रविवार, 15 मार्च 2015

कांशीराम जी

��बहुजन नायक मा.कांसीरामजी��

15 मार्च को मान्यवर कांशीराम साहेब के जन्म दिवस को
स्वाभिमान दिवस पर साहब कांशीराम जी के लिये दो शब्द
_____________________________
मान्यवर कांशीराम जी विश्व इतिहास की उन चुनिंदा हस्तियों में से है जिन्होंने न केवल मानव समाज को बहुत कुछ दिया बल्कि स्वयं इतिहास को भी समृद्ध और पूर्ण किया। मान्यवर कांशीराम साहब दुनिया में अपनी तरह की इकलौती शख्सियत है ,जिन्होंने देश के दलित,आदिवासी और पिछड़ों के हक और अधिकारों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी "रक्तहीन" क्रांति की और उसमे सफल भी हुए।

मान्यवर कांशीराम जी के बारे में क्या बताऊँ दोस्तों , सच बात तो ये है कि उनके बारे में लिखने के लिए मेरे पास सक्षम शब्द ही नही है, मेरी व्याकरण का हर शब्द बौना है उनके त्याग ,तपस्या ,अनुशासन ,दृढ़ता ,लगन और न रुकने न थकने वाले संघर्ष के सामने।

जैसा कि आप सभी लोग जानते है कि मान्यवर कांशीराम जी का जन्म 15 मार्च 1934 को खवासपुर गाव, रोपड़ जिला , पंजाब में हुआ । आपके पिता का नाम हरी सिंह जी और माता का बिशनकौर जी था। आप बचपन से बहुत होशियार और विद्वान थे।
आप स्नात्तक पूर्ण करने के पूना में वैज्ञानिक पद पर कार्य करने लगे।

एक दिन की घटना ने आपकी जीवन का उद्देश्य ही बदल दिया । देश की व्यवस्था के पोषक ब्राह्मणों ने बुद्ध जयंती और डॉ बी आर अम्बेडकर जी की जयंती की छुट्टी खत्म कर दी। इसको लेकर आपके
साथ ही छोटे ओहदे पर काम करने वाले वाल्मीकि समाज के दीनाभाना ने इस षड्यंत्र के विरोध में आवाज बुलंद की। उनके इस जज्बे को देख आपने भी उनका तन,मन और धन से साथ दिया।

इस घटना तक आप बाबा साहब के बारे में बहुत ज्यादा नही जानते थे। आपके साथ काम करने वाले खापर्डे जी ने बाबा साहब द्वारा लिखी गयी पुस्तक "जाति भेद का उच्छेद" दी। इस पुस्तक को आपने रात में 7 बार पढ़ा और समाज को हक़ और अधिकार दिलाने के लिये दृढ़ संकल्पित हो गए और अपने लिए कुछ प्रतिज्ञाएँ भी ली।

*मै जीवन में कभी भी शादी नही करूँगा ,आज से ये बहुजन समाज ही मेरा घर परिवार है।
* मैं अपने लिये कोई संपत्ति अर्जित नही करूँगा।
*मैं किसी के भी शादी और मौत के कार्यक्रम में नही जाऊँगा।
*मैं अब कभी लौटकर अपने घर नही जाऊंगा।
*मैं अपने लिये एक इंच जमीन का टुकड़ा भी नही खरीदूंगा।
*मेरा कोई भी बैंक खाता नही रहेगा।

एक ऐसा शख्स जिसने शून्य से
शिखर तक का सफ़र तय किया ,भारत देश की वर्णवादी और जातिवादी व्यवस्था को धता बताकर नई मंजिले और नए
आयाम गढ़े। जिन लोगो राजनीती के बारे में कुछ भी ज्ञान नही था ,उस दलित ,आदिवासी और पिछड़ा समाज को देश की राजनीती की मुख्यधारा में न केवल लेकर आये
बल्कि देश की राजनीति की धुरी भी बनाया।

इस देश के 85% बहुजन को उनका हक़ और अधिकार दिलाने के लिए डॉ बी आर अम्बेडकर जी के दिए गए आरक्षण से नौकरी प्राप्त लोगो के मन में "PAY BACK TO SOCIETY" की भावना पैदा की ।

देश के दलित ,आदिवासी , पिछड़े और धर्मपरिवर्तित अल्पसंख्यको को संगठित कर 6 दिसम्बर 1978
को "BAMCEF" नाम संगठन बनाया और देश के बुद्धिजीवी वर्ग को तैयार किया।

फिर बहुजन समाज के लोगो में संघर्ष की भावना पैदा करने के और अपने अधिकारों के प्रति जागृत करने के उद्देश्य से मान्यवर कांशीराम जी ने 6 दिसम्बर 1981 को दलित शोषित समाज संघर्ष समिति बनाई , जिसे "DS4" के
नाम से जाना जाता है।

इन दो महत्तवपूर्ण कार्य के पश्चात् मान्यवर कांशीराम साहब ने अपने मुख्य व अंतिम लक्ष्य पर निशाना साधा और देश के बहुजन समाज को हुक्मरान बनाने के 14 अप्रैल 1984 को डॉ बी आर अम्बेडकर जी के जन्मदिन पर उनके विचारो को पूर्ण करने के लिये "बहुजन समाज पार्टी" की स्थापना की।

जिस पार्टी को लेकर देश के मनुवादी के लोग तरह तरह की बाते करते थे कि दलितों और आदिवासी क्या पार्टी चलाएंगे ,लेकिन वो मनुवादी लोग शायद कांशीराम जैसी शख्सियत को पहचानने में भूल कर गए और मान्यवर कांशीराम जी ने अपने जीवन में ही पार्टी निर्माण के 12 वर्षो के अंदर ही बहुजन समाज पार्टी को न केवल राष्ट्रीय पार्टी का गौरव दिलाया और साथ ही साथ आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में पार्टी की 4 -4 बार सरकार बनवाई और बहन
कुमारी मायावती जी को मुख्यमंत्री बनवाया।

अंत में सिर्फ दो लाईन ही लिखूंगा-
"भारत देश पर शासन करना ही मेरा अंतिम लक्ष्य है"

जो बहुजन की बात करेगा !
वो दिल्ली पर राज करेगा !!

कांसी तेरी नेक कमाई !
तूने सोती कौम जगाई !!

* मान्यवर कांशीराम साहब *
✊✊✊✊✊✊✊✊

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें