मंगलवार, 11 अगस्त 2015

मिथ्या /भ्रम

सुनील यादव के प्रश्नों को स्वस्तिका शर्मा आर्य के उत्तर :--
डॉ सुनील यादव के सवाल जो हर एक को मिरुत्तर कर दें ( आर्य समाज को निरुत्तर करने वाला अबतक कोई भी इस दुनिया में पैदा नहीं हुआ )
ये ऐसे सवाल है जो बहुत हि सोचने लायक है। जैसे कि
(1) सभी देवी देवताओ ने भारत मे हि जन्म क्यो लिया? क्यो किसी भी देवी देवता को भारत के बाहर कोइ नही जानता ?
उत्तर :- पहली बात तो ये है कि जिन देवी देवताओं की बात आप कर रहे हो वे महापुरुष या विदुषी स्त्रीयाँ हुए हैं और इन्होंने जन्म केवल भारत में ही लिया ऐसा कैसे कह सकते हो ? जब्की भारत की भौगोलिक सीमाएँ ईराक से भी आगे और इधर इंडोनेशिया तक । उससे भी आगे वैदिक संस्कृति महाभारत काल के कुछ समय तक पूरे विश्व में फैली थी । तो आपको से आश्चर्ययनहीं होना चाहिए कि वो कहाँ पैदा हुए और कहाँ गए ? और आपने कहा कि उनको भारत के बाहर कोई जानता नहीं तो अमरीका, या युरोप में क्यों इतने मंदिर हैं क्यों अमरीकी या रशिया के लोग इस्कौन के पीछे लगकर हरे कृष्णा हरे कृष्णा करने लगे ?
(2) जितने भी देवी देवता देवताओ की सवारीया है उनमे सिर्फ वही जानवर क्यो है जो कि भारत मे ही पाये जाते है? एसे जानवर क्यो नही जो कि सिर्फ कुछ हि देशो मे पाये जाते है, जैसे कि कंगारु, जिराफ आदी ?
उत्तर :- ये बात सही है कि जितनी भी सवारियाँ हैं वो काल्पनिक रूप में दिखाई जाती हैं क्योंकि घोड़े या हाथी आदि को छोड़कर कोई भी मानव किसी अन्य पशुओं की सवारी नहीं करता । तो लेकिन ये समझ नहीं आती कि मुहम्मद की सवारी अल बुराक ( गधे के शरीर वाली औरत ) और मिस्र के फराओन का अमून देवता जिसका सिर पंछी जैसा है , वे सब प्रतीकात्मक हैं कोई वास्ताविक नहीं है । तो प्रतीकों को लोग सत्य मान लें इसमें लोगों का दोष है न कि प्रतीक बनाने वाले का ।
(3) सभी देवी देवता हमेशा राज घरानो मे हि जन्म क्यो लेते थे ? क्यो किसी भी देवी देवता ने किसी गरीब या शुद्र के यहा जन्म नही लिया?
उत्तर :- शायद आप भूल गए हो कि बहुत से ऋषि मुनि जैसे वाल्मिकी जी शुद्र घर में पैदा हुए लेकिन विद्वता के कारण ब्राह्मण बने । क्योंकि कोई भी मनुष्य शुद्र ही पैदा होता है लेकिन कर्म से अपना वर्ण चुन लेता है ।
(4) पोराणीक कथाओ मे सभी देवी देवताओ की दिनचर्या का वर्णन है जैसे कि कब पार्वती ने चंदन से स्नान किया, कब गणेश के लिये लड्डु बनाये, गणेश ने कैसे लड्डु खाये.. आदी लेकीन जैसे हि ग्रंथो कि स्क्रीप्ट खत्म हो गयी भगवानो कि दिनचर्या भी खत्म.. तो क्या बाद में सभी देवीदेवताऔ का देहांत हो गया ?? अब वो कहाँ है? उनकी औलादे कहाँ है?
उत्तर :- पहली बात तो ये है कि जिन लोगों कको आप स्वयं ही काल्पनिक मानते हो । और फिर उनकी ही दिनचर्या में घुसकर प्रश्न करते हो । जब वो काल्पनिक ही थे तो बात वहीं समाप्त हो जाती है । और जहाँ तक कि ये पुराणों की बात है तो ये १८ पुराण मिथ्याचारीयों के लिखे हुए हैंजिनकी गणना प्रमाणिक ग्रंथों में नहीं होती । वेद, उपनिषद्, ब्राह्मण, दर्शन, वेदांग, स्मृति शास्त्र, महाभारत, वाल्मिकी रामायण को ही प्रमाणिक माना जाता है ।
(5) ग्रंथो के अनुसार पुराने समय मे सभी देवी देवताओ का पृथ्वी पर आना-जाना लगा रहता था। जैसे कि किसी को वरदान देने या किसी पापी का सर्वनाश करने.. लेकीन अब एसा क्या हुआ जो देवी देवताओ ने पृथ्वी पर आना बंद हि कर दिया??
उत्तर :- देवी या देवता कहते हैं उन मानवों को जिनमें दिव्य गुण हों जो वैदिक मर्यादाओं पर चलते हों और मानव निश्चित ही पृथिवी पर रहता है। न कि किसी अंतरिक्ष में जैसा कि आप लोगों की मिथ्या कल्पना है । और हाँ मृत्यु तो सबको आती है चाहे कोई भी कितना ही अच्छा हो । तो अब वो देव लोग कहाँ से दिखेंगे ?
(6) जब भी कोइ पापी पाप फैलाता था तो उसका नाश करने के लिये खुद भागवान किसी राजा के यहा जन्म लेते थे फिर 30-35 की उम्र तक जवान होने के बाद वो पापी का नाश करते थे, ऐसा क्यों? पापी का नाश जब भगवान खुद हि कर रहे है तो 30-35 साल का इतना ज्यादा वक्त क्यो??? भगवान सिधे कुछ क्यो नही करते?? जीस प्रकार उन्होने अपने खुद के ही भक्तो का उत्तराखण्ड मे नाश किया ?
उत्तर :- पापीयों का वध तो धीर और पुण्य आत्माएँ ही करती हैं । न तो कभी ईश्वर अवतार लेता है और न लेगा । ये गलत मान्यताओं का प्रचार हमारे बहुत से पोंगा पंडों ने किया हुआ है । राम या कृष्ण जैसे राजाओं ने पूरे तैयारी के साथ ही युद्ध किए जैसा कि एक राजा को करना चाहिए । क्योंकि वे मानव महापुरुष थे ईश्वर नहीं । ईश्वर अपने करने वाले काम ही करता है मानवों के करने वाले नहीं । अब आप ईश्वर को कहो कि हमारे घर में झाड़ू लगा दे तो ये काम वो करने से रहा । उत्तराखंड प्राकृत्तिक आपदा है ।
(7) अगर हिन्दू धर्म कई हज़ार साल पुराना है, तो फिर भारत के बाहर इसका प्रचार-प्रसार क्यों नहीं हुआ और एक भारत से बाहर के धर्म “इस्लाम-ईसाई” को इतनी मान्यता कैसे हासिल हुई? वो आपके अपने पुरातन हिन्दू धर्म से ज़्यादा अनुयायी कैसे बना सका? हिन्दू देवी-देवता उन्हें नहीं रोक रहें??
