संस्कृत, अरबी और फ़ारसी के शब्दों के लिंग पर चर्चा करने के बाद हम हिन्दी के शब्दों पर विचार करेंगे। शब्दों को प्राणिवाचक (सजीवों का बोध कराने वाले, लेकिन पेड़ पौधों को छोड़कर) और अप्राणिवाचक (चीज़ों,स्थानों, भाषाओं आदि के नाम), दो वर्गों में बाँटकर हमचर्चा शुरू करते हैं।मनुष्यों, बड़े पशुओं आदि में जो नर के बोध कराने वाले शब्द हैं, वे पुलिंग और जो मादा का बोध कराने वाले हैं, वे स्त्रीलिंग हैं। ऊँट, बूढ़ा, बच्चा, युवक,लड़का, हाथी, बाघ, गधा, साँप आदि पुलिंग हैं और बूढ़ी, युवती, बच्ची, गाय, महिला, बकरी, लड़की, ऊँटनी आदि स्त्रीलिंग हैं।कुछ जानवरों, छोटे पक्षियों और कीड़ों आदि में जोड़े (नर और मादा) का भेद करना कठिन होता है। कोयल, गिलहरी, गौरैया, चील, जोंक, बुलबुल, मछली, बटेर, तितली, मैना, मक्खी, दीमक आदि हमेशा स्त्रीलिंग रहते हैं, चाहे नर का बोध हो या मादा का। उल्लू, कौआ, खटमल, गिद्ध, गिरगिट,झींगुर, बिच्छू, मच्छर, चमगादड़, चीता, भेड़िया, केंचुआ, तेंदुआ, पिल्ला, पक्षी, झींगा, तीतर आदि शब्द पुलिंग ही माने जाते हैं, बोध चाहे किसी का हो।प्रायः जिन वस्तुओं से बल, श्रेष्ठता, कठोरता आदि गुणों का पता चलता है, वे पुलिंग और जिनसे नम्रता, कोमलता, सुंदरता, हीनता आदि का पता चलता है, वे स्त्रीलिंग माने गए हैं। यह हमारे समाज में पितृसत्ता का एक प्रमाण भी कहा जा सकता है, जहाँ स्त्री दोयम दर्जे की मानी गई है! कम से कम तब का तो कहा ही जा सकता है, जब भाषा का विकास तेज़ी से हो रहा होगा! 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते' किताबी और मिलावटी बात रही है।माता-पिता, माँ-बाप, भाई-बहन, राधा-कृष्ण, सीता-राम, दाल-भात, नर-नारी, राजा-रानी, शिव-पार्वती जैसे दो पदों वाले शब्द पुलिंग होते हैं।अब अप्राणिवाचक शब्दों की ओर रुख करते हैं।पेड़ों, वनस्पतियों, रत्नों, धातुओं, अनाजों, तरल पदार्थों आदि के नाम पुलिंग होते हैं, जैसे पीपल, अनार, बाँस, आम, खजूर, देवदार, सागवान, बड़, चीड़, शीशम, कटहल, अमरूद, नीबू, अशोक, शरीफा, सेब, अखरोट, मोती, नीलम, पन्ना, हीरा, जवाहर, मूँगा, लाल, पुखराज, तांबा, लोहा, सीसा, सोना, पीतल, राँगा, टीन, जौ, गेहूँ, चावल, बाजरा, चना, मटर, तिल, उड़द, इत्र, कहवा, पानी, घी, काढ़ा, तेल, दूध, दही, मधु, शरबत, सिरका, अवलेह, आसव, अर्क, रायता आदि। इसके अपवाद नीम, जामुन, लीची, नारंगी, नाशपाती, इमली, मणि, चाँदी, मकई, ज्वार, अरहर, खेसारी, मूँग, चाय, स्याही, कॉफी, शराब, कढ़ी, छाछ आदि हैं।जलीय, स्थलीय या भौगोलिक नाम, पहाड़ों, आकाशीय पिंडों,दिनों, महीनों, महादेशों, राज्यों आदि के नाम पुलिंग हैं, जैसे देश, नगर, रेगिस्तान, द्वीप, पर्वत, समुद्र, सरोवर, पाताल, वायुमंडल, प्रान्त, राज्य, चाँद, बुध, शनि, एशिया, युरोप, अमेरिकी, चीन, भारत, रूस, बिहार, केरल, पंजाब, तारा, सूर्य, ग्रह, सोमवार, चैत, जेठ, पूस, सावन, ध्रुव आदि। झील, घाटी, पृथ्वी, जमीन, भूमि आदि इसके अपवाद हैं।