गुरुवार, 19 मार्च 2015

ट्रांसफर ऑफ़ पॉवर

��ट्रांसफर ऑफ़ पावर का सच��

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��साथियों,१५ अगस्त १९४७ को जब देश का Transfer of Power हुआ तब यूरेशियन ब्राम्हण के रईसजादों ने काँग्रेस के माध्यम से भारत पर कब्ज़ा कर के जवाहरलाल नेहरु को भारतका प्रधानमंत्री बनाया |

��तब भारत के प्रशासन में��

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����३% ब्राम्हण,
����३८% मुस्लिम और
����३०% कायस्थ थे  
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��|१)काँग्रेस
��२) भाजपा(ब्राम्हणों कीOrigin Party) 
��३) सीपीएम
��४) सीपीआय.

ये चार अधिकृत राष्ट्रिय पक्ष ३.५% ब्राम्हणों के है | ����

��वर्तमान लोकसभा में ����
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��भाजपा के 282 खासदार,
��काॅग्रेस के44 खासदार,
�� सीपीएम और सीपीआय के16 खासदार
�� ममता बॅनर्जी की तृणमूल     काँग्रेस पार्टी के 37 खासदार है |

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����संसद में कोई भी कायदा पारित करने के लिए ३६२खासदारों का Suport होना चाहिए |

����किन्तु अल्पसंख्यां ३.५% ब्राम्हणों के नियंत्रण मे 411 खासदार है, तो २/३ से अधिक बहुमत है |

��2)��लोकशाही का दूसरा आधारस्तंभ : प्रशासकीय व्यवस्था में 90 •/• इन्हीं ३.५% ब्राम्हणों कानियंत्रण है
(सन्दर्भ :�� सन २००१ का कर्मिक मंत्रालय का रिपोर्ट) |

��3)��लोकशाही का तीसरा आधारस्तंभ : न्यायपालिका में ६०० न्यायाधीशों की जगह ५८२ न्यायाधीश ये ब्राम्हण ही हैं और

��4)��चौथे आधारस्तंभ पर मिडिया अल्पसंख्यांक ब्राम्हण औररईसजादों का नियंत्रण है |

��मतलब स्वतंत्रता (Transfer of Power) के 67 साल बाद भी लोकशाही के चारों आधारस्तंभो पर इन्हीं अल्पसंख्यांक विदेशी ब्राम्हणों का नियंत्रण है |

��उसका परिणाम क्या आया ??
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��परिणाम�� :१) ����

����सन २००७ के अर्जुनसेन गुप्ता कमिटी रिपोर्ट के अनुसार ८३ करोड़ लोगों का इनकम प्रति व्यक्ति प्रति दिन ६ से २० रुपये तक है |
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��परिणाम�� :2) ����

����बीते १० साल में २ लाख किसानों ने कर्जे के बोझ की वजह से आत्महत्या की है |
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��परिणाम�� :3) ����

����प्रतिनिधित्व ये लोकशाही का मूलाधार है किंतु इस देश में ब्राम्हणी व्यवस्था ने मराठा,कूनबी, ओबीसी, भटकी विमुक्त जाती और धर्मांतरितअल्पसंख्यांकों कोउनकी लोकसंख्या केप्रमाणमे प्रतिनिधित्व (आरक्षण) नहीं दिया है
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��परिणाम�� :4) ����

����ओबीसी और भटके विमुक्त जाती की जातीनिहाय जनगणना करने से ६०साल से टाला जा रहा है |
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��परिणाम�� :5) ����

���� भटके विमुक्त जाती के लिए रेनके कमीशन बनाने के बजाय उनका केवल चुनावों के दरमियाँ इस्तमाल किया जाता है |
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��परिणाम�� :6 )����

���� मूलनिवासी मुस्लिमों के लिए सच्चर कमीशन लागु करने के बजाय देश में बमविस्फोट करने वाले ब्राम्हण आतंकवादियों को संरक्षण देके निर्दोष मुस्लिमों को गिरफ्तार करके उनकी बदनामी करने का षड्यंत्र किया जा रहा है |
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��परिणाम�� :7 ) ����

����आदिवासियों के लिए संविधान के अनुसार ५ वी और ६ वी अनुसूची लागु नाकरके उनको उनके हक़ की जमीन, जल, जंगल से बेदखल करके नक्षलवादी कहके मारा जा रहा है |
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��परिणाम�� :8 ) ����

����एल.पी.जी., एस.ई.झेड., एफ.डी.आय., शिक्षा कानिजी करण इन जनद्रोही कायदों के माध्यम से देश विदेशों केरईसजादों उद्योग पतियो को बेचने का षड्यंत्र चलाया जा रहा है

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��परिणाम�� : 9 ) ����

���� केंद्र सरकार के बजट में मुठ्ठीभर रईसों पुंजीपति को कई करों में छूट देने की वजह से आज तक देशपर 60 लाखकरोड़ रूपया इतना World Bank का कर्जा हुआ है | मतलब भारत के हर व्यक्ति पर आज 50 हजार रुपये का कर्ज है |
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��परिणाम�� :10 ) ����

����जो समस्या अंग्रजों के प्रशासन में नहीं थी वो भुकमरी, बेरोजगारी, नक्षलवाद और
आतंकवाद ये समस्या स्वतंत्र भारत में ब्राम्हणी व्यवस्था ने पैदा की है |इस तरह के अनेक सवाल ब्राम्हण और रईसजादी व्यवस्था ने मूलनिवासी बहुजनों के सामने खड़े किये है |
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��ईस परिस्थियों का हल ओर संविधान के विरोधी निती का वर्तमान समय में बामसेफ, भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय व्यापी आंदोलन के द्वारा ही देश भर मे जन जागरण चलाया जा रहा हे आप सभी इस आन्दोलन में सक्रिय हो जाइए।

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����जय मूलनिवासी.����

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