शायद आपने वह चुटकुला सुना हो, जिसमें पिता अपने बच्चे को बताता है कि सु लगाने से अच्छे का बोध होता है और कु लगाने से बुरे का। एक दिन कुँअर जी को बच्चा पिता के सामने ही सुअर जी कह देता है। यह प्रयोग 60 दिनों में धाराप्रवाह 'अंग्रेज़ी बोलना सीखें' गुट केलिए हो सकता है, जो समझता है कि कोई भाषा शुद्धता और गुणवत्ता के साथ इतनी जल्दी सीखी जा सकती है! न तो घंटे भर में कोई डॉक्टर बन सकता है और न ही चार दिन में बढ़ई! भाषा पर भी बिना ध्यान और समय दिए अधिकार नहीं पाया जा सकता। हमने एक उपसर्ग के नासमझी भरे प्रयोग का उदाहरण लिया है। यहाँ हिन्दी के कई उपसर्गों पर नज़र डालते हैं।1) अति- अधिक, उस पार, ऊपर आदि के अर्थ का यह उपसर्ग अतिक्रमण, अतिरंजित, अत्यन्त, अत्याचार, अत्यधिक जैसेशब्द बनाता है।2) अधि- अधिक, बड़ा, ऊपर, स्थान में श्रेष्ठ आदि के अर्थ वाला यह उपसर्ग अधिनियम, अधिनायक, अधिग्रहण, अध्यक्ष, अध्यात्म, अधिवक्ता, अधीक्षक जैसे शब्द बनाता है।3) अनु- पीछे या बाद, छोटे, क्रम, समानता आदि के अर्थ के इस उपसर्ग से अनुसंधान, अनुशासन, अनुराग, अनुज, अनुचर, अनुदान, अनुपूरक, अनुप्रयोग, अनुरूप, अनुसूची, अनुक्रम आदि बनते हैं।4) अभि- अभयारण्य जैसे शब्द को प्रायः अभ्यारण्य लिख और बोल दिया जाता है, जो उचित नहीं है। अभि उपसर्ग अधिकता, सामीप्य (निकटता), ओर, सामने, इच्छा प्रकट करने आदि के भाव में आता है और अभिनेता, अभिज्ञ, अभिमत,अभिमान, अभिलेख, अभियोग, अभ्यास, अभ्यर्थी जैसे शब्द बनाता है।5) उत् या उद्- उत्कर्ष, ऊपर आदि के अर्थ वाले उद्गम, उत्तोलक, उत्पात, उद्बोधन, उद्भेदन, उन्नत, उन्नायक आदि इससे बने हैं। उत्पीड़न, उद्घोषणा, उद्भट आदि में अधिक या प्रबल होने का अर्थ है, जबकि उद्दंड, उद्बोधन, उन्नति आदि में ऊपर उठे होने का अर्थ है।6) उप- इससे उपवन, उपमुख्यमंत्री, उपग्रह, उपाख्यान, उपाध्यक्ष, उपायुक्त, उपसंपादक, उपभोग, उपलब्ध, उपहार,उपहास आदि बने हैं, जो मूल शब्द को छोटा, निकट, समीप, सहायक, हीनता आदि के भाव से संयुक्त करते हैं। उपग्रह,उपवन, उपभाषा, उपबंध आदि छोटा के अर्थ में हैं, तो उपस्थित, उपभोग आदि पास या निकट का अर्थ देने वाले हैं।7) प्र- आगे, अधिक, ऊपर, यश आदि के अर्थ वाले प्रक्रिया,प्रकृति, प्रयोग, प्रबल, प्रगति आदि इससे बने हैं।8) परि- चारों ओर, घेरा, पूरा, त्याग, अतिशय आदि के अर्थवाले शब्द परिक्रमा, परिमाप, परिमिति, परिकलन, परिभाषा, परिमार्जन, परियोजना, परिरक्षण, परिवर्धन, पर्यावरण आदि इस उपसर्ग से बनते हैं।यह अक्सर देखा जाता है कि लोग परीक्षा का अर्थ पर + इच्छा = परीक्षा यानी दूसरे की इच्छा लगाते हैं। यह मूर्खतापूर्ण और आधारहीन है। पर में इच्छा मिलाने परपरेच्छा बनेगा, परीक्षा नहीं। परीक्षा में न तो पर है,न इच्छा; वास्तव में परि उपसर्ग ईक्षा (अर्थ- दृष्टि, विचार, जाँच) से मिलकर परीक्षा बनाता है।9) सु- सुखी, सुन्दर, अच्छा, श्रेष्ठ, सहज आदि भाव वाले सुगंध, सुगम, सुदर्शन, सुपुत्र, सुभाष, सुयश, सुरक्षा, सुलभ, सुसंगति, सुसंस्कृत, स्वागत आदि शब्द इस उपसर्ग से बने शब्द हैं।