शरीर के अंगों से सम्बन्धित कान, मुँह, दाँत, ओठ, हाथ, पाँव, गाल, मुक्का, तालु, नाखून, पेट, पैर, बाल, सिर, रोम, नख, चमड़ा, नथुना, अँगूठा आदि पुलिंग हैं, तो आँख, नाक, काँख, गर्दन, छाती, जीभ, जाँघ, टाँग, ठोड़ी, दाढ़ी, नाड़ी, पीठ, बाँह, मूँछ, हथेली, उँगली, कोहनी, कलाई, नस, हड्डी, खाल, इन्द्रिय, चमड़ी आदि स्त्रीलिंग। बाहु और श्वास संस्कृत में पुलिंग हैं, लेकिन हिन्दी में बाँह और साँस स्त्रीलिंग हैं।भाषाओं के नाम स्त्रीलिंग हैं, जैसे हिन्दी, भोजपुरी, संस्कृत, तमिल, फ़ारसी, अंग्रेज़ी, तुर्की आदि।नदियों के नाम स्त्रीलिंग हैं, जैसे गंगा, यमुना, सतलुज आदि। ब्रह्मपुत्र जैसे अपवाद भी हैं, जो पुलिंग हैं।खाने-पीने और किराने के दुकान की चीज़ें स्त्रीलिंग हैं, जैसे लौंग, इलायची, मिर्च, दालचीनी, हल्दी, सुपारी,हींग, राई, कचौड़ी, पूरी (पूड़ी), खीर, दाल, रोटी, चपाती, पकौड़ी, तरकारी, सब्जी, खिचड़ी आदि। धनिया, जीरा, प्याज, लहसुन, नमक, केसर, कपूर, तेजपात (तेजपत्ता), हलवा, भात, पराँठा (पराठा) आदि इसके अपवाद हैं।अक्षरों में इ, ई, ऋ, र और ड़ को छोड़कर सारे अक्षर पुलिंग माने जाते हैं।अप्राणिवाचक शब्द, जो ईकार से समाप्त होते हैं, प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे कटोरी, कस्तूरी, गंजी, घड़ी, गाड़ी, चटनी, चोटी, चिट्ठी, छड़ी, चौकी, थाली, धोती, लाठी, साड़ी आदि। घी, मोती, दही, जी, पानी आदि इसके अपवाद हैं।आ, आन, अक्कड़, आक, आकू, आप, आव, आवा, इयल, इया, ऊ, ऐरा, ऐया, ऐत, ओड़, औता, औना, औवल, वैया, वाहा, वाला आदि प्रत्यय वाले ऐसे शब्द, जो किसी क्रिया से बने हों, पुलिंग होते हैं। घेरा, खान, नहान, मिलान, पान, लगान, उठान, पियक्कड़, बुझक्कड़, लड़ाकू, मिलाप, तैराक, घुमाव, बहाव, पहनावा, छलावा, भुलावा, सड़ियल, धुनिया, खाऊ, उड़ाऊ, लुटेरा, गवैया, हँसोड़, समझौता, खिलौना, बुझौवल, मनौवल, चरवाहा, छिलका, खानेवाला आदि इसके उदाहरण हैं। उड़ान और चट्टान स्त्रीलिंग हैं।आई, ई, औती, आवनी, ती, नी, आवट, आहट, की, त, क, न, अन्त, अ आदि प्रत्ययों से बने वैसे शब्द, जो क्रियाओं से बनते हैं,स्त्रीलिंग होते हैं। पढ़ाई, लड़ाई, बोली, मनौती, गिनती, सजावट, लिखावट, घबराहट, धमकी, बचत, करनी, छावनी, हँसी, बैठक, भिड़न्त, चमक, उड़ान, सूजन, उलझन, छाप, जलन, जीत, पहचान, मार, समझ, हार, मिलावट, छटपटाहट, पुकार, दौड़, रहन आदि इसके उदाहरण हैं। चलन, बोल, नाच, रुझान, मेल, उतार, बिगाड़ आदि पुलिंग हैं।गाना, पढ़ना, बोलना, रोना, लिखना, हँसना जैसे शब्द जो क्रियासूचक हैं पुलिंग होते हैं, जब इनका प्रयोग क्रिया की तरह नहीं होता, जैसे 'खेलना हमारा काम है' में खेलना क्रिया नहीं है।हम अगले भाग में लिंग की चर्चा समाप्त करेंगे।
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