-ए भारत के गरीबों, दलितों व शोषितों ...!
- तुम्हारी मुक्ति का मार्ग धर्मशास्त्र व मंदिर नही है
बल्कि तुम्हारा उद्धार उच्च शिक्षा, व्यवसायी बनाने वाले
रोजगार तथा उच्च आचरण व नैतिकता में निहित है |
- तीर्थयात्रा, व्रत, पूजा-पाठ व कर्मकांडों में कीमती समय
बर्बाद मत करों |
- धर्मग्रंथों का अखण्ड पाठ करने, यज्ञों में आहुति देने व
मन्दिरों में माथा टेकने से तुम्हारी दासता दूर नही होगी, तुम्हारे
गले में पड़ी तुलसी की माला गरीबी से मुक्ति नही दिलाएगी |
- काल्पनिक देवी-देवताओं की मूर्तियों के आगे नाक रगड़ने से
तुम्हारी भुखमरी, दरिद्रता व गुलामी दूर नही होगी |
- अपने पुरखों की तरह तुम भी चिथड़े मत लपेटो, सड़ा-
गला अनाज खाकर जीवन मत बिताओ, दड़बे जैसे घरों में मत
रहो और इलाज के अभाव में तड़फ-तड़फ कर जान मत गंवाओ
|
- भाग्य व ईश्वर के भरोसे मत रहो, तुम्हें अपना उद्धार खुद
ही करना है |
- धर्म मनुष्य के लिए है मनुष्य धर्म के लिए नही और जो धर्म
तुम्हें इन्सान नही समझता वह धर्म नहीं अधर्म का बोझ है |
जहाँ ऊँच और नीच की व्यवस्था है | वह धर्म नही, गुलाम
बनाये रखने की साजिस है |
___ डॉ.भीमराव अम्बेडकर.
मंगलवार, 24 मार्च 2015
बाबा साहेब के उपदेश
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