. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-४५

३- संपति और मिलकियत के अधिकार और दावो के लिए, शूद्र की स्त्रिया भी "दास" हैं, स्त्री को संपति रखने का अधिकार नही हैं, स्त्री की संपति का मलिक उसका पति,पूत्र, या पिता हैं. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-४१६.

४- ढोर, गंवार, शूद्र और नारी, ये सब ताडन के अधिकारी हैं, यानी नारी को ढोर की तरह मार सकते हैं....तुलसी दास पर भी इसका प्रभाव दिखने को मिलता हैं, वह लिखते हैं-"ढोर,चमार और नारी, ताडन के अधिकारी."
- मनुस्मुर्तिःअध्याय-८ श्लोक-२९९

५- असत्य जिस तरह अपवित्र हैं, उसी भांति स्त्रियां भी अपवित्र हैं, यानी पढने का, पढाने का, वेद-मंत्र बोलने का या उपनयन का स्त्रियो को अधिकार नही हैं.- मनुस्मुर्तिःअध्याय-२ श्लोक-६६ और अध्याय-९ श्लोक-१८.

६- स्त्रियां नर्कगामीनी होने के कारण वह यग्यकार्य या दैनिक अग्निहोत्र भी नही कर सकती.(इसी लिए कहा जाता है-"नारी नर्क का द्वार") - मनुस्मुर्तिःअध्याय-११ श्लोक-३६ और ३७ .

७- यग्यकार्य करने वाली या वेद मंत्र बोलने वाली स्त्रियो से किसी ब्राह्मण भी ने भोजन नही लेना चाहिए, स्त्रियो ने किए हुए सभी यग्य कार्य अशुभ होने से देवो को स्वीकार्य नही हैं. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-४ श्लोक-२०५ और २०६ .

८- - मनुस्मुर्ति के मुताबिक तो , स्त्री पुरुष को मोहित करने वाली - अध्याय-२ श्लोक-२१४ .

९ - स्त्री पुरुष को दास बनाकर पदभ्रष्ट करने वाली हैं. अध्याय-२ श्लोक-२१४

१० - स्त्री एकांत का दुरुप्योग करने वाली. अध्याय-२ श्लोक-२१५.

११. - स्त्री संभोग के लिए उमर या कुरुपताको नही देखती. अध्याय-९ श्लोक-११४.

१२- स्त्री चंचल और हदयहीन,पति की ओर निष्ठारहित होती हैं. अध्याय-२ श्लोक-११५.

१३.- केवल शैया, आभुषण और वस्त्रो को ही प्रेम करने वाली, वासनायुक्त, बेईमान, इर्षाखोर,दुराचारी हैं . अध्याय-९ श्लोक-१७.

१४.- सुखी संसार के लिए स्त्रीओ को कैसे रहना चाहिए? इस प्रश्न के उतर में मनु कहते हैं-
(१). स्त्रीओ को जीवन भर पति की आग्या का पालन करना चाहिए. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-५ श्लोक-११५.

(२). पति सदाचारहीन हो,अन्य स्त्रीओ में आसक्त हो, दुर्गुणो से भरा हुआ हो, नंपुसंक हो, जैसा भी हो फ़िर भी स्त्री को पतिव्रता बनकर उसे देव की तरह पूजना चाहिए.- मनुस्मुर्तिःअध्याय-५ श्लोक-१५४.

जो इस प्रकार के उपर के ये प्रावधान वाले पाशविक रीति-नीति के विधान वाले पोस्टर क्यो नही छपवाये?

(१) वर्णानुसार करने के कार्यः -
- महातेजस्वी ब्रह्मा ने स्रुष्टी की रचना के लिए ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र को भिन्न-भिन्न कर्म करने को तै किया हैं -

- पढ्ना,पढाना,यग्य करना-कराना,दान लेना यह सब ब्राह्मण को कर्म करना हैं. अध्यायः१:श्लोक:८७

- प्रजा रक्षण , दान देना, यग्य करना, पढ्ना...यह सब क्षत्रिय को करने के कर्म हैं. - अध्यायः१:श्लोक:८९

- पशु-पालन , दान देना,यग्य करना, पढ्ना,सुद(ब्याज) लेना यह वैश्य को करने का कर्म हैं. - अध्यायः१:श्लोक:९०.

- द्वेष-भावना रहित, आंनदित होकर उपर्युक्त तीनो-वर्गो की नि:स्वार्थ सेवा करना, यह शूद्र का कर्म हैं. - अध्यायः१:श्लोक:९१.

(२) प्रत्येक वर्ण की व्यक्तिओके नाम कैसे हो?:-

- ब्राह्मण का नाम मंगलसूचक - उदा. शर्मा या शंकर
- क्षत्रिय का नाम शक्ति सूचक - उदा. सिंह
- वैश्य का नाम धनवाचक पुष्टियुक्त - उदा. शाह
- शूद्र का नाम निंदित या दास शब्द युक्त - उदा. मणिदास,देवीदास
- अध्यायः२:श्लोक:३१-३२.

(३) आचमन के लिए लेनेवाला जल:-

- ब्राह्मण को ह्रदय तक पहुचे उतना.
- क्षत्रिय को कंठ तक पहुचे उतना.
- वैश्य को मुहं में फ़ैले उतना.
- शूद्र को होठ भीग जाये उतना, आचमन लेना चाहिए.
- अध्यायः२:श्लोक:६२.

(४) व्यक्ति सामने मिले तो क्या पूछे?:-
- ब्राह्मण को कुशल विषयक पूछे.
- क्षत्रिय को स्वाश्थ्य विषयक पूछे.
- वैश्य को क्षेम विषयक पूछे.
- शूद्र को आरोग्य विषयक पूछे.
- अध्यायः२:श्लोक:१२७.
(५) वर्ण की श्रेष्ठा का अंकन :-
- ब्राह्मण को विद्या से.
- क्षत्रिय को बल से.
- वैश्य को धन से.
- शूद्र को जन्म से ही श्रेष्ठ मानना.(यानी वह जन्म से ही शूद्र हैं)
- अध्यायः२:श्लोक:१५५.

(६) विवाह के लिए कन्या का चयन:-
- ब्राह्मण सभी चार वर्ण की कन्याये पंसद कर सकता हैं.
- क्षत्रिय - ब्राह्मण कन्या को छोडकर सभी तीनो वर्ण की कन्याये पंसद कर सकता हैं.
- वैश्य - वैश्य की और शूद्र की ऎसे दो वर्ण की कन्याये पंसद कर सकता हैं.
- शूद्र को शूद्र वर्ण की ही कन्याये विवाह के लिए पंसद कर सकता हैं.- (अध्यायः३:श्लोक:१३) यानी शूद्र को ही वर्ण से बाहर अन्य वर्ण की कन्या से विवाह नही कर सकता.

(७) अतिथि विषयक:-
- ब्राह्मण के घर केवल ब्राह्मण ही अतिथि गीना जाता हैं,(और वर्ण की व्यक्ति नही)
- क्षत्रिय के घर ब्राह्मण और क्षत्रिय ही ऎसे दो ही अतिथि गीने जाते थे.
- वैश्य के घर ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य तीनो द्विज अतिथि हो सकते हैं, लेकिन ...
- शूद्र के घर केवल शूद्र ही अतिथि कहेलवाता हैं - (अध्यायः३:श्लोक:११०) और कोइ वर्ण का आ नही सकता...

(८) पके हुए अन्न का स्वरुप:-
- ब्राह्मण के घर का अन्न अम्रुतमय.
- क्षत्रिय के घर का अन्न पय(दुग्ध) रुप.
- वैश्य के घर का अन्न जो है यानी अन्नरुप में.
- शूद्र के घर का अन्न रक्तस्वरुप हैं यानी वह खाने योग्य ही नही हैं.
(अध्यायः४:श्लोक:१४)

(९) शब को कौन से द्वार से ले जाए? :-
- ब्राह्मण के शव को नगर के पूर्व द्वार से ले जाए.
- क्षत्रिय के शव को नगर के उतर द्वार से ले जाए.
- वैश्य के शव को पश्र्चिम द्वार से ले जाए.
- शूद्र के शव को दक्षिण द्वार से ले जाए.
(अध्यायः५:श्लोक:९२)

(१०) किस के सौगंध लेने चाहिए?:-
- ब्राह्मण को सत्य के.
- क्षत्रिय वाहन के.
- वैश्य को गाय, व्यापार या सुवर्ण के.
- शूद्र को अपने पापो के सोगन्ध दिलवाने चाहिए.
(अध्यायः८:श्लोक:११३)

(११) महिलाओ के साथ गैरकानूनी संभोग करने हेतू:-
- ब्राह्मण अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो सिर पे मुंडन करे.
- क्षत्रिय अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो १००० भी दंड करे.
- वैश्य अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो उसकी सभी संपति को छीन ली जाये और १ साल के लिए कैद और बाद में देश निष्कासित.
- शूद्र अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो उसकी सभी संपति को छीन ली जाये , उसका लिंग काट लिआ जाये.
- शूद्र अगर द्विज-जाती के साथ अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो उसका एक अंग काटके उसकी हत्या कर दे.
(अध्यायः८:श्लोक:३७४,३७५,३७९)

(१२) हत्या के अपराध में कोन सी कार्यवाही हो?:-
- ब्राह्मण की हत्या यानी ब्रह्महत्या महापाप.(ब्रह्महत्या करने वालो को उसके पाप से कभी मुक्ति नही मिलती)
- क्षत्रिय की हत्या करने से ब्रह्महत्या का चौथे हिस्से का पाप लगता हैं.
- वैश्य की हत्या करने से ब्रह्महत्या का आठ्वे हिस्से का पाप. लगता हैं.

- शूद्र की हत्या करने से ब्रह्महत्या का सोलह्वे हिस्से का पाप लगता हैं.(यानी शूद्र की जिन्द्गी बहोत सस्ती हैं)
- (अध्यायः११:श्लोक:१२६)

प्रकाशक :- वाल्मिकी मेहतर युवा संघ, सत्यशोधक वाल्मिकी मेहतर समाज, मालेगांव, नाशिक...!!