शुक्रवार, 5 जून 2015

कठिन नही है शुद्ध हिंदी-भाग-4

चंदन कुमार मिश्रकठिन नहीं है शुद्ध हिन्दी - 4० ० ०पिछले भाग में हम उच्चारण पर चर्चा कर रहे थे। पहले हिन्दी के संयुक्ताक्षरों पर विचार करते हैं। फिर उर्दू, जो स्वतंत्र रूप में कोई भाषा ही नहीं है, के अक्षरों पर भी आएंगे।क्ष, त्र, ज्ञ, स्र और श्र पर विचार करते हैं।क्ष = क् + ष, त्र = त् + र, ज्ञ = ज् + ञ, स्र = स् + र, श्र = श् + रक्ष का उच्चारण अक्छ करना ग़लत है। इसके उच्चारण में पहले क्, फिर ष आता है। जैसे क्षेत्र को छेत्र न कहकर क्-षेत्र कहेंगे। त्र में कोई समस्या नहीं है। ज्ञ का उच्चारण ग्य, ग्यँ, द्न, ज्न आदि बोलकर किया जाता है। महाराष्ट्र में विद्नान कहा जाता है विज्ञान को।इसका शुद्ध उच्चारण समय के साथ छूटता चला गया। सामान्यतया इसका उच्चारण ग्य ही हो रहा है। चाहें तो हम इसका उच्चारण ज्यँ जैसा कर सकते हैं, जो ज् और ञ के सम्मिलित रूप के करीब है। मिस्र देश का नाम है, जिसमें स के साथ र है, जबकि मिश्र जातिसूचक शब्द है वहाँ श और र हैं।अब हम ऋ और र पर आते हैं। ऋ को किसी व्यंजन में लगाने पर व्यंजन के नीचे रोमन अक्षर सी (c) जैसा दिखता है। इसका उच्चारण र के रूप में मध्यप्रदेश और राजस्थान आदि में हो रहा है। ग्रह और गृह दोनों को ग्रह पढ़ना नागरी और हिन्दी की वैज्ञानिकता के विरुद्ध है। गृह को ग्रिह जैसा पढा जाता है और यह ठीक भी है क्योंकि ऋ का उच्चारण भी खत्म सा हो चला है। संस्कृति को संस्क्रति न पढ या लिख कर संस्कृति लिखा जाए और संस्क्रिति जैसा पढा जाय। गृह घर है और ग्रह खगोलीय पिंड; इस अंतर को बना और बचा कर रखना ठीक होगा।स्कूल, स्त्री, स्थान, श्लोक, स्मृति, स्पष्ट को क्रमशः इस्कूल, इस्त्री, अस्थान, अश्लोक, इस्मृति और अस्पष्ट पढने का प्रचलन बिहार में तो खूब है। ऐसे शब्दों का ग़लत उच्चारण करने वाले को श्याम, स्वामी, स्वाति, क्या, ख्वाब, त्याग आदि बोलकर देखना चाहिए कि वे सीधे आधे अक्षर का उच्चारण तो करते ही हैं। क्या को अक्या और स्वामी को इस्वामी तो कहते नहीं हैं। ध्यान देने पर वे सही उच्चारण करने में कठिनाई महसूस नहीं करेंगे।उर्दू में पाँच या छह प्रकार के ज की परंपरा है। वहाँ सबके उच्चारण में सूक्ष्म अंतर होता होगा और यह सिखाया जाता होगा। यहाँ हम नुक्ते वाले पाँच अक्षरोंकी बात करेंगे। क़ का उच्चारण क और ख के बीच होता है। जीभ को थोड़ा ऊपर ले जाकर हल्का सा मोड़ें तो नुक्ते वाले अक्षर ठीक ठीक उच्चारित हो सकते हैं। ख़ ग़ ज़ फ़ में ह्ह्ह्ह... जैसी आवाज़ निकलती है। अंग्रेज़ी में ज़ और फ़ के उच्चारण मौज़ूद हैं। full को फुल, soft को सॉफ़्ट, film को फ़िल्म, bridge को ब्रिज़, freeze को फ़्रीज़ कहते हैं। jump को जम्प कहेंगे, न कि ज़ंप। कई लोग एलकेजी को एल के ज़ी कहते मिलते हैं, यह ग़लत उच्चारण है। अंग्रेज़ी वर्णमाला में क के लिए k, क़ के लिए q, फ के लिए ph, फ़ के लिए f, ज के लिए j और ज़ के लिए z इस्तेमाल करते हैं। हालांकि अंग्रेज़ी के शब्दों में क़, ख़, ग़ उच्चारित नहीं होते हैं। संस्कृत में शब्द के अंत में अकार होने पर अ का उच्चारण करते हैं, लेकिन हिन्दी, भोजपुरी, उर्दू आदि में यह परंपरा सामान्य रूप से नहीं है। जैसे हिन्दी में आकाश को आकाश् ही पढ़ते हैं, जबकि संस्कृत में एव को एव् नहीं एव (अकार के साथ) पढ़ते हैं। संस्कृत, भोजपुरी, हिन्दी आदि में एक अवग्रह चिन्ह भी है, जो s की तरह लिखा जाता है।० ० ०ज़ारी...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें