शनिवार, 21 मार्च 2015

ख़ुशी

रुई का गद्दा बेच कर
मैंने इक दरी खरीद ली,
ख्वाहिशों को कुछ कम किया मैंने
और ख़ुशी खरीद ली ।

सबने ख़रीदा सोना
मैने इक सुई खरीद ली,
सपनो को बुनने जितनी
डोरी ख़रीद ली ।

मेरी एक खवाहिश मुझसे
मेरे दोस्त ने खरीद ली,
फिर उसकी हंसी से मैंने
अपनी कुछ और ख़ुशी खरीद ली ।

इस ज़माने से सौदा कर
एक ज़िन्दगी खरीद ली,
दिनों को बेचा और
शामें खरीद ली ।

शौक-ए-ज़िन्दगी कमतर से
और कुछ कम किये,
फ़िर सस्ते में ही
"सुकून-ए-ज़िंदगी" खरीद ली ।
����मुस्कुराया करो����
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जब भी करो बात
��मुस्कुराया करो
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जैसे भी रहो,
��खिलखिलाया करो
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जो भी हो दर्द,
��सह जाया  करो
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ज्यादा हो दर्द तो
☝अपनों से कह जाया करो
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जीवन एक नदी है,
�� तैरते जाया करो
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ऊँच नीच होगी राह में,
��बढ़ते जाया करो
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अपनापन यहाँ महसूस हो तो
����चले आया करो ।
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बहुत सुंदर है यह संसार,
��सुंदर और बनाया करो
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इसलिए,जब भी करो बात
��मुस्कुराया करो
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चाहता तो हूँ की
ये दुनिया बदल दूँ

पर इस ज़िन्दगी के
जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती दोस्तों
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महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,
वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से कभी ना चला
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युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..
पता नही था की, कीमत चेहरों की होती है
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अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ??
और अगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यों ???
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दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'
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पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता
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मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते
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पहले मैं होशियार था,
इसलिए दुनिया बदलने चला था

आज मैं समझदार हूँ,
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ
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बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है
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मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना
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ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई एब नहीं है
पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है
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जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने
न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले...b

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