सोमवार, 23 मार्च 2015

भूमि अधिग्रहण

Mukul Mishra
सुप्रभात..जय हिन्दू जय हिन्दू राष्ट्र ।
एक बार फिर प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र
मोदी ने अपने श्री मुख से "मन की बात के
माध्यम से देश की जनता के समक्ष
अधिग्रहण के विषय में अपनी बात रखी" ।
"मन की बात " के अंतर्गत जो कुछ बाते श्री
मोदी ने कहीं है वासव में वे सब उनके मन की
बाते ही है,सत्यता के धरातल की नहीं " ।
उन्होंने सरकारी उपक्रमों हेतु किये जाने
वाले अधिग्रहण के सन्दर्भ में तो मन की
बात के अंतर्गत बता दिया,और बड़ी
चतुराई से उस बात को छिपा गए जो
किसानो की जमीनों को उनके बिना
मर्जी के उद्योग पतियों की जागीरे बना
देती है । लोक हित की योजनाओं हेतु भू -
अधिग्रहण का कुसानो ने कब विरोध
किया...? क्या भारत में मोदी सरकार
बनने से पहले कोई भू अधिग्रहण नही हुआ..?
जिस पुराने भू अधिग्रहण कानून 1864 की
बात उठाकर मोदी "अंग्रेजो के कानून "की
बात कह रहे है ,क्या उस क़ानून में आज तक
संशोधन नही हुए...? यहाँ एक बात और
कहना चाहूँगा मैं,मोदी जी यदि "अंग्रेजो
के इसी क़ानून को देश और किसान के लिए
हानि कारक क्यों मान रहे है, देश का हर
क़ानून अंग्रेजो के पैर से उतारे गये उस मौजे के
समान है जो बदबू देता है । बदल सकते हो
क़ानून...? नही बीअदल सकते क्योकि
"गुलाम की हैसियत इतनी नहो होती की
वो खुद कुछ कर सके,हा वो इतना कर सकता
है कि लोगो को गुमराह कर दे,जैसे
बैरिस्टर मोहन दास करम चंद गांधी ने
किया,नेहरु,अटल ने किया और आज आप कर
रहे हो ।
लोक हित के कार्यो को किसान भी
समझता है और आम जनता भी,इसीलिए
इनका व्इरोध नहीं के बराबर होता है,और
जो थोडा बहुत होता भी है तो वो क्षेत्र
के बुद्दिजीवी ही निपटा देते थे ।
मन की बात के अंतर्गत "पूजी पतियों के
लिए किये जाने वाले अधिग्रहण को लोक
हित की सरकारी परियोजनाओं हेतु की
जाने वाली भू अवाप्ति प्रक्रिया के ही
समान क्यों...? सरकारी परियोजनाए
लोक हित के लिए,पूंजीपतियो की
योजनाये...??????? सरकारी लोक
हितकारी परियोजनाओं में सरकारी
नौकरी,पूंजी पातियो की योजनाओं
में...?
आप कहते है हम पहले "बेकार पड़ी सरकारी
जमीनों का उपयोग करेंगे,फिर बंजर....तो
मोदी जी हिन्दू महासभा ने 2010 में "DFC
के मदार से दौराई के मध्य माल भाड़े के रेल
ट्रैक हेतु बंजर पड़ी सरकारी जमीनों पर ही
सर्वे करा कर नक्शा बनाकर दिया था,
ताकि गरीब जनता के मकान बच जाए,है
हिम्मत तो करवा दीजिये बंजर भूमि का
उपयोग,नही करवा सकते कयोकि
"दलालों" को उनके सिर्फ इतनी ही शक्ति
और अधिकार देते है जितनी मालिको के
हक़ में हो ।
कुसानो की भूमि लेने के लिए किसानो
कइ सहमती की आवश्यकता ही नही,ये
आपकी किस नीयत का परिचायक है...?
जब खेती में " कृषि भूमि पर ही अपनी नोट
छपने वाले धंधे करेंगे तो कृषि क्या गुजरात
की नर्मदा नदी में जाकर करेंगे...?
रेल परियोजनाओं हेतु भू अवाप्ति को लेकर
पूर्व से ही कई संशोधन हुए है,और हाल ही में
"2008,संशोधित अधिनियम ।
मोदी जी,सत्ता मिल गयी है,बिल्ली के
भाग्य से छीका टूटा है ...देश गुमराह करते
हुए पूंजी पतियों की गुलामी करना बंद
करो और उठाओ अपना घोषणा पत्र उस
रद्दी की टोकरी में से जिसमे चुनाव के
बाद आपने फैंक दिया दिया था । उस में
किये वादों पर काम शुरू करो एयर बंद करो
लफ्फाजी...बहुत कर ली चुनाव से पहले भी
और चुनाव के बाद भी । मुकुल मिश्रा,हिन्दू
महासभा..9636818726

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें