मित्रो पढो सोचो और समझो
ऐन्टीना धारीयो के स्वयाभू भूदेवताओ द्वारा रचितग्रंथो के अनुसार जब हिरण्याक्ष नामक राक्षस पृथ्वी को बलपूर्वक घसीट कर समुद्र के नीचेले गया, तब विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा हेतु वराह अवतार धारण किया।वराह और हिरण्याक्ष के बीच 1000 वर्ष तक यूध्द चला,फिर वराह ने राक्षस को मार डाला और पृथ्वी को अपने बाहर निकले दाँतो पर उठाकर जल से बाहर ले आए ।मित्रो चित्र के माध्यम से आप इस कथा को समझ सकते है, कि किस तरह भगवान विष्णू सुअर के अवतार मे प्रथ्वी को समुद्र मे डुबने से बचारहे है ।।वो क्या है कि मै कभी प्रथ्वी के बाहर गया नही ना इसलिये मेरी जानकारी मे सिर्फ यही बात है कि समुद्र सिर्फ प्रथ्वी पर हि है,तो फिर ये भगवान विष्णू प्रथ्वी को कौन से समुद्रमे डुबने सेबचा रहे है ???और समुद्र भी इतना बडा जिसके आगे इतनी विशाल प्रथ्वी इक छोटी सी गेंद के समान दिखरही है????और वो समुद्र कहा है जो ईतनी विशाल काय पुथ्वी ऊस समुद्र मे डुब रहीथी..???इतनी पोल तो रजनीकांत की फिल्मो मेभी नही होती जितने इनग्रण्थो मे है ।।शायद यही वजह है कि ब्राह्मणो ने विष्णूके वारह अवतार की पुजा शुरुनही करवाई शायद वो लेग समझ गये थे कि येबाततो किसी अनपड़ से भी हजम नही होगी ।।मुझे बहूत हसी आती है की लोगआज पढे लिखे होकर भी इन काल्पनीक कहानीयोंपर विश्वास कर लेते है..पहले की बात अलग थी लोग पढेलिखे नही थे जल्दहि ब्राम्हणवाद की षढ्ययंत्र मेआकर ईन काल्पनीक कहानीयों पर विश्वास कर लिया पर आज आप पढे लिखे हो आज साइंस कहा सेकहा पोहच गया है फिरभी जो बात इस जमाने नही हो सकती वो बात उस जमाने मे भला कैसे हो पाती हाहाहाहाहा अब आपही सोच लो
गुरुवार, 20 अगस्त 2015
बराह अवतार
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