उत्तर :- ये तो पूरी दुनिया मानने लगी है कि विश्व की प्रचीन भाषा संस्कृत है और विश्व की सारी भाषाओं में इसके अंश अभी भी मिलते रहते हैं । तो जिस भाषा का प्रचार पूरी दुनिया में था तो क्या उसके साहित्य का प्रचार दुनिया में न होगा ? ये तो दुनिया भी मानती है कि ऋग्वेद ही सबसे प्राचीन ग्रन्थ है । और जहाँ तक बात है इस्लाम और ईसाईमत के फैलने की तो ये याद रखो कि दुनिया में बहुत सी सभ्यताएँ बनती और मिटती रहती हैं, मिश्र, युनान,निनेवेह आदि सभ्यताएँ अब उनके खंडरों में दिखती है । ये तो आपको हैरान होना चाहिए कि कमसे कम वैदिक सभ्यता सिमट गई पर मिटी नहीं । और अब की स्थिती देखें तो ईसाईयत का युरोप से लोप हो चुका है लोग नास्तिकता की चपेट में आ रहे हैं तभी वे लोग अपना भविष्य भारत के दलित वर्ग में तलाश रहे हैं । ईस्लाम की बात है तो वो जितनी तेज़ी से फैलता है उतनी तेज़ी से उसके लोग एक दूसरे की हत्याएँ कर देते हैं ।
(8) अगर हिन्दू धर्म के अनुसार एक जीवित पत्नी के रहते, दूसरा विवाह अनुचित है, तो फिर राम के पिता दशरथ ने चार विवाह किस नीति अनुसार किये थे?
उत्तर :- दशरथ जो हैं वे पूरे वैदिक समाज के लिए आदर्श नहीं हैं । फिर आप अगर एक व्यक्ति को लेकर पूरे समाज पर लाँछन लगाओगे तो उनके ही पुत्र श्री राम को कैसे भूल गए ? जिन्होंने एक पत्निव्रत ही स्विकार किया ? वाह ! ये तो वही बात हुई मीठा गड़प और कड़ुवा थू !!
(9) अगर शिव के पुत्र गनेश की गर्दन शिव ने काट दी, तो फिर यह कैसा भगवान है?? जो उस कटी गर्दन को उसी जगह पर क्यों नहीं जोड़ सका?? क्यों एक पिरपराध जानवर (हाथी) की हत्या करके उसकी गर्दन गणेश की धढ पर लगाई? एक इंसान के बच्चे के धढ़ पर हाथी की गर्दन कैसे फिट आ गयी?
उत्तर :- आपके इस आक्षेप का स्वागत है । ये कहानी पूरी काल्पनिक है ।
(10) अगर हिन्दू धर्म में मांसाहार वर्जित है, तो फिर राम स्वर्णमृग (हिरन) को मारने क्यों गए थे? क्या मृग हत्या जीव हत्या नहीं है?
उत्तर :- वाल्मिकी रामायण ही प्रमाणिक है । उसमें कहीं हिरण को मारने या उसको खाने का वर्णन नहीं है । लेकिन अगर एक पल के लिए मान भीं लें कि राम हिरण मार खाया था तो पूरा वैदिक धर्म राम पर नहीं टिका क्योंकि वैदिक धर्म की शिक्षा वेदों में है । इसका पालन करने वाले लोग सही या गलत आचरण कर सकते हैं लेकिन इससे मूल सिद्धांत मलीन नहीं हो जाते । लेकिन बौद्ध देशों की तरह होटलों में मरे हुए बच्चों के भ्रूण तो नहीं खाते, कुत्ता बिल्ली, मेंढक, छिपकली, साँप आदि वाहियात माँस तो नहीं खाते ।
(11) राम अगर भगवान है, तो फिर उसको यह क्यों नहीं पता था कि रावण की नाभि में अमृत है? अगर उसको घर का भेदी ना बताता कि रावण की नाभि में अमृत है, तो उस युद्ध में रावण कभी नहीं मारा जाता। क्या भगवन ऐसा होता है?
उत्तर :- बार बार ये बात हमने कही जिसे फिर कहते हैं । राम ईश्वर नहीं महापुरूष हैं जिनको मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है । रावण की नाभी में अमृत होने की बात कहीं भी वाल्मिकी रामायण में नहीं है ।
(12) तुम कहते हो कि कृष्ण तुम्हारे भगवन हैं, तो क्या नहाती हुई निर्वस्त्र गोपीयों को छुपकर देखने वाला व्यक्ति, भगवान हो सकता है? अगर ऐसा काम कोई व्यक्ति आज के दौर में करे, तो हम उसे छिछोरा-नालायक कहते हैं। तो आप कृष्ण को भगवान क्यों कहते हो?
