:~ अध्यात्म बड़ा या विज्ञान ~:
एक बार मैं ट्रेन में सफर कर रहा था, उस ट्रेन में एक ब्राह्मण जी लोगों को प्रवचन दे रहे थे, कि जहाँ विज्ञान खत्म होता है,
वहाँ से आध्यात्मिक ज्ञान शुरू होता है।
मैंने ब्राह्मण से पूछा : आप आध्यात्म को श्रेष्ठ मानते हैं या विज्ञान को..
ब्राह्मण ने कहा - हम आध्यात्मिक ज्ञान को श्रेष्ठ मानते हैं, विज्ञान को नही।
मैंने ब्राह्मण से पूछा - आप यात्रा करने के लिए किस साधन का प्रयोग करते हैं..?
ब्राह्मण ने कहा - बस, ट्रेन, हवाई जहाज इत्यादि का प्रयोग करते हैं।
मैंने ब्राह्मण से पूछा - क्या आप यात्रा करने अर्थात एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने के लिए तुम्हारे भगवानों के आध्यात्मिक ज्ञान का प्रयोग करते हैं, जिसके माध्यम से देवता या मनुष्य आँख बंद करते ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलक झपकते ही पहुँच जाते थे।
ब्राह्मण ने कहा - नही..
मैंने कहा - उक्त संसाधनों का आविष्कार विज्ञान शक्ति ने किया है या आध्यात्मिक शक्ति ने..??
ब्राह्मण ने कहा - उक्त संसाधनों का अविष्कार विज्ञान की शक्ति ने किया है, आध्यात्मिक शक्ति ने नही..
मैंने पूछा - अब बताओ कि विज्ञान शक्ति श्रेष्ठ या आध्यात्मिक शक्ति...?
ब्राह्मण ने कहा - विज्ञान शक्ति श्रेष्ठ है लेकिन आध्यात्मिक शक्ति भी कम नही है!
फिर मैंने पूछा - यदि आध्यात्मिक शक्ति भी कम नही है तो आप अपने बच्चों को आध्यात्मिक ज्ञान की शिक्षा दिलाते हैं या विज्ञान की..?
ब्राह्मण ने कहा - विज्ञान की शिक्षा!
मैंने पूछा - आप अपने बच्चों को आध्यात्मिक ज्ञान की शिक्षा श्रेष्ठ मानते हैं या विज्ञान की शिक्षा..?
ब्राह्मण ने कहा - विज्ञान की शिक्षा!
मैंने पूछा - फिर आध्यात्मिक ज्ञान की शिक्षा क्यों नही दिलाते हैं?
ब्राह्मण ने कहा - आध्यात्मिक ज्ञान सिर्फ कल्पनात्मक है, सम्यक अर्थात यथार्थ नही है।
मैंने पूछा - मनुष्य जीवन के लिए यथार्थ ज्ञान की आवश्यकता है या काल्पनिक ज्ञान की...?
ब्राह्मण ने कहा - मनुष्य जीवन के लिए यथार्थ ज्ञान अर्थात विज्ञान की आवश्यकता है।
फिर मैंने पूछा - आध्यात्मिक ज्ञान की कहाँ आवश्यकताहै?
ब्राह्मण ने कहा - मोक्ष प्राप्ति के लिये..
मैंने पूछा - मोक्ष प्राप्ति कब होती है?
ब्राह्मण बोला - मनुष्य की मृत्यु के बाद..
तो मैंने कहा - जब मृत्यु के उपरांत आपकी सभी ज्ञानेन्द्रियाँनष्ट हो जाती हैं और आपका शरीर नष्टहो चुका होता है तो आप उस मोक्ष के सुख को अनुभव कर पायेंगे।
ब्राह्मण ने कहा - नही...
मैंने कहा - कोई भी सुख और दुःख मनुष्य शरीर के जिंदे रहने पर ही प्राप्त किया जाता है या मृत्यु के उपरांत...??
ब्राह्मण बोले - शरीर जिंदा रहने पर...
मैंने कहा - मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन के लिए विज्ञान की आवश्यकता है या आध्यात्मिक ज्ञान की..?
ब्राह्मण ने कहा - विज्ञान की आवश्यकता है।
मैंने फिर पूछा - हे ब्राह्मण अब बताओ कि विज्ञान बड़ाया आधात्मिक ज्ञान बड़ा...
ब्राह्मण ने कहा - मैं आपके विज्ञान को स्वीकारता हूँ और मानता हूँ कि विज्ञान ही बड़ा है, आध्यात्मिक नही...पर फिर भी मैं, मेरा समाज और मेरे अनुयायी (अन्य जाति वाले) तेरी बात नहीं मानेंगे, हम सब जानते हैं पर अंधविश्वास मिटने नहीं देंगे।
तुम जैसे 'नास्तिक' फडफडाते रहेंगे।
भाई जब तू बूढा हो जाएगा और बेड पर पड़ा होगा, तब खुद अपने से ये सारे प्रश्न दुबारा पूछना और जो जबाब मिले उसे भी सबके साथ साझा करना |
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