कठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 25
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इकार और ईकार की चर्चा को आगे बढ़ाते हैं।ईकार का सबसे आसान नियम यह माना जा सकता है कि शब्दों के अन्त में ईकार ही होगा, इकार नहीं। इसकी संभावना बहुत अधिक है, वह भी इतनी कि इकार याइ से समाप्त होने वाले शब्द गिनती के ही हैं। नामचाहे व्यक्ति के हों, नदियों के हों, देशों के हों, शहरों के हो, स्टेशनों के हों अन्त में ईकार की मौजूदगी बहुत अधिक है। गोदावरी, ताप्ती, कावेरी, कोसी, इटारसी, तिवारी, त्रिवेदी, दिल्ली, मुम्बई, इटली आदि इसके उदाहरण हैं।भाषाओं और जातियों के नाम भी ई या ईकार से समाप्तहोते हैं, जैसे रूसी, फ़्रांसीसी, इतालवी, अंग्रेज़ी, पुर्तगाली, जापानी, हिन्दी, भोजपुरी, मगही, राजस्थानी, बुंदेलखंडी, अरबी, बुल्गारियाई,कोरियाई आदि।ती, ड़ी, बाज़ी, दानी, गिरी, गी, ज़नी, नी, ईला, ईली, औती, कारी, ईन, दानी, हारी, वी आदि प्रत्ययों वाले शब्दों में इन भागों में ईकार होगा, इकार नहीं; जैसे फुरती, गिनती, बढ़ती, घटती; चमड़ी, अँतड़ी, टँगड़ी, हथौड़ी, पगड़ी, पंखुड़ी; चालबाज़ी, धोखेबाज़ी, ड्रामेबाज़ी; चमचागिरी, दादागिरी, गुंडागिरी, नेतागिरी; दिल्लगी, बंदगी, सादगी, मौजूदगी, दरिंदगी; रहज़नी, आगज़नी; करनी, कथनी, भरनी, छँटनी, ऊँटनी, शेरनी, मोरनी, आमदनी, मास्टरनी, डाक्टरनी; खर्चीला, छबीला, जहरीला, रंगीला, रसीला सजीला, सुरीला; सुरीली, जहरीली; मनौती, बपौती, बुढ़ौती; परोपकारी, क्रांतिकारी, कल्याणकारी, लाभकारी, परिवर्तनकारी, हितकारी; प्राचीन, नवीन, कुलीन, ग्रामीण; मच्छरदानी, चूहेदानी; शाकाहारी, मनोहारी, सर्वाहारी; तपस्वी, यशस्वी, मेधावी, मायावी, तेजस्वी आदि।ई प्रत्यय भिन्न भिन्न शब्दों में लगकर उनके रूपऔर अर्थ बदलता है। काकी, दादी, नानी, मामी, चाची, मौसी; हिरनी, लड़की, किशोरी नारी, ब्राह्मणी, पुत्री, युवती, कवयित्री, स्वामिनी, अनुगामिनी, दामिनी; गगरी, गठरी, टोकरी, गोली, डोरी, नाली, प्याली, घंटी, घाटी; घुड़की, चुटकी, धमकी, थपकी, झपकी, सिसकी, बोली, हँसी; खेती, डाक्टरी, महाजनी, चोरी, डकैती फौजी, माली, मास्टरी, किसानी; गुंडई, अफसरी, दोस्ती, नेकी, बदी, बेहतरी; आसमानी, कागजी, किताबी, खूनी, गुलाबी, पंजाबी, रेशमी, हवाई; खुशी, गरमी, नामी, ख़राबी आदि उदाहरण के लिए देखे जा सकते हैं।ही, भी, छी, जी आदि में ईकार होगा।क्रिया के रूपों और उनसे बने शब्दों के अन्त में, जैसे की, ली, पी, थी, जाती, खाती, देती, लेती, रहती, कहेगी, रहेंगी, रही, कही, सुनी, सुनाई, हँसी आदि मेंसदा ईकार होगा। कि और की पर आगे विस्तार से चर्चाबात करेंगे।उन्हीं, किन्हीं, तुम्हीं, हमीं आदि में ईकार होता है।नहीं को नही नहीं कहा लिखा जा सकता। स्थानवाचक यहीं, कहीं, वहीं आदि में भी ईकार होता है।संख्याओं इक्कीस, बाईस, एकतीस, बत्तीस, बयालीस, पैंतालीस, चौरासी, पचासी, नवासी आदि में ईकार होगा। उन्नीस से अड़तालीस तक और अस्सी से नवासी तक में ईकार है, इकार नहीं। 40, 43, 44, 46 और 47 केलिए क्रमशः चालिस, तैंतालिस, चौवालिस, छियालिस औरसैंतालिस यानी ईस' के स्थान पर 'इस' भी देखने मिलता है।गणितीय, भारतीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, शास्त्रीय, स्वर्गीय आदि ईय प्रत्यय वाले शब्दों में अन्त में इय सही नहीं होगा। दिलचस्प बात यह है कि हिन्दी पट्टी में ईय का उच्चारण ईए या इए ही ज़्यादा चलता है, जैसे भारतीय का भारतिए या भारतीए। संस्कृत में राष्ट्रिय शब्द है, हिन्दी में राष्ट्रीय।भाषायी, स्थायी, धराशायी आदि में ईकार है। अनीय प्रत्यय वाले शब्दों में, जैसे स्थानीय, पूजनीय, दर्शनीय, गोपनीय, गणनीय आदि में ईकार है। ध्यान रहे कि पूज्यनीय शब्द ग़लत है।० ० ०जारी...
गुरुवार, 13 अगस्त 2015
कठिन नही है शुद्ध हिंदी-भाग-25
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