10) सम्- संयोग, साथ या इकट्ठा के भाव वाले संचार, समारोह, सम्मेलन आदि और पूर्णता, सौन्दर्य के भाव वाले संगीत, सम्मोहन, समालोचना, समीक्षा, सम्बोधन, सम्मान, सम्प्रेषण, संचालन, संक्रमण आदि इससे बने हैं।11) अध- अपूर्ण या आधे के अर्थ वाले अधपका, अधमरा, अधखुला आदि इस उपसर्ग से बने हैं।12) उन- एक कम का भाव रखने वाला यह उपसर्ग उनचास, उनसठ,उनतीस, उनहत्तर, उन्नीस, उनतालीस जैसे शब्द बनाता है।13) भर- भरपेट, भरमार, भरपूर, भरसक आदि पूरा या ठीक का अर्थ रखने वाले शब्द इससे बने हैं।14) पर- दूसरा का अर्थ देने वाला और स्व (निज) का विलोम यह उपसर्ग पराधीन, परलोक, परतंत्र, परजीवी, परदेस, परोपकार, परदादा जैसे शब्द बनाता है।15) कम- फ़ारसी का यह उपसर्ग अल्प, न्यून, हीन आदि का अर्थ देता है; जैसे कमनसीब, कमजोर, कमअक़्ल, कमबख़्त आदि।16) खुश- यह भी फ़ारसी का अच्छा या श्रेष्ठ के भाव का उपसर्ग है। खुशनुमा, खुशनसीब, खुशबू, खुशमिजाज, खुशगवार, खुशकिस्मत, खुशखबरी आदि इससे बने शब्द हैं।17) नेक- यह भी 'अच्छा' के भाव का फ़ारसी उपसर्ग है, जो नेकनीयत, नेकदिल जैसे शब्द बनाता है।18) ब- अनुसार, साथ, से आदि के भाव के लिए फ़ारसी के इस उपसर्ग का इस्तेमाल बनाम, बदस्तूर, बखूबी जैसे शब्द बनाने के लिए करते हैं।19) बा- साथ, सहित के भाव के इस उपसर्ग से बाकायदा, बाइज़्ज़त जैसे शब्द बनते हैं। यह भी फ़ारसी का उपसर्ग है।20) हम- बराबर, अपना आदि के अर्थ का यह फ़ारसी का उपसर्ग हमवतन, हमराह, हमदर्द, हमशक्ल, हमनाम, हमउम्र आदि बनाता है।21) डबल- अंग्रेज़ी का यह उपसर्ग दुगना का अर्थ देता है। डबलरोटी इसका उदाहरण है।22) हेड- मुख्य के अर्थ के साथ लिए यह हेडमास्टर, हेडक्लर्क जैसे शब्द बनाता है।इसके अतिरिक्त डिप्टी (उप के लिए) से डिप्टी साहब, डिप्टी कमिश्नर; फुल से फुल स्वेटर; सब (अर्थ- अवर) से सब रजिस्ट्रार;हाफ;हाफ से हाफ शर्ट आदि; रि (दुबारा या पुनः के अर्थ में) से रिचार्ज, रिचेक, रिमेक जैसे शब्द बनते हैं।हर, सर, बर जैसे फ़ारसी के उपसर्ग हर दिन, हर रोज़, हरदम, हरसाल, सरपंच, सरताज, सरज़मीन, सरफ़रोश, सरहद, बरक़रार, बरखास्त, बरदाश्त, बरअक्स, बरखिलाफ, बरबाद, जैसे शब्द बनाते हैं।दो बातों का ध्यान हमेशा रखना चाहिए-1) पहली यह कि एक ही अर्थ कई उपसर्ग दे सकते हैं, लेकिनसबका प्रयोग हर बार नहीं कर सकते, जैसे ज्ञान में दुर् मिलाकर दुर्ज्ञान नहीं होता, अ लगाकर अज्ञान होता है।2) संस्कृत शब्दों में संस्कृत का, अंग्रेज़ी शब्दों में अंग्रेज़ी का, हिन्दी में हिन्दी का और उर्दू (हम फ़ारसी और अरबी कह सकते हैं) में उर्दू का उपसर्ग लगाना ठीक रहता है। सुनसीब (बदनसीब की जगह), फुलपेट (भरपेट की जगह), खुशदर्शन (सुदर्शन की जगह) जैसे प्रयोग बेहूदा और भद्दे हैं। अत्यन्त खूबसूरत की जगहबेहद खूबसूरत, बेहद कठिन की जगह बहुत मुश्किल का प्रयोग अच्छा और जायज़ रहता है।भोजपुरी में बेदरूप (बदरूप) का प्रयोग भी लोग करते हैं।ज़िलाधिकारी, लाठीचार्ज, रेलगाड़ी, पॉकेटमार, टिकटघर,रामइक़बाल, जेलयात्रा, डाल्टेनगंज, घड़ीसाज, चौकीदार,समझदार, राजमहल, चमकदार आदि दो भाषाओं से मिलकर बने कुछ बहुप्रचलित शब्द हैं।
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