रविवार, 28 जून 2015

सहवास की आयु

आज 18 वर्ष की आयु विवाह के लिए वालिग मानी जाती है। पर भारत का रूढ़ि वादी हिन्दू वर्ग 12 वर्ष की सहवास आयु पर ही अडिग था। 1860 में यह आयु 10 वर्ष थी। इसके 30 साल बाद 1891 में यह आयु 12 वर्ष की गयी। 34 साल तक इसमें कोई परिवर्तन नहीं होने दियागया। इसके बाद 1922 में तब की केंद्रीय विधान सभा में 13 वर्ष का बिल लाया गया। पर धर्म के ठेकेदारों के भारी विरोध के कारण वह पास ही नहीं हुआ। 1924 में हरी सिंह गौड़ ने बिल पेश किया। वह सहवास की आयु 14 वर्ष चाहते थे। इस बिल का सबसे ज्यादा विरोध मदन मोहन मालवीयने किया था, जिसके लिए 'चाँद' पत्रिका ने उनपर लानत भेजी थी। अंत में सिलेक्ट कमेटी ने 13 वर्ष पर सहमति दी और इस तरह 1925 में 34 वर्ष बाद 13 वर्ष की सहवास आयु का बिल पास हुआ था। आपने ठीक लिखा है स्वामी जी कि 6 से 12 वर्ष की उम्र की बच्ची सेक्स का विरोध नहीं कर सकती, उस स्थिति में तो और भी नहीं , जब उसके दिमाग में यह भरा जाता है किपति उसका भगवान और मालिक है। पर ऐसी बच्चियों के साथ सेक्स करने के बाद उनकी शारीरिक हालत क्या होती थी, इसका रोंगटे खड़ा कर देने वाला वर्णन Katherine Mayo ने अपनी किताब "Mother India" में किया है कि किस तरह जांघ की हड्डी खिसक जाती थी, मांस लटक जाता था और कुछ तो अपाहिज तक हो जाती थीं। 6 और 7 वर्ष की पत्नियों में कई तो विवाह के तीन दिन बाद ही तड़प तड़प कर मर जाती थीं। स्त्रियों के लिए इतनी महान थी हिन्दू संस्कृति।

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