$ एकलव्य का अँगूठा क्यों काटा गया था......$
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[१]. एकलव्य ने सिद्धांत प्रतिपादित किया कि गुरु के बगैर सीखा जा सकता है.
[२]. एकलव्य "भील गणतंत्र" का राजकुमार था,जबकि पांडव..कौरव "राजतंत्र" के राजकुमार थे.
[३]. राजतंत्र की राज व्यवस्था "वर्ण व्यवस्था" का हिस्सा थी,जिसका मालिक ब्राह्मण होते हैं.
[४].गणतंत्र की राज व्यवस्था "आदिवासी गण समूहों" की थी,जिसके मालिक ब्राह्मण नहीं "गणव्यवस्था" के सामूहिक नेतृत्व को थी.
[५].गणतंत्र की राज व्यवस्था की विरोधी राजतंत्र की राज व्यवस्था थी....भला सोचो दुश्मनों को कोई क्यों पढ़ायेगा ?
[६]. एकलव्य ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए श्रेष्ठ धनुर्धर बनने का संकल्प लिया,अपने दम पर श्रेष्ठत्व हासिल करने की ठानी.
[७]. यदि आत्मविश्वास कायम रखने का टोटेमिक प्रेरक हो.....यही काम करना है ऐसा दृढ़ संकल्प हो.....एकाग्रता से अभ्यास किया जाए.....काम में लगन रुचि हो ,यदि कोई विद्यार्थी इन चार गुणों से लैस हो तो वह गुरु के बगैर सीख सकता है.....यह महान सिद्धांत एकलव्य ने प्रतिपादित किया.
[८]. ब्राह्मण व्यवस्था "वर्ण व्यवस्था" का मूल सिद्धांत है कि"गुरु केवल ब्राह्मण होना चाहिए" इस सिद्धांत का खंडन होने से बचाने,,,,ब्राह्मणों का वर्चस्व बरकरार रखने,,,,गणतंत्र की राज व्यवस्था की श्रेष्ठता ....राजतंत्र पर स्थापित होने से रोकने के लिए,,,, ब्राह्मण गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अँगूठा जबरदस्ती अपने शिष्यों "पांडव..कौरव" के सहयोग से काट लिया.
आपको क्या लगता है?बताओ......
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रविवार, 15 मार्च 2015
एकलव्य का अंगूठा
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