उत्तर :- कृष्ण के बारे में जो भी लाँछन लगाया है वो सब भागवत नामक अश्लील ग्रंथ में लिखा है जिसे प्रमाणिक नहीं माना जा सकता । मूल ग्रंथ महाभारत है जिसमें कृष्ण के गोपियों के कपड़े उठाने, माखन चुराने, क्रीड़ा करने, १६००० रानियों से शादियाँ करने का कोई विधान नहीं है । कृष्ण का जीवन अतुलनीय है । महाभारत में से प्रमाण दो तो मान लेंगे और कृष्ण को मानना छोड़ देंगे । लेकिन आप परेशान क्यों हो ? कृष्ण को तो आप काल्पनिक मानते हो ।
(13) हिन्दूओ में बलात्कारीयों का प्रमाण अधिक क्यों होते हैं?
उत्तर :- बल्कि हिंदुओं में ही कम होते हैं और जो बलात्कारी होते भी हैं वो अपनी धर्म शिक्षा के कारण नहीं होते बल्कि अपनी सामाजिक बुराईयों को सीख कर होते हैं, लेकिन हम ये सिद्ध कर सकते हैं कि अधिक व्याभिचारी चरित्रहीन तो बौद्धों, मुसलमानों और ईसाईयों में होते हैं । ईसाईयों में तो अपनी बेटी तक से व्याभिचार करने की छूट है, इस्लाम में जानवर से लेकर बड़ी छोटी औरत के साथ सैक्स करने की छूट है । जहाँ तक बात रही बौद्धों की तो सबसे अधिक वैश्याएँ और वैश्यवृत्ति बौद्ध देशों में पाई जाती है जैसे चीन, कम्बोडिया, वियतनाम, श्रीलंका, जापान आदि ।
(14) शिव के लिंग (पेनिस) की पूजा क्यों करते हैं? क्या उनके शरीर में कोई और चीज़ पूजा के क़ाबिल नहीं?
उत्तर :- सही कहा कि किसी के लिंग की पूजा बहुत बड़ा व्याभिचार है । ये लिंग पूजा का व्यापार नीच वाममार्गीयों ने चलाया है धर्म को गंदा करने हेतु लेकिन इससे मूल वैदिक सिद्धांत तो मलीन नहीं हो गए न । बात रही लिंग पूजा की तो जापान और वियतनाम की उदाहरण देते हैं वहाँ पर एक त्योहार आता है जिसमें बौद्ध स्त्रीयाँ लम्बे लम्बे लिंग की आकृत्ति के खिलौने लेकर बुद्ध से प्रार्थना करती हैं कि उनको अच्छा पति मिले । और वो बुद्धा भी ऐसे जिनकी मूर्ती में वो मोटे पेट वाले और लम्बे लिंग को हाथ में लिए हुए हैं ।
(15) खुजराहो के मंदिरों में काम-क्रीड़ा और उत्तेजक चित्र हैं, फिर ऐसे स्थान को मंदिर क्यों कहा जाता है? क्या काम-क्रीडा, हिन्दू धर्मानुसार पूजनीय है? सवाल तो और भी बहुत है, लेकेन पहले इनके जवाब मिल जाये बस!!
उत्तर :- काम क्रीड़ा तो हर मानव पूजता है , पूरा इस्लाम औरतों की लूट पर टिका है, ईसाईयत का हाल भी बेटी , बहु से लेकर माँ तक के व्याभिचार तक टिका है, बौद्धों में भी ये पूर्ण रूप से पूजनिय है । तो क्या केवल हिंदू ही बुरे बने रहें ? सवाल और भी हैं तो ले आईए महाराज आर्य समाज सबको उत्तर देने की ताकत रखता है ।
आर्य समाज को निरुत्तर करने का दम तो किसी के बाप के बाप में भी नहीं है । क्योंकि हमारा वेदमत सत्य का सूर्य है जिसकी चमक को सहन न करने वाले उल्लू रात को ही चिल्ला सकते हैं पर दिन में आँखें मींच लेते हैं ।

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